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Original Text
Suhel Khan and Saifur Nadwi
Abdullah Yusuf Ali
Abdul Majid Daryabadi
Abul Ala Maududi
Ahmed Ali
Ahmed Raza Khan
A. J. Arberry
Ali Quli Qarai
Hasan al-Fatih Qaribullah and Ahmad Darwish
Mohammad Habib Shakir
Mohammed Marmaduke William Pickthall
Muhammad Sarwar
Muhammad Taqi-ud-Din al-Hilali and Muhammad Muhsin Khan
Safi-ur-Rahman al-Mubarakpuri
Saheeh International
Talal Itani
Transliteration
Wahiduddin Khan
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
In the name of Allah, Most Gracious, Most Merciful.
15:1
الٓر ۚ تِلْكَ ءَايَـٰتُ ٱلْكِتَـٰبِ وَقُرْءَانٍ مُّبِينٍ
15:1
अलिफ़ लाम रा ये किताब (ख़ुदा) और वाजेए व रौशन क़ुरान की (चन्द) आयते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:2
رُّبَمَا يَوَدُّ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ لَوْ كَانُوا۟ مُسْلِمِينَ
15:2
(एक दिन वह भी आने वाला है कि) जो लोग काफ़िर हो बैठे हैं अक्सर दिल से चाहेंगें - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:3
ذَرْهُمْ يَأْكُلُوا۟ وَيَتَمَتَّعُوا۟ وَيُلْهِهِمُ ٱلْأَمَلُ ۖ فَسَوْفَ يَعْلَمُونَ
15:3
काश (हम भी) मुसलमान होते (ऐ रसूल) उन्हें उनकी हालत पर रहने दो कि खा पी लें और (दुनिया के चन्द रोज़) चैन कर लें और उनकी तमन्नाएँ उन्हें खेल तमाशे में लगाए रहीं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:4
وَمَآ أَهْلَكْنَا مِن قَرْيَةٍ إِلَّا وَلَهَا كِتَابٌ مَّعْلُومٌ
15:4
अनक़रीब ही (इसका नतीजा) उन्हें मालूम हो जाएगा और हमने कभी कोई बस्ती तबाह नहीं की मगर ये कि उसकी तबाही के लिए (पहले ही से) समझी बूझी मियाद मुक़र्रर लिखी हुई थी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:5
مَّا تَسْبِقُ مِنْ أُمَّةٍ أَجَلَهَا وَمَا يَسْتَـْٔخِرُونَ
15:5
कोई उम्मत अपने वक्त से न आगे बढ़ सकती है न पीछे हट सकती है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:6
وَقَالُوا۟ يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِى نُزِّلَ عَلَيْهِ ٱلذِّكْرُ إِنَّكَ لَمَجْنُونٌ
15:6
(ऐ रसूल कुफ्फ़ारे मक्का तुमसे) कहते हैं कि ऐ शख़्श (जिसको ये भरम है) कि उस पर 'वही' व किताब नाज़िल हुईहै तो (अच्छा ख़ासा) सिड़ी है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:7
لَّوْ مَا تَأْتِينَا بِٱلْمَلَـٰٓئِكَةِ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّـٰدِقِينَ
15:7
अगर तू अपने दावे में सच्चा है तो फरिश्तों को हमारे सामने क्यों नहीं ला खड़ा करता - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:8
مَا نُنَزِّلُ ٱلْمَلَـٰٓئِكَةَ إِلَّا بِٱلْحَقِّ وَمَا كَانُوٓا۟ إِذًا مُّنظَرِينَ
15:8
(हालॉकि) हम फरिश्तों को खुल्लम खुल्ला (जिस अज़ाब के साथ) फैसले ही के लिए भेजा करते हैं और (अगर फरिश्ते नाज़िल हो जाए तो) फिर उनको (जान बचाने की) मोहलत भी न मिले - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:9
إِنَّا نَحْنُ نَزَّلْنَا ٱلذِّكْرَ وَإِنَّا لَهُۥ لَحَـٰفِظُونَ
15:9
बेशक हम ही ने क़ुरान नाज़िल किया और हम ही तो उसके निगेहबान भी हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:10
