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Suhel Khan and Saifur Nadwi

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69 Al-Ĥāqqah ٱلْحَاقَّة

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بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
In the name of Allah, Most Gracious, Most Merciful.

69:1 ٱلْحَآقَّةُ
69:1 सच मुच होने वाली (क़यामत) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:2 مَا ٱلْحَآقَّةُ
69:2 और सच मुच होने वाली क्या चीज़ है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:3 وَمَآ أَدْرَىٰكَ مَا ٱلْحَآقَّةُ
69:3 और तुम्हें क्या मालूम कि वह सच मुच होने वाली क्या है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:4 كَذَّبَتْ ثَمُودُ وَعَادٌۢ بِٱلْقَارِعَةِ
69:4 (वही) खड़ खड़ाने वाली (जिस) को आद व समूद ने झुठलाया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:5 فَأَمَّا ثَمُودُ فَأُهْلِكُوا۟ بِٱلطَّاغِيَةِ
69:5 ग़रज़ समूद तो चिंघाड़ से हलाक कर दिए गए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:6 وَأَمَّا عَادٌ فَأُهْلِكُوا۟ بِرِيحٍ صَرْصَرٍ عَاتِيَةٍ
69:6 रहे आद तो वह बहुत शदीद तेज़ ऑंधी से हलाक कर दिए गए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:7 سَخَّرَهَا عَلَيْهِمْ سَبْعَ لَيَالٍ وَثَمَـٰنِيَةَ أَيَّامٍ حُسُومًا فَتَرَى ٱلْقَوْمَ فِيهَا صَرْعَىٰ كَأَنَّهُمْ أَعْجَازُ نَخْلٍ خَاوِيَةٍ
69:7 ख़ुदा ने उसे सात रात और आठ दिन लगाकर उन पर चलाया तो लोगों को इस तरह ढहे (मुर्दे) पड़े देखता कि गोया वह खजूरों के खोखले तने हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:8 فَهَلْ تَرَىٰ لَهُم مِّنۢ بَاقِيَةٍ
69:8 तू क्या इनमें से किसी को भी बचा खुचा देखता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:9 وَجَآءَ فِرْعَوْنُ وَمَن قَبْلَهُۥ وَٱلْمُؤْتَفِكَـٰتُ بِٱلْخَاطِئَةِ
69:9 और फिरऔन और जो लोग उससे पहले थे और वह लोग (क़ौमे लूत) जो उलटी हुई बस्तियों के रहने वाले थे सब गुनाह के काम करते थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:10 فَعَصَوْا۟ رَسُولَ رَبِّهِمْ فَأَخَذَهُمْ أَخْذَةً رَّابِيَةً
69:10 तो उन लोगों ने अपने परवरदिगार के रसूल की नाफ़रमानी की तो ख़ुदा ने भी उनकी बड़ी सख्ती से ले दे कर डाली - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:11 إِنَّا لَمَّا طَغَا ٱلْمَآءُ حَمَلْنَـٰكُمْ فِى ٱلْجَارِيَةِ
69:11 जब पानी चढ़ने लगा तो हमने तुमको कशती पर सवार किया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:12 لِنَجْعَلَهَا لَكُمْ تَذْكِرَةً وَتَعِيَهَآ أُذُنٌ وَٰعِيَةٌ
69:12 ताकि हम उसे तुम्हारे लिए यादगार बनाएं और उसे याद रखने वाले कान सुनकर याद रखें - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:13 فَإِذَا نُفِخَ فِى ٱلصُّورِ نَفْخَةٌ وَٰحِدَةٌ
69:13 फिर जब सूर में एक (बार) फूँक मार दी जाएगी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:14 وَحُمِلَتِ ٱلْأَرْضُ وَٱلْجِبَالُ فَدُكَّتَا دَكَّةً وَٰحِدَةً
69:14 और ज़मीन और पहाड़ उठाकर एक बारगी (टकरा कर) रेज़ा रेज़ा कर दिए जाएँगे तो उस रोज़ क़यामत आ ही जाएगी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:15 فَيَوْمَئِذٍ وَقَعَتِ ٱلْوَاقِعَةُ
