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Suhel Khan and Saifur Nadwi

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26 Ash-Shu`arā' ٱلشُّعَرَاء

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بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
In the name of Allah, Most Gracious, Most Merciful.

26:1 طسٓمٓ
26:1 ता सीन मीम - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:2 تِلْكَ ءَايَـٰتُ ٱلْكِتَـٰبِ ٱلْمُبِينِ
26:2 ये वाज़ेए व रौशन किताब की आयतें है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:3 لَعَلَّكَ بَـٰخِعٌ نَّفْسَكَ أَلَّا يَكُونُوا۟ مُؤْمِنِينَ
26:3 (ऐ रसूल) शायद तुम (इस फिक्र में) अपनी जान हलाक कर डालोगे कि ये (कुफ्फार) मोमिन क्यो नहीं हो जाते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:4 إِن نَّشَأْ نُنَزِّلْ عَلَيْهِم مِّنَ ٱلسَّمَآءِ ءَايَةً فَظَلَّتْ أَعْنَـٰقُهُمْ لَهَا خَـٰضِعِينَ
26:4 अगर हम चाहें तो उन लोगों पर आसमान से कोई ऐसा मौजिज़ा नाज़िल करें कि उन लोगों की गर्दनें उसके सामने झुक जाएँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:5 وَمَا يَأْتِيهِم مِّن ذِكْرٍ مِّنَ ٱلرَّحْمَـٰنِ مُحْدَثٍ إِلَّا كَانُوا۟ عَنْهُ مُعْرِضِينَ
26:5 और (लोगों का क़ायदा है कि) जब उनके पास कोई कोई नसीहत की बात ख़ुदा की तरफ से आयी तो ये लोग उससे मुँह फेरे बगैर नहीं रहे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:6 فَقَدْ كَذَّبُوا۟ فَسَيَأْتِيهِمْ أَنۢبَـٰٓؤُا۟ مَا كَانُوا۟ بِهِۦ يَسْتَهْزِءُونَ
26:6 उन लोगों ने झुठलाया ज़रुर तो अनक़रीब ही (उन्हें) इस (अज़ाब) की हक़ीकत मालूम हो जाएगी जिसकी ये लोग हँसी उड़ाया करते थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:7 أَوَلَمْ يَرَوْا۟ إِلَى ٱلْأَرْضِ كَمْ أَنۢبَتْنَا فِيهَا مِن كُلِّ زَوْجٍ كَرِيمٍ
26:7 क्या इन लोगों ने ज़मीन की तरफ भी (ग़ौर से) नहीं देखा कि हमने हर रंग की उम्दा उम्दा चीजें उसमें किस कसरत से उगायी हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:8 إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ
26:8 यक़ीनन इसमें (भी क़ुदरत) ख़ुदा की एक बड़ी निशानी है मगर उनमें से अक्सर ईमान लाने वाले ही नहीं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:9 وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ
26:9 और इसमें शक नहीं कि तेरा परवरदिगार यक़ीनन (हर चीज़ पर) ग़ालिब (और) मेहरबान है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:10 وَإِذْ نَادَىٰ رَبُّكَ مُوسَىٰٓ أَنِ ٱئْتِ ٱلْقَوْمَ ٱلظَّـٰلِمِينَ
26:10 (ऐ रसूल वह वक्त याद करो) जब तुम्हारे परवरदिगार ने मूसा को आवाज़ दी कि (इन) ज़ालिमों फिरऔन की क़ौम के पास जाओ (हिदायत करो) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:11 قَوْمَ فِرْعَوْنَ ۚ أَلَا يَتَّقُونَ
26:11 क्या ये लोग (मेरे ग़ज़ब से) डरते नहीं है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:12 قَالَ رَبِّ إِنِّىٓ أَخَافُ أَن يُكَذِّبُونِ
26:12 मूसा ने अर्ज़ कि परवरदिगार मैं डरता हूँ कि (मुबादा) वह लोग मुझे झुठला दे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:13 وَيَضِيقُ صَدْرِى وَلَا يَنطَلِقُ لِسَانِى فَأَرْسِلْ إِلَىٰ هَـٰرُونَ
26:13 और (उनके झुठलाने से) मेरा दम रुक जाए और मेरी ज़बान (अच्छी तरह) न चले तो हारुन के पास पैग़ाम भेज दे (कि मेरा साथ दे) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:14 وَلَهُمْ عَلَىَّ ذَنۢبٌ فَأَخَافُ أَن يَقْتُلُونِ
26:14 (और इसके अलावा) उनका मेरे सर एक जुर्म भी है (कि मैने एक शख्स को मार डाला था) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:15 قَالَ كَلَّا ۖ فَٱذْهَبَا بِـَٔايَـٰتِنَآ ۖ إِنَّا مَعَكُم مُّسْتَمِعُونَ
26:15 तो मैं डरता हूँ कि (शायद) मुझे ये लाग मार डालें ख़ुदा ने कहा हरगिज़ नहीं अच्छा तुम दोनों हमारी निशानियाँ लेकर जाओ हम तुम्हारे साथ हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:16 فَأْتِيَا فِرْعَوْنَ فَقُولَآ إِنَّا رَسُولُ رَبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ
26:16 और (सारी गुफ्तगू) अच्छी तरह सुनते हैं ग़रज़ तुम दोनों फिरऔन के पास जाओ और कह दो कि हम सारे जहाँन के परवरदिगार के रसूल हैं (और पैग़ाम लाएँ हैं) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:17 أَنْ أَرْسِلْ مَعَنَا بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ
26:17 कि आप बनी इसराइल को हमारे साथ भेज दीजिए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:18 قَالَ أَلَمْ نُرَبِّكَ فِينَا وَلِيدًا وَلَبِثْتَ فِينَا مِنْ عُمُرِكَ سِنِينَ
26:18 (चुनान्चे मूसा गए और कहा) फिरऔन बोला (मूसा) क्या हमने तुम्हें यहाँ रख कर बचपने में तुम्हारी परवरिश नहीं की और तुम अपनी उम्र से बरसों हम मे रह सह चुके हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:19 وَفَعَلْتَ فَعْلَتَكَ ٱلَّتِى فَعَلْتَ وَأَنتَ مِنَ ٱلْكَـٰفِرِينَ
26:19 और तुम अपना वह काम (ख़ून क़िब्ती) जो कर गए और तुम (बड़े) नाशुक्रे हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:20 قَالَ فَعَلْتُهَآ إِذًا وَأَنَا۠ مِنَ ٱلضَّآلِّينَ
26:20 मूसा ने कहा (हाँ) मैने उस वक्त उस काम को किया जब मै हालते ग़फलत में था - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:21 فَفَرَرْتُ مِنكُمْ لَمَّا خِفْتُكُمْ فَوَهَبَ لِى رَبِّى حُكْمًا وَجَعَلَنِى مِنَ ٱلْمُرْسَلِينَ
26:21 फिर जब मै आप लोगों से डरा तो भाग खड़ा हुआ फिर (कुछ अरसे के बाद) मेरे परवरदिगार ने मुझे नुबूवत अता फरमायी और मुझे भी एक पैग़म्बर बनाया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:22 وَتِلْكَ نِعْمَةٌ تَمُنُّهَا عَلَىَّ أَنْ عَبَّدتَّ بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ
26:22 और ये भी कोई एहसान हे जिसे आप मुझ पर जता रहे है कि आप ने बनी इसराईल को ग़ुलाम बना रखा है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:23 قَالَ فِرْعَوْنُ وَمَا رَبُّ ٱلْعَـٰلَمِينَ
26:23 फिरऔन ने पूछा (अच्छा ये तो बताओ) रब्बुल आलमीन क्या चीज़ है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:24 قَالَ رَبُّ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَآ ۖ إِن كُنتُم مُّوقِنِينَ
26:24 मूसा ने कहाँ सारे आसमान व ज़मीन का और जो कुछ इन दोनों के दरमियान है (सबका) मालिक अगर आप लोग यक़ीन कीजिए (तो काफी है) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:25 قَالَ لِمَنْ حَوْلَهُۥٓ أَلَا تَسْتَمِعُونَ
