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                        Original Text
                        
                    
                
                    
                        Suhel Khan and Saifur Nadwi
                        
                        
                        
                    
                
                Abdullah Yusuf Ali
Abdul Majid Daryabadi
Abul Ala Maududi
Ahmed Ali
Ahmed Raza Khan
A. J. Arberry
Ali Quli Qarai
Hasan al-Fatih Qaribullah and Ahmad Darwish
Mohammad Habib Shakir
Mohammed Marmaduke William Pickthall
Muhammad Sarwar
Muhammad Taqi-ud-Din al-Hilali and Muhammad Muhsin Khan
Safi-ur-Rahman al-Mubarakpuri
Saheeh International
Talal Itani
Transliteration
Wahiduddin Khan
                    بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
                
                
                    In the name of Allah, Most Gracious, Most Merciful.
                
            
                    51:1
                    وَٱلذَّٰرِيَـٰتِ ذَرْوًا
                
                
                
                
                
                    51:1
                    उन (हवाओं की क़सम) जो (बादलों को) उड़ा कर तितर बितर कर देती हैं  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:2
                    فَٱلْحَـٰمِلَـٰتِ وِقْرًا
                
                
                
                
                
                    51:2
                    फिर (पानी का) बोझ उठाती हैं  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:3
                    فَٱلْجَـٰرِيَـٰتِ يُسْرًا
                
                
                
                
                
                    51:3
                    फिर आहिस्ता आहिस्ता चलती हैं  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:4
                    فَٱلْمُقَسِّمَـٰتِ أَمْرًا
                
                
                
                
                
                    51:4
                    फिर एक ज़रूरी चीज़ (बारिश) को तक़सीम करती हैं  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:5
                    إِنَّمَا تُوعَدُونَ لَصَادِقٌ
                
                
                
                
                
                    51:5
                    कि तुम से जो वायदा किया जाता है ज़रूर बिल्कुल सच्चा है  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:6
                    وَإِنَّ ٱلدِّينَ لَوَٰقِعٌ
                
                
                
                
                
                    51:6
                    और (आमाल की) जज़ा (सज़ा) ज़रूर होगी  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:7
                    وَٱلسَّمَآءِ ذَاتِ ٱلْحُبُكِ
                
                
                
                
                
                    51:7
                    और आसमान की क़सम जिसमें रहते हैं  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:8
                    إِنَّكُمْ لَفِى قَوْلٍ مُّخْتَلِفٍ
                
                
                
                
                
                    51:8
                    कि (ऐ अहले मक्का) तुम लोग एक ऐसी मुख्तलिफ़ बेजोड़ बात में पड़े हो  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:9
                    يُؤْفَكُ عَنْهُ مَنْ أُفِكَ
                
                
                
                
                
                    51:9
                    कि उससे वही फेरा जाएगा (गुमराह होगा)  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:10
                    قُتِلَ ٱلْخَرَّٰصُونَ
                
                
                
                
                
                    51:10
                    जो (ख़ुदा के इल्म में) फेरा जा चुका है अटकल दौड़ाने वाले हलाक हों  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:11
                    ٱلَّذِينَ هُمْ فِى غَمْرَةٍ سَاهُونَ
                
                
                
                
                
                    51:11
                    जो ग़फलत में भूले हुए (पड़े) हैं पूछते हैं कि जज़ा का दिन कब होगा  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:12
                    يَسْـَٔلُونَ أَيَّانَ يَوْمُ ٱلدِّينِ
                
                
                
                
                
                    51:12
                    उस दिन (होगा)  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:13
                    يَوْمَ هُمْ عَلَى ٱلنَّارِ يُفْتَنُونَ
                
                
                
                
                
                    51:13
                    जब इनको (जहन्नुम की) आग में अज़ाब दिया जाएगा  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:14
                    ذُوقُوا۟ فِتْنَتَكُمْ هَـٰذَا ٱلَّذِى كُنتُم بِهِۦ تَسْتَعْجِلُونَ
                
                
                
                
                