وَلَقَدْ أَرْسَلْنَا مِن قَبْلِكَ فِى شِيَعِ ٱلْأَوَّلِينَ
15:10
(ऐ रसूल) हमने तो तुमसे पहले भी अगली उम्मतों में (और भी बहुत से) रसूल भेजे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:11
وَمَا يَأْتِيهِم مِّن رَّسُولٍ إِلَّا كَانُوا۟ بِهِۦ يَسْتَهْزِءُونَ
15:11
और (उनकी भी यही हालत थी कि) उनके पास कोई रसूल न आया मगर उन लोगों ने उसकी हँसी ज़रुर उड़ाई - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:12
كَذَٰلِكَ نَسْلُكُهُۥ فِى قُلُوبِ ٱلْمُجْرِمِينَ
15:12
हम (गोया खुद) इसी तरह इस (गुमराही) को (उन) गुनाहगारों के दिल में डाल देते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:13
لَا يُؤْمِنُونَ بِهِۦ ۖ وَقَدْ خَلَتْ سُنَّةُ ٱلْأَوَّلِينَ
15:13
ये कुफ्फ़ार इस (क़ुरान) पर ईमान न लाएँगें और (ये कुछ अनोखी बात नहीं) अगलों के तरीक़े भी (ऐसे ही) रहें है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:14
وَلَوْ فَتَحْنَا عَلَيْهِم بَابًا مِّنَ ٱلسَّمَآءِ فَظَلُّوا۟ فِيهِ يَعْرُجُونَ
15:14
और अगर हम अपनी कुदरत से आसमान का एक दरवाज़ा भी खोल दें और ये लोग दिन दहाड़े उस दरवाज़े से (आसमान पर) चढ़ भी जाएँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:15
لَقَالُوٓا۟ إِنَّمَا سُكِّرَتْ أَبْصَـٰرُنَا بَلْ نَحْنُ قَوْمٌ مَّسْحُورُونَ
15:15
तब भी यहीं कहेगें कि हो न हो हमारी ऑंखें (नज़र बन्दी से) मतवाली कर दी गई हैं या नहीं तो हम लोगों पर जादू किया गया है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:16
وَلَقَدْ جَعَلْنَا فِى ٱلسَّمَآءِ بُرُوجًا وَزَيَّنَّـٰهَا لِلنَّـٰظِرِينَ
15:16
और हम ही ने आसमान में बुर्ज बनाए और देखने वालों के वास्ते उनके (सितारों से) आरास्ता (सजाया) किया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:17
وَحَفِظْنَـٰهَا مِن كُلِّ شَيْطَـٰنٍ رَّجِيمٍ
15:17
और हर शैतान मरदूद की आमद रफत (आने जाने) से उन्हें महफूज़ रखा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:18
إِلَّا مَنِ ٱسْتَرَقَ ٱلسَّمْعَ فَأَتْبَعَهُۥ شِهَابٌ مُّبِينٌ
15:18
मगर जो शैतान चोरी छिपे (वहाँ की किसी बात पर) कान लगाए तो यहाब का दहकता हुआ योला उसके (खदेड़ने को) पीछे पड़ जाता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:19
وَٱلْأَرْضَ مَدَدْنَـٰهَا وَأَلْقَيْنَا فِيهَا رَوَٰسِىَ وَأَنۢبَتْنَا فِيهَا مِن كُلِّ شَىْءٍ مَّوْزُونٍ
15:19
और ज़मीन को (भी अपने मख़लूक़ात के रहने सहने को) हम ही ने फैलाया और इसमें (कील की तरह) पहाड़ो के लंगर डाल दिए और हमने उसमें हर किस्म की मुनासिब चीज़े उगाई - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:20
وَجَعَلْنَا لَكُمْ فِيهَا مَعَـٰيِشَ وَمَن لَّسْتُمْ لَهُۥ بِرَٰزِقِينَ
15:20
और हम ही ने उन्हें तुम्हारे वास्ते ज़िन्दगी के साज़ों सामान बना दिए और उन जानवरों के लिए भी जिन्हें तुम रोज़ी नहीं देते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:21
وَإِن مِّن شَىْءٍ إِلَّا عِندَنَا خَزَآئِنُهُۥ وَمَا نُنَزِّلُهُۥٓ إِلَّا بِقَدَرٍ مَّعْلُومٍ
15:21
और हमारे यहाँ तो हर चीज़ के बेशुमार खज़ाने (भरे) पड़े हैं और हम (उसमें से) एक जची तली मिक़दार भेजते रहते है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:22