26:25 फिरऔन ने उन लोगो से जो उसके इर्द गिर्द (बैठे) थे कहा क्या तुम लोग नहीं सुनते हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:26 قَالَ رَبُّكُمْ وَرَبُّ ءَابَآئِكُمُ ٱلْأَوَّلِينَ
26:26 मूसा ने कहा (वही ख़ुदा जो कि) तुम्हारा परवरदिगार और तुम्हारे बाप दादाओं का परवरदिगार है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:27 قَالَ إِنَّ رَسُولَكُمُ ٱلَّذِىٓ أُرْسِلَ إِلَيْكُمْ لَمَجْنُونٌ
26:27 फिरऔन ने कहा (लोगों) ये रसूल जो तुम्हारे पास भेजा गया है हो न हो दीवाना है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:28 قَالَ رَبُّ ٱلْمَشْرِقِ وَٱلْمَغْرِبِ وَمَا بَيْنَهُمَآ ۖ إِن كُنتُمْ تَعْقِلُونَ
26:28 मूसा ने कहा (वह ख़ुदा जो) पूरब पश्चिम और जो कुछ इन दोनों के दरमियान (सबका) मालिक है अगर तुम समझते हो (तो यही काफी है) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:29 قَالَ لَئِنِ ٱتَّخَذْتَ إِلَـٰهًا غَيْرِى لَأَجْعَلَنَّكَ مِنَ ٱلْمَسْجُونِينَ
26:29 फिरऔन ने कहा अगर तुम मेरे सिवा किसी और को (अपना) ख़ुदा बनाया है तो मै ज़रुर तुम्हे कैदी बनाऊँगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:30 قَالَ أَوَلَوْ جِئْتُكَ بِشَىْءٍ مُّبِينٍ
26:30 मूसा ने कहा अगरचे मैं आपको एक वाजेए व रौशन मौजिज़ा भी दिखाऊ (तो भी) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:31 قَالَ فَأْتِ بِهِۦٓ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّـٰدِقِينَ
26:31 फिरऔन ने कहा (अच्छा) तो तुम अगर (अपने दावे में) सच्चे हो तो ला दिखाओ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:32 فَأَلْقَىٰ عَصَاهُ فَإِذَا هِىَ ثُعْبَانٌ مُّبِينٌ
26:32 बस (ये सुनते ही) मूसा ने अपनी छड़ी (ज़मीन पर) डाल दी फिर तो यकायक वह एक सरीही अज़दहा बन गया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:33 وَنَزَعَ يَدَهُۥ فَإِذَا هِىَ بَيْضَآءُ لِلنَّـٰظِرِينَ
26:33 और (जेब से) अपना हाथ बाहर निकाला तो यकायक देखने वालों के वास्ते बहुत सफेद चमकदार था - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:34 قَالَ لِلْمَلَإِ حَوْلَهُۥٓ إِنَّ هَـٰذَا لَسَـٰحِرٌ عَلِيمٌ
26:34 (इस पर) फिरऔन अपने दरबारियों से जो उसके गिर्द (बैठे) थे कहने लगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:35 يُرِيدُ أَن يُخْرِجَكُم مِّنْ أَرْضِكُم بِسِحْرِهِۦ فَمَاذَا تَأْمُرُونَ
26:35 कि ये तो यक़ीनी बड़ा खिलाड़ी जादूगर है ये तो चाहता है कि अपने जादू के ज़ोर से तुम्हें तुम्हारे मुल्क से बाहर निकाल दे तो तुम लोग क्या हुक्म लगाते हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:36 قَالُوٓا۟ أَرْجِهْ وَأَخَاهُ وَٱبْعَثْ فِى ٱلْمَدَآئِنِ حَـٰشِرِينَ
26:36 दरबारियों ने कहा अभी इसको और इसके भाई को (चन्द) मोहलत दीजिए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:37 يَأْتُوكَ بِكُلِّ سَحَّارٍ عَلِيمٍ
26:37 और तमाम शहरों में जादूगरों के जमा करने को हरकारे रवाना कीजिए कि वह लोग तमाम बड़े बड़े खिलाड़ी जादूगरों की आपके सामने ला हाज़िर करें - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:38 فَجُمِعَ ٱلسَّحَرَةُ لِمِيقَـٰتِ يَوْمٍ مَّعْلُومٍ
26:38 ग़रज़ वक्ते मुकर्रर हुआ सब जादूगर उस मुक़र्रर के वायदे पर जमा किए गए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:39 وَقِيلَ لِلنَّاسِ هَلْ أَنتُم مُّجْتَمِعُونَ
26:39 और लोगों में मुनादी करा दी गयी कि तुम लोग अब भी जमा होगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:40 لَعَلَّنَا نَتَّبِعُ ٱلسَّحَرَةَ إِن كَانُوا۟ هُمُ ٱلْغَـٰلِبِينَ
26:40 या नहीं ताकि अगर जादूगर ग़ालिब और वर है तो हम लोग उनकी पैरवी करें - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:41 فَلَمَّا جَآءَ ٱلسَّحَرَةُ قَالُوا۟ لِفِرْعَوْنَ أَئِنَّ لَنَا لَأَجْرًا إِن كُنَّا نَحْنُ ٱلْغَـٰلِبِينَ
26:41 अलग़रज जब सब जादूगर आ गये तो जादूगरों ने फिरऔन से कहा कि अगर हम ग़ालिब आ गए तो हमको यक़ीनन कुछ इनाम (सरकार से) मिलेगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:42 قَالَ نَعَمْ وَإِنَّكُمْ إِذًا لَّمِنَ ٱلْمُقَرَّبِينَ
26:42 फिरऔन ने कहा हा (ज़रुर मिलेगा) और (इनाम क्या चीज़ है) तुम उस वक्त (मेरे) मुकररेबीन (बारगाह) से हो गए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:43 قَالَ لَهُم مُّوسَىٰٓ أَلْقُوا۟ مَآ أَنتُم مُّلْقُونَ
26:43 मूसा ने जादूगरों से कहा (मंत्र व तंत्र) जो कुछ तुम्हें फेंकना हो फेंको - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:44 فَأَلْقَوْا۟ حِبَالَهُمْ وَعِصِيَّهُمْ وَقَالُوا۟ بِعِزَّةِ فِرْعَوْنَ إِنَّا لَنَحْنُ ٱلْغَـٰلِبُونَ
26:44 इस पर जादूगरों ने अपनी रस्सियाँ और अपनी छड़ियाँ (मैदान में) डाल दी और कहने लगे फिरऔन के जलाल की क़सम हम ही ज़रुर ग़ालिब रहेंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:45 فَأَلْقَىٰ مُوسَىٰ عَصَاهُ فَإِذَا هِىَ تَلْقَفُ مَا يَأْفِكُونَ
26:45 तब मूसा ने अपनी छड़ी डाली तो जादूगरों ने जो कुछ (शोबदे) बनाए थे उसको वह निगलने लगी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:46 فَأُلْقِىَ ٱلسَّحَرَةُ سَـٰجِدِينَ
26:46 ये देखते ही जादूगर लोग सजदे में (मूसा के सामने) गिर पडे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:47 قَالُوٓا۟ ءَامَنَّا بِرَبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ
26:47 और कहने लगे हम सारे जहाँ के परवरदिगार पर ईमान लाए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:48 رَبِّ مُوسَىٰ وَهَـٰرُونَ
26:48 जो मूसा और हारुन का परवरदिगार है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:49 قَالَ ءَامَنتُمْ لَهُۥ قَبْلَ أَنْ ءَاذَنَ لَكُمْ ۖ إِنَّهُۥ لَكَبِيرُكُمُ ٱلَّذِى عَلَّمَكُمُ ٱلسِّحْرَ فَلَسَوْفَ تَعْلَمُونَ ۚ لَأُقَطِّعَنَّ أَيْدِيَكُمْ وَأَرْجُلَكُم مِّنْ خِلَـٰفٍ وَلَأُصَلِّبَنَّكُمْ أَجْمَعِينَ
26:49 फिरऔन ने कहा (हाए) क़ब्ल इसके कि मै तुम्हें इजाज़त दूँ तुम इस पर ईमान ले आए बेशक ये तुम्हारा बड़ा (गुरु है जिसने तुम सबको जादू सिखाया है तो ख़ैर) अभी तुम लोगों को (इसका नतीजा) मालूम हो जाएगा कि हम यक़ीनन तुम्हारे एक तरफ के हाथ और दूसरी तरफ के पाँव काट डालेगें और तुम सब के सब को सूली देगें - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:50 قَالُوا۟ لَا ضَيْرَ ۖ إِنَّآ إِلَىٰ رَبِّنَا مُنقَلِبُونَ