                    51:14
                    (और उनसे कहा जाएगा) अपने अज़ाब का मज़ा चखो ये वही है जिसकी तुम जल्दी मचाया करते थे  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:15
                    إِنَّ ٱلْمُتَّقِينَ فِى جَنَّـٰتٍ وَعُيُونٍ
                
                
                
                
                
                    51:15
                    बेशक परहेज़गार लोग (बेहिश्त के) बाग़ों और चश्मों में (ऐश करते) होगें  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:16
                    ءَاخِذِينَ مَآ ءَاتَىٰهُمْ رَبُّهُمْ ۚ إِنَّهُمْ كَانُوا۟ قَبْلَ ذَٰلِكَ مُحْسِنِينَ
                
                
                
                
                
                    51:16
                    जो उनका परवरदिगार उन्हें अता करता है ये (ख़ुश ख़ुश) ले रहे हैं ये लोग इससे पहले (दुनिया में) नेको कार थे  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:17
                    كَانُوا۟ قَلِيلًا مِّنَ ٱلَّيْلِ مَا يَهْجَعُونَ
                
                
                
                
                
                    51:17
                    (इबादत की वजह से) रात को बहुत ही कम सोते थे  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:18
                    وَبِٱلْأَسْحَارِ هُمْ يَسْتَغْفِرُونَ
                
                
                
                
                
                    51:18
                    और पिछले पहर को अपनी मग़फ़िरत की दुआएं करते थे  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:19
                    وَفِىٓ أَمْوَٰلِهِمْ حَقٌّ لِّلسَّآئِلِ وَٱلْمَحْرُومِ
                
                
                
                
                
                    51:19
                    और उनके माल में माँगने वाले और न माँगने वाले (दोनों) का हिस्सा था  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:20
                    وَفِى ٱلْأَرْضِ ءَايَـٰتٌ لِّلْمُوقِنِينَ
                
                
                
                
                
                    51:20
                    और यक़ीन करने वालों के लिए ज़मीन में (क़ुदरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:21
                    وَفِىٓ أَنفُسِكُمْ ۚ أَفَلَا تُبْصِرُونَ
                
                
                
                
                
                    51:21
                    और ख़ुदा तुम में भी हैं तो क्या तुम देखते नहीं  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:22
                    وَفِى ٱلسَّمَآءِ رِزْقُكُمْ وَمَا تُوعَدُونَ
                
                
                
                
                
                    51:22
                    और तुम्हारी रोज़ी और जिस चीज़ का तुमसे वायदा किया जाता है आसमान में है  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:23
                    فَوَرَبِّ ٱلسَّمَآءِ وَٱلْأَرْضِ إِنَّهُۥ لَحَقٌّ مِّثْلَ مَآ أَنَّكُمْ تَنطِقُونَ
                
                
                
                
                
                    51:23
                    तो आसमान व ज़मीन के मालिक की क़सम ये (क़ुरान) बिल्कुल ठीक है जिस तरह तुम बातें करते हो  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:24
                    هَلْ أَتَىٰكَ حَدِيثُ ضَيْفِ إِبْرَٰهِيمَ ٱلْمُكْرَمِينَ
                
                
                
                
                
                    51:24
                    क्या तुम्हारे पास इबराहीम के मुअज़िज़ मेहमानो (फ़रिश्तों) की भी ख़बर पहुँची है कि जब वह लोग उनके पास आए  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:25
                    إِذْ دَخَلُوا۟ عَلَيْهِ فَقَالُوا۟ سَلَـٰمًا ۖ قَالَ سَلَـٰمٌ قَوْمٌ مُّنكَرُونَ
                
                
                
                
                
                    51:25
                    तो कहने लगे (सलामुन अलैकुम) तो इबराहीम ने भी (अलैकुम) सलाम किया (देखा तो) ऐसे लोग जिनसे न जान न पहचान  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:26
                    فَرَاغَ إِلَىٰٓ أَهْلِهِۦ فَجَآءَ بِعِجْلٍ سَمِينٍ
                
                
                
                
                
                    51:26
                    फिर अपने घर जाकर जल्दी से (भुना हुआ) एक मोटा ताज़ा बछड़ा ले आए  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:27
                    فَقَرَّبَهُۥٓ إِلَيْهِمْ قَالَ أَلَا تَأْكُلُونَ
                
