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Suhel Khan and Saifur Nadwi

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44 Ad-Dukhān ٱلدُّخَان

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بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
In the name of Allah, Most Gracious, Most Merciful.

44:1 حمٓ
44:1 हा मीम - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:2 وَٱلْكِتَـٰبِ ٱلْمُبِينِ
44:2 वाज़ेए व रौशन किताब (कुरान) की क़सम - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:3 إِنَّآ أَنزَلْنَـٰهُ فِى لَيْلَةٍ مُّبَـٰرَكَةٍ ۚ إِنَّا كُنَّا مُنذِرِينَ
44:3 हमने इसको मुबारक रात (शबे क़द्र) में नाज़िल किया बेशक हम (अज़ाब से) डराने वाले थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:4 فِيهَا يُفْرَقُ كُلُّ أَمْرٍ حَكِيمٍ
44:4 इसी रात को तमाम दुनिया के हिक़मत व मसलेहत के (साल भर के) काम फ़ैसले किये जाते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:5 أَمْرًا مِّنْ عِندِنَآ ۚ إِنَّا كُنَّا مُرْسِلِينَ
44:5 यानि हमारे यहाँ से हुक्म होकर (बेशक) हम ही (पैग़म्बरों के) भेजने वाले हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:6 رَحْمَةً مِّن رَّبِّكَ ۚ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلسَّمِيعُ ٱلْعَلِيمُ
44:6 ये तुम्हारे परवरदिगार की मेहरबानी है, वह बेशक बड़ा सुनने वाला वाक़िफ़कार है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:7 رَبِّ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَآ ۖ إِن كُنتُم مُّوقِنِينَ
44:7 सारे आसमान व ज़मीन और जो कुछ इन दोनों के दरमियान है सबका मालिक - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:8 لَآ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ يُحْىِۦ وَيُمِيتُ ۖ رَبُّكُمْ وَرَبُّ ءَابَآئِكُمُ ٱلْأَوَّلِينَ
44:8 अगर तुममें यक़ीन करने की सलाहियत है (तो करो) उसके सिवा कोई माबूद नहीं - वही जिलाता है वही मारता है तुम्हारा मालिक और तुम्हारे (अगले) बाप दादाओं का भी मालिक है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:9 بَلْ هُمْ فِى شَكٍّ يَلْعَبُونَ
44:9 लेकिन ये लोग तो शक़ में पड़े खेल रहे हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:10 فَٱرْتَقِبْ يَوْمَ تَأْتِى ٱلسَّمَآءُ بِدُخَانٍ مُّبِينٍ
44:10 तो तुम उस दिन का इन्तेज़ार करो कि आसमान से ज़ाहिर ब ज़ाहिर धुऑं निकलेगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:11 يَغْشَى ٱلنَّاسَ ۖ هَـٰذَا عَذَابٌ أَلِيمٌ
44:11 (और) लोगों को ढाँक लेगा ये दर्दनाक अज़ाब है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:12 رَّبَّنَا ٱكْشِفْ عَنَّا ٱلْعَذَابَ إِنَّا مُؤْمِنُونَ
44:12 कुफ्फ़ार भी घबराकर कहेंगे कि परवरदिगार हमसे अज़ाब को दूर दफ़ा कर दे हम भी ईमान लाते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:13 أَنَّىٰ لَهُمُ ٱلذِّكْرَىٰ وَقَدْ جَآءَهُمْ رَسُولٌ مُّبِينٌ
44:13 (उस वक्त) भला क्या उनको नसीहत होगी जब उनके पास पैग़म्बर आ चुके जो साफ़ साफ़ बयान कर देते थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:14 ثُمَّ تَوَلَّوْا۟ عَنْهُ وَقَالُوا۟ مُعَلَّمٌ مَّجْنُونٌ