26:50 वह बोले कुछ परवाह नही हमको तो बहरहाल अपने परवरदिगार की तरफ लौट कर जाना है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:51 إِنَّا نَطْمَعُ أَن يَغْفِرَ لَنَا رَبُّنَا خَطَـٰيَـٰنَآ أَن كُنَّآ أَوَّلَ ٱلْمُؤْمِنِينَ
26:51 हम चँकि सबसे पहले ईमान लाए है इसलिए ये उम्मीद रखते हैं कि हमारा परवरदिगार हमारी ख़ताएँ माफ कर देगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:52 ۞ وَأَوْحَيْنَآ إِلَىٰ مُوسَىٰٓ أَنْ أَسْرِ بِعِبَادِىٓ إِنَّكُم مُّتَّبَعُونَ
26:52 और हमने मूसा के पास वही भेजी कि तुम मेरे बन्दों को लेकर रातों रात निकल जाओ क्योंकि तुम्हारा पीछा किया जाएगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:53 فَأَرْسَلَ فِرْعَوْنُ فِى ٱلْمَدَآئِنِ حَـٰشِرِينَ
26:53 तब फिरऔन ने (लश्कर जमा करने के ख्याल से) तमाम शहरों में (धड़ा धड़) हरकारे रवाना किए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:54 إِنَّ هَـٰٓؤُلَآءِ لَشِرْذِمَةٌ قَلِيلُونَ
26:54 (और कहा) कि ये लोग मूसा के साथ बनी इसराइल थोड़ी सी (मुट्ठी भर की) जमाअत हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:55 وَإِنَّهُمْ لَنَا لَغَآئِظُونَ
26:55 और उन लोगों ने हमें सख्त गुस्सा दिलाया है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:56 وَإِنَّا لَجَمِيعٌ حَـٰذِرُونَ
26:56 और हम सबके सब बा साज़ों सामान हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:57 فَأَخْرَجْنَـٰهُم مِّن جَنَّـٰتٍ وَعُيُونٍ
26:57 (तुम भी आ जाओ कि सब मिलकर ताअककुब (पीछा) करें) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:58 وَكُنُوزٍ وَمَقَامٍ كَرِيمٍ
26:58 ग़रज़ हमने इन लोगों को (मिस्र के) बाग़ों और चश्मों और खज़ानों और इज्ज़त की जगह से (यूँ) निकाल बाहर किया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:59 كَذَٰلِكَ وَأَوْرَثْنَـٰهَا بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ
26:59 (और जो नाफरमानी करे) इसी तरह सज़ा होगी और आख़िर हमने उन्हीं चीज़ों का मालिक बनी इसराइल को बनाया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:60 فَأَتْبَعُوهُم مُّشْرِقِينَ
26:60 ग़रज़ (मूसा) तो रात ही को चले गए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:61 فَلَمَّا تَرَٰٓءَا ٱلْجَمْعَانِ قَالَ أَصْحَـٰبُ مُوسَىٰٓ إِنَّا لَمُدْرَكُونَ
26:61 और उन लोगों ने सूरज निकलते उनका पीछा किया तो जब दोनों जमाअतें (इतनी करीब हुयीं कि) एक दूसरे को देखने लगी तो मूसा के साथी (हैरान होकर) कहने लगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:62 قَالَ كَلَّآ ۖ إِنَّ مَعِىَ رَبِّى سَيَهْدِينِ
26:62 कि अब तो पकड़े गए मूसा ने कहा हरगिज़ नहीं क्योंकि मेरे साथ मेरा परवरदिगार है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:63 فَأَوْحَيْنَآ إِلَىٰ مُوسَىٰٓ أَنِ ٱضْرِب بِّعَصَاكَ ٱلْبَحْرَ ۖ فَٱنفَلَقَ فَكَانَ كُلُّ فِرْقٍ كَٱلطَّوْدِ ٱلْعَظِيمِ
26:63 वह फौरन मुझे कोई (मुखलिसी का) रास्ता बता देगा तो हमने मूसा के पास वही भेजी कि अपनी छड़ी दरिया पर मारो (मारना था कि) फौरन दरिया फुट के टुकड़े टुकड़े हो गया तो गोया हर टुकड़ा एक बड़ा ऊँचा पहाड़ था - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:64 وَأَزْلَفْنَا ثَمَّ ٱلْـَٔاخَرِينَ
26:64 और हमने उसी जगह दूसरे फरीक (फिरऔन के साथी) को क़रीब कर दिया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:65 وَأَنجَيْنَا مُوسَىٰ وَمَن مَّعَهُۥٓ أَجْمَعِينَ
26:65 और मूसा और उसके साथियों को हमने (डूबने से) बचा लिया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:66 ثُمَّ أَغْرَقْنَا ٱلْـَٔاخَرِينَ
26:66 फिर दूसरे फरीक़ (फिरऔन और उसके साथियों) को डुबोकर हलाक़ कर दिया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:67 إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ
26:67 बेशक इसमें यक़ीनन एक बड़ी इबरत है और उनमें अक्सर ईमान लाने वाले ही न थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:68 وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ
26:68 और इसमें तो शक ही न था कि तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन (सब पर) ग़ालिब और बड़ा मेहरबान है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:69 وَٱتْلُ عَلَيْهِمْ نَبَأَ إِبْرَٰهِيمَ
26:69 और (ऐ रसूल) उन लोगों के सामने इबराहीम का किस्सा बयान करों - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:70 إِذْ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوْمِهِۦ مَا تَعْبُدُونَ
26:70 जब उन्होंने अपने (मुँह बोले) बाप और अपनी क़ौम से कहा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:71 قَالُوا۟ نَعْبُدُ أَصْنَامًا فَنَظَلُّ لَهَا عَـٰكِفِينَ
26:71 कि तुम लोग किसकी इबादत करते हो तो वह बोले हम बुतों की इबादत करते हैं और उन्हीं के मुजाविर बन जाते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:72 قَالَ هَلْ يَسْمَعُونَكُمْ إِذْ تَدْعُونَ
26:72 इबराहीम ने कहा भला जब तुम लोग उन्हें पुकारते हो तो वह तुम्हारी कुछ सुनते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:73 أَوْ يَنفَعُونَكُمْ أَوْ يَضُرُّونَ
26:73 या तम्हें कुछ नफा या नुक़सान पहुँचा सकते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:74 قَالُوا۟ بَلْ وَجَدْنَآ ءَابَآءَنَا كَذَٰلِكَ يَفْعَلُونَ
26:74 कहने लगे (कि ये सब तो कुछ नहीं) बल्कि हमने अपने बाप दादाओं को ऐसा ही करते पाया है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:75 قَالَ أَفَرَءَيْتُم مَّا كُنتُمْ تَعْبُدُونَ
26:75 इबराहीम ने कहा क्या तुमने देखा भी कि जिन चीज़ों कीे तुम परसतिश करते हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:76 أَنتُمْ وَءَابَآؤُكُمُ ٱلْأَقْدَمُونَ
26:76 या तुम्हारे अगले बाप दादा (करते थे) ये सब मेरे यक़ीनी दुश्मन हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:77 فَإِنَّهُمْ عَدُوٌّ لِّىٓ إِلَّا رَبَّ ٱلْعَـٰلَمِينَ
26:77 मगर सारे जहाँ का पालने वाला जिसने मुझे पैदा किया (वही मेरा दोस्त है) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:78 ٱلَّذِى خَلَقَنِى فَهُوَ يَهْدِينِ
26:78 फिर वही मेरी हिदायत करता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:79 وَٱلَّذِى هُوَ يُطْعِمُنِى وَيَسْقِينِ
