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Original Text
Suhel Khan and Saifur Nadwi
Abdullah Yusuf Ali
Abdul Majid Daryabadi
Abul Ala Maududi
Ahmed Ali
Ahmed Raza Khan
A. J. Arberry
Ali Quli Qarai
Hasan al-Fatih Qaribullah and Ahmad Darwish
Mohammad Habib Shakir
Mohammed Marmaduke William Pickthall
Muhammad Sarwar
Muhammad Taqi-ud-Din al-Hilali and Muhammad Muhsin Khan
Safi-ur-Rahman al-Mubarakpuri
Saheeh International
Talal Itani
Transliteration
Wahiduddin Khan
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
In the name of Allah, Most Gracious, Most Merciful.
3:1
الٓمٓ
3:1
अलिफ़ लाम मीम - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:2
ٱللَّهُ لَآ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ ٱلْحَىُّ ٱلْقَيُّومُ
3:2
अल्लाह ही वह (ख़ुदा) है जिसके सिवा कोई क़ाबिले परस्तिश नहीं है वही ज़िन्दा (और) सारे जहान का सॅभालने वाला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:3
نَزَّلَ عَلَيْكَ ٱلْكِتَـٰبَ بِٱلْحَقِّ مُصَدِّقًا لِّمَا بَيْنَ يَدَيْهِ وَأَنزَلَ ٱلتَّوْرَىٰةَ وَٱلْإِنجِيلَ
3:3
(ऐ रसूल) उसी ने तुम पर बरहक़ किताब नाज़िल की जो (आसमानी किताबें पहले से) उसके सामने मौजूद हैं उनकी तसदीक़ करती है और उसी ने उससे पहले लोगों की हिदायत के वास्ते तौरेत व इन्जील नाज़िल की - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:4
مِن قَبْلُ هُدًى لِّلنَّاسِ وَأَنزَلَ ٱلْفُرْقَانَ ۗ إِنَّ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ بِـَٔايَـٰتِ ٱللَّهِ لَهُمْ عَذَابٌ شَدِيدٌ ۗ وَٱللَّهُ عَزِيزٌ ذُو ٱنتِقَامٍ
3:4
और हक़ व बातिल में तमीज़ देने वाली किताब (कुरान) नाज़िल की बेशक जिन लोगों ने ख़ुदा की आयतों को न माना उनके लिए सख्त अज़ाब है और ख़ुदा हर चीज़ पर ग़ालिब बदला लेने वाला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:5
إِنَّ ٱللَّهَ لَا يَخْفَىٰ عَلَيْهِ شَىْءٌ فِى ٱلْأَرْضِ وَلَا فِى ٱلسَّمَآءِ
3:5
बेशक ख़ुदा पर कोई चीज़ पोशीदा नहीं है (न) ज़मीन में न आसमान में - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:6
هُوَ ٱلَّذِى يُصَوِّرُكُمْ فِى ٱلْأَرْحَامِ كَيْفَ يَشَآءُ ۚ لَآ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلْحَكِيمُ
3:6
वही तो वह ख़ुदा है जो माँ के पेट में तुम्हारी सूरत जैसी चाहता है बनाता हे उसके सिवा कोई माबूद नहीं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:7
هُوَ ٱلَّذِىٓ أَنزَلَ عَلَيْكَ ٱلْكِتَـٰبَ مِنْهُ ءَايَـٰتٌ مُّحْكَمَـٰتٌ هُنَّ أُمُّ ٱلْكِتَـٰبِ وَأُخَرُ مُتَشَـٰبِهَـٰتٌ ۖ فَأَمَّا ٱلَّذِينَ فِى قُلُوبِهِمْ زَيْغٌ فَيَتَّبِعُونَ مَا تَشَـٰبَهَ مِنْهُ ٱبْتِغَآءَ ٱلْفِتْنَةِ وَٱبْتِغَآءَ تَأْوِيلِهِۦ ۗ وَمَا يَعْلَمُ تَأْوِيلَهُۥٓ إِلَّا ٱللَّهُ ۗ وَٱلرَّٰسِخُونَ فِى ٱلْعِلْمِ يَقُولُونَ ءَامَنَّا بِهِۦ كُلٌّ مِّنْ عِندِ رَبِّنَا ۗ وَمَا يَذَّكَّرُ إِلَّآ أُو۟لُوا۟ ٱلْأَلْبَـٰبِ
3:7
वही (हर चीज़ पर) ग़ालिब और दाना है (ए रसूल) वही (वह ख़ुदा) है जिसने तुमपर किताब नाज़िल की उसमें की बाज़ आयतें तो मोहकम (बहुत सरीह) हैं वही (अमल करने के लिए) असल (व बुनियाद) किताब है और कुछ (आयतें) मुतशाबेह (मिलती जुलती) (गोल गोल जिसके मायने में से पहलू निकल सकते हैं) पस जिन लोगों के दिलों में कज़ी है वह उन्हीं आयतों के पीछे पड़े रहते हैं जो मुतशाबेह हैं ताकि फ़साद बरपा करें और इस ख्याल से कि उन्हें मतलब पर ढाले लें हालाँकि ख़ुदा और उन लोगों के सिवा जो इल्म से बड़े पाए पर फ़ायज़ हैं उनका असली मतलब कोई नहीं जानता वह लोग (ये भी) कहते हैं कि हम उस पर ईमान लाए (यह) सब (मोहकम हो या मुतशाबेह) हमारे परवरदिगार की तरफ़ से है और अक्ल वाले ही समझते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:8
رَبَّنَا لَا تُزِغْ قُلُوبَنَا بَعْدَ إِذْ هَدَيْتَنَا وَهَبْ لَنَا مِن لَّدُنكَ رَحْمَةً ۚ إِنَّكَ أَنتَ ٱلْوَهَّابُ
3:8
(और दुआ करते हैं) ऐ हमारे पालने वाले हमारे दिल को हिदायत करने के बाद डॉवाडोल न कर और अपनी बारगाह से हमें रहमत अता फ़रमा इसमें तो शक ही नहीं कि तू बड़ा देने वाला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:9
رَبَّنَآ إِنَّكَ جَامِعُ ٱلنَّاسِ لِيَوْمٍ لَّا رَيْبَ فِيهِ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ لَا يُخْلِفُ ٱلْمِيعَادَ
3:9
ऐ हमारे परवरदिगार बेशक तू एक न एक दिन जिसके आने में शुबह नहीं लोगों को इक्ट्ठा करेगा (तो हम पर नज़रे इनायत रहे) बेशक ख़ुदा अपने वायदे के ख़िलाफ़ नहीं करता - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:10
إِنَّ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ لَن تُغْنِىَ عَنْهُمْ أَمْوَٰلُهُمْ وَلَآ أَوْلَـٰدُهُم مِّنَ ٱللَّهِ شَيْـًٔا ۖ وَأُو۟لَـٰٓئِكَ هُمْ وَقُودُ ٱلنَّارِ
3:10
बेशक जिन लोगों ने कुफ्र किया इख्तेयार किया उनको ख़ुदा (के अज़ाब) से न उनके माल ही कुछ बचाएंगे, न उनकी औलाद (कुछ काम आएगी) और यही लोग जहन्नुम के ईधन होंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:11
كَدَأْبِ ءَالِ فِرْعَوْنَ وَٱلَّذِينَ مِن قَبْلِهِمْ ۚ كَذَّبُوا۟ بِـَٔايَـٰتِنَا فَأَخَذَهُمُ ٱللَّهُ بِذُنُوبِهِمْ ۗ وَٱللَّهُ شَدِيدُ ٱلْعِقَابِ
3:11
(उनकी भी) क़ौमे फ़िरऔन और उनसे पहले वालों की सी हालत है कि उन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया तो खुदा ने उन्हें उनके गुनाहों की पादाश (सज़ा) में ले डाला और ख़ुदा सख्त सज़ा देने वाला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:12
قُل لِّلَّذِينَ كَفَرُوا۟ سَتُغْلَبُونَ وَتُحْشَرُونَ إِلَىٰ جَهَنَّمَ ۚ وَبِئْسَ ٱلْمِهَادُ
3:12
(ऐ रसूल) जिन लोगों ने कुफ़्र इख्तेयार किया उनसे कह दो कि बहुत जल्द तुम (मुसलमानो के मुक़ाबले में) मग़लूब (हारे हुए) होंगे और जहन्नुम में इकट्ठे किये जाओगे और वह (क्या) बुरा ठिकाना है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:13
قَدْ كَانَ لَكُمْ ءَايَةٌ فِى فِئَتَيْنِ ٱلْتَقَتَا ۖ فِئَةٌ تُقَـٰتِلُ فِى سَبِيلِ ٱللَّهِ وَأُخْرَىٰ كَافِرَةٌ يَرَوْنَهُم مِّثْلَيْهِمْ رَأْىَ ٱلْعَيْنِ ۚ وَٱللَّهُ يُؤَيِّدُ بِنَصْرِهِۦ مَن يَشَآءُ ۗ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَعِبْرَةً لِّأُو۟لِى ٱلْأَبْصَـٰرِ
3:13
बेशक तुम्हारे (समझाने के) वास्ते उन दो (मुख़ालिफ़ गिरोहों में जो (बद्र की लड़ाई में) एक दूसरे के साथ गुथ गए (रसूल की सच्चाई की) बड़ी भारी निशानी है कि एक गिरोह ख़ुदा की राह में जेहाद करता था और दूसरा काफ़िरों का जिनको मुसलमान अपनी ऑख से दुगना देख रहे थे (मगर ख़ुदा ने क़लील ही को फ़तह दी) और ख़ुदा अपनी मदद से जिस की चाहता है ताईद करता है बेशक ऑख वालों के वास्ते इस वाक़ये में बड़ी इबरत है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:14
زُيِّنَ لِلنَّاسِ حُبُّ ٱلشَّهَوَٰتِ مِنَ ٱلنِّسَآءِ وَٱلْبَنِينَ وَٱلْقَنَـٰطِيرِ ٱلْمُقَنطَرَةِ مِنَ ٱلذَّهَبِ وَٱلْفِضَّةِ وَٱلْخَيْلِ ٱلْمُسَوَّمَةِ وَٱلْأَنْعَـٰمِ وَٱلْحَرْثِ ۗ ذَٰلِكَ مَتَـٰعُ ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا ۖ وَٱللَّهُ عِندَهُۥ حُسْنُ ٱلْمَـَٔابِ
3:14
दुनिया में लोगों को उनकी मरग़ूब चीज़े (मसलन) बीवियों और बेटों और सोने चॉदी के बड़े बड़े लगे हुए ढेरों और उम्दा उम्दा घोड़ों और मवेशियों ओर खेती के साथ उलफ़त भली करके दिखा दी गई है ये सब दुनयावी ज़िन्दगी के (चन्द रोज़ा) फ़ायदे हैं और (हमेशा का) अच्छा ठिकाना तो ख़ुदा ही के यहॉ है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:15
۞ قُلْ أَؤُنَبِّئُكُم بِخَيْرٍ مِّن ذَٰلِكُمْ ۚ لِلَّذِينَ ٱتَّقَوْا۟ عِندَ رَبِّهِمْ جَنَّـٰتٌ تَجْرِى مِن تَحْتِهَا ٱلْأَنْهَـٰرُ خَـٰلِدِينَ فِيهَا وَأَزْوَٰجٌ مُّطَهَّرَةٌ وَرِضْوَٰنٌ مِّنَ ٱللَّهِ ۗ وَٱللَّهُ بَصِيرٌۢ بِٱلْعِبَادِ
3:15
(ऐ रसूल) उन लोगों से कह दो कि क्या मैं तुमको उन सब चीज़ों से बेहतर चीज़ बता दूं (अच्छा सुनो) जिन लोगों ने परहेज़गारी इख्तेयार की उनके लिए उनके परवरदिगार के यहॉ (बेहिश्त) के वह बाग़ात हैं जिनके नीचे नहरें जारी हैं (और वह) हमेशा उसमें रहेंगे और उसके अलावा उनके लिए साफ सुथरी बीवियॉ हैं और (सबसे बढ़कर) ख़ुदा की ख़ुशनूदी है और ख़ुदा (अपने) उन बन्दों को खूब देख रहा हे जो दुआऐं मॉगा करते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:16
ٱلَّذِينَ يَقُولُونَ رَبَّنَآ إِنَّنَآ ءَامَنَّا فَٱغْفِرْ لَنَا ذُنُوبَنَا وَقِنَا عَذَابَ ٱلنَّارِ
3:16
कि हमारे पालने वाले हम तो (बेताम्मुल) ईमान लाए हैं पस तू भी हमारे गुनाहों को बख्श दे और हमको दोज़ख़ के अज़ाब से बचा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:17
ٱلصَّـٰبِرِينَ وَٱلصَّـٰدِقِينَ وَٱلْقَـٰنِتِينَ وَٱلْمُنفِقِينَ وَٱلْمُسْتَغْفِرِينَ بِٱلْأَسْحَارِ
3:17
(यही लोग हैं) सब्र करने वाले और सच बोलने वाले और (ख़ुदा के) फ़रमाबरदार और (ख़ुदा की राह में) ख़र्च करने वाले और पिछली रातों में (ख़ुदा से तौबा) इस्तग़फ़ार करने वाले - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:18
شَهِدَ ٱللَّهُ أَنَّهُۥ لَآ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ وَٱلْمَلَـٰٓئِكَةُ وَأُو۟لُوا۟ ٱلْعِلْمِ قَآئِمًۢا بِٱلْقِسْطِ ۚ لَآ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلْحَكِيمُ
3:18
ज़रूर ख़ुदा और फ़रिश्तों और इल्म वालों ने गवाही दी है कि उसके सिवा कोई माबूद क़ाबिले परसतिश नहीं है और वह ख़ुदा अद्ल व इन्साफ़ के साथ (कारख़ानाए आलम का) सॅभालने वाला है उसके सिवा कोई माबूद नहीं (वही हर चीज़ पर) ग़ालिब और दाना है (सच्चा) दीन तो ख़ुदा के नज़दीक यक़ीनन (बस यही) इस्लाम है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:19
إِنَّ ٱلدِّينَ عِندَ ٱللَّهِ ٱلْإِسْلَـٰمُ ۗ وَمَا ٱخْتَلَفَ ٱلَّذِينَ أُوتُوا۟ ٱلْكِتَـٰبَ إِلَّا مِنۢ بَعْدِ مَا جَآءَهُمُ ٱلْعِلْمُ بَغْيًۢا بَيْنَهُمْ ۗ وَمَن يَكْفُرْ بِـَٔايَـٰتِ ٱللَّهِ فَإِنَّ ٱللَّهَ سَرِيعُ ٱلْحِسَابِ
3:19
और अहले किताब ने जो उस दीने हक़ से इख्तेलाफ़ किया तो महज़ आपस की शरारत और असली (अम्र) मालूम हो जाने के बाद (ही क्या है) और जिस शख्स ने ख़ुदा की निशानियों से इन्कार किया तो (वह समझ ले कि यक़ीनन ख़ुदा (उससे) बहुत जल्दी हिसाब लेने वाला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:20
فَإِنْ حَآجُّوكَ فَقُلْ أَسْلَمْتُ وَجْهِىَ لِلَّهِ وَمَنِ ٱتَّبَعَنِ ۗ وَقُل لِّلَّذِينَ أُوتُوا۟ ٱلْكِتَـٰبَ وَٱلْأُمِّيِّـۧنَ ءَأَسْلَمْتُمْ ۚ فَإِنْ أَسْلَمُوا۟ فَقَدِ ٱهْتَدَوا۟ ۖ وَّإِن تَوَلَّوْا۟ فَإِنَّمَا عَلَيْكَ ٱلْبَلَـٰغُ ۗ وَٱللَّهُ بَصِيرٌۢ بِٱلْعِبَادِ
3:20
(ऐ रसूल) पस अगर ये लोग तुमसे (ख्वाह मा ख्वाह) हुज्जत करे तो कह दो मैंने ख़ुदा के आगे अपना सरे तस्लीम ख़म कर दिया है और जो मेरे ताबे है (उन्होंने) भी) और ऐ रसूल तुम अहले किताब और जाहिलों से पूंछो कि क्या तुम भी इस्लाम लाए हो (या नही) पस अगर इस्लाम लाए हैं तो बेख़टके राहे रास्त पर आ गए और अगर मुंह फेरे तो (ऐ रसूल) तुम पर सिर्फ़ पैग़ाम (इस्लाम) पहुंचा देना फ़र्ज़ है (बस) और ख़ुदा (अपने बन्दों) को देख रहा है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:21