69:15 और आसमान फट जाएगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:16 وَٱنشَقَّتِ ٱلسَّمَآءُ فَهِىَ يَوْمَئِذٍ وَاهِيَةٌ
69:16 तो वह उस दिन बहुत फुस फुसा होगा और फ़रिश्ते उनके किनारे पर होंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:17 وَٱلْمَلَكُ عَلَىٰٓ أَرْجَآئِهَا ۚ وَيَحْمِلُ عَرْشَ رَبِّكَ فَوْقَهُمْ يَوْمَئِذٍ ثَمَـٰنِيَةٌ
69:17 और तुम्हारे परवरदिगार के अर्श को उस दिन आठ फ़रिश्ते अपने सरों पर उठाए होंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:18 يَوْمَئِذٍ تُعْرَضُونَ لَا تَخْفَىٰ مِنكُمْ خَافِيَةٌ
69:18 उस दिन तुम सब के सब (ख़ुदा के सामने) पेश किए जाओगे और तुम्हारी कोई पोशीदा बात छुपी न रहेगी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:19 فَأَمَّا مَنْ أُوتِىَ كِتَـٰبَهُۥ بِيَمِينِهِۦ فَيَقُولُ هَآؤُمُ ٱقْرَءُوا۟ كِتَـٰبِيَهْ
69:19 तो जिसको (उसका नामए आमाल) दाहिने हाथ में दिया जाएगा तो वह (लोगो से) कहेगा लीजिए मेरा नामए आमाल पढ़िए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:20 إِنِّى ظَنَنتُ أَنِّى مُلَـٰقٍ حِسَابِيَهْ
69:20 तो मैं तो जानता था कि मुझे मेरा हिसाब (किताब) ज़रूर मिलेगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:21 فَهُوَ فِى عِيشَةٍ رَّاضِيَةٍ
69:21 फिर वह दिल पसन्द ऐश में होगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:22 فِى جَنَّةٍ عَالِيَةٍ
69:22 बड़े आलीशान बाग़ में - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:23 قُطُوفُهَا دَانِيَةٌ
69:23 जिनके फल बहुत झुके हुए क़रीब होंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:24 كُلُوا۟ وَٱشْرَبُوا۟ هَنِيٓـًٔۢا بِمَآ أَسْلَفْتُمْ فِى ٱلْأَيَّامِ ٱلْخَالِيَةِ
69:24 जो कारगुज़ारियाँ तुम गुज़िशता अय्याम में करके आगे भेज चुके हो उसके सिले में मज़े से खाओ पियो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:25 وَأَمَّا مَنْ أُوتِىَ كِتَـٰبَهُۥ بِشِمَالِهِۦ فَيَقُولُ يَـٰلَيْتَنِى لَمْ أُوتَ كِتَـٰبِيَهْ
69:25 और जिसका नामए आमाल उनके बाएँ हाथ में दिया जाएगा तो वह कहेगा ऐ काश मुझे मेरा नामए अमल न दिया जाता - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:26 وَلَمْ أَدْرِ مَا حِسَابِيَهْ
69:26 और मुझे न मालूल होता कि मेरा हिसाब क्या है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:27 يَـٰلَيْتَهَا كَانَتِ ٱلْقَاضِيَةَ
69:27 ऐ काश मौत ने (हमेशा के लिए मेरा) काम तमाम कर दिया होता - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:28 مَآ أَغْنَىٰ عَنِّى مَالِيَهْ ۜ
69:28 (अफ़सोस) मेरा माल मेरे कुछ भी काम न आया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:29 هَلَكَ عَنِّى سُلْطَـٰنِيَهْ
69:29 (हाए) मेरी सल्तनत ख़ाक में मिल गयी (फिर हुक्म होगा) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:30 خُذُوهُ فَغُلُّوهُ
69:30 इसे गिरफ्तार करके तौक़ पहना दो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:31 ثُمَّ ٱلْجَحِيمَ صَلُّوهُ
69:31 फिर इसे जहन्नुम में झोंक दो, - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:32 ثُمَّ فِى سِلْسِلَةٍ ذَرْعُهَا سَبْعُونَ ذِرَاعًا فَٱسْلُكُوهُ
69:32 फिर एक ज़ंजीर में जिसकी नाप सत्तर गज़ की है उसे ख़ूब जकड़ दो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:33 إِنَّهُۥ كَانَ لَا يُؤْمِنُ بِٱللَّهِ ٱلْعَظِيمِ