26:79 और वह शख्स जो मुझे (खाना) खिलाता है और मुझे (पानी) पिलाता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:80 وَإِذَا مَرِضْتُ فَهُوَ يَشْفِينِ
26:80 और जब बीमार पड़ता हूँ तो वही मुझे शिफा इनायत फरमाता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:81 وَٱلَّذِى يُمِيتُنِى ثُمَّ يُحْيِينِ
26:81 और वह वही हेै जो मुझे मार डालेगा और उसके बाद (फिर) मुझे ज़िन्दा करेगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:82 وَٱلَّذِىٓ أَطْمَعُ أَن يَغْفِرَ لِى خَطِيٓـَٔتِى يَوْمَ ٱلدِّينِ
26:82 और वह वही है जिससे मै उम्मीद रखता हूँ कि क़यामत के दिन मेरी ख़ताओं को बख्श देगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:83 رَبِّ هَبْ لِى حُكْمًا وَأَلْحِقْنِى بِٱلصَّـٰلِحِينَ
26:83 परवरदिगार मुझे इल्म व फहम अता फरमा और मुझे नेकों के साथ शामिल कर - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:84 وَٱجْعَل لِّى لِسَانَ صِدْقٍ فِى ٱلْـَٔاخِرِينَ
26:84 और आइन्दा आने वाली नस्लों में मेरा ज़िक्रे ख़ैर क़ायम रख - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:85 وَٱجْعَلْنِى مِن وَرَثَةِ جَنَّةِ ٱلنَّعِيمِ
26:85 और मुझे भी नेअमत के बाग़ (बेहश्त) के वारिसों में से बना - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:86 وَٱغْفِرْ لِأَبِىٓ إِنَّهُۥ كَانَ مِنَ ٱلضَّآلِّينَ
26:86 और मेरे (मुँह बोले) बाप (चचा आज़र) को बख्श दे क्योंकि वह गुमराहों में से है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:87 وَلَا تُخْزِنِى يَوْمَ يُبْعَثُونَ
26:87 और जिस दिन लोग क़ब्रों से उठाए जाएँगें मुझे रुसवा न करना - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:88 يَوْمَ لَا يَنفَعُ مَالٌ وَلَا بَنُونَ
26:88 जिस दिन न तो माल ही कुछ काम आएगा और न लड़के बाले - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:89 إِلَّا مَنْ أَتَى ٱللَّهَ بِقَلْبٍ سَلِيمٍ
26:89 मगर जो शख्स ख़ुदा के सामने (गुनाहों से) पाक दिल लिए हुए हाज़िर होगा (वह फायदे में रहेगा) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:90 وَأُزْلِفَتِ ٱلْجَنَّةُ لِلْمُتَّقِينَ
26:90 और बेहश्त परहेज़ गारों के क़रीब कर दी जाएगी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:91 وَبُرِّزَتِ ٱلْجَحِيمُ لِلْغَاوِينَ
26:91 और दोज़ख़ गुमराहों के सामने ज़ाहिर कर दी जाएगी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:92 وَقِيلَ لَهُمْ أَيْنَ مَا كُنتُمْ تَعْبُدُونَ
26:92 और उन लोगों (अहले जहन्नुम) से पूछा जाएगा कि ख़ुदा को छोड़कर जिनकी तुम परसतिश करते थे (आज) वह कहाँ हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:93 مِن دُونِ ٱللَّهِ هَلْ يَنصُرُونَكُمْ أَوْ يَنتَصِرُونَ
26:93 क्या वह तुम्हारी कुछ मदद कर सकते हैं या वह ख़ुद अपनी आप बाहम मदद कर सकते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:94 فَكُبْكِبُوا۟ فِيهَا هُمْ وَٱلْغَاوُۥنَ
26:94 फिर वह (माबूद) और गुमराह लोग और शैतान का लशकर - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:95 وَجُنُودُ إِبْلِيسَ أَجْمَعُونَ
26:95 (ग़रज़ सबके सब) जहन्नुम में औधें मुँह ढकेल दिए जाएँगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:96 قَالُوا۟ وَهُمْ فِيهَا يَخْتَصِمُونَ
26:96 और ये लोग जहन्नुम में बाहम झगड़ा करेंगे और अपने माबूद से कहेंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:97 تَٱللَّهِ إِن كُنَّا لَفِى ضَلَـٰلٍ مُّبِينٍ
26:97 ख़ुदा की क़सम हम लोग तो यक़ीनन सरीही गुमराही में थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:98 إِذْ نُسَوِّيكُم بِرَبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ
26:98 कि हम तुम को सारे जहाँन के पालने वाले (ख़ुदा) के बराबर समझते रहे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:99 وَمَآ أَضَلَّنَآ إِلَّا ٱلْمُجْرِمُونَ
26:99 और हमको बस (उन) गुनाहगारों ने (जो मुझसे पहले हुए) गुमराह किया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:100 فَمَا لَنَا مِن شَـٰفِعِينَ
26:100 तो अब तो न कोई (साहब) मेरी सिफारिश करने वाले हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:101 وَلَا صَدِيقٍ حَمِيمٍ
26:101 और न कोई दिलबन्द दोस्त हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:102 فَلَوْ أَنَّ لَنَا كَرَّةً فَنَكُونَ مِنَ ٱلْمُؤْمِنِينَ
26:102 तो काश हमें अब दुनिया में दोबारा जाने का मौक़ा मिलता तो हम (ज़रुर) ईमान वालों से होते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:103 إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ
26:103 इबराहीम के इस किस्से में भी यक़ीनन एक बड़ी इबरत है और इनमें से अक्सर ईमान लाने वाले थे भी नहीं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:104 وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ
26:104 और इसमे तो शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार (सब पर) ग़ालिब और बड़ा मेहरबान है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:105 كَذَّبَتْ قَوْمُ نُوحٍ ٱلْمُرْسَلِينَ
26:105 (यूँ ही) नूह की क़ौम ने पैग़म्बरो को झुठलाया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:106 إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ نُوحٌ أَلَا تَتَّقُونَ
26:106 कि जब उनसे उन के भाई नूह ने कहा कि तुम लोग (ख़ुदा से) क्यों नहीं डरते मै तो तुम्हारा यक़ीनी अमानत दार पैग़म्बर हूँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:107 إِنِّى لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ
26:107 तुम खुदा से डरो और मेरी इताअत करो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:108 فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ
26:108 और मैं इस (तबलीग़े रिसालत) पर कुछ उजरत तो माँगता नहीं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:109 وَمَآ أَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِىَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ
26:109 मेरी उजरत तो बस सारे जहाँ के पालने वाले ख़ुदा पर है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:110 فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ
26:110 तो ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो वह लोग बोले जब कमीनो मज़दूरों वग़ैरह ने (लालच से) तुम्हारी पैरवी कर ली है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:111 ۞ قَالُوٓا۟ أَنُؤْمِنُ لَكَ وَٱتَّبَعَكَ ٱلْأَرْذَلُونَ