إِنَّ ٱلَّذِينَ يَكْفُرُونَ بِـَٔايَـٰتِ ٱللَّهِ وَيَقْتُلُونَ ٱلنَّبِيِّـۧنَ بِغَيْرِ حَقٍّ وَيَقْتُلُونَ ٱلَّذِينَ يَأْمُرُونَ بِٱلْقِسْطِ مِنَ ٱلنَّاسِ فَبَشِّرْهُم بِعَذَابٍ أَلِيمٍ
3:21
बेशक जो लोग ख़ुदा की आयतों से इन्कार करते हैं और नाहक़ पैग़म्बरों को क़त्ल करते हैं और उन लोगों को (भी) क़त्ल करते हैं जो (उन्हें) इन्साफ़ करने का हुक्म करते हैं तो (ऐ रसूल) तुम उन लोगों को दर्दनाक अज़ाब की ख़ुशख़बरी दे दो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:22
أُو۟لَـٰٓئِكَ ٱلَّذِينَ حَبِطَتْ أَعْمَـٰلُهُمْ فِى ٱلدُّنْيَا وَٱلْـَٔاخِرَةِ وَمَا لَهُم مِّن نَّـٰصِرِينَ
3:22
यही वह (बदनसीब) लोग हैं जिनका सारा किया कराया दुनिया और आख़ेरत (दोनों) में अकारत गया और कोई उनका मददगार नहीं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:23
أَلَمْ تَرَ إِلَى ٱلَّذِينَ أُوتُوا۟ نَصِيبًا مِّنَ ٱلْكِتَـٰبِ يُدْعَوْنَ إِلَىٰ كِتَـٰبِ ٱللَّهِ لِيَحْكُمَ بَيْنَهُمْ ثُمَّ يَتَوَلَّىٰ فَرِيقٌ مِّنْهُمْ وَهُم مُّعْرِضُونَ
3:23
(ऐ रसूल) क्या तुमने (उलमाए यहूद) के हाल पर नज़र नहीं की जिनको किताब (तौरेत) का एक हिस्सा दिया गया था (अब) उनको किताबे ख़ुदा की तरफ़ बुलाया जाता है ताकि वही (किताब) उनके झगड़ें का फैसला कर दे इस पर भी उनमें का एक गिरोह मुंह फेर लेता है और यही लोग रूगरदानी (मुँह फेरने) करने वाले हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:24
ذَٰلِكَ بِأَنَّهُمْ قَالُوا۟ لَن تَمَسَّنَا ٱلنَّارُ إِلَّآ أَيَّامًا مَّعْدُودَٰتٍ ۖ وَغَرَّهُمْ فِى دِينِهِم مَّا كَانُوا۟ يَفْتَرُونَ
3:24
ये इस वजह से है कि वह लोग कहते हैं कि हमें गिनती के चन्द दिनों के सिवा जहन्नुम की आग हरगिज़ छुएगी भी तो नहीं जो इफ़तेरा परदाज़ी ये लोग बराबर करते आए हैं उसी ने उन्हें उनके दीन में भी धोखा दिया है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:25
فَكَيْفَ إِذَا جَمَعْنَـٰهُمْ لِيَوْمٍ لَّا رَيْبَ فِيهِ وَوُفِّيَتْ كُلُّ نَفْسٍ مَّا كَسَبَتْ وَهُمْ لَا يُظْلَمُونَ
3:25
फ़िर उनकी क्या गत होगी जब हम उनको एक दिन (क़यामत) जिसके आने में कोई शुबहा नहीं इक्ट्ठा करेंगे और हर शख्स को उसके किए का पूरा पूरा बदला दिया जाएगा और उनकी किसी तरह हक़तल्फ़ी नहीं की जाएगी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:26
قُلِ ٱللَّهُمَّ مَـٰلِكَ ٱلْمُلْكِ تُؤْتِى ٱلْمُلْكَ مَن تَشَآءُ وَتَنزِعُ ٱلْمُلْكَ مِمَّن تَشَآءُ وَتُعِزُّ مَن تَشَآءُ وَتُذِلُّ مَن تَشَآءُ ۖ بِيَدِكَ ٱلْخَيْرُ ۖ إِنَّكَ عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍ قَدِيرٌ
3:26
(ऐ रसूल) तुम तो यह दुआ मॉगों कि ऐ ख़ुदा तमाम आलम के मालिक तू ही जिसको चाहे सल्तनत दे और जिससे चाहे सल्तनत छीन ले और तू ही जिसको चाहे इज्ज़त दे और जिसे चाहे ज़िल्लत दे हर तरह की भलाई तेरे ही हाथ में है बेशक तू ही हर चीज़ पर क़ादिर है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:27
تُولِجُ ٱلَّيْلَ فِى ٱلنَّهَارِ وَتُولِجُ ٱلنَّهَارَ فِى ٱلَّيْلِ ۖ وَتُخْرِجُ ٱلْحَىَّ مِنَ ٱلْمَيِّتِ وَتُخْرِجُ ٱلْمَيِّتَ مِنَ ٱلْحَىِّ ۖ وَتَرْزُقُ مَن تَشَآءُ بِغَيْرِ حِسَابٍ
3:27
तू ही रात को (बढ़ा के) दिन में दाख़िल कर देता है (तो) रात बढ़ जाती है और तू ही दिन को (बढ़ा के) रात में दाख़िल करता है (तो दिन बढ़ जाता है) तू ही बेजान (अन्डा नुत्फ़ा वगैरह) से जानदार को पैदा करता है और तू ही जानदार से बेजान नुत्फ़ा (वगैरहा) निकालता है और तू ही जिसको चाहता है बेहिसाब रोज़ी देता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:28
لَّا يَتَّخِذِ ٱلْمُؤْمِنُونَ ٱلْكَـٰفِرِينَ أَوْلِيَآءَ مِن دُونِ ٱلْمُؤْمِنِينَ ۖ وَمَن يَفْعَلْ ذَٰلِكَ فَلَيْسَ مِنَ ٱللَّهِ فِى شَىْءٍ إِلَّآ أَن تَتَّقُوا۟ مِنْهُمْ تُقَىٰةً ۗ وَيُحَذِّرُكُمُ ٱللَّهُ نَفْسَهُۥ ۗ وَإِلَى ٱللَّهِ ٱلْمَصِيرُ
3:28
मोमिनीन मोमिनीन को छोड़ के काफ़िरों को अपना सरपरस्त न बनाऐं और जो ऐसा करेगा तो उससे ख़ुदा से कुछ सरोकार नहीं मगर (इस क़िस्म की तदबीरों से) किसी तरह उन (के शर) से बचना चाहो तो (ख़ैर) और ख़ुदा तुमको अपने ही से डराता है और ख़ुदा ही की तरफ़ लौट कर जाना है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:29
قُلْ إِن تُخْفُوا۟ مَا فِى صُدُورِكُمْ أَوْ تُبْدُوهُ يَعْلَمْهُ ٱللَّهُ ۗ وَيَعْلَمُ مَا فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَمَا فِى ٱلْأَرْضِ ۗ وَٱللَّهُ عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍ قَدِيرٌ
3:29
ऐ रसूल तुम उन (लोगों से) कह दो किजो कुछ तुम्हारे दिलों में है तो ख्वाह उसे छिपाओ या ज़ाहिर करो (बहरहाल) ख़ुदा तो उसे जानता है और जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में वह (सब कुछ) जानता है और ख़ुदा हर चीज़ पर क़ादिर है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:30
يَوْمَ تَجِدُ كُلُّ نَفْسٍ مَّا عَمِلَتْ مِنْ خَيْرٍ مُّحْضَرًا وَمَا عَمِلَتْ مِن سُوٓءٍ تَوَدُّ لَوْ أَنَّ بَيْنَهَا وَبَيْنَهُۥٓ أَمَدًۢا بَعِيدًا ۗ وَيُحَذِّرُكُمُ ٱللَّهُ نَفْسَهُۥ ۗ وَٱللَّهُ رَءُوفٌۢ بِٱلْعِبَادِ
3:30
(और उस दिन को याद रखो) जिस दिन हर शख्स जो कुछ उसने (दुनिया में) नेकी की है और जो कुछ बुराई की है उसको मौजूद पाएगा (और) आरज़ू करेगा कि काश उस की बदी और उसके दरमियान में ज़मानए दराज़ (हाएल) हो जाता और ख़ुदा तुमको अपने ही से डराता है और ख़ुदा अपने बन्दों पर बड़ा शफ़ीक़ और (मेहरबान भी) है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:31
قُلْ إِن كُنتُمْ تُحِبُّونَ ٱللَّهَ فَٱتَّبِعُونِى يُحْبِبْكُمُ ٱللَّهُ وَيَغْفِرْ لَكُمْ ذُنُوبَكُمْ ۗ وَٱللَّهُ غَفُورٌ رَّحِيمٌ
3:31
(ऐ रसूल) उन लोगों से कह दो कि अगर तुम ख़ुदा को दोस्त रखते हो तो मेरी पैरवी करो कि ख़ुदा (भी) तुमको दोस्त रखेगा और तुमको तुम्हारे गुनाह बख्श देगा और खुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:32
قُلْ أَطِيعُوا۟ ٱللَّهَ وَٱلرَّسُولَ ۖ فَإِن تَوَلَّوْا۟ فَإِنَّ ٱللَّهَ لَا يُحِبُّ ٱلْكَـٰفِرِينَ
3:32
(ऐ रसूल) कह दो कि ख़ुदा और रसूल की फ़रमाबरदारी करो फिर अगर यह लोग उससे सरताबी करें तो (समझ लें कि) ख़ुदा काफ़िरों को हरगिज़ दोस्त नहीं रखता - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:33
۞ إِنَّ ٱللَّهَ ٱصْطَفَىٰٓ ءَادَمَ وَنُوحًا وَءَالَ إِبْرَٰهِيمَ وَءَالَ عِمْرَٰنَ عَلَى ٱلْعَـٰلَمِينَ
3:33
बेशक ख़ुदा ने आदम और नूह और ख़ानदाने इबराहीम और खानदाने इमरान को सारे जहान से बरगुज़ीदा किया है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:34
ذُرِّيَّةًۢ بَعْضُهَا مِنۢ بَعْضٍ ۗ وَٱللَّهُ سَمِيعٌ عَلِيمٌ
3:34
बाज़ की औलाद को बाज़ से और ख़ुदा (सबकी) सुनता (और सब कुछ) जानता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:35
إِذْ قَالَتِ ٱمْرَأَتُ عِمْرَٰنَ رَبِّ إِنِّى نَذَرْتُ لَكَ مَا فِى بَطْنِى مُحَرَّرًا فَتَقَبَّلْ مِنِّىٓ ۖ إِنَّكَ أَنتَ ٱلسَّمِيعُ ٱلْعَلِيمُ
3:35
(ऐ रसूल वह वक्त याद करो) जब इमरान की बीवी ने (ख़ुदा से) अर्ज़ की कि ऐ मेरे पालने वाले मेरे पेट में जो बच्चा है (उसको मैं दुनिया के काम से) आज़ाद करके तेरी नज़्र करती हूं तू मेरी तरफ़ से (ये नज़्र कुबूल फ़रमा तू बेशक बड़ा सुनने वाला और जानने वाला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:36
فَلَمَّا وَضَعَتْهَا قَالَتْ رَبِّ إِنِّى وَضَعْتُهَآ أُنثَىٰ وَٱللَّهُ أَعْلَمُ بِمَا وَضَعَتْ وَلَيْسَ ٱلذَّكَرُ كَٱلْأُنثَىٰ ۖ وَإِنِّى سَمَّيْتُهَا مَرْيَمَ وَإِنِّىٓ أُعِيذُهَا بِكَ وَذُرِّيَّتَهَا مِنَ ٱلشَّيْطَـٰنِ ٱلرَّجِيمِ
3:36
फिर जब वह बेटी जन चुकी तो (हैरत से) कहने लगी ऐ मेरे परवरदिगार (मैं क्या करूं) मैं तो ये लड़की जनी हूँ और लड़का लड़की के ऐसा (गया गुज़रा) नहीं होता हालॉकि उसे कहने की ज़रूरत क्या थी जो वे जनी थी ख़ुदा उस (की शान व मरतबा) से खूब वाक़िफ़ था और मैंने उसका नाम मरियम रखा है और मैं उसको और उसकी औलाद को शैतान मरदूद (के फ़रेब) से तेरी पनाह में देती हूं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:37
فَتَقَبَّلَهَا رَبُّهَا بِقَبُولٍ حَسَنٍ وَأَنۢبَتَهَا نَبَاتًا حَسَنًا وَكَفَّلَهَا زَكَرِيَّا ۖ كُلَّمَا دَخَلَ عَلَيْهَا زَكَرِيَّا ٱلْمِحْرَابَ وَجَدَ عِندَهَا رِزْقًا ۖ قَالَ يَـٰمَرْيَمُ أَنَّىٰ لَكِ هَـٰذَا ۖ قَالَتْ هُوَ مِنْ عِندِ ٱللَّهِ ۖ إِنَّ ٱللَّهَ يَرْزُقُ مَن يَشَآءُ بِغَيْرِ حِسَابٍ
3:37
तो उसके परवरदिगार ने (उनकी नज़्र) मरियम को ख़ुशी से कुबूल फ़रमाया और उसकी नशो व नुमा (परवरिश) अच्छी तरह की और ज़करिया को उनका कफ़ील बनाया जब किसी वक्त ज़क़रिया उनके पास (उनके) इबादत के हुजरे में जाते तो मरियम के पास कुछ न कुछ खाने को मौजूद पाते तो पूंछते कि ऐ मरियम ये (खाना) तुम्हारे पास कहॉ से आया है तो मरियम ये कह देती थी कि यह खुदा के यहॉ से (आया) है बेशक ख़ुदा जिसको चाहता है बेहिसाब रोज़ी देता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:38
هُنَالِكَ دَعَا زَكَرِيَّا رَبَّهُۥ ۖ قَالَ رَبِّ هَبْ لِى مِن لَّدُنكَ ذُرِّيَّةً طَيِّبَةً ۖ إِنَّكَ سَمِيعُ ٱلدُّعَآءِ
3:38
(ये माजरा देखते ही) उसी वक्त ज़करिया ने अपने परवरदिगार से दुआ कि और अर्ज क़ी ऐ मेरे पालने वाले तू मुझको (भी) अपनी बारगाह से पाकीज़ा औलाद अता फ़रमा बेशक तू ही दुआ का सुनने वाला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:39
فَنَادَتْهُ ٱلْمَلَـٰٓئِكَةُ وَهُوَ قَآئِمٌ يُصَلِّى فِى ٱلْمِحْرَابِ أَنَّ ٱللَّهَ يُبَشِّرُكَ بِيَحْيَىٰ مُصَدِّقًۢا بِكَلِمَةٍ مِّنَ ٱللَّهِ وَسَيِّدًا وَحَصُورًا وَنَبِيًّا مِّنَ ٱلصَّـٰلِحِينَ
3:39
अभी ज़करिया हुजरे में खड़े (ये) दुआ कर ही रहे थे कि फ़रिश्तों ने उनको आवाज़ दी कि ख़ुदा तुमको यहया (के पैदा होने) की खुशख़बरी देता है जो जो कलेमतुल्लाह (ईसा) की तस्दीक़ करेगा और (लोगों का) सरदार होगा और औरतों की तरफ़ रग़बत न करेगा और नेको कार नबी होगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:40
قَالَ رَبِّ أَنَّىٰ يَكُونُ لِى غُلَـٰمٌ وَقَدْ بَلَغَنِىَ ٱلْكِبَرُ وَٱمْرَأَتِى عَاقِرٌ ۖ قَالَ كَذَٰلِكَ ٱللَّهُ يَفْعَلُ مَا يَشَآءُ
3:40
ज़करिया ने अर्ज़ की परवरदिगार मुझे लड़का क्योंकर हो सकता है हालॉकि मेरा बुढ़ापा आ पहुंचा और (उसपर) मेरी बीवी बॉझ है (ख़ुदा ने) फ़रमाया इसी तरह ख़ुदा जो चाहता है करता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:41
قَالَ رَبِّ ٱجْعَل لِّىٓ ءَايَةً ۖ قَالَ ءَايَتُكَ أَلَّا تُكَلِّمَ ٱلنَّاسَ ثَلَـٰثَةَ أَيَّامٍ إِلَّا رَمْزًا ۗ وَٱذْكُر رَّبَّكَ كَثِيرًا وَسَبِّحْ بِٱلْعَشِىِّ وَٱلْإِبْكَـٰرِ
3:41
ज़करिया ने अर्ज़ की परवरदिगार मेरे इत्मेनान के लिए कोई निशानी मुक़र्रर फ़रमा इरशाद हुआ तुम्हारी निशानी ये है तुम तीन दिन तक लोगों से बात न कर सकोगे मगर इशारे से और (उसके शुक्रिये में) अपने परवरदिगार की अक्सर याद करो और रात को और सुबह तड़के (हमारी) तसबीह किया करो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:42
