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Original Text
Suhel Khan and Saifur Nadwi
Abdullah Yusuf Ali
Abdul Majid Daryabadi
Abul Ala Maududi
Ahmed Ali
Ahmed Raza Khan
A. J. Arberry
Ali Quli Qarai
Hasan al-Fatih Qaribullah and Ahmad Darwish
Mohammad Habib Shakir
Mohammed Marmaduke William Pickthall
Muhammad Sarwar
Muhammad Taqi-ud-Din al-Hilali and Muhammad Muhsin Khan
Safi-ur-Rahman al-Mubarakpuri
Saheeh International
Talal Itani
Transliteration
Wahiduddin Khan
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
In the name of Allah, Most Gracious, Most Merciful.
44:1
حمٓ
44:1
हा मीम - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:2
وَٱلْكِتَـٰبِ ٱلْمُبِينِ
44:2
वाज़ेए व रौशन किताब (कुरान) की क़सम - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:3
إِنَّآ أَنزَلْنَـٰهُ فِى لَيْلَةٍ مُّبَـٰرَكَةٍ ۚ إِنَّا كُنَّا مُنذِرِينَ
44:3
हमने इसको मुबारक रात (शबे क़द्र) में नाज़िल किया बेशक हम (अज़ाब से) डराने वाले थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:4
فِيهَا يُفْرَقُ كُلُّ أَمْرٍ حَكِيمٍ
44:4
इसी रात को तमाम दुनिया के हिक़मत व मसलेहत के (साल भर के) काम फ़ैसले किये जाते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:5
أَمْرًا مِّنْ عِندِنَآ ۚ إِنَّا كُنَّا مُرْسِلِينَ
44:5
यानि हमारे यहाँ से हुक्म होकर (बेशक) हम ही (पैग़म्बरों के) भेजने वाले हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:6
رَحْمَةً مِّن رَّبِّكَ ۚ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلسَّمِيعُ ٱلْعَلِيمُ
44:6
ये तुम्हारे परवरदिगार की मेहरबानी है, वह बेशक बड़ा सुनने वाला वाक़िफ़कार है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:7
رَبِّ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَآ ۖ إِن كُنتُم مُّوقِنِينَ
44:7
सारे आसमान व ज़मीन और जो कुछ इन दोनों के दरमियान है सबका मालिक - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:8
لَآ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ يُحْىِۦ وَيُمِيتُ ۖ رَبُّكُمْ وَرَبُّ ءَابَآئِكُمُ ٱلْأَوَّلِينَ
44:8
अगर तुममें यक़ीन करने की सलाहियत है (तो करो) उसके सिवा कोई माबूद नहीं - वही जिलाता है वही मारता है तुम्हारा मालिक और तुम्हारे (अगले) बाप दादाओं का भी मालिक है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:9
بَلْ هُمْ فِى شَكٍّ يَلْعَبُونَ
44:9
लेकिन ये लोग तो शक़ में पड़े खेल रहे हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:10
فَٱرْتَقِبْ يَوْمَ تَأْتِى ٱلسَّمَآءُ بِدُخَانٍ مُّبِينٍ
44:10
तो तुम उस दिन का इन्तेज़ार करो कि आसमान से ज़ाहिर ब ज़ाहिर धुऑं निकलेगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:11
يَغْشَى ٱلنَّاسَ ۖ هَـٰذَا عَذَابٌ أَلِيمٌ
44:11
(और) लोगों को ढाँक लेगा ये दर्दनाक अज़ाब है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:12
رَّبَّنَا ٱكْشِفْ عَنَّا ٱلْعَذَابَ إِنَّا مُؤْمِنُونَ
44:12
कुफ्फ़ार भी घबराकर कहेंगे कि परवरदिगार हमसे अज़ाब को दूर दफ़ा कर दे हम भी ईमान लाते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:13
أَنَّىٰ لَهُمُ ٱلذِّكْرَىٰ وَقَدْ جَآءَهُمْ رَسُولٌ مُّبِينٌ
44:13