26:111 तो हम तुम पर क्या ईमान लाएं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:112 قَالَ وَمَا عِلْمِى بِمَا كَانُوا۟ يَعْمَلُونَ
26:112 नूह ने कहा ये लोग जो कुछ करते थे मुझे क्या ख़बर (और क्या ग़रज़) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:113 إِنْ حِسَابُهُمْ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّى ۖ لَوْ تَشْعُرُونَ
26:113 इन लोगों का हिसाब तो मेरे परवरदिगार के ज़िम्मे है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:114 وَمَآ أَنَا۠ بِطَارِدِ ٱلْمُؤْمِنِينَ
26:114 काश तुम (इतनी) समझ रखते और मै तो ईमानदारों को अपने पास से निकालने वाला नहीं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:115 إِنْ أَنَا۠ إِلَّا نَذِيرٌ مُّبِينٌ
26:115 मै तो सिर्फ (अज़ाबे ख़ुदा से) साफ साफ डराने वाला हूँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:116 قَالُوا۟ لَئِن لَّمْ تَنتَهِ يَـٰنُوحُ لَتَكُونَنَّ مِنَ ٱلْمَرْجُومِينَ
26:116 वह लोग कहने लगे ऐ नूह अगर तुम अपनी हरकत से बाज़ न आओगे तो ज़रुर संगसार कर दिए जाओगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:117 قَالَ رَبِّ إِنَّ قَوْمِى كَذَّبُونِ
26:117 नूह ने अर्ज की परवरदिगार मेरी क़ौम ने यक़ीनन मुझे झुठलाया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:118 فَٱفْتَحْ بَيْنِى وَبَيْنَهُمْ فَتْحًا وَنَجِّنِى وَمَن مَّعِىَ مِنَ ٱلْمُؤْمِنِينَ
26:118 तो अब तू मेरे और इन लोगों के दरमियान एक क़तई फैसला कर दे और मुझे और जो मोमिनीन मेरे साथ हें उनको नजात दे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:119 فَأَنجَيْنَـٰهُ وَمَن مَّعَهُۥ فِى ٱلْفُلْكِ ٱلْمَشْحُونِ
26:119 ग़रज़ हमने नूह और उनके साथियों को जो भरी हुई कश्ती में थे नजात दी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:120 ثُمَّ أَغْرَقْنَا بَعْدُ ٱلْبَاقِينَ
26:120 फिर उसके बाद हमने बाक़ी लोगों को ग़रक कर दिया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:121 إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ
26:121 बेशक इसमे भी यक़ीनन बड़ी इबरत है और उनमें से बहुतेरे ईमान लाने वाले ही न थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:122 وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ
26:122 और इसमें तो शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार (सब पर) ग़ालिब मेहरबान है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:123 كَذَّبَتْ عَادٌ ٱلْمُرْسَلِينَ
26:123 (इसी तरह क़ौम) आद ने पैग़म्बरों को झुठलाया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:124 إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ هُودٌ أَلَا تَتَّقُونَ
26:124 जब उनके भाई हूद ने उनसे कहा कि तुम ख़ुदा से क्यों नही डरते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:125 إِنِّى لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ
26:125 मैं तो यक़ीनन तुम्हारा अमानतदार पैग़म्बर हूँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:126 فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ
26:126 तो ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:127 وَمَآ أَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِىَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ
26:127 मै तो तुम से इस (तबलीग़े रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता मेरी उजरत तो बस सारी ख़ुदायी के पालने वाले (ख़ुदा) पर है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:128 أَتَبْنُونَ بِكُلِّ رِيعٍ ءَايَةً تَعْبَثُونَ
26:128 तो क्या तुम ऊँची जगह पर बेकार यादगारे बनाते फिरते हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:129 وَتَتَّخِذُونَ مَصَانِعَ لَعَلَّكُمْ تَخْلُدُونَ
26:129 और बड़े बड़े महल तामीर करते हो गोया तुम हमेशा (यहीं) रहोगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:130 وَإِذَا بَطَشْتُم بَطَشْتُمْ جَبَّارِينَ
26:130 और जब तुम (किसी पर) हाथ डालते हो तो सरकशी से हाथ डालते हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:131 فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ
26:131 तो तुम ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:132 وَٱتَّقُوا۟ ٱلَّذِىٓ أَمَدَّكُم بِمَا تَعْلَمُونَ
26:132 और उस शख्स से डरो जिसने तुम्हारी उन चीज़ों से मदद की जिन्हें तुम खूब जानते हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:133 أَمَدَّكُم بِأَنْعَـٰمٍ وَبَنِينَ
26:133 अच्छा सुनो उसने तुम्हारे चार पायों और लड़के बालों वग़ैरह और चश्मों से मदद की - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:134 وَجَنَّـٰتٍ وَعُيُونٍ
26:134 मै तो यक़ीनन तुम पर - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:135 إِنِّىٓ أَخَافُ عَلَيْكُمْ عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيمٍ
26:135 एक बड़े (सख्त) रोज़ के अज़ाब से डरता हूँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:136 قَالُوا۟ سَوَآءٌ عَلَيْنَآ أَوَعَظْتَ أَمْ لَمْ تَكُن مِّنَ ٱلْوَٰعِظِينَ
26:136 वह लोग कहने लगे ख्वाह तुम नसीहत करो या न नसीहत करो हमारे वास्ते (सब) बराबर है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:137 إِنْ هَـٰذَآ إِلَّا خُلُقُ ٱلْأَوَّلِينَ
26:137 ये (डरावा) तो बस अगले लोगों की आदत है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:138 وَمَا نَحْنُ بِمُعَذَّبِينَ
26:138 हालाँकि हम पर अज़ाब (वग़ैरह अब) किया नहीं जाएगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:139 فَكَذَّبُوهُ فَأَهْلَكْنَـٰهُمْ ۗ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ
26:139 ग़रज़ उन लोगों ने हूद को झुठला दिया तो हमने भी उनको हलाक कर डाला बेशक इस वाक़िये में यक़ीनी एक बड़ी इबरत है आर उनमें से बहुतेरे ईमान लाने वाले भी न थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:140 وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ
26:140 और इसमें शक नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन (सब पर) ग़ालिब (और) बड़ा मेहरबान है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:141 كَذَّبَتْ ثَمُودُ ٱلْمُرْسَلِينَ