وَإِذْ قَالَتِ ٱلْمَلَـٰٓئِكَةُ يَـٰمَرْيَمُ إِنَّ ٱللَّهَ ٱصْطَفَىٰكِ وَطَهَّرَكِ وَٱصْطَفَىٰكِ عَلَىٰ نِسَآءِ ٱلْعَـٰلَمِينَ
3:42
और वह वाक़िया भी याद करो जब फ़रिश्तों ने मरियम से कहा, ऐ मरियम तुमको ख़ुदा ने बरगुज़ीदा किया और (तमाम) गुनाहों और बुराइयों से पाक साफ़ रखा और सारे दुनिया जहॉन की औरतों में से तुमको मुन्तख़िब किया है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:43
يَـٰمَرْيَمُ ٱقْنُتِى لِرَبِّكِ وَٱسْجُدِى وَٱرْكَعِى مَعَ ٱلرَّٰكِعِينَ
3:43
(तो) ऐ मरियम इसके शुक्र से मैं अपने परवरदिगार की फ़रमाबदारी करूं सजदा और रूकूउ करने वालों के साथ रूकूउ करती रहूं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:44
ذَٰلِكَ مِنْ أَنۢبَآءِ ٱلْغَيْبِ نُوحِيهِ إِلَيْكَ ۚ وَمَا كُنتَ لَدَيْهِمْ إِذْ يُلْقُونَ أَقْلَـٰمَهُمْ أَيُّهُمْ يَكْفُلُ مَرْيَمَ وَمَا كُنتَ لَدَيْهِمْ إِذْ يَخْتَصِمُونَ
3:44
(ऐ रसूल) ये ख़बर गैब की ख़बरों में से है जो हम तुम्हारे पास 'वही' के ज़रिए से भेजते हैं (ऐ रसूल) तुम तो उन सरपरस्ताने मरियम के पास मौजूद न थे जब वह लोग अपना अपना क़लम दरिया में बतौर क़ुरआ के डाल रहे थे (देखें) कौन मरियम का कफ़ील बनता है और न तुम उस वक्त उनके पास मौजूद थे जब वह लोग आपस में झगड़ रहे थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:45
إِذْ قَالَتِ ٱلْمَلَـٰٓئِكَةُ يَـٰمَرْيَمُ إِنَّ ٱللَّهَ يُبَشِّرُكِ بِكَلِمَةٍ مِّنْهُ ٱسْمُهُ ٱلْمَسِيحُ عِيسَى ٱبْنُ مَرْيَمَ وَجِيهًا فِى ٱلدُّنْيَا وَٱلْـَٔاخِرَةِ وَمِنَ ٱلْمُقَرَّبِينَ
3:45
(वह वाक़िया भी याद करो) जब फ़रिश्तों ने (मरियम) से कहा ऐ मरियम ख़ुदा तुमको सिर्फ़ अपने हुक्म से एक लड़के के पैदा होने की खुशख़बरी देता है जिसका नाम ईसा मसीह इब्ने मरियम होगा (और) दुनिया और आखेरत (दोनों) में बाइज्ज़त (आबरू) और ख़ुदा के मुक़र्रब बन्दों में होगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:46
وَيُكَلِّمُ ٱلنَّاسَ فِى ٱلْمَهْدِ وَكَهْلًا وَمِنَ ٱلصَّـٰلِحِينَ
3:46
और (बचपन में) जब झूले में पड़ा होगा और बड़ी उम्र का होकर (दोनों हालतों में यकसॉ) लोगों से बाते करेगा और नेको कारों में से होगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:47
قَالَتْ رَبِّ أَنَّىٰ يَكُونُ لِى وَلَدٌ وَلَمْ يَمْسَسْنِى بَشَرٌ ۖ قَالَ كَذَٰلِكِ ٱللَّهُ يَخْلُقُ مَا يَشَآءُ ۚ إِذَا قَضَىٰٓ أَمْرًا فَإِنَّمَا يَقُولُ لَهُۥ كُن فَيَكُونُ
3:47
(ये सुनकर मरियम ताज्जुब से) कहने लगी परवरदिगार मुझे लड़का क्योंकर होगा हालॉकि मुझे किसी मर्द ने छुआ तक नहीं इरशाद हुआ इसी तरह ख़ुदा जो चाहता है करता है जब वह किसी काम का करना ठान लेता है तो बस कह देता है 'हो जा' तो वह हो जाता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:48
وَيُعَلِّمُهُ ٱلْكِتَـٰبَ وَٱلْحِكْمَةَ وَٱلتَّوْرَىٰةَ وَٱلْإِنجِيلَ
3:48
और (ऐ मरयिम) ख़ुदा उसको (तमाम) किताबे आसमानी और अक्ल की बातें और (ख़ासकर) तौरेत व इन्जील सिखा देगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:49
وَرَسُولًا إِلَىٰ بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ أَنِّى قَدْ جِئْتُكُم بِـَٔايَةٍ مِّن رَّبِّكُمْ ۖ أَنِّىٓ أَخْلُقُ لَكُم مِّنَ ٱلطِّينِ كَهَيْـَٔةِ ٱلطَّيْرِ فَأَنفُخُ فِيهِ فَيَكُونُ طَيْرًۢا بِإِذْنِ ٱللَّهِ ۖ وَأُبْرِئُ ٱلْأَكْمَهَ وَٱلْأَبْرَصَ وَأُحْىِ ٱلْمَوْتَىٰ بِإِذْنِ ٱللَّهِ ۖ وَأُنَبِّئُكُم بِمَا تَأْكُلُونَ وَمَا تَدَّخِرُونَ فِى بُيُوتِكُمْ ۚ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَةً لَّكُمْ إِن كُنتُم مُّؤْمِنِينَ
3:49
और बनी इसराइल का रसूल (क़रार देगा और वह उनसे यूं कहेगा कि) मैं तुम्हारे पास तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से (अपनी नबूवत की) यह निशानी लेकर आया हूं कि मैं गुंधीं हुई मिट्टी से एक परिन्दे की सूरत बनाऊॅगा फ़िर उस पर (कुछ) दम करूंगा तो वो ख़ुदा के हुक्म से उड़ने लगेगा और मैं ख़ुदा ही के हुक्म से मादरज़ाद (पैदायशी) अंधे और कोढ़ी को अच्छा करूंगा और मुर्दो को ज़िन्दा करूंगा और जो कुछ तुम खाते हो और अपने घरों में जमा करते हो मैं (सब) तुमको बता दूंगा अगर तुम ईमानदार हो तो बेशक तुम्हारे लिये इन बातों में (मेरी नबूवत की) बड़ी निशानी है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:50
وَمُصَدِّقًا لِّمَا بَيْنَ يَدَىَّ مِنَ ٱلتَّوْرَىٰةِ وَلِأُحِلَّ لَكُم بَعْضَ ٱلَّذِى حُرِّمَ عَلَيْكُمْ ۚ وَجِئْتُكُم بِـَٔايَةٍ مِّن رَّبِّكُمْ فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ
3:50
और तौरेत जो मेरे सामने मौजूद है मैं उसकी तसदीक़ करता हूं और (मेरे आने की) एक ग़रज़ यह (भी) है कि जो चीजे तुम पर हराम है उनमें से बाज़ को (हुक्मे ख़ुदा से) हलाल कर दूं और मैं तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से (अपनी नबूवत की) निशानी लेकर तुम्हारे पास आया हूं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:51
إِنَّ ٱللَّهَ رَبِّى وَرَبُّكُمْ فَٱعْبُدُوهُ ۗ هَـٰذَا صِرَٰطٌ مُّسْتَقِيمٌ
3:51
पस तुम ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो बेशक ख़ुदा ही मेरा और तुम्हारा परवरदिगार है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:52
۞ فَلَمَّآ أَحَسَّ عِيسَىٰ مِنْهُمُ ٱلْكُفْرَ قَالَ مَنْ أَنصَارِىٓ إِلَى ٱللَّهِ ۖ قَالَ ٱلْحَوَارِيُّونَ نَحْنُ أَنصَارُ ٱللَّهِ ءَامَنَّا بِٱللَّهِ وَٱشْهَدْ بِأَنَّا مُسْلِمُونَ
3:52
पस उसकी इबादत करो (क्योंकि) यही नजात का सीधा रास्ता है फिर जब ईसा ने (इतनी बातों के बाद भी) उनका कुफ़्र (पर अड़े रहना) देखा तो (आख़िर) कहने लगे कौन ऐसा है जो ख़ुदा की तरफ़ होकर मेरा मददगार बने (ये सुनकर) हवारियों ने कहा हम ख़ुदा के तरफ़दार हैं और हम ख़ुदा पर ईमान लाए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:53
رَبَّنَآ ءَامَنَّا بِمَآ أَنزَلْتَ وَٱتَّبَعْنَا ٱلرَّسُولَ فَٱكْتُبْنَا مَعَ ٱلشَّـٰهِدِينَ
3:53
और (ईसा से कहा) आप गवाह रहिए कि हम फ़रमाबरदार हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:54
وَمَكَرُوا۟ وَمَكَرَ ٱللَّهُ ۖ وَٱللَّهُ خَيْرُ ٱلْمَـٰكِرِينَ
3:54
और ख़ुदा की बारगाह में अर्ज़ की कि ऐ हमारे पालने वाले जो कुछ तूने नाज़िल किया हम उसपर ईमान लाए और हमने तेरे रसूल (ईसा) की पैरवी इख्तेयार की पस तू हमें (अपने रसूल के) गवाहों के दफ्तर में लिख ले - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:55
إِذْ قَالَ ٱللَّهُ يَـٰعِيسَىٰٓ إِنِّى مُتَوَفِّيكَ وَرَافِعُكَ إِلَىَّ وَمُطَهِّرُكَ مِنَ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ وَجَاعِلُ ٱلَّذِينَ ٱتَّبَعُوكَ فَوْقَ ٱلَّذِينَ كَفَرُوٓا۟ إِلَىٰ يَوْمِ ٱلْقِيَـٰمَةِ ۖ ثُمَّ إِلَىَّ مَرْجِعُكُمْ فَأَحْكُمُ بَيْنَكُمْ فِيمَا كُنتُمْ فِيهِ تَخْتَلِفُونَ
3:55
और यहूदियों (ने ईसा से) मक्कारी की और ख़ुदा ने उसके दफ़ईया की तदबीर की और ख़ुदा सब से बेहतर तदबीर करने वाला है (वह वक्त भी याद करो) जब ईसा से ख़ुदा ने फ़रमाया ऐ ईसा मैं ज़रूर तुम्हारी ज़िन्दगी की मुद्दत पूरी करके तुमको अपनी तरफ़ उठा लूंगा और काफ़िरों (की ज़िन्दगी) से तुमको पाक व पाकीज़ा रखूंगा और जिन लोगों ने तुम्हारी पैरवी की उनको क़यामत तक काफ़िरों पर ग़ालिब रखूंगा फिर तुम सबको मेरी तरफ़ लौटकर आना है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:56
فَأَمَّا ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ فَأُعَذِّبُهُمْ عَذَابًا شَدِيدًا فِى ٱلدُّنْيَا وَٱلْـَٔاخِرَةِ وَمَا لَهُم مِّن نَّـٰصِرِينَ
3:56
तब (उस दिन) जिन बातों में तुम (दुनिया) में झगड़े करते थे (उनका) तुम्हारे दरमियान फ़ैसला कर दूंगा पस जिन लोगों ने कुफ़्र इख्तेयार किया उनपर दुनिया और आख़िरत (दोनों में) सख्त अज़ाब करूंगा और उनका कोई मददगार न होगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:57
وَأَمَّا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ فَيُوَفِّيهِمْ أُجُورَهُمْ ۗ وَٱللَّهُ لَا يُحِبُّ ٱلظَّـٰلِمِينَ
3:57
और जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे (अच्छे) काम किए तो ख़ुदा उनको उनका पूरा अज्र व सवाब देगा और ख़ुदा ज़ालिमों को दोस्त नहीं रखता - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:58
ذَٰلِكَ نَتْلُوهُ عَلَيْكَ مِنَ ٱلْـَٔايَـٰتِ وَٱلذِّكْرِ ٱلْحَكِيمِ
3:58
(ऐ रसूल) ये जो हम तुम्हारे सामने बयान कर रहे हैं कुदरते ख़ुदा की निशानियॉ और हिकमत से भरे हुये तज़किरे हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:59
إِنَّ مَثَلَ عِيسَىٰ عِندَ ٱللَّهِ كَمَثَلِ ءَادَمَ ۖ خَلَقَهُۥ مِن تُرَابٍ ثُمَّ قَالَ لَهُۥ كُن فَيَكُونُ
3:59
ख़ुदा के नज़दीक तो जैसे ईसा की हालत वैसी ही आदम की हालत कि उनको को मिट्टी का पुतला बनाकर कहा कि 'हो जा' पस (फ़ौरन ही) वह (इन्सान) हो गया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:60
ٱلْحَقُّ مِن رَّبِّكَ فَلَا تَكُن مِّنَ ٱلْمُمْتَرِينَ
3:60
(ऐ रसूल ये है) हक़ बात (जो) तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से (बताई जाती है) तो तुम शक करने वालों में से न हो जाना - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:61
فَمَنْ حَآجَّكَ فِيهِ مِنۢ بَعْدِ مَا جَآءَكَ مِنَ ٱلْعِلْمِ فَقُلْ تَعَالَوْا۟ نَدْعُ أَبْنَآءَنَا وَأَبْنَآءَكُمْ وَنِسَآءَنَا وَنِسَآءَكُمْ وَأَنفُسَنَا وَأَنفُسَكُمْ ثُمَّ نَبْتَهِلْ فَنَجْعَل لَّعْنَتَ ٱللَّهِ عَلَى ٱلْكَـٰذِبِينَ
3:61
फिर जब तुम्हारे पास इल्म (कुरान) आ चुका उसके बाद भी अगर तुम से कोई (नसरानी) ईसा के बारे में हुज्जत करें तो कहो कि (अच्छा मैदान में) आओ हम अपने बेटों को बुलाएं तुम अपने बेटों को और हम अपनी औरतों को (बुलाएं) और तुम अपनी औरतों को और हम अपनी जानों को बुलाएं ओर तुम अपनी जानों को - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:62
إِنَّ هَـٰذَا لَهُوَ ٱلْقَصَصُ ٱلْحَقُّ ۚ وَمَا مِنْ إِلَـٰهٍ إِلَّا ٱللَّهُ ۚ وَإِنَّ ٱللَّهَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلْحَكِيمُ
3:62
उसके बाद हम सब मिलकर (खुदा की बारगाह में) गिड़गिड़ाएं और झूठों पर ख़ुदा की लानत करें (ऐ रसूल) ये सब यक़ीनी सच्चे वाक़यात हैं और ख़ुदा के सिवा कोई माबूद (क़ाबिले परसतिश) नहीं है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:63
فَإِن تَوَلَّوْا۟ فَإِنَّ ٱللَّهَ عَلِيمٌۢ بِٱلْمُفْسِدِينَ
3:63
और बेशक ख़ुदा ही सब पर ग़ालिब और हिकमत वाला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:64
قُلْ يَـٰٓأَهْلَ ٱلْكِتَـٰبِ تَعَالَوْا۟ إِلَىٰ كَلِمَةٍ سَوَآءٍۭ بَيْنَنَا وَبَيْنَكُمْ أَلَّا نَعْبُدَ إِلَّا ٱللَّهَ وَلَا نُشْرِكَ بِهِۦ شَيْـًٔا وَلَا يَتَّخِذَ بَعْضُنَا بَعْضًا أَرْبَابًا مِّن دُونِ ٱللَّهِ ۚ فَإِن تَوَلَّوْا۟ فَقُولُوا۟ ٱشْهَدُوا۟ بِأَنَّا مُسْلِمُونَ
3:64