(उस वक्त) भला क्या उनको नसीहत होगी जब उनके पास पैग़म्बर आ चुके जो साफ़ साफ़ बयान कर देते थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:14
ثُمَّ تَوَلَّوْا۟ عَنْهُ وَقَالُوا۟ مُعَلَّمٌ مَّجْنُونٌ
44:14
इस पर भी उन लोगों ने उससे मुँह फेरा और कहने लगे ये तो (सिखाया) पढ़ाया हुआ दीवाना है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:15
إِنَّا كَاشِفُوا۟ ٱلْعَذَابِ قَلِيلًا ۚ إِنَّكُمْ عَآئِدُونَ
44:15
(अच्छा ख़ैर) हम थोड़े दिन के लिए अज़ाब को टाल देते हैं मगर हम जानते हैं तुम ज़रूर फिर कुफ्र करोगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:16
يَوْمَ نَبْطِشُ ٱلْبَطْشَةَ ٱلْكُبْرَىٰٓ إِنَّا مُنتَقِمُونَ
44:16
हम बेशक (उनसे) पूरा बदला तो बस उस दिन लेगें जिस दिन सख्त पकड़ पकड़ेंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:17
۞ وَلَقَدْ فَتَنَّا قَبْلَهُمْ قَوْمَ فِرْعَوْنَ وَجَآءَهُمْ رَسُولٌ كَرِيمٌ
44:17
और उनसे पहले हमने क़ौमे फिरऔन की आज़माइश की और उनके पास एक आली क़दर पैग़म्बर (मूसा) आए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:18
أَنْ أَدُّوٓا۟ إِلَىَّ عِبَادَ ٱللَّهِ ۖ إِنِّى لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ
44:18
(और कहा) कि ख़ुदा के बन्दों (बनी इसराईल) को मेरे हवाले कर दो मैं (ख़ुदा की तरफ से) तुम्हारा एक अमानतदार पैग़म्बर हूँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:19
وَأَن لَّا تَعْلُوا۟ عَلَى ٱللَّهِ ۖ إِنِّىٓ ءَاتِيكُم بِسُلْطَـٰنٍ مُّبِينٍ
44:19
और ख़ुदा के सामने सरकशी न करो मैं तुम्हारे पास वाज़ेए व रौशन दलीलें ले कर आया हूँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:20
وَإِنِّى عُذْتُ بِرَبِّى وَرَبِّكُمْ أَن تَرْجُمُونِ
44:20
और इस बात से कि तुम मुझे संगसार करो मैं अपने और तुम्हारे परवरदिगार (ख़ुदा) की पनाह मांगता हूँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:21
وَإِن لَّمْ تُؤْمِنُوا۟ لِى فَٱعْتَزِلُونِ
44:21
और अगर तुम मुझ पर ईमान नहीं लाए तो तुम मुझसे अलग हो जाओ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:22
فَدَعَا رَبَّهُۥٓ أَنَّ هَـٰٓؤُلَآءِ قَوْمٌ مُّجْرِمُونَ
44:22
(मगर वह सुनाने लगे) तब मूसा ने अपने परवरदिगार से दुआ की कि ये बड़े शरीर लोग हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:23
فَأَسْرِ بِعِبَادِى لَيْلًا إِنَّكُم مُّتَّبَعُونَ
44:23
तो ख़ुदा ने हुक्म दिया कि तुम मेरे बन्दों (बनी इसराईल) को रातों रात लेकर चले जाओ और तुम्हारा पीछा भी ज़रूर किया जाएगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:24
وَٱتْرُكِ ٱلْبَحْرَ رَهْوًا ۖ إِنَّهُمْ جُندٌ مُّغْرَقُونَ
44:24
और दरिया को अपनी हालत पर ठहरा हुआ छोड़ कर (पार हो) जाओ (तुम्हारे बाद) उनका सारा लशकर डुबो दिया जाएगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:25
كَمْ تَرَكُوا۟ مِن جَنَّـٰتٍ وَعُيُونٍ
44:25
वह लोग (ख़ुदा जाने) कितने बाग़ और चश्में और खेतियाँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:26
وَزُرُوعٍ وَمَقَامٍ كَرِيمٍ
44:26
और नफीस मकानात और आराम की चीज़ें - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:27
وَنَعْمَةٍ كَانُوا۟ فِيهَا فَـٰكِهِينَ
44:27
जिनमें वह ऐश और चैन किया करते थे छोड़ गये यूँ ही हुआ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:28