26:141 (इसी तरह क़ौम) समूद ने पैग़म्बरों को झुठलाया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:142 إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ صَـٰلِحٌ أَلَا تَتَّقُونَ
26:142 जब उनके भाई सालेह ने उनसे कहा कि तुम (ख़ुदा से) क्यो नहीं डरते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:143 إِنِّى لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ
26:143 मैं तो यक़ीनन तुम्हारा अमानतदार पैग़म्बर हूँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:144 فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ
26:144 तो खुदा से डरो और मेरी इताअत करो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:145 وَمَآ أَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِىَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ
26:145 और मै तो तुमसे इस (तबलीगे रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता- मेरी मज़दूरी तो बस सारी ख़ुदाई के पालने वाले (ख़ुदा पर है) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:146 أَتُتْرَكُونَ فِى مَا هَـٰهُنَآ ءَامِنِينَ
26:146 क्या जो चीजें यहाँ (दुनिया में) मौजूद है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:147 فِى جَنَّـٰتٍ وَعُيُونٍ
26:147 बाग़ और चश्में और खेतिया और छुहारे जिनकी कलियाँ लतीफ़ व नाज़ुक होती है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:148 وَزُرُوعٍ وَنَخْلٍ طَلْعُهَا هَضِيمٌ
26:148 उन्हीं मे तुम लोग इतमिनान से (हमेशा के लिए) छोड़ दिए जाओगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:149 وَتَنْحِتُونَ مِنَ ٱلْجِبَالِ بُيُوتًا فَـٰرِهِينَ
26:149 और (इस वजह से) पूरी महारत और तकलीफ के साथ पहाड़ों को काट काट कर घर बनाते हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:150 فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ
26:150 तो ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:151 وَلَا تُطِيعُوٓا۟ أَمْرَ ٱلْمُسْرِفِينَ
26:151 और ज्यादती करने वालों का कहा न मानों - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:152 ٱلَّذِينَ يُفْسِدُونَ فِى ٱلْأَرْضِ وَلَا يُصْلِحُونَ
26:152 जो रुए ज़मीन पर फ़साद फैलाया करते हैं और (ख़राबियों की) इसलाह नहीं करते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:153 قَالُوٓا۟ إِنَّمَآ أَنتَ مِنَ ٱلْمُسَحَّرِينَ
26:153 वह लोग बोले कि तुम पर तो बस जादू कर दिया गया है (कि ऐसी बातें करते हो) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:154 مَآ أَنتَ إِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُنَا فَأْتِ بِـَٔايَةٍ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّـٰدِقِينَ
26:154 तुम भी तो आख़िर हमारे ही ऐसे आदमी हो पस अगर तुम सच्चे हो तो कोई मौजिज़ा हमारे पास ला (दिखाओ) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:155 قَالَ هَـٰذِهِۦ نَاقَةٌ لَّهَا شِرْبٌ وَلَكُمْ شِرْبُ يَوْمٍ مَّعْلُومٍ
26:155 सालेह ने कहा- यही ऊँटनी (मौजिज़ा) है एक बारी इसके पानी पीने की है और एक मुक़र्रर दिन तुम्हारे पीने का - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:156 وَلَا تَمَسُّوهَا بِسُوٓءٍ فَيَأْخُذَكُمْ عَذَابُ يَوْمٍ عَظِيمٍ
26:156 और इसको कोई तकलीफ़ न पहुँचाना वरना एक बड़े (सख्त) ज़ोर का अज़ाब तुम्हे ले डालेगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:157 فَعَقَرُوهَا فَأَصْبَحُوا۟ نَـٰدِمِينَ
26:157 इस पर भी उन लोगों ने उसके पाँव काट डाले और (उसको मार डाला) फिर ख़़ुद पशेमान हुए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:158 فَأَخَذَهُمُ ٱلْعَذَابُ ۗ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ
26:158 फिर उन्हें अज़ाब ने ले डाला-बेशक इसमें यक़ीनन एक बड़ी इबरत है और इनमें के बहुतेरे ईमान लाने वाले भी न थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:159 وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ
26:159 और इसमें शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार (सब पर) ग़ालिब और मेहरबान है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:160 كَذَّبَتْ قَوْمُ لُوطٍ ٱلْمُرْسَلِينَ
26:160 इसी तरह लूत की क़ौम ने पैग़म्बरों को झुठलाया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:161 إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ لُوطٌ أَلَا تَتَّقُونَ
26:161 जब उनके भाई लूत ने उनसे कहा कि तुम (ख़ुदा से) क्यों नहीं डरते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:162 إِنِّى لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ
26:162 मै तो यक़ीनन तुम्हारा अमानतदार पैग़म्बर हूँ तो ख़ुदा से डरो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:163 فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ
26:163 और मेरी इताअत करो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:164 وَمَآ أَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِىَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ
26:164 और मै तो तुमसे इस (तबलीगे रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता मेरी मज़दूरी तो बस सारी ख़ुदायी के पालने वाले (ख़ुदा) पर है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:165 أَتَأْتُونَ ٱلذُّكْرَانَ مِنَ ٱلْعَـٰلَمِينَ
26:165 क्या तुम लोग (शहवत परस्ती के लिए) सारे जहाँ के लोगों में मर्दों ही के पास जाते हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:166 وَتَذَرُونَ مَا خَلَقَ لَكُمْ رَبُّكُم مِّنْ أَزْوَٰجِكُم ۚ بَلْ أَنتُمْ قَوْمٌ عَادُونَ
26:166 और तुम्हारे वास्ते जो बीवियाँ तुम्हारे परवरदिगार ने पैदा की है उन्हें छोड़ देते हो (ये कुछ नहीं) बल्कि तुम लोग हद से गुज़र जाने वाले आदमी हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:167 قَالُوا۟ لَئِن لَّمْ تَنتَهِ يَـٰلُوطُ لَتَكُونَنَّ مِنَ ٱلْمُخْرَجِينَ
26:167 उन लोगों ने कहा ऐ लूत अगर तुम बाज़ न आओगे तो तुम ज़रुर निकल बाहर कर दिए जाओगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:168 قَالَ إِنِّى لِعَمَلِكُم مِّنَ ٱلْقَالِينَ
26:168 लूत ने कहा मै यक़ीनन तुम्हारी (नाशाइसता) हरकत से बेज़ार हूँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:169 رَبِّ نَجِّنِى وَأَهْلِى مِمَّا يَعْمَلُونَ