फिर अगर इससे भी मुंह फेरें तो (कुछ) परवाह (नहीं) ख़ुदा फ़सादी लोगों को खूब जानता है (ऐ रसूल) तुम (उनसे) कहो कि ऐ अहले किताब तुम ऐसी (ठिकाने की) बात पर तो आओ जो हमारे और तुम्हारे दरमियान यकसॉ है कि खुदा के सिवा किसी की इबादत न करें और किसी चीज़ को उसका शरीक न बनाएं और ख़ुदा के सिवा हममें से कोई किसी को अपना परवरदिगार न बनाए अगर इससे भी मुंह मोडें तो तुम गवाह रहना हम (ख़ुदा के) फ़रमाबरदार हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:65
يَـٰٓأَهْلَ ٱلْكِتَـٰبِ لِمَ تُحَآجُّونَ فِىٓ إِبْرَٰهِيمَ وَمَآ أُنزِلَتِ ٱلتَّوْرَىٰةُ وَٱلْإِنجِيلُ إِلَّا مِنۢ بَعْدِهِۦٓ ۚ أَفَلَا تَعْقِلُونَ
3:65
ऐ अहले किताब तुम इबराहीम के बारे में (ख्वाह मा ख्वाह) क्यों झगड़ते हो कि कोई उनको नसरानी कहता है कोई यहूदी हालॉकि तौरेत व इन्जील (जिनसे यहूद व नसारा की इब्तेदा है वह) तो उनके बाद ही नाज़िल हुई - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:66
هَـٰٓأَنتُمْ هَـٰٓؤُلَآءِ حَـٰجَجْتُمْ فِيمَا لَكُم بِهِۦ عِلْمٌ فَلِمَ تُحَآجُّونَ فِيمَا لَيْسَ لَكُم بِهِۦ عِلْمٌ ۚ وَٱللَّهُ يَعْلَمُ وَأَنتُمْ لَا تَعْلَمُونَ
3:66
तो क्या तुम इतना भी नहीं समझते? (ऐ लो अरे) तुम वही एहमक़ लोग हो कि जिस का तुम्हें कुछ इल्म था उसमें तो झगड़ा कर चुके (खैर) फिर तब उसमें क्या (ख्वाह मा ख्वाह) झगड़ने बैठे हो जिसकी (सिरे से) तुम्हें कुछ ख़बर नहीं और (हकॣक़ते हाल तो) खुदा जानता है और तुम नहीं जानते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:67
مَا كَانَ إِبْرَٰهِيمُ يَهُودِيًّا وَلَا نَصْرَانِيًّا وَلَـٰكِن كَانَ حَنِيفًا مُّسْلِمًا وَمَا كَانَ مِنَ ٱلْمُشْرِكِينَ
3:67
इबराहीम न तो यहूदी थे और न नसरानी बल्कि निरे खरे हक़ पर थे (और) फ़रमाबरदार (बन्दे) थे और मुशरिकों से भी न थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:68
إِنَّ أَوْلَى ٱلنَّاسِ بِإِبْرَٰهِيمَ لَلَّذِينَ ٱتَّبَعُوهُ وَهَـٰذَا ٱلنَّبِىُّ وَٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ ۗ وَٱللَّهُ وَلِىُّ ٱلْمُؤْمِنِينَ
3:68
इबराहीम से ज्यादा ख़ुसूसियत तो उन लोगों को थी जो ख़ास उनकी पैरवी करते थे और उस पैग़म्बर और ईमानदारों को (भी) है और मोमिनीन का ख़ुदा मालिक है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:69
وَدَّت طَّآئِفَةٌ مِّنْ أَهْلِ ٱلْكِتَـٰبِ لَوْ يُضِلُّونَكُمْ وَمَا يُضِلُّونَ إِلَّآ أَنفُسَهُمْ وَمَا يَشْعُرُونَ
3:69
(मुसलमानो) अहले किताब से एक गिरोह ने बहुत चाहा कि किसी तरह तुमको राहेरास्त से भटका दे हालॉकि वह (अपनी तदबीरों से तुमको तो नहीं मगर) अपने ही को भटकाते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:70
يَـٰٓأَهْلَ ٱلْكِتَـٰبِ لِمَ تَكْفُرُونَ بِـَٔايَـٰتِ ٱللَّهِ وَأَنتُمْ تَشْهَدُونَ
3:70
और उसको समझते (भी) नहीं ऐ अहले किताब तुम ख़ुदा की आयतों से क्यों इन्कार करते हो, हालॉकि तुम ख़ुद गवाह बन सकते हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:71
يَـٰٓأَهْلَ ٱلْكِتَـٰبِ لِمَ تَلْبِسُونَ ٱلْحَقَّ بِٱلْبَـٰطِلِ وَتَكْتُمُونَ ٱلْحَقَّ وَأَنتُمْ تَعْلَمُونَ
3:71
ऐ अहले किताब तुम क्यो हक़ व बातिल को गड़बड़ करते और हक़ को छुपाते हो हालॉकि तुम जानते हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:72
وَقَالَت طَّآئِفَةٌ مِّنْ أَهْلِ ٱلْكِتَـٰبِ ءَامِنُوا۟ بِٱلَّذِىٓ أُنزِلَ عَلَى ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَجْهَ ٱلنَّهَارِ وَٱكْفُرُوٓا۟ ءَاخِرَهُۥ لَعَلَّهُمْ يَرْجِعُونَ
3:72
और अहले किताब से एक गिरोह ने (अपने लोगों से) कहा कि मुसलमानों पर जो किताब नाज़िल हुईहै उसपर सुबह सवेरे ईमान लाओ और आख़िर वक्त ऌन्कार कर दिया करो शायद मुसलमान (इसी तदबीर से अपने दीन से) फिर जाए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:73
وَلَا تُؤْمِنُوٓا۟ إِلَّا لِمَن تَبِعَ دِينَكُمْ قُلْ إِنَّ ٱلْهُدَىٰ هُدَى ٱللَّهِ أَن يُؤْتَىٰٓ أَحَدٌ مِّثْلَ مَآ أُوتِيتُمْ أَوْ يُحَآجُّوكُمْ عِندَ رَبِّكُمْ ۗ قُلْ إِنَّ ٱلْفَضْلَ بِيَدِ ٱللَّهِ يُؤْتِيهِ مَن يَشَآءُ ۗ وَٱللَّهُ وَٰسِعٌ عَلِيمٌ
3:73
और तुम्हारे दीन की पैरवरी करे उसके सिवा किसी दूसरे की बात का ऐतबार न करो (ऐ रसूल) तुम कह दो कि बस ख़ुदा ही की हिदायत तो हिदायत है (यहूदी बाहम ये भी कहते हैं कि) उसको भी न (मानना) कि जैसा (उम्दा दीन) तुमको दिया गया है, वैसा किसी और को दिया जाय या तुमसे कोई शख्स ख़ुदा के यहॉ झगड़ा करे (ऐ रसूल तुम उनसे) कह दो कि (ये क्या ग़लत ख्याल है) फ़ज़ल (व करम) ख़ुदा के हाथ में है वह जिसको चाहे दे और ख़ुदा बड़ी गुन्जाईश वाला है (और हर शै को)े जानता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:74
يَخْتَصُّ بِرَحْمَتِهِۦ مَن يَشَآءُ ۗ وَٱللَّهُ ذُو ٱلْفَضْلِ ٱلْعَظِيمِ
3:74
जिसको चाहे अपनी रहमत के लिये ख़ास कर लेता है और ख़ुदा बड़ा फ़ज़लों करम वाला हे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:75
۞ وَمِنْ أَهْلِ ٱلْكِتَـٰبِ مَنْ إِن تَأْمَنْهُ بِقِنطَارٍ يُؤَدِّهِۦٓ إِلَيْكَ وَمِنْهُم مَّنْ إِن تَأْمَنْهُ بِدِينَارٍ لَّا يُؤَدِّهِۦٓ إِلَيْكَ إِلَّا مَا دُمْتَ عَلَيْهِ قَآئِمًا ۗ ذَٰلِكَ بِأَنَّهُمْ قَالُوا۟ لَيْسَ عَلَيْنَا فِى ٱلْأُمِّيِّـۧنَ سَبِيلٌ وَيَقُولُونَ عَلَى ٱللَّهِ ٱلْكَذِبَ وَهُمْ يَعْلَمُونَ
3:75
और अहले किताब कुछ ऐसे भी हैं कि अगर उनके पास रूपए की ढेर अमानत रख दो तो भी उसे (जब चाहो) वैसे ही तुम्हारे हवाले कर देंगे और बाज़ ऐसे हें कि अगर एक अशर्फ़ी भी अमानत रखो तो जब तक तुम बराबर (उनके सर) पर खड़े न रहोगे तुम्हें वापस न देंगे ये (बदमुआम लगी) इस वजह से है कि उन का तो ये क़ौल है कि (अरब के) जाहिलो (का हक़ मार लेने) में हम पर कोई इल्ज़ाम की राह ही नहीं और जान बूझ कर खुदा पर झूठ (तूफ़ान) जोड़ते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:76
بَلَىٰ مَنْ أَوْفَىٰ بِعَهْدِهِۦ وَٱتَّقَىٰ فَإِنَّ ٱللَّهَ يُحِبُّ ٱلْمُتَّقِينَ
3:76
हाँ (अलबत्ता) जो शख्स अपने एहद को पूरा करे और परहेज़गारी इख्तेयार करे तो बेशक ख़ुदा परहेज़गारों को दोस्त रखता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:77
إِنَّ ٱلَّذِينَ يَشْتَرُونَ بِعَهْدِ ٱللَّهِ وَأَيْمَـٰنِهِمْ ثَمَنًا قَلِيلًا أُو۟لَـٰٓئِكَ لَا خَلَـٰقَ لَهُمْ فِى ٱلْـَٔاخِرَةِ وَلَا يُكَلِّمُهُمُ ٱللَّهُ وَلَا يَنظُرُ إِلَيْهِمْ يَوْمَ ٱلْقِيَـٰمَةِ وَلَا يُزَكِّيهِمْ وَلَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌ
3:77
बेशक जो लोग अपने एहद और (क़समे) जो ख़ुदा (से किया था उसके) बदले थोड़ा (दुनयावी) मुआवेज़ा ले लेते हैं उन ही लोगों के वास्ते आख़िरत में कुछ हिस्सा नहीं और क़यामत के दिन ख़ुदा उनसे बात तक तो करेगा नहीं ओर उनकी तरफ़ नज़र (रहमत) ही करेगा और न उनको (गुनाहों की गन्दगी से) पाक करेगा और उनके लिये दर्दनाम अज़ाब है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:78
وَإِنَّ مِنْهُمْ لَفَرِيقًا يَلْوُۥنَ أَلْسِنَتَهُم بِٱلْكِتَـٰبِ لِتَحْسَبُوهُ مِنَ ٱلْكِتَـٰبِ وَمَا هُوَ مِنَ ٱلْكِتَـٰبِ وَيَقُولُونَ هُوَ مِنْ عِندِ ٱللَّهِ وَمَا هُوَ مِنْ عِندِ ٱللَّهِ وَيَقُولُونَ عَلَى ٱللَّهِ ٱلْكَذِبَ وَهُمْ يَعْلَمُونَ
3:78
और अहले किताब से बाज़ ऐसे ज़रूर हैं कि किताब (तौरेत) में अपनी ज़बाने मरोड़ मरोड़ के (कुछ का कुछ) पढ़ जाते हैं ताकि तुम ये समझो कि ये किताब का जुज़ है हालॉकि वह किताब का जुज़ नहीं और कहते हैं कि ये (जो हम पढ़ते हैं) ख़ुदा के यहॉ से (उतरा) है हालॉकि वह ख़ुदा के यहॉ से नहीं (उतरा) और जानबूझ कर ख़ुदा पर झूठ (तूफ़ान) जोड़ते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:79
مَا كَانَ لِبَشَرٍ أَن يُؤْتِيَهُ ٱللَّهُ ٱلْكِتَـٰبَ وَٱلْحُكْمَ وَٱلنُّبُوَّةَ ثُمَّ يَقُولَ لِلنَّاسِ كُونُوا۟ عِبَادًا لِّى مِن دُونِ ٱللَّهِ وَلَـٰكِن كُونُوا۟ رَبَّـٰنِيِّـۧنَ بِمَا كُنتُمْ تُعَلِّمُونَ ٱلْكِتَـٰبَ وَبِمَا كُنتُمْ تَدْرُسُونَ
3:79
किसी आदमी को ये ज़ेबा न था कि ख़ुदा तो उसे (अपनी) किताब और हिकमत और नबूवत अता फ़रमाए और वह लोगों से कहता फिरे कि ख़ुदा को छोड़कर मेरे बन्दे बन जाओ बल्कि (वह तो यही कहेगा कि) तुम अल्लाह वाले बन जाओ क्योंकि तुम तो (हमेशा) किताबे ख़ुदा (दूसरो) को पढ़ाते रहते हो और तुम ख़ुद भी सदा पढ़ते रहे हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:80
وَلَا يَأْمُرَكُمْ أَن تَتَّخِذُوا۟ ٱلْمَلَـٰٓئِكَةَ وَٱلنَّبِيِّـۧنَ أَرْبَابًا ۗ أَيَأْمُرُكُم بِٱلْكُفْرِ بَعْدَ إِذْ أَنتُم مُّسْلِمُونَ
3:80
और वह तुमसे ये तो (कभी) न कहेगा कि फ़रिश्तों और पैग़म्बरों को ख़ुदा बना लो भला (कहीं ऐसा हो सकता है कि) तुम्हारे मुसलमान हो जाने के बाद तुम्हें कुफ़्र का हुक्म करेगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:81
وَإِذْ أَخَذَ ٱللَّهُ مِيثَـٰقَ ٱلنَّبِيِّـۧنَ لَمَآ ءَاتَيْتُكُم مِّن كِتَـٰبٍ وَحِكْمَةٍ ثُمَّ جَآءَكُمْ رَسُولٌ مُّصَدِّقٌ لِّمَا مَعَكُمْ لَتُؤْمِنُنَّ بِهِۦ وَلَتَنصُرُنَّهُۥ ۚ قَالَ ءَأَقْرَرْتُمْ وَأَخَذْتُمْ عَلَىٰ ذَٰلِكُمْ إِصْرِى ۖ قَالُوٓا۟ أَقْرَرْنَا ۚ قَالَ فَٱشْهَدُوا۟ وَأَنَا۠ مَعَكُم مِّنَ ٱلشَّـٰهِدِينَ
3:81
(और ऐ रसूल वह वक्त भी याद दिलाओ) जब ख़ुदा ने पैग़म्बरों से इक़रार लिया कि हम तुमको जो कुछ किताब और हिकमत (वगैरह) दे उसके बाद तुम्हारे पास कोई रसूल आए और जो किताब तुम्हारे पास उसकी तसदीक़ करे तो (देखो) तुम ज़रूर उस पर ईमान लाना, और ज़रूर उसकी मदद करना (और) ख़ुदा ने फ़रमाया क्या तुमने इक़रार लिया तुमने मेरे (एहद का) बोझ उठा लिया सबने अर्ज़ की हमने इक़रार किया इरशाद हुआ (अच्छा) तो आज के क़ौल व (क़रार के) आपस में एक दूसरे के गवाह रहना - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:82
فَمَن تَوَلَّىٰ بَعْدَ ذَٰلِكَ فَأُو۟لَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلْفَـٰسِقُونَ
3:82
और तुम्हारे साथ मैं भी एक गवाह हूं फिर उसके बाद जो शख्स (अपने क़ौल से) मुंह फेरे तो वही लोग बदचलन हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:83
أَفَغَيْرَ دِينِ ٱللَّهِ يَبْغُونَ وَلَهُۥٓ أَسْلَمَ مَن فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ طَوْعًا وَكَرْهًا وَإِلَيْهِ يُرْجَعُونَ
3:83
तो क्या ये लोग ख़ुदा के दीन के सिवा (कोई और दीन) ढूंढते हैं हालॉकि जो (फ़रिश्ते) आसमानों में हैं और जो (लोग) ज़मीन में हैं सबने ख़ुशी ख़ुशी या ज़बरदस्ती उसके सामने अपनी गर्दन डाल दी है और (आख़िर सब) उसकी तरफ़ लौट कर जाएंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:84
قُلْ ءَامَنَّا بِٱللَّهِ وَمَآ أُنزِلَ عَلَيْنَا وَمَآ أُنزِلَ عَلَىٰٓ إِبْرَٰهِيمَ وَإِسْمَـٰعِيلَ وَإِسْحَـٰقَ وَيَعْقُوبَ وَٱلْأَسْبَاطِ وَمَآ أُوتِىَ مُوسَىٰ وَعِيسَىٰ وَٱلنَّبِيُّونَ مِن رَّبِّهِمْ لَا نُفَرِّقُ بَيْنَ أَحَدٍ مِّنْهُمْ وَنَحْنُ لَهُۥ مُسْلِمُونَ
3:84
(ऐ रसूल उन लोगों से) कह दो कि हम तो ख़ुदा पर ईमान लाए और जो किताब हम पर नाज़िल हुई और जो (सहीफ़े) इबराहीम और इस्माईल और इसहाक़ और याकूब और औलादे याकूब पर नाज़िल हुये और मूसा और ईसा और दूसरे पैग़म्बरों को जो (जो किताब) उनके परवरदिगार की तरफ़ से इनायत हुई(सब पर ईमान लाए) हम तो उनमें से किसी एक में भी फ़र्क़ नहीं करते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:85