كَذَٰلِكَ ۖ وَأَوْرَثْنَـٰهَا قَوْمًا ءَاخَرِينَ
44:28
और उन तमाम चीज़ों का दूसरे लोगों को मालिक बना दिया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:29
فَمَا بَكَتْ عَلَيْهِمُ ٱلسَّمَآءُ وَٱلْأَرْضُ وَمَا كَانُوا۟ مُنظَرِينَ
44:29
तो उन लोगों पर आसमान व ज़मीन को भी रोना न आया और न उन्हें मोहलत ही दी गयी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:30
وَلَقَدْ نَجَّيْنَا بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ مِنَ ٱلْعَذَابِ ٱلْمُهِينِ
44:30
और हमने बनी इसराईल को ज़िल्लत के अज़ाब से फिरऔन (के पन्जे) से नजात दी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:31
مِن فِرْعَوْنَ ۚ إِنَّهُۥ كَانَ عَالِيًا مِّنَ ٱلْمُسْرِفِينَ
44:31
वह बेशक सरकश और हद से बाहर निकल गया था - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:32
وَلَقَدِ ٱخْتَرْنَـٰهُمْ عَلَىٰ عِلْمٍ عَلَى ٱلْعَـٰلَمِينَ
44:32
और हमने बनी इसराईल को समझ बूझ कर सारे जहॉन से बरगुज़ीदा किया था - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:33
وَءَاتَيْنَـٰهُم مِّنَ ٱلْـَٔايَـٰتِ مَا فِيهِ بَلَـٰٓؤٌا۟ مُّبِينٌ
44:33
और हमने उनको ऐसी निशानियाँ दी थीं जिनमें (उनकी) सरीही आज़माइश थी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:34
إِنَّ هَـٰٓؤُلَآءِ لَيَقُولُونَ
44:34
ये (कुफ्फ़ारे मक्का) (मुसलमानों से) कहते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:35
إِنْ هِىَ إِلَّا مَوْتَتُنَا ٱلْأُولَىٰ وَمَا نَحْنُ بِمُنشَرِينَ
44:35
कि हमें तो सिर्फ एक बार मरना है और फिर हम दोबारा (ज़िन्दा करके) उठाए न जाएँगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:36
فَأْتُوا۟ بِـَٔابَآئِنَآ إِن كُنتُمْ صَـٰدِقِينَ
44:36
तो अगर तुम सच्चे हो तो हमारे बाप दादाओं को (ज़िन्दा करके) ले आओ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:37
أَهُمْ خَيْرٌ أَمْ قَوْمُ تُبَّعٍ وَٱلَّذِينَ مِن قَبْلِهِمْ ۚ أَهْلَكْنَـٰهُمْ ۖ إِنَّهُمْ كَانُوا۟ مُجْرِمِينَ
44:37
भला ये लोग (क़ूवत में) अच्छे हैं या तुब्बा की क़ौम और वह लोग जो उनसे पहले हो चुके हमने उन सबको हलाक कर दिया (क्योंकि) वह ज़रूर गुनाहगार थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:38
وَمَا خَلَقْنَا ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ وَمَا بَيْنَهُمَا لَـٰعِبِينَ
44:38
और हमने सारे आसमान व ज़मीन और जो चीज़े उन दोनों के दरमियान में हैं उनको खेलते हुए नहीं बनाया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:39
مَا خَلَقْنَـٰهُمَآ إِلَّا بِٱلْحَقِّ وَلَـٰكِنَّ أَكْثَرَهُمْ لَا يَعْلَمُونَ
44:39
इन दोनों को हमने बस ठीक (मसलहत से) पैदा किया मगर उनमें के बहुतेरे लोग नहीं जानते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:40
إِنَّ يَوْمَ ٱلْفَصْلِ مِيقَـٰتُهُمْ أَجْمَعِينَ
44:40
बेशक फ़ैसला (क़यामत) का दिन उन सब (के दोबार ज़िन्दा होने) का मुक़र्रर वक्त है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:41
يَوْمَ لَا يُغْنِى مَوْلًى عَن مَّوْلًى شَيْـًٔا وَلَا هُمْ يُنصَرُونَ
44:41
जिस दिन कोई दोस्त किसी दोस्त के कुछ काम न आएगा और न उन की मदद की जाएगी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:42
إِلَّا مَن رَّحِمَ ٱللَّهُ ۚ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ
44:42
मगर जिन पर ख़ुदा रहम फरमाए बेशक वह (ख़ुदा) सब पर ग़ालिब बड़ा रहम करने वाला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:43
إِنَّ شَجَرَتَ ٱلزَّقُّومِ
44:43
(आख़ेरत में) थोहड़ का दरख्त - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:44
طَعَامُ ٱلْأَثِيمِ
44:44
ज़रूर गुनेहगार का खाना होगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:45
كَٱلْمُهْلِ يَغْلِى فِى ٱلْبُطُونِ
44:45
जैसे पिघला हुआ तांबा वह पेटों में इस तरह उबाल खाएगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:46
كَغَلْىِ ٱلْحَمِيمِ
44:46
जैसे खौलता हुआ पानी उबाल खाता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:47
خُذُوهُ فَٱعْتِلُوهُ إِلَىٰ سَوَآءِ ٱلْجَحِيمِ
44:47
(फरिश्तों को हुक्म होगा) इसको पकड़ो और घसीटते हुए दोज़ख़ के बीचों बीच में ले जाओ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:48
ثُمَّ صُبُّوا۟ فَوْقَ رَأْسِهِۦ مِنْ عَذَابِ ٱلْحَمِيمِ
44:48
फिर उसके सर पर खौलते हुए पानी का अज़ाब डालो फिर उससे ताआनन कहा जाएगा अब मज़ा चखो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:49
ذُقْ إِنَّكَ أَنتَ ٱلْعَزِيزُ ٱلْكَرِيمُ
44:49
बेशक तू तो बड़ा इज्ज़त वाला सरदार है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:50
إِنَّ هَـٰذَا مَا كُنتُم بِهِۦ تَمْتَرُونَ
44:50
ये वही दोज़ख़ तो है जिसमें तुम लोग शक़ किया करते थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:51
إِنَّ ٱلْمُتَّقِينَ فِى مَقَامٍ أَمِينٍ
44:51
बेशक परहेज़गार लोग अमन की जगह - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:52
فِى جَنَّـٰتٍ وَعُيُونٍ
44:52
(यानि) बाग़ों और चश्मों में होंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:53
يَلْبَسُونَ مِن سُندُسٍ وَإِسْتَبْرَقٍ مُّتَقَـٰبِلِينَ
44:53
रेशम की कभी बारीक़ और कभी दबीज़ पोशाकें पहने हुए एक दूसरे के आमने सामने बैठे होंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:54
كَذَٰلِكَ وَزَوَّجْنَـٰهُم بِحُورٍ عِينٍ
44:54
ऐसा ही होगा और हम बड़ी बड़ी ऑंखों वाली हूरों से उनके जोड़े लगा देंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:55
يَدْعُونَ فِيهَا بِكُلِّ فَـٰكِهَةٍ ءَامِنِينَ
44:55
वहाँ इत्मेनान से हर किस्म के मेवे मंगवा कर खायेंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:56
لَا يَذُوقُونَ فِيهَا ٱلْمَوْتَ إِلَّا ٱلْمَوْتَةَ ٱلْأُولَىٰ ۖ وَوَقَىٰهُمْ عَذَابَ ٱلْجَحِيمِ
44:56
वहाँ पहली दफ़ा की मौत के सिवा उनको मौत की तलख़ी चख़नी ही न पड़ेगी और ख़ुदा उनको दोज़ख़ के अज़ाब से महफूज़ रखेगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:57
فَضْلًا مِّن رَّبِّكَ ۚ ذَٰلِكَ هُوَ ٱلْفَوْزُ ٱلْعَظِيمُ
44:57
(ये) तुम्हारे परवरदिगार का फज़ल है यही तो बड़ी कामयाबी है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:58
فَإِنَّمَا يَسَّرْنَـٰهُ بِلِسَانِكَ لَعَلَّهُمْ يَتَذَكَّرُونَ
44:58
तो हमने इस क़ुरान को तुम्हारी ज़बान में (इसलिए) आसान कर दिया है ताकि ये लोग नसीहत पकड़ें तो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
44:59
فَٱرْتَقِبْ إِنَّهُم مُّرْتَقِبُونَ
44:59
(नतीजे के) तुम भी मुन्तज़िर रहो ये लोग भी मुन्तज़िर हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)