                
                
                
                
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                    और उसे उनके आगे रख दिया (फिर) कहने लगे आप लोग तनाउल क्यों नहीं करते  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:28
                    فَأَوْجَسَ مِنْهُمْ خِيفَةً ۖ قَالُوا۟ لَا تَخَفْ ۖ وَبَشَّرُوهُ بِغُلَـٰمٍ عَلِيمٍ
                
                
                
                
                
                    51:28
                    (इस पर भी न खाया) तो इबराहीम उनसे जो ही जी में डरे वह लोग बोले आप अन्देशा न करें और उनको एक दानिशमन्द लड़के की ख़ुशख़बरी दी  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:29
                    فَأَقْبَلَتِ ٱمْرَأَتُهُۥ فِى صَرَّةٍ فَصَكَّتْ وَجْهَهَا وَقَالَتْ عَجُوزٌ عَقِيمٌ
                
                
                
                
                
                    51:29
                    तो (ये सुनते ही) इबराहीम की बीवी (सारा) चिल्लाती हुई उनके सामने आयीं और अपना मुँह पीट लिया कहने लगीं (ऐ है) एक तो (मैं) बुढ़िया (उस पर) बांझ  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:30
                    قَالُوا۟ كَذَٰلِكِ قَالَ رَبُّكِ ۖ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلْحَكِيمُ ٱلْعَلِيمُ
                
                
                
                
                
                    51:30
                    लड़का क्यों कर होगा फ़रिश्ते बोले तुम्हारे परवरदिगार ने यूँ ही फरमाया है वह बेशक हिकमत वाला वाक़िफ़कार है  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:31
                    ۞ قَالَ فَمَا خَطْبُكُمْ أَيُّهَا ٱلْمُرْسَلُونَ
                
                
                
                
                
                    51:31
                    तब इबराहीम ने पूछा कि (ऐ ख़ुदा के) भेजे हुए फरिश्तों आख़िर तुम्हें क्या मुहिम दर पेश है  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:32
                    قَالُوٓا۟ إِنَّآ أُرْسِلْنَآ إِلَىٰ قَوْمٍ مُّجْرِمِينَ
                
                
                
                
                
                    51:32
                    वह बोले हम तो गुनाहगारों (क़ौमे लूत) की तरफ भेजे गए हैं  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:33
                    لِنُرْسِلَ عَلَيْهِمْ حِجَارَةً مِّن طِينٍ
                
                
                
                
                
                    51:33
                    ताकि उन पर मिटटी के पथरीले खरन्जे बरसाएँ  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:34
                    مُّسَوَّمَةً عِندَ رَبِّكَ لِلْمُسْرِفِينَ
                
                
                
                
                
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                    जिन पर हद से बढ़ जाने वालों के लिए तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से निशान लगा दिए गए हैं  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
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                    فَأَخْرَجْنَا مَن كَانَ فِيهَا مِنَ ٱلْمُؤْمِنِينَ
                
                
                
                
                
                    51:35
                    ग़रज़ वहाँ जितने लोग मोमिनीन थे उनको हमने निकाल दिया  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:36
                    فَمَا وَجَدْنَا فِيهَا غَيْرَ بَيْتٍ مِّنَ ٱلْمُسْلِمِينَ
                
                
                
                
                
                    51:36
                    और वहाँ तो हमने एक के सिवा मुसलमानों का कोई घर पाया भी नहीं  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:37
                    وَتَرَكْنَا فِيهَآ ءَايَةً لِّلَّذِينَ يَخَافُونَ ٱلْعَذَابَ ٱلْأَلِيمَ
                
                
                
                
                
                    51:37
                    और जो लोग दर्दनाक अज़ाब से डरते हैं उनके लिए वहाँ (इबरत की) निशानी छोड़ दी और मूसा (के हाल) में भी (निशानी है)  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:38
                    وَفِى مُوسَىٰٓ إِذْ أَرْسَلْنَـٰهُ إِلَىٰ فِرْعَوْنَ بِسُلْطَـٰنٍ مُّبِينٍ
                
                
                
                
                