وَمَن يَبْتَغِ غَيْرَ ٱلْإِسْلَـٰمِ دِينًا فَلَن يُقْبَلَ مِنْهُ وَهُوَ فِى ٱلْـَٔاخِرَةِ مِنَ ٱلْخَـٰسِرِينَ
3:85
और हम तो उसी (यकता ख़ुदा) के फ़रमाबरदार हैं और जो शख्स इस्लाम के सिवा किसी और दीन की ख्वाहिश करे तो उसका वह दीन हरगिज़ कुबूल ही न किया जाएगा और वह आख़िरत में सख्त घाटे में रहेगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:86
كَيْفَ يَهْدِى ٱللَّهُ قَوْمًا كَفَرُوا۟ بَعْدَ إِيمَـٰنِهِمْ وَشَهِدُوٓا۟ أَنَّ ٱلرَّسُولَ حَقٌّ وَجَآءَهُمُ ٱلْبَيِّنَـٰتُ ۚ وَٱللَّهُ لَا يَهْدِى ٱلْقَوْمَ ٱلظَّـٰلِمِينَ
3:86
भला ख़ुदा ऐसे लोगों की क्योंकर हिदायत करेगा जो इमाने लाने के बाद फिर काफ़िर हो गए हालॉकि वह इक़रार कर चुके थे कि पैग़म्बर (आख़िरूज़ज़मा) बरहक़ हैं और उनके पास वाजेए व रौशन मौजिज़े भी आ चुके थे और ख़ुदा ऐसी हठधर्मी करने वाले लोगों की हिदायत नहीं करता - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:87
أُو۟لَـٰٓئِكَ جَزَآؤُهُمْ أَنَّ عَلَيْهِمْ لَعْنَةَ ٱللَّهِ وَٱلْمَلَـٰٓئِكَةِ وَٱلنَّاسِ أَجْمَعِينَ
3:87
ऐसे लोगों की सज़ा यह है कि उनपर ख़ुदा और फ़रिश्तों और (दुनिया जहॉन के) सब लोगों की फिटकार हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:88
خَـٰلِدِينَ فِيهَا لَا يُخَفَّفُ عَنْهُمُ ٱلْعَذَابُ وَلَا هُمْ يُنظَرُونَ
3:88
और वह हमेशा उसी फिटकार में रहेंगे न तो उनके अज़ाब ही में तख्फ़ीफ़ की जाएगी और न उनको मोहलत दी जाएगी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:89
إِلَّا ٱلَّذِينَ تَابُوا۟ مِنۢ بَعْدِ ذَٰلِكَ وَأَصْلَحُوا۟ فَإِنَّ ٱللَّهَ غَفُورٌ رَّحِيمٌ
3:89
मगर (हॉ) जिन लोगों ने इसके बाद तौबा कर ली और अपनी (ख़राबी की) इस्लाह कर ली तो अलबत्ता ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:90
إِنَّ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ بَعْدَ إِيمَـٰنِهِمْ ثُمَّ ٱزْدَادُوا۟ كُفْرًا لَّن تُقْبَلَ تَوْبَتُهُمْ وَأُو۟لَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلضَّآلُّونَ
3:90
जो अपने ईमान के बाद काफ़िर हो बैठे फ़िर (रोज़ बरोज़ अपना) कुफ़्र बढ़ाते चले गये तो उनकी तौबा हरगिज़ न कुबूल की जाएगी और यही लोग (पल्ले दरजे के) गुमराह हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:91
إِنَّ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ وَمَاتُوا۟ وَهُمْ كُفَّارٌ فَلَن يُقْبَلَ مِنْ أَحَدِهِم مِّلْءُ ٱلْأَرْضِ ذَهَبًا وَلَوِ ٱفْتَدَىٰ بِهِۦٓ ۗ أُو۟لَـٰٓئِكَ لَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌ وَمَا لَهُم مِّن نَّـٰصِرِينَ
3:91
बेशक जिन लोगों ने कुफ़्र इख्तियार किया और कुफ़्र की हालत में मर गये तो अगरचे इतना सोना भी किसी की गुलू ख़लासी (छुटकारा पाने) में दिया जाए कि ज़मीन भर जाए तो भी हरगिज़ न कुबूल किया जाएगा यही लोग हैं जिनके लिए दर्दनाक अज़ाब होगा और उनका कोई मददगार भी न होगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:92
لَن تَنَالُوا۟ ٱلْبِرَّ حَتَّىٰ تُنفِقُوا۟ مِمَّا تُحِبُّونَ ۚ وَمَا تُنفِقُوا۟ مِن شَىْءٍ فَإِنَّ ٱللَّهَ بِهِۦ عَلِيمٌ
3:92
(लोगों) जब तक तुम अपनी पसन्दीदा चीज़ों में से कुछ राहे ख़ुदा में ख़र्च न करोगे हरगिज़ नेकी के दरजे पर फ़ायज़ नहीं हो सकते और तुम कोई - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:93
۞ كُلُّ ٱلطَّعَامِ كَانَ حِلًّا لِّبَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ إِلَّا مَا حَرَّمَ إِسْرَٰٓءِيلُ عَلَىٰ نَفْسِهِۦ مِن قَبْلِ أَن تُنَزَّلَ ٱلتَّوْرَىٰةُ ۗ قُلْ فَأْتُوا۟ بِٱلتَّوْرَىٰةِ فَٱتْلُوهَآ إِن كُنتُمْ صَـٰدِقِينَ
3:93
सी चीज़ भी ख़र्च करो ख़ुदा तो उसको ज़रूर जानता है तौरैत के नाज़िल होने के क़ब्ल याकूब ने जो जो चीज़े अपने ऊपर हराम कर ली थीं उनके सिवा बनी इसराइल के लिए सब खाने हलाल थे (ऐ रसूल उन यहूद से) कह दो कि अगर तुम (अपने दावे में सच्चे हो तो तौरेत ले आओ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:94
فَمَنِ ٱفْتَرَىٰ عَلَى ٱللَّهِ ٱلْكَذِبَ مِنۢ بَعْدِ ذَٰلِكَ فَأُو۟لَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلظَّـٰلِمُونَ
3:94
और उसको (हमारे सामने) पढ़ो फिर उसके बाद भी जो कोई ख़ुदा पर झूठ तूफ़ान जोड़े तो (समझ लो) कि यही लोग ज़ालिम (हठधर्म) हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:95
قُلْ صَدَقَ ٱللَّهُ ۗ فَٱتَّبِعُوا۟ مِلَّةَ إِبْرَٰهِيمَ حَنِيفًا وَمَا كَانَ مِنَ ٱلْمُشْرِكِينَ
3:95
(ऐ रसूल) कह दो कि ख़ुदा ने सच फ़रमाया तो अब तुम मिल्लते इबराहीम (इस्लाम) की पैरवी करो जो बातिल से कतरा के चलते थे और मुशरेकीन से न थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:96
إِنَّ أَوَّلَ بَيْتٍ وُضِعَ لِلنَّاسِ لَلَّذِى بِبَكَّةَ مُبَارَكًا وَهُدًى لِّلْعَـٰلَمِينَ
3:96
लोगों (की इबादत) के वास्ते जो घर सबसे पहले बनाया गया वह तो यक़ीनन यही (काबा) है जो मक्के में है बड़ी (खैर व बरकत) वाला और सारे जहॉन के लोगों का रहनुमा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:97
فِيهِ ءَايَـٰتٌۢ بَيِّنَـٰتٌ مَّقَامُ إِبْرَٰهِيمَ ۖ وَمَن دَخَلَهُۥ كَانَ ءَامِنًا ۗ وَلِلَّهِ عَلَى ٱلنَّاسِ حِجُّ ٱلْبَيْتِ مَنِ ٱسْتَطَاعَ إِلَيْهِ سَبِيلًا ۚ وَمَن كَفَرَ فَإِنَّ ٱللَّهَ غَنِىٌّ عَنِ ٱلْعَـٰلَمِينَ
3:97
इसमें (हुरमत की) बहुत सी वाज़े और रौशन निशानियॉ हैं (उनमें से) मुक़ाम इबराहीम है (जहॉ आपके क़दमों का पत्थर पर निशान है) और जो इस घर में दाख़िल हुआ अमन में आ गया और लोगों पर वाजिब है कि महज़ ख़ुदा के लिए ख़ानाए काबा का हज करें जिन्हे वहां तक पहुँचने की इस्तेताअत है और जिसने बावजूद कुदरत हज से इन्कार किया तो (याद रखे) कि ख़ुदा सारे जहॉन से बेपरवा है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:98
قُلْ يَـٰٓأَهْلَ ٱلْكِتَـٰبِ لِمَ تَكْفُرُونَ بِـَٔايَـٰتِ ٱللَّهِ وَٱللَّهُ شَهِيدٌ عَلَىٰ مَا تَعْمَلُونَ
3:98
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि ऐ अहले किताब खुदा की आयतो से क्यो मुन्किर हुए जाते हो हालॉकि जो काम काज तुम करते हो खुदा को उसकी (पूरी) पूरी इत्तिला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:99
قُلْ يَـٰٓأَهْلَ ٱلْكِتَـٰبِ لِمَ تَصُدُّونَ عَن سَبِيلِ ٱللَّهِ مَنْ ءَامَنَ تَبْغُونَهَا عِوَجًا وَأَنتُمْ شُهَدَآءُ ۗ وَمَا ٱللَّهُ بِغَـٰفِلٍ عَمَّا تَعْمَلُونَ
3:99
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि ऐ अहले किताब दीदए दानिस्ता खुदा की (सीधी) राह में (नाहक़ की) कज़ी ढूंढो (ढूंढ) के ईमान लाने वालों को उससे क्यों रोकते हो ओर जो कुछ तुम करते हो खुदा उससे बेख़बर नहीं है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:100
يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوٓا۟ إِن تُطِيعُوا۟ فَرِيقًا مِّنَ ٱلَّذِينَ أُوتُوا۟ ٱلْكِتَـٰبَ يَرُدُّوكُم بَعْدَ إِيمَـٰنِكُمْ كَـٰفِرِينَ
3:100
ऐ ईमान वालों अगर तुमने अहले किताब के किसी फ़िरके क़ा भी कहना माना तो (याद रखो कि) वह तुमको ईमान लाने के बाद (भी) फिर दुबारा काफ़िर बना छोडेंग़े - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:101
وَكَيْفَ تَكْفُرُونَ وَأَنتُمْ تُتْلَىٰ عَلَيْكُمْ ءَايَـٰتُ ٱللَّهِ وَفِيكُمْ رَسُولُهُۥ ۗ وَمَن يَعْتَصِم بِٱللَّهِ فَقَدْ هُدِىَ إِلَىٰ صِرَٰطٍ مُّسْتَقِيمٍ
3:101
और (भला) तुम क्योंकर काफ़िर बन जाओगे हालॉकि तुम्हारे सामने ख़ुदा की आयतें (बराबर) पढ़ी जाती हैं और उसके रसूल (मोहम्मद) भी तुममें (मौजूद) हैं और जो शख्स ख़ुदा से वाबस्ता हो वह (तो) जरूर सीधी राह पर लगा दिया गया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:102
يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ ٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ حَقَّ تُقَاتِهِۦ وَلَا تَمُوتُنَّ إِلَّا وَأَنتُم مُّسْلِمُونَ
3:102
ऐ ईमान वालों ख़ुदा से डरो जितना उससे डरने का हक़ है और तुम (दीन) इस्लाम के सिवा किसी और दीन पर हरगिज़ न मरना - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:103
وَٱعْتَصِمُوا۟ بِحَبْلِ ٱللَّهِ جَمِيعًا وَلَا تَفَرَّقُوا۟ ۚ وَٱذْكُرُوا۟ نِعْمَتَ ٱللَّهِ عَلَيْكُمْ إِذْ كُنتُمْ أَعْدَآءً فَأَلَّفَ بَيْنَ قُلُوبِكُمْ فَأَصْبَحْتُم بِنِعْمَتِهِۦٓ إِخْوَٰنًا وَكُنتُمْ عَلَىٰ شَفَا حُفْرَةٍ مِّنَ ٱلنَّارِ فَأَنقَذَكُم مِّنْهَا ۗ كَذَٰلِكَ يُبَيِّنُ ٱللَّهُ لَكُمْ ءَايَـٰتِهِۦ لَعَلَّكُمْ تَهْتَدُونَ
3:103
और तुम सब के सब (मिलकर) ख़ुदा की रस्सी मज़बूती से थामे रहो और आपस में (एक दूसरे) के फूट न डालो और अपने हाल (ज़ार) पर ख़ुदा के एहसान को तो याद करो जब तुम आपस में (एक दूसरे के) दुश्मन थे तो ख़ुदा ने तुम्हारे दिलों में (एक दूसरे की) उलफ़त पैदा कर दी तो तुम उसके फ़ज़ल से आपस में भाई भाई हो गए और तुम गोया सुलगती हुईआग की भट्टी (दोज़ख) के लब पर (खडे) थे गिरना ही चाहते थे कि ख़ुदा ने तुमको उससे बचा लिया तो ख़ुदा अपने एहकाम यूं वाजेए करके बयान करता है ताकि तुम राहे रास्त पर आ जाओ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:104
وَلْتَكُن مِّنكُمْ أُمَّةٌ يَدْعُونَ إِلَى ٱلْخَيْرِ وَيَأْمُرُونَ بِٱلْمَعْرُوفِ وَيَنْهَوْنَ عَنِ ٱلْمُنكَرِ ۚ وَأُو۟لَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلْمُفْلِحُونَ
3:104
और तुमसे एक गिरोह ऐसे (लोगों का भी) तो होना चाहिये जो (लोगों को) नेकी की तरफ़ बुलाए अच्छे काम का हुक्म दे और बुरे कामों से रोके और ऐसे ही लोग (आख़ेरत में) अपनी दिली मुरादें पायेंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:105
وَلَا تَكُونُوا۟ كَٱلَّذِينَ تَفَرَّقُوا۟ وَٱخْتَلَفُوا۟ مِنۢ بَعْدِ مَا جَآءَهُمُ ٱلْبَيِّنَـٰتُ ۚ وَأُو۟لَـٰٓئِكَ لَهُمْ عَذَابٌ عَظِيمٌ
3:105
और तुम (कहीं) उन लोगों के ऐसे न हो जाना जो आपस में फूट डाल कर बैठ रहे और रौशन (दलील) आने के बाद भी एक मुंह एक ज़बान न रहे और ऐसे ही लोगों के वास्ते बड़ा (भारी) अज़ाब है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:106
يَوْمَ تَبْيَضُّ وُجُوهٌ وَتَسْوَدُّ وُجُوهٌ ۚ فَأَمَّا ٱلَّذِينَ ٱسْوَدَّتْ وُجُوهُهُمْ أَكَفَرْتُم بَعْدَ إِيمَـٰنِكُمْ فَذُوقُوا۟ ٱلْعَذَابَ بِمَا كُنتُمْ تَكْفُرُونَ
3:106
(उस दिन से डरो) जिस दिन कुछ लोगों के चेहरे तो सफैद नूरानी होंगे और कुछ (लोगो) के चेहरे सियाह जिन लोगों के मुहॅ में कालिक होगी (उनसे कहा जायेगा) हाए क्यों तुम तो ईमान लाने के बाद काफ़िर हो गए थे अच्छा तो (लो) (अब) अपने कुफ़्र की सज़ा में अज़ाब (के मजे) चखो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:107
وَأَمَّا ٱلَّذِينَ ٱبْيَضَّتْ وُجُوهُهُمْ فَفِى رَحْمَةِ ٱللَّهِ هُمْ فِيهَا خَـٰلِدُونَ
3:107
और जिनके चेहरे पर नूर बरसता होगा वह तो ख़ुदा की रहमत(बहिश्त) में होंगे (और) उसी में सदा रहेंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:108
تِلْكَ ءَايَـٰتُ ٱللَّهِ نَتْلُوهَا عَلَيْكَ بِٱلْحَقِّ ۗ وَمَا ٱللَّهُ يُرِيدُ ظُلْمًا لِّلْعَـٰلَمِينَ
3:108