26:169 (और दुआ की) परवरदिगार जो कुछ ये लोग करते है उससे मुझे और मेरे लड़कों को नजात दे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:170 فَنَجَّيْنَـٰهُ وَأَهْلَهُۥٓ أَجْمَعِينَ
26:170 तो हमने उनको और उनके सब लड़कों को नजात दी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:171 إِلَّا عَجُوزًا فِى ٱلْغَـٰبِرِينَ
26:171 मगर (लूत की) बूढ़ी औरत कि वह पीछे रह गयी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:172 ثُمَّ دَمَّرْنَا ٱلْـَٔاخَرِينَ
26:172 (और हलाक हो गयी) फिर हमने उन लोगों को हलाक कर डाला - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:173 وَأَمْطَرْنَا عَلَيْهِم مَّطَرًا ۖ فَسَآءَ مَطَرُ ٱلْمُنذَرِينَ
26:173 और उन पर हमने (पत्थरों का) मेंह बरसाया तो जिन लोगों को (अज़ाबे ख़ुदा से) डराया गया था - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:174 إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ
26:174 उन पर क्या बड़ी बारिश हुई इस वाक़िये में भी एक बड़ी इबरत है और इनमें से बहुतेरे ईमान लाने वाले ही न थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:175 وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ
26:175 और इसमे तो शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन सब पर ग़ालिब (और) बड़ा मेहरबान है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:176 كَذَّبَ أَصْحَـٰبُ لْـَٔيْكَةِ ٱلْمُرْسَلِينَ
26:176 इसी तरह जंगल के रहने वालों ने (मेरे) पैग़म्बरों को झुठलाया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:177 إِذْ قَالَ لَهُمْ شُعَيْبٌ أَلَا تَتَّقُونَ
26:177 जब शुएब ने उनसे कहा कि तुम (ख़ुदा से) क्यों नहीं डरते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:178 إِنِّى لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ
26:178 मै तो बिला शुबाह तुम्हारा अमानदार हूँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:179 فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ
26:179 तो ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:180 وَمَآ أَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِىَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ
26:180 मै तो तुमसे इस (तबलीग़े रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता मेरी मज़दूरी तो बस सारी ख़ुदाई के पालने वाले (ख़ुदा) के ज़िम्मे है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:181 ۞ أَوْفُوا۟ ٱلْكَيْلَ وَلَا تَكُونُوا۟ مِنَ ٱلْمُخْسِرِينَ
26:181 तुम (जब कोई चीज़ नाप कर दो तो) पूरा पैमाना दिया करो और नुक़सान (कम देने वाले) न बनो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:182 وَزِنُوا۟ بِٱلْقِسْطَاسِ ٱلْمُسْتَقِيمِ
26:182 और तुम (जब तौलो तो) ठीक तराज़ू से डन्डी सीधी रखकर तौलो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:183 وَلَا تَبْخَسُوا۟ ٱلنَّاسَ أَشْيَآءَهُمْ وَلَا تَعْثَوْا۟ فِى ٱلْأَرْضِ مُفْسِدِينَ
26:183 और लोगों को उनकी चीज़े (जो ख़रीदें) कम न ज्यादा करो और ज़मीन से फसाद न फैलाते फिरो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:184 وَٱتَّقُوا۟ ٱلَّذِى خَلَقَكُمْ وَٱلْجِبِلَّةَ ٱلْأَوَّلِينَ
26:184 और उस (ख़ुदा) से डरो जिसने तुम्हे और अगली ख़िलकत को पैदा किया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:185 قَالُوٓا۟ إِنَّمَآ أَنتَ مِنَ ٱلْمُسَحَّرِينَ
26:185 वह लोग कहने लगे तुम पर तो बस जादू कर दिया गया है (कि ऐसी बातें करते हों) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:186 وَمَآ أَنتَ إِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُنَا وَإِن نَّظُنُّكَ لَمِنَ ٱلْكَـٰذِبِينَ
26:186 और तुम तो हमारे ही ऐसे एक आदमी हो और हम लोग तो तुमको झूठा ही समझते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:187 فَأَسْقِطْ عَلَيْنَا كِسَفًا مِّنَ ٱلسَّمَآءِ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّـٰدِقِينَ
26:187 तो अगर तुम सच्चे हो तो हम पर आसमान का एक टुकड़ा गिरा दो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:188 قَالَ رَبِّىٓ أَعْلَمُ بِمَا تَعْمَلُونَ
26:188 और शुएब ने कहा जो तुम लोग करते हो मेरा परवरदिगार ख़ूब जानता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:189 فَكَذَّبُوهُ فَأَخَذَهُمْ عَذَابُ يَوْمِ ٱلظُّلَّةِ ۚ إِنَّهُۥ كَانَ عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيمٍ
26:189 ग़रज़ उन लोगों ने शुएब को झुठलाया तो उन्हें साएबान (अब्र) के अज़ाब ने ले डाला- इसमे शक नहीं कि ये भी एक बड़े (सख्त) दिन का अज़ाब था - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:190 إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ
26:190 इसमे भी शक नहीं कि इसमें (समझदारों के लिए) एक बड़ी इबरत है और उनमें के बहुतेरे ईमान लाने वाले ही न थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:191 وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ
26:191 और बेशक तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन (सब पर) ग़ालिब (और) बड़ा मेहरबान है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:192 وَإِنَّهُۥ لَتَنزِيلُ رَبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ
26:192 और (ऐ रसूल) बेशक ये (क़ुरान) सारी ख़ुदायी के पालने वाले (ख़ुदा) का उतारा हुआ है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:193 نَزَلَ بِهِ ٱلرُّوحُ ٱلْأَمِينُ
26:193 जिसे रुहुल अमीन (जिबरील) साफ़ अरबी ज़बान में लेकर तुम्हारे दिल पर नाज़िल हुए है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:194 عَلَىٰ قَلْبِكَ لِتَكُونَ مِنَ ٱلْمُنذِرِينَ
26:194 ताकि तुम भी और पैग़म्बरों की तरह - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:195 بِلِسَانٍ عَرَبِىٍّ مُّبِينٍ
26:195 लोगों को अज़ाबे ख़ुदा से डराओ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:196 وَإِنَّهُۥ لَفِى زُبُرِ ٱلْأَوَّلِينَ
26:196 और बेशक इसकी ख़बर अगले पैग़म्बरों की किताबों मे (भी मौजूद) है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:197 أَوَلَمْ يَكُن لَّهُمْ ءَايَةً أَن يَعْلَمَهُۥ عُلَمَـٰٓؤُا۟ بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ
26:197 क्या उनके लिए ये कोई (काफ़ी) निशानी नहीं है कि इसको उलेमा बनी इसराइल जानते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:198 وَلَوْ نَزَّلْنَـٰهُ عَلَىٰ بَعْضِ ٱلْأَعْجَمِينَ