وَأَرْسَلْنَا ٱلرِّيَـٰحَ لَوَٰقِحَ فَأَنزَلْنَا مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءً فَأَسْقَيْنَـٰكُمُوهُ وَمَآ أَنتُمْ لَهُۥ بِخَـٰزِنِينَ
15:22
और हम ही ने वह हवाएँ भेजी जो बादलों को पानी से (भरे हुए) है फिर हम ही ने आसमान से पानी बरसाया फिर हम ही ने तुम लोगों को वह पानी पिलाया और तुम लोगों ने तो कुछ उसको जमा करके नहीं रखा था - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:23
وَإِنَّا لَنَحْنُ نُحْىِۦ وَنُمِيتُ وَنَحْنُ ٱلْوَٰرِثُونَ
15:23
और इसमें शक़ नहीं कि हम ही (लोगों को) जिलाते और हम ही मार डालते हैं और (फिर) हम ही (सब के) वाली वारिस हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:24
وَلَقَدْ عَلِمْنَا ٱلْمُسْتَقْدِمِينَ مِنكُمْ وَلَقَدْ عَلِمْنَا ٱلْمُسْتَـْٔخِرِينَ
15:24
और बेशक हम ही ने तुममें से उन लोगों को भी अच्छी तरह समझ लिया जो पहले हो गुज़रे और हमने उनको भी जान लिया जो बाद को आने वाले हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:25
وَإِنَّ رَبَّكَ هُوَ يَحْشُرُهُمْ ۚ إِنَّهُۥ حَكِيمٌ عَلِيمٌ
15:25
और इसमें शक़ नहीं कि तेरा परवरदिगार वही है जो उन सब को (क़यामत में कब्रों से) उठाएगा बेशक वह हिक़मत वाला वाक़िफकार है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:26
وَلَقَدْ خَلَقْنَا ٱلْإِنسَـٰنَ مِن صَلْصَـٰلٍ مِّنْ حَمَإٍ مَّسْنُونٍ
15:26
और बेशक हम ही ने आदमी को ख़मीर (गुंधी) दी हुईसड़ी मिट्टी से जो (सूखकर) खन खन बोलने लगे पैदा किया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:27
وَٱلْجَآنَّ خَلَقْنَـٰهُ مِن قَبْلُ مِن نَّارِ ٱلسَّمُومِ
15:27
और हम ही ने जिन्नात को आदमी से (भी) पहले वे धुएँ की तेज़ आग से पैदा किया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:28
وَإِذْ قَالَ رَبُّكَ لِلْمَلَـٰٓئِكَةِ إِنِّى خَـٰلِقٌۢ بَشَرًا مِّن صَلْصَـٰلٍ مِّنْ حَمَإٍ مَّسْنُونٍ
15:28
और (ऐ रसूल वह वक्त याद करो) जब तुम्हारे परवरदिगार ने फरिश्तों से कहा कि मैं एक आदमी को खमीर दी हुई मिट्टी से (जो सूखकर) खन खन बोलने लगे पैदा करने वाला हूँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:29
فَإِذَا سَوَّيْتُهُۥ وَنَفَخْتُ فِيهِ مِن رُّوحِى فَقَعُوا۟ لَهُۥ سَـٰجِدِينَ
15:29
तो जिस वक्त मै उसको हर तरह से दुरुस्त कर चुके और उसमें अपनी (तरफ से) रुह फूँक दूँ तो सब के सब उसके सामने सजदे में गिर पड़ना - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:30
فَسَجَدَ ٱلْمَلَـٰٓئِكَةُ كُلُّهُمْ أَجْمَعُونَ
15:30
ग़रज़ फरिश्ते तो सब के सब सर ब सजूद हो गए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:31
إِلَّآ إِبْلِيسَ أَبَىٰٓ أَن يَكُونَ مَعَ ٱلسَّـٰجِدِينَ
15:31
मगर इबलीस (मलऊन) की उसने सजदा करने वालों के साथ शामिल होने से इन्कार किया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:32
قَالَ يَـٰٓإِبْلِيسُ مَا لَكَ أَلَّا تَكُونَ مَعَ ٱلسَّـٰجِدِينَ
15:32
(इस पर ख़ुदा ने) फरमाया आओ शैतान आख़िर तुझे क्या हुआ कि तू सजदा करने वालों के साथ शामिल न हुआ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:33
قَالَ لَمْ أَكُن لِّأَسْجُدَ لِبَشَرٍ خَلَقْتَهُۥ مِن صَلْصَـٰلٍ مِّنْ حَمَإٍ مَّسْنُونٍ