(ऐ रसूल) ये ख़ुदा की आयतें हैं जो हम तुमको ठीक (ठीक) पढ़ के सुनाते हैं और ख़ुदा सारे जहॉन के लोगों (से किसी) पर जुल्म करना नहीं चाहता - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:109
وَلِلَّهِ مَا فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَمَا فِى ٱلْأَرْضِ ۚ وَإِلَى ٱللَّهِ تُرْجَعُ ٱلْأُمُورُ
3:109
और जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है (सब) ख़ुदा ही का है और (आख़िर) सब कामों की रूज़ु ख़ुदा ही की तरफ़ है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:110
كُنتُمْ خَيْرَ أُمَّةٍ أُخْرِجَتْ لِلنَّاسِ تَأْمُرُونَ بِٱلْمَعْرُوفِ وَتَنْهَوْنَ عَنِ ٱلْمُنكَرِ وَتُؤْمِنُونَ بِٱللَّهِ ۗ وَلَوْ ءَامَنَ أَهْلُ ٱلْكِتَـٰبِ لَكَانَ خَيْرًا لَّهُم ۚ مِّنْهُمُ ٱلْمُؤْمِنُونَ وَأَكْثَرُهُمُ ٱلْفَـٰسِقُونَ
3:110
तुम क्या अच्छे गिरोह हो कि (लोगों की) हिदायत के वास्ते पैदा किये गए हो तुम (लोगों को) अच्छे काम का हुक्म करते हो और बुरे कामों से रोकते हो और ख़ुदा पर ईमान रखते हो और अगर अहले किताब भी (इसी तरह) ईमान लाते तो उनके हक़ में बहुत अच्छा होता उनमें से कुछ ही तो ईमानदार हैं और अक्सर बदकार - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:111
لَن يَضُرُّوكُمْ إِلَّآ أَذًى ۖ وَإِن يُقَـٰتِلُوكُمْ يُوَلُّوكُمُ ٱلْأَدْبَارَ ثُمَّ لَا يُنصَرُونَ
3:111
(मुसलमानों) ये लोग मामूली अज़ीयत के सिवा तुम्हें हरगिज़ ज़रर नहीं पहुंचा सकते और अगर तुमसे लड़ेंगे तो उन्हें तुम्हारी तरफ़ पीठ ही करनी होगी और फिर उनकी कहीं से मदद भी नहीं पहुंचेगी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:112
ضُرِبَتْ عَلَيْهِمُ ٱلذِّلَّةُ أَيْنَ مَا ثُقِفُوٓا۟ إِلَّا بِحَبْلٍ مِّنَ ٱللَّهِ وَحَبْلٍ مِّنَ ٱلنَّاسِ وَبَآءُو بِغَضَبٍ مِّنَ ٱللَّهِ وَضُرِبَتْ عَلَيْهِمُ ٱلْمَسْكَنَةُ ۚ ذَٰلِكَ بِأَنَّهُمْ كَانُوا۟ يَكْفُرُونَ بِـَٔايَـٰتِ ٱللَّهِ وَيَقْتُلُونَ ٱلْأَنۢبِيَآءَ بِغَيْرِ حَقٍّ ۚ ذَٰلِكَ بِمَا عَصَوا۟ وَّكَانُوا۟ يَعْتَدُونَ
3:112
और जहॉ कहीं हत्ते चढ़े उनपर रूसवाई की मार पड़ी मगर ख़ुदा के एहद (या) और लोगों के एहद के ज़रिये से (उनको कहीं पनाह मिल गयी) और फिर हेरफेर के खुदा के गज़ब में पड़ गए और उनपर मोहताजी की मार (अलग) पड़ी ये (क्यों) इस सबब से कि वह ख़ुदा की आयतों से इन्कार करते थे और पैग़म्बरों को नाहक़ क़त्ल करते थे ये सज़ा उसकी है कि उन्होंने नाफ़रमानी की और हद से गुज़र गए थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:113
۞ لَيْسُوا۟ سَوَآءً ۗ مِّنْ أَهْلِ ٱلْكِتَـٰبِ أُمَّةٌ قَآئِمَةٌ يَتْلُونَ ءَايَـٰتِ ٱللَّهِ ءَانَآءَ ٱلَّيْلِ وَهُمْ يَسْجُدُونَ
3:113
और ये लोग भी सबके सब यकसॉ नहीं हैं (बल्कि) अहले किताब से कुछ लोग तो ऐसे हैं कि (ख़ुदा के दीन पर) इस तरह साबित क़दम हैं कि रातों को ख़ुदा की आयतें पढ़ा करते हैं और वह बराबर सजदे किया करते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:114
يُؤْمِنُونَ بِٱللَّهِ وَٱلْيَوْمِ ٱلْـَٔاخِرِ وَيَأْمُرُونَ بِٱلْمَعْرُوفِ وَيَنْهَوْنَ عَنِ ٱلْمُنكَرِ وَيُسَـٰرِعُونَ فِى ٱلْخَيْرَٰتِ وَأُو۟لَـٰٓئِكَ مِنَ ٱلصَّـٰلِحِينَ
3:114
खुदा और रोज़े आख़ेरत पर ईमान रखते हैं और अच्छे काम का तो हुक्म करते हैं और बुरे कामों से रोकते हैं और नेक कामों में दौड़ पड़ते हैं और यही लोग तो नेक बन्दों से हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:115
وَمَا يَفْعَلُوا۟ مِنْ خَيْرٍ فَلَن يُكْفَرُوهُ ۗ وَٱللَّهُ عَلِيمٌۢ بِٱلْمُتَّقِينَ
3:115
और वह जो कुछ नेकी करेंगे उसकी हरगिज़ नाक़द्री न की जाएगी और ख़ुदा परहेज़गारों से खूब वाक़िफ़ है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:116
إِنَّ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ لَن تُغْنِىَ عَنْهُمْ أَمْوَٰلُهُمْ وَلَآ أَوْلَـٰدُهُم مِّنَ ٱللَّهِ شَيْـًٔا ۖ وَأُو۟لَـٰٓئِكَ أَصْحَـٰبُ ٱلنَّارِ ۚ هُمْ فِيهَا خَـٰلِدُونَ
3:116
बेशक जिन लोगों ने कुफ़्र इख्तेयार किया ख़ुदा (के अज़ाब) से बचाने में हरगिज़ न उनके माल ही कुछ काम आएंगे न उनकी औलाद और यही लोग जहन्नुमी हैं और हमेशा उसी में रहेंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:117
مَثَلُ مَا يُنفِقُونَ فِى هَـٰذِهِ ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا كَمَثَلِ رِيحٍ فِيهَا صِرٌّ أَصَابَتْ حَرْثَ قَوْمٍ ظَلَمُوٓا۟ أَنفُسَهُمْ فَأَهْلَكَتْهُ ۚ وَمَا ظَلَمَهُمُ ٱللَّهُ وَلَـٰكِنْ أَنفُسَهُمْ يَظْلِمُونَ
3:117
दुनिया की चन्द रोज़ा ज़िन्दगी में ये लोग जो कुछ (ख़िलाफ़ शरा) ख़र्च करते हैं उसकी मिसाल अन्धड़ की मिसाल है जिसमें बहुत पाला हो और वह उन लोगों के खेत पर जा पड़े जिन्होंने (कुफ़्र की वजह से) अपनी जानों पर सितम ढाया हो और फिर पाला उसे मार के (नास कर दे) और ख़ुदा ने उनपर जुल्म कुछ नहीं किया बल्कि उन्होंने आप अपने ऊपर जुल्म किया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:118
يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ لَا تَتَّخِذُوا۟ بِطَانَةً مِّن دُونِكُمْ لَا يَأْلُونَكُمْ خَبَالًا وَدُّوا۟ مَا عَنِتُّمْ قَدْ بَدَتِ ٱلْبَغْضَآءُ مِنْ أَفْوَٰهِهِمْ وَمَا تُخْفِى صُدُورُهُمْ أَكْبَرُ ۚ قَدْ بَيَّنَّا لَكُمُ ٱلْـَٔايَـٰتِ ۖ إِن كُنتُمْ تَعْقِلُونَ
3:118
ऐ ईमानदारों अपने (मोमिनीन) के सिवा (गैरो को) अपना राज़दार न बनाओ (क्योंकि) ये गैर लोग तुम्हारी बरबादी में कुछ उठा नहीं रखेंगे (बल्कि जितना ज्यादा तकलीफ़) में पड़ोगे उतना ही ये लोग ख़ुश होंगे दुश्मनी तो उनके मुंह से टपकती है और जो (बुग़ज़ व हसद) उनके दिलों में भरा है वह कहीं उससे बढ़कर है हमने तुमसे (अपने) एहकाम साफ़ साफ़ बयान कर दिये अगर तुम समझ रखते हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:119
هَـٰٓأَنتُمْ أُو۟لَآءِ تُحِبُّونَهُمْ وَلَا يُحِبُّونَكُمْ وَتُؤْمِنُونَ بِٱلْكِتَـٰبِ كُلِّهِۦ وَإِذَا لَقُوكُمْ قَالُوٓا۟ ءَامَنَّا وَإِذَا خَلَوْا۟ عَضُّوا۟ عَلَيْكُمُ ٱلْأَنَامِلَ مِنَ ٱلْغَيْظِ ۚ قُلْ مُوتُوا۟ بِغَيْظِكُمْ ۗ إِنَّ ٱللَّهَ عَلِيمٌۢ بِذَاتِ ٱلصُّدُورِ
3:119
ऐ लोगों तुम ऐसे (सीधे) हो कि तुम उनसे उलफ़त रखतो हो और वह तुम्हें (ज़रा भी) नहीं चाहते और तुम तो पूरी किताब (ख़ुदा) पर ईमान रखते हो और वह ऐसे नहीं हैं (मगर) जब तुमसे मिलते हैं तो कहने लगते हैं कि हम भी ईमान लाए और जब अकेले में होते हैं तो तुम पर गुस्से के मारे उंगलियों काटते हैं (ऐ रसूल) तुम कह दो कि (काटना क्या) तुम अपने गुस्से में जल मरो जो बातें तुम्हारे दिलों में हैं बेशक ख़ुदा ज़रूर जानता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:120
إِن تَمْسَسْكُمْ حَسَنَةٌ تَسُؤْهُمْ وَإِن تُصِبْكُمْ سَيِّئَةٌ يَفْرَحُوا۟ بِهَا ۖ وَإِن تَصْبِرُوا۟ وَتَتَّقُوا۟ لَا يَضُرُّكُمْ كَيْدُهُمْ شَيْـًٔا ۗ إِنَّ ٱللَّهَ بِمَا يَعْمَلُونَ مُحِيطٌ
3:120
(ऐ ईमानदारों) अगर तुमको भलाई छू भी गयी तो उनको बुरा मालूम होता है और जब तुमपर कोई भी मुसीबत पड़ती है तो वह ख़ुश हो जाते हैं और अगर तुम सब्र करो और परहेज़गारी इख्तेयार करो तो उनका फ़रेब तुम्हें कुछ भी ज़रर नहीं पहुंचाएगा (क्योंकि) ख़ुदा तो उनकी कारस्तानियों पर हावी है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:121
وَإِذْ غَدَوْتَ مِنْ أَهْلِكَ تُبَوِّئُ ٱلْمُؤْمِنِينَ مَقَـٰعِدَ لِلْقِتَالِ ۗ وَٱللَّهُ سَمِيعٌ عَلِيمٌ
3:121
और (ऐ रसूल) एक वक्त वो भी था जब तुम अपने बाल बच्चों से तड़के ही निकल खड़े हुए और मोमिनीन को लड़ाई के मोर्चों पर बिठा रहे थे और खुदा सब कुछ जानता और सुनता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:122
إِذْ هَمَّت طَّآئِفَتَانِ مِنكُمْ أَن تَفْشَلَا وَٱللَّهُ وَلِيُّهُمَا ۗ وَعَلَى ٱللَّهِ فَلْيَتَوَكَّلِ ٱلْمُؤْمِنُونَ
3:122
ये उस वक्त क़ा वाक़या है जब तुममें से दो गिरोहों ने ठान लिया था कि पसपाई करें और फिर (सॅभल गए) क्योंकि ख़ुदा तो उनका सरपरस्त था और मोमिनीन को ख़ुदा ही पर भरोसा रखना चाहिये - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:123
وَلَقَدْ نَصَرَكُمُ ٱللَّهُ بِبَدْرٍ وَأَنتُمْ أَذِلَّةٌ ۖ فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ لَعَلَّكُمْ تَشْكُرُونَ
3:123
यक़ीनन ख़ुदा ने जंगे बदर में तुम्हारी मदद की (बावजूद के) तुम (दुश्मन के मुक़ाबले में) बिल्कुल बे हक़ीक़त थे (फिर भी) ख़ुदा ने फतेह दी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:124
إِذْ تَقُولُ لِلْمُؤْمِنِينَ أَلَن يَكْفِيَكُمْ أَن يُمِدَّكُمْ رَبُّكُم بِثَلَـٰثَةِ ءَالَـٰفٍ مِّنَ ٱلْمَلَـٰٓئِكَةِ مُنزَلِينَ
3:124
पस तुम ख़ुदा से डरते रहो ताकि (उनके) शुक्रगुज़ार बनो (ऐ रसूल) उस वक्त तुम मोमिनीन से कह रहे थे कि क्या तुम्हारे लिए काफ़ी नहीं है कि तुम्हारा परवरदिगार तीन हज़ार फ़रिश्ते आसमान से भेजकर तुम्हारी मदद करे हॉ (ज़रूर काफ़ी है) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:125
بَلَىٰٓ ۚ إِن تَصْبِرُوا۟ وَتَتَّقُوا۟ وَيَأْتُوكُم مِّن فَوْرِهِمْ هَـٰذَا يُمْدِدْكُمْ رَبُّكُم بِخَمْسَةِ ءَالَـٰفٍ مِّنَ ٱلْمَلَـٰٓئِكَةِ مُسَوِّمِينَ
3:125
बल्कि अगर तुम साबित क़दम रहो और (रसूल की मुख़ालेफ़त से) बचो और कुफ्फ़ार अपने (जोश में) तुमपर चढ़ भी आये तो तुम्हारा परवरदिगार ऐसे पॉच हज़ार फ़रिश्तों से तुम्हारी मदद करेगा जो निशाने जंग लगाए हुए डटे होंगे और ख़ुदा ने ये मदद सिर्फ तुम्हारी ख़ुशी के लिए की है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:126
وَمَا جَعَلَهُ ٱللَّهُ إِلَّا بُشْرَىٰ لَكُمْ وَلِتَطْمَئِنَّ قُلُوبُكُم بِهِۦ ۗ وَمَا ٱلنَّصْرُ إِلَّا مِنْ عِندِ ٱللَّهِ ٱلْعَزِيزِ ٱلْحَكِيمِ
3:126
और ताकि इससे तुम्हारे दिल की ढारस हो और (ये तो ज़ाहिर है कि) मदद जब होती है तो ख़ुदा ही की तरफ़ से जो सब पर ग़ालिब (और) हिकमत वाला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:127
لِيَقْطَعَ طَرَفًا مِّنَ ٱلَّذِينَ كَفَرُوٓا۟ أَوْ يَكْبِتَهُمْ فَيَنقَلِبُوا۟ خَآئِبِينَ
3:127
(और यह मदद की भी तो) इसलिए कि काफ़िरों के एक गिरोह को कम कर दे या ऐसा चौपट कर दे कि (अपना सा) मुंह लेकर नामुराद अपने घर वापस चले जायें - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:128
لَيْسَ لَكَ مِنَ ٱلْأَمْرِ شَىْءٌ أَوْ يَتُوبَ عَلَيْهِمْ أَوْ يُعَذِّبَهُمْ فَإِنَّهُمْ ظَـٰلِمُونَ
3:128
(ऐ रसूल) तुम्हारा तो इसमें कुछ बस नहीं चाहे ख़ुदा उनकी तौबा कुबूल करे या उनको सज़ा दे क्योंकि वह ज़ालिम तो ज़रूर हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:129
وَلِلَّهِ مَا فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَمَا فِى ٱلْأَرْضِ ۚ يَغْفِرُ لِمَن يَشَآءُ وَيُعَذِّبُ مَن يَشَآءُ ۚ وَٱللَّهُ غَفُورٌ رَّحِيمٌ
3:129
और जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है सब ख़ुदा ही का है जिसको चाहे बख्शे और जिसको चाहे सज़ा करे और ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबार है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:130
يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ لَا تَأْكُلُوا۟ ٱلرِّبَوٰٓا۟ أَضْعَـٰفًا مُّضَـٰعَفَةً ۖ وَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُونَ
3:130
ऐ ईमानदारों सूद दनादन खाते न चले जाओ और ख़ुदा से डरो कि तुम छुटकारा पाओ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:131
وَٱتَّقُوا۟ ٱلنَّارَ ٱلَّتِىٓ أُعِدَّتْ لِلْكَـٰفِرِينَ
3:131
और जहन्नुम की उस आग से डरो जो काफ़िरों के लिए तैयार की गयी है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:132
وَأَطِيعُوا۟ ٱللَّهَ وَٱلرَّسُولَ لَعَلَّكُمْ تُرْحَمُونَ
3:132
और ख़ुदा और रसूल की फ़रमाबरदारी करो ताकि तुम पर रहम किया जाए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:133
۞ وَسَارِعُوٓا۟ إِلَىٰ مَغْفِرَةٍ مِّن رَّبِّكُمْ وَجَنَّةٍ عَرْضُهَا ٱلسَّمَـٰوَٰتُ وَٱلْأَرْضُ أُعِدَّتْ لِلْمُتَّقِينَ
3:133
और अपने परवरदिगार के (सबब) बख्शिश और जन्नत की तरफ़ दौड़ पड़ो जिसकी (वुसअत सारे) आसमान और ज़मीन के बराबर है और जो परहेज़गारों के लिये मुहय्या की गयी है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:134
ٱلَّذِينَ يُنفِقُونَ فِى ٱلسَّرَّآءِ وَٱلضَّرَّآءِ وَٱلْكَـٰظِمِينَ ٱلْغَيْظَ وَٱلْعَافِينَ عَنِ ٱلنَّاسِ ۗ وَٱللَّهُ يُحِبُّ ٱلْمُحْسِنِينَ
3:134
जो ख़ुशहाली और कठिन वक्त में भी (ख़ुदा की राह पर) ख़र्च करते हैं और गुस्से को रोकते हैं और लोगों (की ख़ता) से दरगुज़र करते हैं और नेकी करने वालों से अल्लाह उलफ़त रखता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:135
وَٱلَّذِينَ إِذَا فَعَلُوا۟ فَـٰحِشَةً أَوْ ظَلَمُوٓا۟ أَنفُسَهُمْ ذَكَرُوا۟ ٱللَّهَ فَٱسْتَغْفَرُوا۟ لِذُنُوبِهِمْ وَمَن يَغْفِرُ ٱلذُّنُوبَ إِلَّا ٱللَّهُ وَلَمْ يُصِرُّوا۟ عَلَىٰ مَا فَعَلُوا۟ وَهُمْ يَعْلَمُونَ
3:135
और लोग इत्तिफ़ाक़ से कोई बदकारी कर बैठते हैं या आप अपने ऊपर जुल्म करते हैं तो ख़ुदा को याद करते हैं और अपने गुनाहों की माफ़ी मॉगते हैं और ख़ुदा के सिवा गुनाहों का बख्शने वाला और कौन है और जो (क़ूसूर) वह (नागहानी) कर बैठे तो जानबूझ कर उसपर हट नहीं करते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:136
أُو۟لَـٰٓئِكَ جَزَآؤُهُم مَّغْفِرَةٌ مِّن رَّبِّهِمْ وَجَنَّـٰتٌ تَجْرِى مِن تَحْتِهَا ٱلْأَنْهَـٰرُ خَـٰلِدِينَ فِيهَا ۚ وَنِعْمَ أَجْرُ ٱلْعَـٰمِلِينَ
3:136
ऐसे ही लोगों की जज़ा उनके परवरदिगार की तरफ़ से बख्शिश है और वह बाग़ात हैं जिनके नीचे नहरें जारी हैं कि वह उनमें हमेशा रहेंगे और (अच्छे) चलन वालों की (भी) ख़ूब खरी मज़दूरी है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:137
قَدْ خَلَتْ مِن قَبْلِكُمْ سُنَنٌ فَسِيرُوا۟ فِى ٱلْأَرْضِ فَٱنظُرُوا۟ كَيْفَ كَانَ عَـٰقِبَةُ ٱلْمُكَذِّبِينَ
3:137
तुमसे पहले बहुत से वाक़यात गुज़र चुके हैं पस ज़रा रूए ज़मीन पर चल फिर कर देखो तो कि (अपने अपने वक्त क़े पैग़म्बरों को) झुठलाने वालों का अन्जाम क्या हुआ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:138
هَـٰذَا بَيَانٌ لِّلنَّاسِ وَهُدًى وَمَوْعِظَةٌ لِّلْمُتَّقِينَ
3:138
ये (जो हमने कहा) आम लोगों के लिए तो सिर्फ़ बयान (वाक़या) है मगर और परहेज़गारों के लिए हिदायत व नसीहत है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:139
وَلَا تَهِنُوا۟ وَلَا تَحْزَنُوا۟ وَأَنتُمُ ٱلْأَعْلَوْنَ إِن كُنتُم مُّؤْمِنِينَ
3:139
और मुसलमानों काहिली न करो और (इस) इत्तफ़ाक़ी शिकस्त (ओहद से) कुढ़ो नहीं (क्योंकि) अगर तुम सच्चे मोमिन हो तो तुम ही ग़ालिब और वर रहोगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:140
إِن يَمْسَسْكُمْ قَرْحٌ فَقَدْ مَسَّ ٱلْقَوْمَ قَرْحٌ مِّثْلُهُۥ ۚ وَتِلْكَ ٱلْأَيَّامُ نُدَاوِلُهَا بَيْنَ ٱلنَّاسِ وَلِيَعْلَمَ ٱللَّهُ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَيَتَّخِذَ مِنكُمْ شُهَدَآءَ ۗ وَٱللَّهُ لَا يُحِبُّ ٱلظَّـٰلِمِينَ
3:140
अगर (जंगे ओहद में) तुमको ज़ख्म लगा है तो उसी तरह (बदर में) तुम्हारे फ़रीक़ (कुफ्फ़ार को) भी ज़ख्म लग चुका है (उस पर उनकी हिम्मत तो न टूटी) ये इत्तफ़ाक़ाते ज़माना हैं जो हम लोगों के दरमियान बारी बारी उलट फेर किया करते हैं और ये (इत्तफ़ाक़ी शिकस्त इसलिए थी) ताकि ख़ुदा सच्चे ईमानदारों को (ज़ाहिरी) मुसलमानों से अलग देख लें और तुममें से बाज़ को दरजाए शहादत पर फ़ायज़ करें और ख़ुदा (हुक्मे रसूल से) सरताबी करने वालों को दोस्त नहीं रखता - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:141
وَلِيُمَحِّصَ ٱللَّهُ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَيَمْحَقَ ٱلْكَـٰفِرِينَ
3:141
और ये (भी मंजूर था) कि सच्चे ईमानदारों को (साबित क़दमी की वजह से) निरा खरा अलग कर ले और नाफ़रमानों (भागने वालों) का मटियामेट कर दे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:142
أَمْ حَسِبْتُمْ أَن تَدْخُلُوا۟ ٱلْجَنَّةَ وَلَمَّا يَعْلَمِ ٱللَّهُ ٱلَّذِينَ جَـٰهَدُوا۟ مِنكُمْ وَيَعْلَمَ ٱلصَّـٰبِرِينَ
3:142
(मुसलमानों) क्या तुम ये समझते हो कि सब के सब बहिश्त में चले ही जाओगे और क्या ख़ुदा ने अभी तक तुममें से उन लोगों को भी नहीं पहचाना जिन्होंने जेहाद किया और न साबित क़दम रहने वालों को ही पहचाना - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:143
وَلَقَدْ كُنتُمْ تَمَنَّوْنَ ٱلْمَوْتَ مِن قَبْلِ أَن تَلْقَوْهُ فَقَدْ رَأَيْتُمُوهُ وَأَنتُمْ تَنظُرُونَ
3:143
तुम तो मौत के आने से पहले (लड़ाई में) मरने की तमन्ना करते थे बस अब तुमने उसको अपनी ऑख से देख लिया और तुम अब भी देख रहे हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:144
وَمَا مُحَمَّدٌ إِلَّا رَسُولٌ قَدْ خَلَتْ مِن قَبْلِهِ ٱلرُّسُلُ ۚ أَفَإِي۟ن مَّاتَ أَوْ قُتِلَ ٱنقَلَبْتُمْ عَلَىٰٓ أَعْقَـٰبِكُمْ ۚ وَمَن يَنقَلِبْ عَلَىٰ عَقِبَيْهِ فَلَن يَضُرَّ ٱللَّهَ شَيْـًٔا ۗ وَسَيَجْزِى ٱللَّهُ ٱلشَّـٰكِرِينَ
3:144
(फिर लड़ाई से जी क्यों चुराते हो) और मोहम्मद तो सिर्फ रसूल हैं (ख़ुदा नहीं) इनसे पहले बहुतेरे पैग़म्बर गुज़र चुके हैं फिर क्या अगर मोहम्मद अपनी मौत से मर जॉए या मार डाले जाएं तो तुम उलटे पॉव (अपने कुफ़्र की तरफ़) पलट जाओगे और जो उलटे पॉव फिरेगा (भी) तो (समझ लो) हरगिज़ ख़ुदा का कुछ भी नहीं बिगड़ेगा और अनक़रीब ख़ुदा का शुक्र करने वालों को अच्छा बदला देगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:145
وَمَا كَانَ لِنَفْسٍ أَن تَمُوتَ إِلَّا بِإِذْنِ ٱللَّهِ كِتَـٰبًا مُّؤَجَّلًا ۗ وَمَن يُرِدْ ثَوَابَ ٱلدُّنْيَا نُؤْتِهِۦ مِنْهَا وَمَن يُرِدْ ثَوَابَ ٱلْـَٔاخِرَةِ نُؤْتِهِۦ مِنْهَا ۚ وَسَنَجْزِى ٱلشَّـٰكِرِينَ
3:145
और बगैर हुक्मे ख़ुदा के तो कोई शख्स मर ही नहीं सकता वक्ते मुअय्यन तक हर एक की मौत लिखी हुई है और जो शख्स (अपने किए का) बदला दुनिया में चाहे तो हम उसको इसमें से दे देते हैं और जो शख्स आख़ेरत का बदला चाहे उसे उसी में से देंगे और (नेअमत ईमान के) शुक्र करने वालों को बहुत जल्द हम जज़ाए खैर देंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:146
وَكَأَيِّن مِّن نَّبِىٍّ قَـٰتَلَ مَعَهُۥ رِبِّيُّونَ كَثِيرٌ فَمَا وَهَنُوا۟ لِمَآ أَصَابَهُمْ فِى سَبِيلِ ٱللَّهِ وَمَا ضَعُفُوا۟ وَمَا ٱسْتَكَانُوا۟ ۗ وَٱللَّهُ يُحِبُّ ٱلصَّـٰبِرِينَ
3:146
और (मुसलमानों तुम ही नहीं) ऐसे पैग़म्बर बहुत से गुज़र चुके हैं जिनके साथ बहुतेरे अल्लाह वालों ने (राहे खुदा में) जेहाद किया और फिर उनको ख़ुदा की राह में जो मुसीबत पड़ी है न तो उन्होंने हिम्मत हारी न बोदापन किया (और न दुशमन के सामने) गिड़गिड़ाने लगे और साबित क़दम रहने वालों से ख़ुदा उलफ़त रखता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:147
وَمَا كَانَ قَوْلَهُمْ إِلَّآ أَن قَالُوا۟ رَبَّنَا ٱغْفِرْ لَنَا ذُنُوبَنَا وَإِسْرَافَنَا فِىٓ أَمْرِنَا وَثَبِّتْ أَقْدَامَنَا وَٱنصُرْنَا عَلَى ٱلْقَوْمِ ٱلْكَـٰفِرِينَ
3:147
और लुत्फ़ ये है कि उनका क़ौल इसके सिवा कुछ न था कि दुआएं मॉगने लगें कि ऐ हमारे पालने वाले हमारे गुनाह और अपने कामों में हमारी ज्यादतियॉ माफ़ कर और दुश्मनों के मुक़ाबले में हमको साबित क़दम रख और काफ़िरों के गिरोह पर हमको फ़तेह दे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:148
فَـَٔاتَىٰهُمُ ٱللَّهُ ثَوَابَ ٱلدُّنْيَا وَحُسْنَ ثَوَابِ ٱلْـَٔاخِرَةِ ۗ وَٱللَّهُ يُحِبُّ ٱلْمُحْسِنِينَ
3:148
तो ख़ुदा ने उनको दुनिया में बदला (दिया) और आख़िरत में अच्छा बदला ईनायत फ़रमाया और ख़ुदा नेकी करने वालों को दोस्त रखता (ही) है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:149
يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوٓا۟ إِن تُطِيعُوا۟ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ يَرُدُّوكُمْ عَلَىٰٓ أَعْقَـٰبِكُمْ فَتَنقَلِبُوا۟ خَـٰسِرِينَ
3:149
ऐ ईमानदारों अगर तुम लोगों ने काफ़िरों की पैरवी कर ली तो (याद रखो) वह तुमको उलटे पॉव (कुफ़्र की तरफ़) फेर कर ले जाऐंगे फिर उलटे तुम ही घाटे में आ जाओगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:150
بَلِ ٱللَّهُ مَوْلَىٰكُمْ ۖ وَهُوَ خَيْرُ ٱلنَّـٰصِرِينَ
3:150
(तुम किसी की मदद के मोहताज नहीं) बल्कि ख़ुदा तुम्हारा सरपरस्त है और वह सब मददगारों से बेहतर है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:151
سَنُلْقِى فِى قُلُوبِ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ ٱلرُّعْبَ بِمَآ أَشْرَكُوا۟ بِٱللَّهِ مَا لَمْ يُنَزِّلْ بِهِۦ سُلْطَـٰنًا ۖ وَمَأْوَىٰهُمُ ٱلنَّارُ ۚ وَبِئْسَ مَثْوَى ٱلظَّـٰلِمِينَ
3:151
(तुम घबराओ नहीं) हम अनक़रीब तुम्हारा रोब काफ़िरों के दिलों में जमा देंगे इसलिए कि उन लोगों ने ख़ुदा का शरीक बनाया (भी तो) इस चीज़ बुत को जिसे ख़ुदा ने किसी क़िस्म की हुकूमत नहीं दी और (आख़िरकार) उनका ठिकाना दौज़ख़ है और ज़ालिमों का (भी क्या) बुरा ठिकाना है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:152
وَلَقَدْ صَدَقَكُمُ ٱللَّهُ وَعْدَهُۥٓ إِذْ تَحُسُّونَهُم بِإِذْنِهِۦ ۖ حَتَّىٰٓ إِذَا فَشِلْتُمْ وَتَنَـٰزَعْتُمْ فِى ٱلْأَمْرِ وَعَصَيْتُم مِّنۢ بَعْدِ مَآ أَرَىٰكُم مَّا تُحِبُّونَ ۚ مِنكُم مَّن يُرِيدُ ٱلدُّنْيَا وَمِنكُم مَّن يُرِيدُ ٱلْـَٔاخِرَةَ ۚ ثُمَّ صَرَفَكُمْ عَنْهُمْ لِيَبْتَلِيَكُمْ ۖ وَلَقَدْ عَفَا عَنكُمْ ۗ وَٱللَّهُ ذُو فَضْلٍ عَلَى ٱلْمُؤْمِنِينَ
3:152
बेशक खुदा ने (जंगे औहद में भी) अपना (फतेह का) वायदा सच्चा कर दिखाया था जब तुम उसके हुक्म से (पहले ही हमले में) उन (कुफ्फ़ार) को खूब क़त्ल कर रहे थे यहॉ तक की तुम्हारे पसन्द की चीज़ (फ़तेह) तुम्हें दिखा दी उसके बाद भी तुमने (माले ग़नीमत देखकर) बुज़दिलापन किया और हुक्में रसूल (मोर्चे पर जमे रहने) झगड़ा किया और रसूल की नाफ़रमानी की तुममें से कुछ तो तालिबे दुनिया हैं (कि माले ग़नीमत की तरफ़) से झुक पड़े और कुछ तालिबे आख़िरत (कि रसूल पर अपनी जान फ़िदा कर दी) फिर (बुज़दिलेपन ने) तुम्हें उन (कुफ्फ़ार) की की तरफ से फेर दिया (और तुम भाग खड़े हुए) उससे ख़ुदा को तुम्हारा (ईमान अख़लासी) आज़माना मंज़ूर था और (उसपर भी) ख़ुदा ने तुमसे दरगुज़र की और खुदा मोमिनीन पर बड़ा फ़ज़ल करने वाला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:153