                    51:38
                    जब हमने उनको फिरऔन के पास खुला हुआ मौजिज़ा देकर भेजा  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
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                    فَتَوَلَّىٰ بِرُكْنِهِۦ وَقَالَ سَـٰحِرٌ أَوْ مَجْنُونٌ
                
                
                
                
                
                    51:39
                    तो उसने अपने लशकर के बिरते पर मुँह मोड़ लिया और कहने लगा ये तो (अच्छा ख़ासा) जादूगर या सौदाई है  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:40
                    فَأَخَذْنَـٰهُ وَجُنُودَهُۥ فَنَبَذْنَـٰهُمْ فِى ٱلْيَمِّ وَهُوَ مُلِيمٌ
                
                
                
                
                
                    51:40
                    तो हमने उसको और उसके लशकर को ले डाला फिर उन सबको दरिया में पटक दिया  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:41
                    وَفِى عَادٍ إِذْ أَرْسَلْنَا عَلَيْهِمُ ٱلرِّيحَ ٱلْعَقِيمَ
                
                
                
                
                
                    51:41
                    और वह तो क़ाबिले मलामत काम करता ही था और आद की क़ौम (के हाल) में भी निशानी है हमने उन पर एक बे बरकत ऑंधी चलायी  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:42
                    مَا تَذَرُ مِن شَىْءٍ أَتَتْ عَلَيْهِ إِلَّا جَعَلَتْهُ كَٱلرَّمِيمِ
                
                
                
                
                
                    51:42
                    कि जिस चीज़ पर चलती उसको बोसीदा हडडी की तरह रेज़ा रेज़ा किए बग़ैर न छोड़ती  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:43
                    وَفِى ثَمُودَ إِذْ قِيلَ لَهُمْ تَمَتَّعُوا۟ حَتَّىٰ حِينٍ
                
                
                
                
                
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                    और समूद (के हाल) में भी (क़ुदरत की निशानी) है जब उससे कहा गया कि एक ख़ास वक्त तक ख़ूब चैन कर लो  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:44
                    فَعَتَوْا۟ عَنْ أَمْرِ رَبِّهِمْ فَأَخَذَتْهُمُ ٱلصَّـٰعِقَةُ وَهُمْ يَنظُرُونَ
                
                
                
                
                
                    51:44
                    तो उन्होने अपने परवरदिगार के हुक्म से सरकशी की तो उन्हें एक रोज़ कड़क और बिजली ने ले डाला और देखते ही रह गए  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:45
                    فَمَا ٱسْتَطَـٰعُوا۟ مِن قِيَامٍ وَمَا كَانُوا۟ مُنتَصِرِينَ
                
                
                
                
                
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                    फिर न वह उठने की ताक़त रखते थे और न बदला ही ले सकते थे  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:46
                    وَقَوْمَ نُوحٍ مِّن قَبْلُ ۖ إِنَّهُمْ كَانُوا۟ قَوْمًا فَـٰسِقِينَ
                
                
                
                
                
                    51:46
                    और (उनसे) पहले (हम) नूह की क़ौम को (हलाक कर चुके थे) बेशक वह बदकार लोग थे  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:47
                    وَٱلسَّمَآءَ بَنَيْنَـٰهَا بِأَيْي۟دٍ وَإِنَّا لَمُوسِعُونَ
                
                
                
                
                
                    51:47
                    और हमने आसमानों को अपने बल बूते से बनाया और बेशक हममें सब क़ुदरत है  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:48
                    وَٱلْأَرْضَ فَرَشْنَـٰهَا فَنِعْمَ ٱلْمَـٰهِدُونَ
                
                
                
                
                
                    51:48
                    और ज़मीन को भी हम ही ने बिछाया तो हम कैसे अच्छे बिछाने वाले हैं  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:49
                    وَمِن كُلِّ شَىْءٍ خَلَقْنَا زَوْجَيْنِ لَعَلَّكُمْ تَذَكَّرُونَ
                
                
                
                
                
                    51:49
                    और हम ही ने हर चीज़ की दो दो क़िस्में बनायीं ताकि तुम लोग नसीहत हासिल करो  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:50
                    فَفِرُّوٓا۟ إِلَى ٱللَّهِ ۖ إِنِّى لَكُم مِّنْهُ نَذِيرٌ مُّبِينٌ
                