69:33 (क्यों कि) ये न तो बुज़ुर्ग ख़ुदा ही पर ईमान लाता था और न मोहताज के खिलाने पर आमादा (लोगों को) करता था - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:34 وَلَا يَحُضُّ عَلَىٰ طَعَامِ ٱلْمِسْكِينِ
69:34 तो आज न उसका कोई ग़मख्वार है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:35 فَلَيْسَ لَهُ ٱلْيَوْمَ هَـٰهُنَا حَمِيمٌ
69:35 और न पीप के सिवा (उसके लिए) कुछ खाना है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:36 وَلَا طَعَامٌ إِلَّا مِنْ غِسْلِينٍ
69:36 जिसको गुनेहगारों के सिवा कोई नहीं खाएगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:37 لَّا يَأْكُلُهُۥٓ إِلَّا ٱلْخَـٰطِـُٔونَ
69:37 तो मुझे उन चीज़ों की क़सम है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:38 فَلَآ أُقْسِمُ بِمَا تُبْصِرُونَ
69:38 जो तुम्हें दिखाई देती हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:39 وَمَا لَا تُبْصِرُونَ
69:39 और जो तुम्हें नहीं सुझाई देती कि बेशक ये (क़ुरान) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:40 إِنَّهُۥ لَقَوْلُ رَسُولٍ كَرِيمٍ
69:40 एक मोअज़िज़ फरिश्ते का लाया हुआ पैग़ाम है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:41 وَمَا هُوَ بِقَوْلِ شَاعِرٍ ۚ قَلِيلًا مَّا تُؤْمِنُونَ
69:41 और ये किसी शायर की तुक बन्दी नहीं तुम लोग तो बहुत कम ईमान लाते हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:42 وَلَا بِقَوْلِ كَاهِنٍ ۚ قَلِيلًا مَّا تَذَكَّرُونَ
69:42 और न किसी काहिन की (ख्याली) बात है तुम लोग तो बहुत कम ग़ौर करते हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:43 تَنزِيلٌ مِّن رَّبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ
69:43 सारे जहाँन के परवरदिगार का नाज़िल किया हुआ (क़लाम) है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:44 وَلَوْ تَقَوَّلَ عَلَيْنَا بَعْضَ ٱلْأَقَاوِيلِ
69:44 अगर रसूल हमारी निस्बत कोई झूठ बात बना लाते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:45 لَأَخَذْنَا مِنْهُ بِٱلْيَمِينِ
69:45 तो हम उनका दाहिना हाथ पकड़ लेते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:46 ثُمَّ لَقَطَعْنَا مِنْهُ ٱلْوَتِينَ
69:46 फिर हम ज़रूर उनकी गर्दन उड़ा देते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:47 فَمَا مِنكُم مِّنْ أَحَدٍ عَنْهُ حَـٰجِزِينَ
69:47 तो तुममें से कोई उनसे (मुझे रोक न सकता) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:48 وَإِنَّهُۥ لَتَذْكِرَةٌ لِّلْمُتَّقِينَ
69:48 ये तो परहेज़गारों के लिए नसीहत है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:49 وَإِنَّا لَنَعْلَمُ أَنَّ مِنكُم مُّكَذِّبِينَ
69:49 और हम ख़ूब जानते हैं कि तुम में से कुछ लोग (इसके) झुठलाने वाले हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:50 وَإِنَّهُۥ لَحَسْرَةٌ عَلَى ٱلْكَـٰفِرِينَ
69:50 और इसमें शक़ नहीं कि ये काफ़िरों की हसरत का बाएस है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:51 وَإِنَّهُۥ لَحَقُّ ٱلْيَقِينِ
69:51 और इसमें शक़ नहीं कि ये यक़ीनन बरहक़ है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

69:52 فَسَبِّحْ بِٱسْمِ رَبِّكَ ٱلْعَظِيمِ
69:52 तो तुम अपने परवरदिगार की तसबीह करो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)