15:33
वह (ढिठाई से) कहने लगा मैं ऐसा गया गुज़रा तो हूँ नहीं कि ऐसे आदमी को सजदा कर बैठूँ जिसे तूने सड़ी हुई खन खन बोलने वाली मिट्टी से पैदा किया है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:34
قَالَ فَٱخْرُجْ مِنْهَا فَإِنَّكَ رَجِيمٌ
15:34
ख़ुदा ने फरमाया (नहीं तू) तो बेहश्त से निकल जा (दूर हो) कि बेशक तू मरदूद है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:35
وَإِنَّ عَلَيْكَ ٱللَّعْنَةَ إِلَىٰ يَوْمِ ٱلدِّينِ
15:35
और यक़ीनन तुझ पर रोज़े में जज़ा तक फिटकार बरसा करेगी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:36
قَالَ رَبِّ فَأَنظِرْنِىٓ إِلَىٰ يَوْمِ يُبْعَثُونَ
15:36
शैतान ने कहा ऐ मेरे परवरदिगार ख़ैर तू मुझे उस दिन तक की मोहलत दे जबकि (लोग दोबारा ज़िन्दा करके) उठाए जाएँगें - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:37
قَالَ فَإِنَّكَ مِنَ ٱلْمُنظَرِينَ
15:37
ख़ुदा ने फरमाया वक्त मुक़र्रर - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:38
إِلَىٰ يَوْمِ ٱلْوَقْتِ ٱلْمَعْلُومِ
15:38
के दिन तक तुझे मोहलत दी गई - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:39
قَالَ رَبِّ بِمَآ أَغْوَيْتَنِى لَأُزَيِّنَنَّ لَهُمْ فِى ٱلْأَرْضِ وَلَأُغْوِيَنَّهُمْ أَجْمَعِينَ
15:39
उन शैतान ने कहा ऐ मेरे परवरदिगार चूंकि तूने मुझे रास्ते से अलग किया मैं भी उनके लिए दुनिया में (साज़ व सामान को) उम्दा कर दिखाऊँगा और सबको ज़रुर बहकाऊगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:40
إِلَّا عِبَادَكَ مِنْهُمُ ٱلْمُخْلَصِينَ
15:40
मगर उनमें से तेरे निरे खुरे ख़ास बन्दे (कि वह मेरे बहकाने में न आएँगें) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:41
قَالَ هَـٰذَا صِرَٰطٌ عَلَىَّ مُسْتَقِيمٌ
15:41
ख़ुदा ने फरमाया कि यही राह सीधी है कि मुझ तक (पहुँचती) है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:42
إِنَّ عِبَادِى لَيْسَ لَكَ عَلَيْهِمْ سُلْطَـٰنٌ إِلَّا مَنِ ٱتَّبَعَكَ مِنَ ٱلْغَاوِينَ
15:42
जो मेरे मुख़लिस (ख़ास बन्दे) बन्दे हैं उन पर तुझसे किसी तरह की हुकूमत न होगी मगर हाँ गुमराहों में से जो तेरी पैरवी करे (उस पर तेरा वार चल जाएगा) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:43
وَإِنَّ جَهَنَّمَ لَمَوْعِدُهُمْ أَجْمَعِينَ
15:43
और हाँ ये भी याद रहे कि उन सब के वास्ते (आख़िरी) वायदा बस जहन्न ुम है जिसके सात दरवाजे होगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:44
لَهَا سَبْعَةُ أَبْوَٰبٍ لِّكُلِّ بَابٍ مِّنْهُمْ جُزْءٌ مَّقْسُومٌ
15:44
हर (दरवाज़े में जाने) के लिए उन गुमराहों की अलग अलग टोलियाँ होगीं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:45
إِنَّ ٱلْمُتَّقِينَ فِى جَنَّـٰتٍ وَعُيُونٍ
15:45
और परहेज़गार तो बेहश्त के बाग़ों और चश्मों मे यक़ीनन होंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:46
ٱدْخُلُوهَا بِسَلَـٰمٍ ءَامِنِينَ
15:46
(दाख़िले के वक्त फ़रिश्ते कहेगें कि) उनमें सलामती इत्मिनान से चले चलो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:47
وَنَزَعْنَا مَا فِى صُدُورِهِم مِّنْ غِلٍّ إِخْوَٰنًا عَلَىٰ سُرُرٍ مُّتَقَـٰبِلِينَ