                
                
                
                
                    51:50
                    तो ख़ुदा ही की तरफ़ भागो मैं तुमको यक़ीनन उसकी तरफ से खुल्लम खुल्ला डराने वाला हूँ  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:51
                    وَلَا تَجْعَلُوا۟ مَعَ ٱللَّهِ إِلَـٰهًا ءَاخَرَ ۖ إِنِّى لَكُم مِّنْهُ نَذِيرٌ مُّبِينٌ
                
                
                
                
                
                    51:51
                    और ख़ुदा के साथ दूसरा माबूद न बनाओ मैं तुमको यक़ीनन उसकी तरफ से खुल्लम खुल्ला डराने वाला हूँ  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:52
                    كَذَٰلِكَ مَآ أَتَى ٱلَّذِينَ مِن قَبْلِهِم مِّن رَّسُولٍ إِلَّا قَالُوا۟ سَاحِرٌ أَوْ مَجْنُونٌ
                
                
                
                
                
                    51:52
                    इसी तरह उनसे पहले लोगों के पास जो पैग़म्बर आता तो वह उसको जादूगर कहते या सिड़ी दीवाना (बताते)  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:53
                    أَتَوَاصَوْا۟ بِهِۦ ۚ بَلْ هُمْ قَوْمٌ طَاغُونَ
                
                
                
                
                
                    51:53
                    ये लोग एक दूसरे को ऐसी बात की वसीयत करते आते हैं (नहीं) बल्कि ये लोग हैं ही सरकश  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:54
                    فَتَوَلَّ عَنْهُمْ فَمَآ أَنتَ بِمَلُومٍ
                
                
                
                
                
                    51:54
                    तो (ऐ रसूल) तुम इनसे मुँह फेर लो तुम पर तो कुछ इल्ज़ाम नहीं है  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:55
                    وَذَكِّرْ فَإِنَّ ٱلذِّكْرَىٰ تَنفَعُ ٱلْمُؤْمِنِينَ
                
                
                
                
                
                    51:55
                    और नसीहत किए जाओ क्योंकि नसीहत मोमिनीन को फायदा देती है  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:56
                    وَمَا خَلَقْتُ ٱلْجِنَّ وَٱلْإِنسَ إِلَّا لِيَعْبُدُونِ
                
                
                
                
                
                    51:56
                    और मैने जिनों और आदमियों को इसी ग़रज़ से पैदा किया कि वह मेरी इबादत करें  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:57
                    مَآ أُرِيدُ مِنْهُم مِّن رِّزْقٍ وَمَآ أُرِيدُ أَن يُطْعِمُونِ
                
                
                
                
                
                    51:57
                    न तो मैं उनसे रोज़ी का तालिब हूँ और न ये चाहता हूँ कि मुझे खाना खिलाएँ  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:58
                    إِنَّ ٱللَّهَ هُوَ ٱلرَّزَّاقُ ذُو ٱلْقُوَّةِ ٱلْمَتِينُ
                
                
                
                
                
                    51:58
                    ख़ुदा ख़ुद बड़ा रोज़ी देने वाला ज़ोरावर (और) ज़बरदस्त है  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:59
                    فَإِنَّ لِلَّذِينَ ظَلَمُوا۟ ذَنُوبًا مِّثْلَ ذَنُوبِ أَصْحَـٰبِهِمْ فَلَا يَسْتَعْجِلُونِ
                
                
                
                
                
                    51:59
                    तो (इन) ज़ालिमों के वास्ते भी अज़ाब का कुछ हिस्सा है जिस तरह उनके साथियों के लिए हिस्सा था तो इनको हम से जल्दी न करनी चाहिए  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
                
                
                
                
                
                    51:60
                    فَوَيْلٌ لِّلَّذِينَ كَفَرُوا۟ مِن يَوْمِهِمُ ٱلَّذِى يُوعَدُونَ
                
                
                
                
                
                    51:60
                    तो जिस दिन का इन काफ़िरों से वायदा किया जाता है इससे इनके लिए ख़राबी है  - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)