26:198 और अगर हम इस क़ुरान को किसी दूसरी ज़बान वाले पर नाज़िल करते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:199 فَقَرَأَهُۥ عَلَيْهِم مَّا كَانُوا۟ بِهِۦ مُؤْمِنِينَ
26:199 और वह उन अरबो के सामने उसको पढ़ता तो भी ये लोग उस पर ईमान लाने वाले न थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:200 كَذَٰلِكَ سَلَكْنَـٰهُ فِى قُلُوبِ ٱلْمُجْرِمِينَ
26:200 इसी तरह हमने (गोया ख़ुद) इस इन्कार को गुनाहगारों के दिलों में राह दी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:201 لَا يُؤْمِنُونَ بِهِۦ حَتَّىٰ يَرَوُا۟ ٱلْعَذَابَ ٱلْأَلِيمَ
26:201 ये लोग जब तक दर्दनाक अज़ाब को न देख लेगें उस पर ईमान न लाएँगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:202 فَيَأْتِيَهُم بَغْتَةً وَهُمْ لَا يَشْعُرُونَ
26:202 कि वह यकायक इस हालत में उन पर आ पडेग़ा कि उन्हें ख़बर भी न होगी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:203 فَيَقُولُوا۟ هَلْ نَحْنُ مُنظَرُونَ
26:203 (मगर जब अज़ाब नाज़िल होगा) तो वह लोग कहेंगे कि क्या हमें (इस वक्त क़ुछ) मोहलत मिल सकती है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:204 أَفَبِعَذَابِنَا يَسْتَعْجِلُونَ
26:204 तो क्या ये लोग हमारे अज़ाब की जल्दी कर रहे हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:205 أَفَرَءَيْتَ إِن مَّتَّعْنَـٰهُمْ سِنِينَ
26:205 तो क्या तुमने ग़ौर किया कि अगर हम उनको सालो साल चैन करने दे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:206 ثُمَّ جَآءَهُم مَّا كَانُوا۟ يُوعَدُونَ
26:206 उसके बाद जिस (अज़ाब) का उनसे वायदा किया जाता है उनके पास आ पहुँचे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:207 مَآ أَغْنَىٰ عَنْهُم مَّا كَانُوا۟ يُمَتَّعُونَ
26:207 तो जिन चीज़ों से ये लोग चैन किया करते थे कुछ भी काम न आएँगी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:208 وَمَآ أَهْلَكْنَا مِن قَرْيَةٍ إِلَّا لَهَا مُنذِرُونَ
26:208 और हमने किसी बस्ती को बग़ैर उसके हलाक़ नहीं किया कि उसके समझाने को (पहले से) डराने वाले (पैग़म्बर भेज दिए) थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:209 ذِكْرَىٰ وَمَا كُنَّا ظَـٰلِمِينَ
26:209 और हम ज़ालिम नहीं है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:210 وَمَا تَنَزَّلَتْ بِهِ ٱلشَّيَـٰطِينُ
26:210 और इस क़ुरान को शयातीन लेकर नाज़िल नही हुए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:211 وَمَا يَنۢبَغِى لَهُمْ وَمَا يَسْتَطِيعُونَ
26:211 और ये काम न तो उनके लिए मुनासिब था और न वह कर सकते थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:212 إِنَّهُمْ عَنِ ٱلسَّمْعِ لَمَعْزُولُونَ
26:212 बल्कि वह तो (वही के) सुनने से महरुम हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:213 فَلَا تَدْعُ مَعَ ٱللَّهِ إِلَـٰهًا ءَاخَرَ فَتَكُونَ مِنَ ٱلْمُعَذَّبِينَ
26:213 (ऐ रसूल) तुम ख़ुदा के साथ किसी दूसरे माबूद की इबादत न करो वरना तुम भी मुबतिलाए अज़ाब किए जाओगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:214 وَأَنذِرْ عَشِيرَتَكَ ٱلْأَقْرَبِينَ
26:214 और (ऐ रसूल) तुम अपने क़रीबी रिश्तेदारों को (अज़ाबे ख़ुदा से) डराओ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:215 وَٱخْفِضْ جَنَاحَكَ لِمَنِ ٱتَّبَعَكَ مِنَ ٱلْمُؤْمِنِينَ
26:215 और जो मोमिनीन तुम्हारे पैरो हो गए हैं उनके सामने अपना बाजू झुकाओ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:216 فَإِنْ عَصَوْكَ فَقُلْ إِنِّى بَرِىٓءٌ مِّمَّا تَعْمَلُونَ
26:216 (तो वाज़ेए करो) पस अगर लोग तुम्हारी नाफ़रमानी करें तो तुम (साफ साफ) कह दो कि मैं तुम्हारे करतूतों से बरी उज़ ज़िम्मा हूँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:217 وَتَوَكَّلْ عَلَى ٱلْعَزِيزِ ٱلرَّحِيمِ
26:217 और तुम उस (ख़ुदा) पर जो सबसे (ग़ालिब और) मेहरबान है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:218 ٱلَّذِى يَرَىٰكَ حِينَ تَقُومُ
26:218 भरोसा रखो कि जब तुम (नमाजे तहज्जुद में) खड़े होते हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:219 وَتَقَلُّبَكَ فِى ٱلسَّـٰجِدِينَ
26:219 और सजदा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:220 إِنَّهُۥ هُوَ ٱلسَّمِيعُ ٱلْعَلِيمُ
26:220 करने वालों (की जमाअत) में तुम्हारा फिरना (उठना बैठना सजदा रुकूउ वगैरह सब) देखता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:221 هَلْ أُنَبِّئُكُمْ عَلَىٰ مَن تَنَزَّلُ ٱلشَّيَـٰطِينُ
26:221 बेशक वह बड़ा सुनने वाला वाक़िफ़कार है क्या मै तुम्हें बता दूँ कि शयातीन किन लोगों पर नाज़िल हुआ करते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:222 تَنَزَّلُ عَلَىٰ كُلِّ أَفَّاكٍ أَثِيمٍ
26:222 (लो सुनो) ये लोग झूठे बद किरदार पर नाज़िल हुआ करते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:223 يُلْقُونَ ٱلسَّمْعَ وَأَكْثَرُهُمْ كَـٰذِبُونَ
26:223 जो (फ़रिश्तों की बातों पर कान लगाए रहते हैं) कि कुछ सुन पाएँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:224 وَٱلشُّعَرَآءُ يَتَّبِعُهُمُ ٱلْغَاوُۥنَ
26:224 हालाँकि उनमें के अक्सर तो (बिल्कुल) झूठे हैं और शायरों की पैरवी तो गुमराह लोग किया करते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:225 أَلَمْ تَرَ أَنَّهُمْ فِى كُلِّ وَادٍ يَهِيمُونَ
26:225 क्या तुम नहीं देखते कि ये लोग जंगल जंगल सरगिरदॉ मारे मारे फिरते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:226 وَأَنَّهُمْ يَقُولُونَ مَا لَا يَفْعَلُونَ
26:226 और ये लोग ऐसी बाते कहते हैं जो कभी करते नहीं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

26:227 إِلَّا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ وَذَكَرُوا۟ ٱللَّهَ كَثِيرًا وَٱنتَصَرُوا۟ مِنۢ بَعْدِ مَا ظُلِمُوا۟ ۗ وَسَيَعْلَمُ ٱلَّذِينَ ظَلَمُوٓا۟ أَىَّ مُنقَلَبٍ يَنقَلِبُونَ
26:227 मगर (हाँ) जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए और क़सरत से ख़ुदा का ज़िक्र किया करते हैं और जब उन पर ज़ुल्म किया जा चुका उसके बाद उन्होंनें बदला लिया और जिन लोगों ने ज़ुल्म किया है उन्हें अनक़रीब ही मालूम हो जाएगा कि वह किस जगह लौटाए जाएँगें - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)