15:47
और (दुनिया की तकलीफों से) जो कुछ उनके दिल में रंज था उसको भी हम निकाल देगें और ये बाहम एक दूसरे के आमने सामने तख्तों पर इस तरह बैठे होगें जैसे भाई भाई - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:48
لَا يَمَسُّهُمْ فِيهَا نَصَبٌ وَمَا هُم مِّنْهَا بِمُخْرَجِينَ
15:48
उनको बेहश्त में तकलीफ छुएगी भी तो नहीं और न कभी उसमें से निकाले जाएँगें - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:49
۞ نَبِّئْ عِبَادِىٓ أَنِّىٓ أَنَا ٱلْغَفُورُ ٱلرَّحِيمُ
15:49
(ऐ रसूल) मेरे बन्दों को आगाह करो कि बेशक मै बड़ा बख्शने वाला मेहरबान हूँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:50
وَأَنَّ عَذَابِى هُوَ ٱلْعَذَابُ ٱلْأَلِيمُ
15:50
मगर साथ ही इसके (ये भी याद रहे कि) बेशक मेरा अज़ाब भी बड़ा दर्दनाक अज़ाब है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:51
وَنَبِّئْهُمْ عَن ضَيْفِ إِبْرَٰهِيمَ
15:51
और उनको इबराहीम के मेहमान का हाल सुना दो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:52
إِذْ دَخَلُوا۟ عَلَيْهِ فَقَالُوا۟ سَلَـٰمًا قَالَ إِنَّا مِنكُمْ وَجِلُونَ
15:52
कि जब ये इबराहीम के पास आए तो (पहले) उन्होंने सलाम किया इबराहीम ने (जवाब सलाम के बाद) कहा हमको तो तुम से डर मालूम होता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:53
قَالُوا۟ لَا تَوْجَلْ إِنَّا نُبَشِّرُكَ بِغُلَـٰمٍ عَلِيمٍ
15:53
उन्होंने कहा आप मुत्तालिक़ ख़ौफ न कीजिए (क्योंकि) हम तो आप को एक (दाना व बीना) फरज़न्द (के पैदाइश) की खुशख़बरी देते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:54
قَالَ أَبَشَّرْتُمُونِى عَلَىٰٓ أَن مَّسَّنِىَ ٱلْكِبَرُ فَبِمَ تُبَشِّرُونَ
15:54
इब्राहिम ने कहा क्या मुझे ख़ुशख़बरी (बेटा होने की) देते हो जब मुझे बुढ़ापा छा गया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:55
قَالُوا۟ بَشَّرْنَـٰكَ بِٱلْحَقِّ فَلَا تَكُن مِّنَ ٱلْقَـٰنِطِينَ
15:55
तो फिर अब काहे की खुशख़बरी देते हो वह फरिश्ते बोले हमने आप को बिल्कुल ठीक खुशख़बरी दी है तो आप (बारगाह ख़ुदा बन्दी से) ना उम्मीद न हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:56
قَالَ وَمَن يَقْنَطُ مِن رَّحْمَةِ رَبِّهِۦٓ إِلَّا ٱلضَّآلُّونَ
15:56
इबराहीम ने कहा गुमराहों के सिवा और ऐसा कौन है जो अपने परवरदिगार की रहमत से ना उम्मीद हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:57
قَالَ فَمَا خَطْبُكُمْ أَيُّهَا ٱلْمُرْسَلُونَ
15:57
(फिर) इबराहीम ने कहा ऐ (ख़ुदा के) भेजे हुए (फरिश्तों) तुम्हें आख़िर क्या मुहिम दर पेश है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:58
قَالُوٓا۟ إِنَّآ أُرْسِلْنَآ إِلَىٰ قَوْمٍ مُّجْرِمِينَ
15:58
उन्होंने कहा कि हम तो एक गुनाहगार क़ौम की तरफ (अज़ाब नाज़िल करने के लिए) भेजे गए हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:59
إِلَّآ ءَالَ لُوطٍ إِنَّا لَمُنَجُّوهُمْ أَجْمَعِينَ
15:59
मगर लूत के लड़के वाले कि हम उन सबको ज़रुर बचा लेगें मगर उनकी बीबी जिसे हमने ताक लिया है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:60
إِلَّا ٱمْرَأَتَهُۥ قَدَّرْنَآ ۙ إِنَّهَا لَمِنَ ٱلْغَـٰبِرِينَ
15:60