44:14 इस पर भी उन लोगों ने उससे मुँह फेरा और कहने लगे ये तो (सिखाया) पढ़ाया हुआ दीवाना है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:15 إِنَّا كَاشِفُوا۟ ٱلْعَذَابِ قَلِيلًا ۚ إِنَّكُمْ عَآئِدُونَ
44:15 (अच्छा ख़ैर) हम थोड़े दिन के लिए अज़ाब को टाल देते हैं मगर हम जानते हैं तुम ज़रूर फिर कुफ्र करोगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:16 يَوْمَ نَبْطِشُ ٱلْبَطْشَةَ ٱلْكُبْرَىٰٓ إِنَّا مُنتَقِمُونَ
44:16 हम बेशक (उनसे) पूरा बदला तो बस उस दिन लेगें जिस दिन सख्त पकड़ पकड़ेंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:17 ۞ وَلَقَدْ فَتَنَّا قَبْلَهُمْ قَوْمَ فِرْعَوْنَ وَجَآءَهُمْ رَسُولٌ كَرِيمٌ
44:17 और उनसे पहले हमने क़ौमे फिरऔन की आज़माइश की और उनके पास एक आली क़दर पैग़म्बर (मूसा) आए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:18 أَنْ أَدُّوٓا۟ إِلَىَّ عِبَادَ ٱللَّهِ ۖ إِنِّى لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ
44:18 (और कहा) कि ख़ुदा के बन्दों (बनी इसराईल) को मेरे हवाले कर दो मैं (ख़ुदा की तरफ से) तुम्हारा एक अमानतदार पैग़म्बर हूँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:19 وَأَن لَّا تَعْلُوا۟ عَلَى ٱللَّهِ ۖ إِنِّىٓ ءَاتِيكُم بِسُلْطَـٰنٍ مُّبِينٍ
44:19 और ख़ुदा के सामने सरकशी न करो मैं तुम्हारे पास वाज़ेए व रौशन दलीलें ले कर आया हूँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:20 وَإِنِّى عُذْتُ بِرَبِّى وَرَبِّكُمْ أَن تَرْجُمُونِ
44:20 और इस बात से कि तुम मुझे संगसार करो मैं अपने और तुम्हारे परवरदिगार (ख़ुदा) की पनाह मांगता हूँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:21 وَإِن لَّمْ تُؤْمِنُوا۟ لِى فَٱعْتَزِلُونِ
44:21 और अगर तुम मुझ पर ईमान नहीं लाए तो तुम मुझसे अलग हो जाओ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:22 فَدَعَا رَبَّهُۥٓ أَنَّ هَـٰٓؤُلَآءِ قَوْمٌ مُّجْرِمُونَ
44:22 (मगर वह सुनाने लगे) तब मूसा ने अपने परवरदिगार से दुआ की कि ये बड़े शरीर लोग हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:23 فَأَسْرِ بِعِبَادِى لَيْلًا إِنَّكُم مُّتَّبَعُونَ
44:23 तो ख़ुदा ने हुक्म दिया कि तुम मेरे बन्दों (बनी इसराईल) को रातों रात लेकर चले जाओ और तुम्हारा पीछा भी ज़रूर किया जाएगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:24 وَٱتْرُكِ ٱلْبَحْرَ رَهْوًا ۖ إِنَّهُمْ جُندٌ مُّغْرَقُونَ
44:24 और दरिया को अपनी हालत पर ठहरा हुआ छोड़ कर (पार हो) जाओ (तुम्हारे बाद) उनका सारा लशकर डुबो दिया जाएगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:25 كَمْ تَرَكُوا۟ مِن جَنَّـٰتٍ وَعُيُونٍ
44:25 वह लोग (ख़ुदा जाने) कितने बाग़ और चश्में और खेतियाँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:26 وَزُرُوعٍ وَمَقَامٍ كَرِيمٍ
44:26 और नफीस मकानात और आराम की चीज़ें - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:27 وَنَعْمَةٍ كَانُوا۟ فِيهَا فَـٰكِهِينَ
44:27 जिनमें वह ऐश और चैन किया करते थे छोड़ गये यूँ ही हुआ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:28 كَذَٰلِكَ ۖ وَأَوْرَثْنَـٰهَا قَوْمًا ءَاخَرِينَ