कि वह ज़रुर (अपने लड़के बालों के) पीछे (अज़ाब में) रह जाएगी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:61
فَلَمَّا جَآءَ ءَالَ لُوطٍ ٱلْمُرْسَلُونَ
15:61
ग़रज़ जब (ख़ुदा के) भेजे हुए (फरिश्ते) लूत के बाल बच्चों के पास आए तो लूत ने कहा कि तुम तो (कुछ) अजनबी लोग (मालूम होते हो) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:62
قَالَ إِنَّكُمْ قَوْمٌ مُّنكَرُونَ
15:62
फरिश्तों ने कहा (नहीं) बल्कि हम तो आपके पास वह (अज़ाब) लेकर आए हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:63
قَالُوا۟ بَلْ جِئْنَـٰكَ بِمَا كَانُوا۟ فِيهِ يَمْتَرُونَ
15:63
जिसके बारे में आपकी क़ौम के लोग शक़ रखते थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:64
وَأَتَيْنَـٰكَ بِٱلْحَقِّ وَإِنَّا لَصَـٰدِقُونَ
15:64
(कि आए न आए) और हम आप के पास (अज़ाब का) कलई (सही) हुक्म लेकर आए हैं और हम बिल्कुल सच कहते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:65
فَأَسْرِ بِأَهْلِكَ بِقِطْعٍ مِّنَ ٱلَّيْلِ وَٱتَّبِعْ أَدْبَـٰرَهُمْ وَلَا يَلْتَفِتْ مِنكُمْ أَحَدٌ وَٱمْضُوا۟ حَيْثُ تُؤْمَرُونَ
15:65
बस तो आप कुछ रात रहे अपने लड़के बालों को लेकर निकल जाइए और आप सब के सब पीछे रहिएगा और उन लोगों में से कोई मुड़कर पीछे न देखे और जिधर (जाने) का हुक्म दिया गया है (शाम) उधर (सीधे) चले जाओ और हमने लूत के पास इस अम्र का क़तई फैसला कहला भेजा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:66
وَقَضَيْنَآ إِلَيْهِ ذَٰلِكَ ٱلْأَمْرَ أَنَّ دَابِرَ هَـٰٓؤُلَآءِ مَقْطُوعٌ مُّصْبِحِينَ
15:66
कि बस सुबह होते होते उन लोगों की जड़ काट डाली जाएगी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:67
وَجَآءَ أَهْلُ ٱلْمَدِينَةِ يَسْتَبْشِرُونَ
15:67
और (ये बात हो रही थीं कि) शहर के लोग (मेहमानों की ख़बर सुन कर बुरी नीयत से) खुशियाँ मनाते हुए आ पहुँचे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:68
قَالَ إِنَّ هَـٰٓؤُلَآءِ ضَيْفِى فَلَا تَفْضَحُونِ
15:68
लूत ने (उनसे कहा) कि ये लोग मेरे मेहमान है तो तुम (इन्हें सताकर) मुझे रुसवा बदनाम न करो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:69
وَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَلَا تُخْزُونِ
15:69
और ख़ुदा से डरो और मुझे ज़लील न करो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:70
قَالُوٓا۟ أَوَلَمْ نَنْهَكَ عَنِ ٱلْعَـٰلَمِينَ
15:70
वह लोग कहने लगे क्यों जी हमने तुम को सारे जहाँन के लोगों (के आने) की मनाही नहीं कर दी थी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:71
قَالَ هَـٰٓؤُلَآءِ بَنَاتِىٓ إِن كُنتُمْ فَـٰعِلِينَ
15:71
लूत ने कहा अगर तुमको (ऐसा ही) करना है तो ये मेरी क़ौम की बेटियाँ मौजूद हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:72
لَعَمْرُكَ إِنَّهُمْ لَفِى سَكْرَتِهِمْ يَعْمَهُونَ
15:72
(इनसे निकाह कर लो) ऐ रसूल तुम्हारी जान की कसम ये लोग (क़ौम लूत) अपनी मस्ती में मदहोश हो रहे थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:73
فَأَخَذَتْهُمُ ٱلصَّيْحَةُ مُشْرِقِينَ
15:73
(लूत की सुनते काहे को) ग़रज़ सूरज निकलते निकलते उनको (बड़े ज़ोरो की) चिघाड़ न ले डाला - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:74
فَجَعَلْنَا عَـٰلِيَهَا سَافِلَهَا وَأَمْطَرْنَا عَلَيْهِمْ حِجَارَةً مِّن سِجِّيلٍ
15:74
फिर हमने उसी बस्ती को उलट कर उसके ऊपर के तबके क़ो नीचे का तबक़ा बना दिया और उसके ऊपर उन पर खरन्जे के पत्थर बरसा दिए इसमें शक़ नहीं कि इसमें (असली बात के) ताड़ जाने वालों के लिए (कुदरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:75
إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَـٰتٍ لِّلْمُتَوَسِّمِينَ
15:75
और वह उलटी हुई बस्ती हमेशा (की आमदरफ्त) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:76
وَإِنَّهَا لَبِسَبِيلٍ مُّقِيمٍ
15:76
के रास्ते पर है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:77
إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَةً لِّلْمُؤْمِنِينَ
15:77
इसमें तो शक हीं नहीं कि इसमें ईमानदारों के वास्ते (कुदरते ख़ुदा की) बहुत बड़ी निशानी है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:78
وَإِن كَانَ أَصْحَـٰبُ ٱلْأَيْكَةِ لَظَـٰلِمِينَ
15:78
और एैका के रहने वाले (क़ौमे शुएब की तरह बड़े सरकश थे) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:79
فَٱنتَقَمْنَا مِنْهُمْ وَإِنَّهُمَا لَبِإِمَامٍ مُّبِينٍ
15:79
तो उन से भी हमने (नाफरमानी का) बदला लिया और ये दो बस्तियाँ (क़ौमे लूत व शुएब की) एक खुली हुई यह राह पर (अभी तक मौजूद) हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:80
وَلَقَدْ كَذَّبَ أَصْحَـٰبُ ٱلْحِجْرِ ٱلْمُرْسَلِينَ
15:80
और इसी तरह हिज्र के रहने वालों (क़ौम सालेह ने भी) पैग़म्बरों को झुठलाया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:81
وَءَاتَيْنَـٰهُمْ ءَايَـٰتِنَا فَكَانُوا۟ عَنْهَا مُعْرِضِينَ
15:81
और (बावजूद कि) हमने उन्हें अपनी निशानियाँ दी उस पर भी वह लोग उनसे रद गिरदानी करते रहे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:82
وَكَانُوا۟ يَنْحِتُونَ مِنَ ٱلْجِبَالِ بُيُوتًا ءَامِنِينَ
15:82
और बहुत दिल जोई से पहाड़ों को तराश कर घर बनाते रहे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:83
فَأَخَذَتْهُمُ ٱلصَّيْحَةُ مُصْبِحِينَ
15:83
आख़िर उनके सुबह होते होते एक बड़ी (जोरों की) चिंघाड़ ने ले डाला - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:84
فَمَآ أَغْنَىٰ عَنْهُم مَّا كَانُوا۟ يَكْسِبُونَ
15:84
फिर जो कुछ वह अपनी हिफाज़त की तदबीर किया करते थे (अज़ाब ख़ुदा से बचाने में) कि कुछ भी काम न आयीं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:85
وَمَا خَلَقْنَا ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ وَمَا بَيْنَهُمَآ إِلَّا بِٱلْحَقِّ ۗ وَإِنَّ ٱلسَّاعَةَ لَـَٔاتِيَةٌ ۖ فَٱصْفَحِ ٱلصَّفْحَ ٱلْجَمِيلَ
15:85
और हमने आसमानों और ज़मीन को और जो कुछ उन दोनों के दरमियान में है हिकमत व मसलहत से पैदा किया है और क़यामत यक़ीनन ज़रुर आने वाली है तो तुम (ऐ रसूल) उन काफिरों से शाइस्ता उनवान (अच्छे बरताव) के साथ दर गुज़र करो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:86
إِنَّ رَبَّكَ هُوَ ٱلْخَلَّـٰقُ ٱلْعَلِيمُ
15:86
इसमें शक़ नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार बड़ा पैदा करने वाला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:87