44:28 और उन तमाम चीज़ों का दूसरे लोगों को मालिक बना दिया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:29 فَمَا بَكَتْ عَلَيْهِمُ ٱلسَّمَآءُ وَٱلْأَرْضُ وَمَا كَانُوا۟ مُنظَرِينَ
44:29 तो उन लोगों पर आसमान व ज़मीन को भी रोना न आया और न उन्हें मोहलत ही दी गयी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:30 وَلَقَدْ نَجَّيْنَا بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ مِنَ ٱلْعَذَابِ ٱلْمُهِينِ
44:30 और हमने बनी इसराईल को ज़िल्लत के अज़ाब से फिरऔन (के पन्जे) से नजात दी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:31 مِن فِرْعَوْنَ ۚ إِنَّهُۥ كَانَ عَالِيًا مِّنَ ٱلْمُسْرِفِينَ
44:31 वह बेशक सरकश और हद से बाहर निकल गया था - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:32 وَلَقَدِ ٱخْتَرْنَـٰهُمْ عَلَىٰ عِلْمٍ عَلَى ٱلْعَـٰلَمِينَ
44:32 और हमने बनी इसराईल को समझ बूझ कर सारे जहॉन से बरगुज़ीदा किया था - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:33 وَءَاتَيْنَـٰهُم مِّنَ ٱلْـَٔايَـٰتِ مَا فِيهِ بَلَـٰٓؤٌا۟ مُّبِينٌ
44:33 और हमने उनको ऐसी निशानियाँ दी थीं जिनमें (उनकी) सरीही आज़माइश थी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:34 إِنَّ هَـٰٓؤُلَآءِ لَيَقُولُونَ
44:34 ये (कुफ्फ़ारे मक्का) (मुसलमानों से) कहते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:35 إِنْ هِىَ إِلَّا مَوْتَتُنَا ٱلْأُولَىٰ وَمَا نَحْنُ بِمُنشَرِينَ
44:35 कि हमें तो सिर्फ एक बार मरना है और फिर हम दोबारा (ज़िन्दा करके) उठाए न जाएँगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:36 فَأْتُوا۟ بِـَٔابَآئِنَآ إِن كُنتُمْ صَـٰدِقِينَ
44:36 तो अगर तुम सच्चे हो तो हमारे बाप दादाओं को (ज़िन्दा करके) ले आओ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:37 أَهُمْ خَيْرٌ أَمْ قَوْمُ تُبَّعٍ وَٱلَّذِينَ مِن قَبْلِهِمْ ۚ أَهْلَكْنَـٰهُمْ ۖ إِنَّهُمْ كَانُوا۟ مُجْرِمِينَ
44:37 भला ये लोग (क़ूवत में) अच्छे हैं या तुब्बा की क़ौम और वह लोग जो उनसे पहले हो चुके हमने उन सबको हलाक कर दिया (क्योंकि) वह ज़रूर गुनाहगार थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:38 وَمَا خَلَقْنَا ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ وَمَا بَيْنَهُمَا لَـٰعِبِينَ
44:38 और हमने सारे आसमान व ज़मीन और जो चीज़े उन दोनों के दरमियान में हैं उनको खेलते हुए नहीं बनाया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:39 مَا خَلَقْنَـٰهُمَآ إِلَّا بِٱلْحَقِّ وَلَـٰكِنَّ أَكْثَرَهُمْ لَا يَعْلَمُونَ
44:39 इन दोनों को हमने बस ठीक (मसलहत से) पैदा किया मगर उनमें के बहुतेरे लोग नहीं जानते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:40 إِنَّ يَوْمَ ٱلْفَصْلِ مِيقَـٰتُهُمْ أَجْمَعِينَ
44:40 बेशक फ़ैसला (क़यामत) का दिन उन सब (के दोबार ज़िन्दा होने) का मुक़र्रर वक्त है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:41 يَوْمَ لَا يُغْنِى مَوْلًى عَن مَّوْلًى شَيْـًٔا وَلَا هُمْ يُنصَرُونَ
44:41 जिस दिन कोई दोस्त किसी दोस्त के कुछ काम न आएगा और न उन की मदद की जाएगी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:42 إِلَّا مَن رَّحِمَ ٱللَّهُ ۚ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ
44:42 मगर जिन पर ख़ुदा रहम फरमाए बेशक वह (ख़ुदा) सब पर ग़ालिब बड़ा रहम करने वाला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:43 إِنَّ شَجَرَتَ ٱلزَّقُّومِ
44:43 (आख़ेरत में) थोहड़ का दरख्त - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:44 طَعَامُ ٱلْأَثِيمِ
44:44 ज़रूर गुनेहगार का खाना होगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:45 كَٱلْمُهْلِ يَغْلِى فِى ٱلْبُطُونِ
44:45 जैसे पिघला हुआ तांबा वह पेटों में इस तरह उबाल खाएगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:46 كَغَلْىِ ٱلْحَمِيمِ
44:46 जैसे खौलता हुआ पानी उबाल खाता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:47 خُذُوهُ فَٱعْتِلُوهُ إِلَىٰ سَوَآءِ ٱلْجَحِيمِ
44:47 (फरिश्तों को हुक्म होगा) इसको पकड़ो और घसीटते हुए दोज़ख़ के बीचों बीच में ले जाओ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:48 ثُمَّ صُبُّوا۟ فَوْقَ رَأْسِهِۦ مِنْ عَذَابِ ٱلْحَمِيمِ
44:48 फिर उसके सर पर खौलते हुए पानी का अज़ाब डालो फिर उससे ताआनन कहा जाएगा अब मज़ा चखो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:49 ذُقْ إِنَّكَ أَنتَ ٱلْعَزِيزُ ٱلْكَرِيمُ
44:49 बेशक तू तो बड़ा इज्ज़त वाला सरदार है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:50 إِنَّ هَـٰذَا مَا كُنتُم بِهِۦ تَمْتَرُونَ
44:50 ये वही दोज़ख़ तो है जिसमें तुम लोग शक़ किया करते थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:51 إِنَّ ٱلْمُتَّقِينَ فِى مَقَامٍ أَمِينٍ
44:51 बेशक परहेज़गार लोग अमन की जगह - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:52 فِى جَنَّـٰتٍ وَعُيُونٍ
44:52 (यानि) बाग़ों और चश्मों में होंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:53 يَلْبَسُونَ مِن سُندُسٍ وَإِسْتَبْرَقٍ مُّتَقَـٰبِلِينَ
44:53 रेशम की कभी बारीक़ और कभी दबीज़ पोशाकें पहने हुए एक दूसरे के आमने सामने बैठे होंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:54 كَذَٰلِكَ وَزَوَّجْنَـٰهُم بِحُورٍ عِينٍ
44:54 ऐसा ही होगा और हम बड़ी बड़ी ऑंखों वाली हूरों से उनके जोड़े लगा देंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:55 يَدْعُونَ فِيهَا بِكُلِّ فَـٰكِهَةٍ ءَامِنِينَ
44:55 वहाँ इत्मेनान से हर किस्म के मेवे मंगवा कर खायेंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:56 لَا يَذُوقُونَ فِيهَا ٱلْمَوْتَ إِلَّا ٱلْمَوْتَةَ ٱلْأُولَىٰ ۖ وَوَقَىٰهُمْ عَذَابَ ٱلْجَحِيمِ
44:56 वहाँ पहली दफ़ा की मौत के सिवा उनको मौत की तलख़ी चख़नी ही न पड़ेगी और ख़ुदा उनको दोज़ख़ के अज़ाब से महफूज़ रखेगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:57 فَضْلًا مِّن رَّبِّكَ ۚ ذَٰلِكَ هُوَ ٱلْفَوْزُ ٱلْعَظِيمُ
44:57 (ये) तुम्हारे परवरदिगार का फज़ल है यही तो बड़ी कामयाबी है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:58 فَإِنَّمَا يَسَّرْنَـٰهُ بِلِسَانِكَ لَعَلَّهُمْ يَتَذَكَّرُونَ
44:58 तो हमने इस क़ुरान को तुम्हारी ज़बान में (इसलिए) आसान कर दिया है ताकि ये लोग नसीहत पकड़ें तो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

44:59 فَٱرْتَقِبْ إِنَّهُم مُّرْتَقِبُونَ
44:59 (नतीजे के) तुम भी मुन्तज़िर रहो ये लोग भी मुन्तज़िर हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)