وَلَقَدْ ءَاتَيْنَـٰكَ سَبْعًا مِّنَ ٱلْمَثَانِى وَٱلْقُرْءَانَ ٱلْعَظِيمَ
15:87
(बड़ा दाना व बीना है) और हमने तुमको सबए मसानी (सूरे हम्द) और क़ुरान अज़ीम अता किया है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:88
لَا تَمُدَّنَّ عَيْنَيْكَ إِلَىٰ مَا مَتَّعْنَا بِهِۦٓ أَزْوَٰجًا مِّنْهُمْ وَلَا تَحْزَنْ عَلَيْهِمْ وَٱخْفِضْ جَنَاحَكَ لِلْمُؤْمِنِينَ
15:88
और हमने जो उन कुफ्फारों में से कुछ लोगों को (दुनिया की) माल व दौलत से निहाल कर दिया है तुम उसकी तरफ हरगिज़ नज़र भी न उठाना और न उनकी (बेदीनी) पर कुछ अफसोस करना और ईमानदारों से (अगरचे ग़रीब हो) झुककर मिला करो और कहा दो कि मै तो (अज़ाबे ख़ुदा से) सरीही तौर से डराने वाला हूँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:89
وَقُلْ إِنِّىٓ أَنَا ٱلنَّذِيرُ ٱلْمُبِينُ
15:89
(ऐ रसूल) उन कुफ्फारों पर इस तरह अज़ाब नाज़िल करेगें जिस तरह हमने उन लोगों पर नाज़िल किया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:90
كَمَآ أَنزَلْنَا عَلَى ٱلْمُقْتَسِمِينَ
15:90
जिन्होंने क़ुरान को बॉट कर टुकडे टुकड़े कर डाला - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:91
ٱلَّذِينَ جَعَلُوا۟ ٱلْقُرْءَانَ عِضِينَ
15:91
(बाज़ को माना बाज को नहीं) तो ऐ रसूल तुम्हारे ही परवरदिगार की (अपनी) क़सम - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:92
فَوَرَبِّكَ لَنَسْـَٔلَنَّهُمْ أَجْمَعِينَ
15:92
कि हम उनसे जो कुछ ये (दुनिया में) किया करते थे (बहुत सख्ती से) ज़रुर बाज़ पुर्स (पुछताछ) करेंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:93
عَمَّا كَانُوا۟ يَعْمَلُونَ
15:93
पस जिसका तुम्हें हुक्म दिया गया है उसे वाजेए करके सुना दो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:94
فَٱصْدَعْ بِمَا تُؤْمَرُ وَأَعْرِضْ عَنِ ٱلْمُشْرِكِينَ
15:94
और मुशरेकीन की तरफ से मुँह फेर लो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:95
إِنَّا كَفَيْنَـٰكَ ٱلْمُسْتَهْزِءِينَ
15:95
जो लोग तुम्हारी हँसी उड़ाते है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:96
ٱلَّذِينَ يَجْعَلُونَ مَعَ ٱللَّهِ إِلَـٰهًا ءَاخَرَ ۚ فَسَوْفَ يَعْلَمُونَ
15:96
और ख़ुदा के साथ दूसरे परवरदिगार को (शरीक) ठहराते हैं हम तुम्हारी तरफ से उनके लिए काफी हैं तो अनक़रीब ही उन्हें मालूम हो जाएगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:97
وَلَقَدْ نَعْلَمُ أَنَّكَ يَضِيقُ صَدْرُكَ بِمَا يَقُولُونَ
15:97
कि तुम जो इन (कुफ्फारों मुनाफिक़ीन) की बातों से दिल तंग होते हो उसको हम ज़रुर जानते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:98
فَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ وَكُن مِّنَ ٱلسَّـٰجِدِينَ
15:98
तो तुम अपने परवरदिगार की हम्दो सना से उसकी तस्बीह करो और (उसकी बारगाह में) सजदा करने वालों में हो जाओ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
15:99
وَٱعْبُدْ رَبَّكَ حَتَّىٰ يَأْتِيَكَ ٱلْيَقِينُ
15:99
और जब तक तुम्हारे पास मौत आए अपने परवरदिगार की इबादत में लगे रहो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)