۞ إِذْ تُصْعِدُونَ وَلَا تَلْوُۥنَ عَلَىٰٓ أَحَدٍ وَٱلرَّسُولُ يَدْعُوكُمْ فِىٓ أُخْرَىٰكُمْ فَأَثَـٰبَكُمْ غَمًّۢا بِغَمٍّ لِّكَيْلَا تَحْزَنُوا۟ عَلَىٰ مَا فَاتَكُمْ وَلَا مَآ أَصَـٰبَكُمْ ۗ وَٱللَّهُ خَبِيرٌۢ بِمَا تَعْمَلُونَ
3:153
(मुसलमानों तुम) उस वक्त क़ो याद करके शर्माओ जब तुम (बदहवास) भागे पहाड़ पर चले जाते थे पस (चूंकि) रसूल को तुमने (आज़ारदा) किया ख़ुदा ने भी तुमको (इस) रंज की सज़ा में (शिकस्त का) रंज दिया ताकि जब कभी तुम्हारी कोई चीज़ हाथ से जाती रहे या कोई मुसीबत पड़े तो तुम रंज न करो और सब्र करना सीखो और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे ख़बरदार है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:154
ثُمَّ أَنزَلَ عَلَيْكُم مِّنۢ بَعْدِ ٱلْغَمِّ أَمَنَةً نُّعَاسًا يَغْشَىٰ طَآئِفَةً مِّنكُمْ ۖ وَطَآئِفَةٌ قَدْ أَهَمَّتْهُمْ أَنفُسُهُمْ يَظُنُّونَ بِٱللَّهِ غَيْرَ ٱلْحَقِّ ظَنَّ ٱلْجَـٰهِلِيَّةِ ۖ يَقُولُونَ هَل لَّنَا مِنَ ٱلْأَمْرِ مِن شَىْءٍ ۗ قُلْ إِنَّ ٱلْأَمْرَ كُلَّهُۥ لِلَّهِ ۗ يُخْفُونَ فِىٓ أَنفُسِهِم مَّا لَا يُبْدُونَ لَكَ ۖ يَقُولُونَ لَوْ كَانَ لَنَا مِنَ ٱلْأَمْرِ شَىْءٌ مَّا قُتِلْنَا هَـٰهُنَا ۗ قُل لَّوْ كُنتُمْ فِى بُيُوتِكُمْ لَبَرَزَ ٱلَّذِينَ كُتِبَ عَلَيْهِمُ ٱلْقَتْلُ إِلَىٰ مَضَاجِعِهِمْ ۖ وَلِيَبْتَلِىَ ٱللَّهُ مَا فِى صُدُورِكُمْ وَلِيُمَحِّصَ مَا فِى قُلُوبِكُمْ ۗ وَٱللَّهُ عَلِيمٌۢ بِذَاتِ ٱلصُّدُورِ
3:154
फिर ख़ुदा ने इस रंज के बाद तुमपर इत्मिनान की हालत तारी की कि तुममें से एक गिरोह का (जो सच्चे ईमानदार थे) ख़ूब गहरी नींद आ गयी और एक गिरोह जिनको उस वक्त भी (भागने की शर्म से) जान के लाले पड़े थे ख़ुदा के साथ (ख्वाह मख्वाह) ज़मानाए जिहालत की ऐसी बदगुमानियॉ करने लगे और कहने लगे भला क्या ये अम्र (फ़तेह) कुछ भी हमारे इख्तियार में है (ऐ रसूल) कह दो कि हर अम्र का इख्तियार ख़ुदा ही को है (ज़बान से तो कहते ही है नहीं) ये अपने दिलों में ऐसी बातें छिपाए हुए हैं जो तुमसे ज़ाहिर नहीं करते (अब सुनो) कहते हैं कि इस अम्र (फ़तेह) में हमारा कुछ इख़्तियार होता तो हम यहॉ मारे न जाते (ऐ रसूल उनसे) कह दो कि तुम अपने घरों में रहते तो जिन जिन की तकदीर में लड़के मर जाना लिखा था वह अपने (घरो से) निकल निकल के अपने मरने की जगह ज़रूर आ जाते और (ये इस वास्ते किया गया) ताकि जो कुछ तुम्हारे दिल में है उसका इम्तिहान कर दे और ख़ुदा तो दिलों के राज़ खूब जानता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:155
إِنَّ ٱلَّذِينَ تَوَلَّوْا۟ مِنكُمْ يَوْمَ ٱلْتَقَى ٱلْجَمْعَانِ إِنَّمَا ٱسْتَزَلَّهُمُ ٱلشَّيْطَـٰنُ بِبَعْضِ مَا كَسَبُوا۟ ۖ وَلَقَدْ عَفَا ٱللَّهُ عَنْهُمْ ۗ إِنَّ ٱللَّهَ غَفُورٌ حَلِيمٌ
3:155
बेशक जिस दिन (जंगे औहद में) दो जमाअतें आपस में गुथ गयीं उस दिन जो लोग तुम (मुसलमानों) में से भाग खड़े हुए (उसकी वजह ये थी कि) उनके बाज़ गुनाहों (मुख़ालफ़ते रसूल) की वजह से शैतान ने बहका के उनके पॉव उखाड़ दिए और (उसी वक्त तो) ख़ुदा ने ज़रूर उनसे दरगुज़र की बेशक ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला बुर्दवार है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:156
يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ لَا تَكُونُوا۟ كَٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ وَقَالُوا۟ لِإِخْوَٰنِهِمْ إِذَا ضَرَبُوا۟ فِى ٱلْأَرْضِ أَوْ كَانُوا۟ غُزًّى لَّوْ كَانُوا۟ عِندَنَا مَا مَاتُوا۟ وَمَا قُتِلُوا۟ لِيَجْعَلَ ٱللَّهُ ذَٰلِكَ حَسْرَةً فِى قُلُوبِهِمْ ۗ وَٱللَّهُ يُحْىِۦ وَيُمِيتُ ۗ وَٱللَّهُ بِمَا تَعْمَلُونَ بَصِيرٌ
3:156
ऐ ईमानदारों उन लोगों के ऐसे न बनो जो काफ़िर हो गए भाई बन्द उनके परदेस में निकले हैं या जेहाद करने गए हैं (और वहॉ) मर (गए) तो उनके बारे में कहने लगे कि वह हमारे पास रहते तो न मरते ओर न मारे जाते (और ये इस वजह से कहते हैं) ताकि ख़ुदा (इस ख्याल को) उनके दिलों में (बाइसे) हसरत बना दे और (यूं तो) ख़ुदा ही जिलाता और मारता है और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उसे देख रहा है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:157
وَلَئِن قُتِلْتُمْ فِى سَبِيلِ ٱللَّهِ أَوْ مُتُّمْ لَمَغْفِرَةٌ مِّنَ ٱللَّهِ وَرَحْمَةٌ خَيْرٌ مِّمَّا يَجْمَعُونَ
3:157
और अगर तुम ख़ुदा की राह में मारे जाओ या (अपनी मौत से) मर जाओ तो बेशक ख़ुदा की बख्शिश और रहमत इस (माल व दौलत) से जिसको तुम जमा करते हो ज़रूर बेहतर है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:158
وَلَئِن مُّتُّمْ أَوْ قُتِلْتُمْ لَإِلَى ٱللَّهِ تُحْشَرُونَ
3:158
और अगर तुम (अपनी मौत से) मरो या मारे जाओ (आख़िरकार) ख़ुदा ही की तरफ़ (क़ब्रों से) उठाए जाओगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:159
فَبِمَا رَحْمَةٍ مِّنَ ٱللَّهِ لِنتَ لَهُمْ ۖ وَلَوْ كُنتَ فَظًّا غَلِيظَ ٱلْقَلْبِ لَٱنفَضُّوا۟ مِنْ حَوْلِكَ ۖ فَٱعْفُ عَنْهُمْ وَٱسْتَغْفِرْ لَهُمْ وَشَاوِرْهُمْ فِى ٱلْأَمْرِ ۖ فَإِذَا عَزَمْتَ فَتَوَكَّلْ عَلَى ٱللَّهِ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ يُحِبُّ ٱلْمُتَوَكِّلِينَ
3:159
(तो ऐ रसूल ये भी) ख़ुदा की एक मेहरबानी है कि तुम (सा) नरमदिल (सरदार) उनको मिला और तुम अगर बदमिज़ाज और सख्त दिल होते तब तो ये लोग (ख़ुदा जाने कब के) तुम्हारे गिर्द से तितर बितर हो गए होते पस (अब भी) तुम उनसे दरगुज़र करो और उनके लिए मग़फेरत की दुआ मॉगो और (साबिक़ दस्तूरे ज़ाहिरा) उनसे काम काज में मशवरा कर लिया करो (मगर) इस पर भी जब किसी काम को ठान लो तो ख़ुदा ही पर भरोसा रखो (क्योंकि जो लोग ख़ुदा पर भरोसा रखते हैं ख़ुदा उनको ज़रूर दोस्त रखता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:160
إِن يَنصُرْكُمُ ٱللَّهُ فَلَا غَالِبَ لَكُمْ ۖ وَإِن يَخْذُلْكُمْ فَمَن ذَا ٱلَّذِى يَنصُرُكُم مِّنۢ بَعْدِهِۦ ۗ وَعَلَى ٱللَّهِ فَلْيَتَوَكَّلِ ٱلْمُؤْمِنُونَ
3:160
(मुसलमानों याद रखो) अगर ख़ुदा ने तुम्हारी मदद की तो फिर कोई तुमपर ग़ालिब नहीं आ सकता और अगर ख़ुदा तुमको छोड़ दे तो फिर कौन ऐसा है जो उसके बाद तुम्हारी मदद को खड़ा हो और मोमिनीन को चाहिये कि ख़ुदा ही पर भरोसा रखें - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:161
وَمَا كَانَ لِنَبِىٍّ أَن يَغُلَّ ۚ وَمَن يَغْلُلْ يَأْتِ بِمَا غَلَّ يَوْمَ ٱلْقِيَـٰمَةِ ۚ ثُمَّ تُوَفَّىٰ كُلُّ نَفْسٍ مَّا كَسَبَتْ وَهُمْ لَا يُظْلَمُونَ
3:161
और (तुम्हारा गुमान बिल्कुल ग़लत है) किसी नबी की (हरगिज़) ये शान नहीं कि ख्यानत करे और ख्यानत करेगा तो जो चीज़ ख्यानत की है क़यामत के दिन वही चीज़ (बिलकुल वैसा ही) ख़ुदा के सामने लाना होगा फिर हर शख्स अपने किए का पूरा पूरा बदला पाएगा और उनकी किसी तरह हक़तल्फ़ी नहीं की जाएगी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:162
أَفَمَنِ ٱتَّبَعَ رِضْوَٰنَ ٱللَّهِ كَمَنۢ بَآءَ بِسَخَطٍ مِّنَ ٱللَّهِ وَمَأْوَىٰهُ جَهَنَّمُ ۚ وَبِئْسَ ٱلْمَصِيرُ
3:162
भला जो शख्स ख़ुदा की ख़ुशनूदी का पाबन्द हो क्या वह उस शख्स के बराबर हो सकता है जो ख़ुदा के गज़ब में गिरफ्तार हो और जिसका ठिकाना जहन्नुम है और वह क्या बुरा ठिकाना है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:163
هُمْ دَرَجَـٰتٌ عِندَ ٱللَّهِ ۗ وَٱللَّهُ بَصِيرٌۢ بِمَا يَعْمَلُونَ
3:163
वह लोग खुदा के यहॉ मुख्तलिफ़ दरजों के हैं और जो कुछ वह करते हैं ख़ुदा देख रहा है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:164
لَقَدْ مَنَّ ٱللَّهُ عَلَى ٱلْمُؤْمِنِينَ إِذْ بَعَثَ فِيهِمْ رَسُولًا مِّنْ أَنفُسِهِمْ يَتْلُوا۟ عَلَيْهِمْ ءَايَـٰتِهِۦ وَيُزَكِّيهِمْ وَيُعَلِّمُهُمُ ٱلْكِتَـٰبَ وَٱلْحِكْمَةَ وَإِن كَانُوا۟ مِن قَبْلُ لَفِى ضَلَـٰلٍ مُّبِينٍ
3:164
ख़ुदा ने तो ईमानदारों पर बड़ा एहसान किया कि उनके वास्ते उन्हीं की क़ौम का एक रसूल भेजा जो उन्हें खुदा की आयतें पढ़ पढ़ के सुनाता है और उनकी तबीयत को पाकीज़ा करता है और उन्हें किताबे (ख़ुदा) और अक्ल की बातें सिखाता है अगरचे वह पहले खुली हुई गुमराही में पडे थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:165
أَوَلَمَّآ أَصَـٰبَتْكُم مُّصِيبَةٌ قَدْ أَصَبْتُم مِّثْلَيْهَا قُلْتُمْ أَنَّىٰ هَـٰذَا ۖ قُلْ هُوَ مِنْ عِندِ أَنفُسِكُمْ ۗ إِنَّ ٱللَّهَ عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍ قَدِيرٌ
3:165
मुसलमानों क्या जब तुमपर (जंगे ओहद) में वह मुसीबत पड़ी जिसकी दूनी मुसीबत तुम (कुफ्फ़ार पर) डाल चुके थे तो (घबरा के) कहने लगे ये (आफ़त) कहॉ से आ गयी (ऐ रसूल) तुम कह दो कि ये तो खुद तुम्हारी ही तरफ़ से है (न रसूल की मुख़ालेफ़त करते न सज़ा होती) बेशक ख़ुदा हर चीज़ पर क़ादिर है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:166
وَمَآ أَصَـٰبَكُمْ يَوْمَ ٱلْتَقَى ٱلْجَمْعَانِ فَبِإِذْنِ ٱللَّهِ وَلِيَعْلَمَ ٱلْمُؤْمِنِينَ
3:166
और जिस दिन दो जमाअतें आपस में गुंथ गयीं उस दिन तुम पर जो मुसीबत पड़ी वह तुम्हारी शरारत की वजह से (ख़ुदा के इजाजत की वजह से आयी) और ताकि ख़ुदा सच्चे ईमान वालों को देख ले - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:167
وَلِيَعْلَمَ ٱلَّذِينَ نَافَقُوا۟ ۚ وَقِيلَ لَهُمْ تَعَالَوْا۟ قَـٰتِلُوا۟ فِى سَبِيلِ ٱللَّهِ أَوِ ٱدْفَعُوا۟ ۖ قَالُوا۟ لَوْ نَعْلَمُ قِتَالًا لَّٱتَّبَعْنَـٰكُمْ ۗ هُمْ لِلْكُفْرِ يَوْمَئِذٍ أَقْرَبُ مِنْهُمْ لِلْإِيمَـٰنِ ۚ يَقُولُونَ بِأَفْوَٰهِهِم مَّا لَيْسَ فِى قُلُوبِهِمْ ۗ وَٱللَّهُ أَعْلَمُ بِمَا يَكْتُمُونَ
3:167
और मुनाफ़िक़ों को देख ले (कि कौन है) और मुनाफ़िक़ों से कहा गया कि आओ ख़ुदा की राह में जेहाद करो या (ये न सही अपने दुशमन को) हटा दो तो कहने लगे (हाए क्या कहीं) अगर हम लड़ना जानते तो ज़रूर तुम्हारा साथ देते ये लोग उस दिन बनिस्बते ईमान के कुफ़्र के ज्यादा क़रीब थे अपने मुंह से वह बातें कह देते हैं जो उनके दिल में (ख़ाक) नहीं होतीं और जिसे वह छिपाते हैं ख़ुदा उसे ख़ूब जानता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:168
ٱلَّذِينَ قَالُوا۟ لِإِخْوَٰنِهِمْ وَقَعَدُوا۟ لَوْ أَطَاعُونَا مَا قُتِلُوا۟ ۗ قُلْ فَٱدْرَءُوا۟ عَنْ أَنفُسِكُمُ ٱلْمَوْتَ إِن كُنتُمْ صَـٰدِقِينَ
3:168
(ये वही लोग हैं) जो (आप चैन से घरों में बैठे रहते है और अपने शहीद) भाईयों के बारे में कहने लगे काश हमारी पैरवी करते तो न मारे जाते (ऐ रसूल) उनसे कहो (अच्छा) अगर तुम सच्चे हो तो ज़रा अपनी जान से मौत को टाल दो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:169
وَلَا تَحْسَبَنَّ ٱلَّذِينَ قُتِلُوا۟ فِى سَبِيلِ ٱللَّهِ أَمْوَٰتًۢا ۚ بَلْ أَحْيَآءٌ عِندَ رَبِّهِمْ يُرْزَقُونَ
3:169
और जो लोग ख़ुदा की राह में शहीद किए गए उन्हें हरगिज़ मुर्दा न समझना बल्कि वह लोग जीते जागते मौजूद हैं अपने परवरदिगार की तरफ़ से वह (तरह तरह की) रोज़ी पाते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:170
فَرِحِينَ بِمَآ ءَاتَىٰهُمُ ٱللَّهُ مِن فَضْلِهِۦ وَيَسْتَبْشِرُونَ بِٱلَّذِينَ لَمْ يَلْحَقُوا۟ بِهِم مِّنْ خَلْفِهِمْ أَلَّا خَوْفٌ عَلَيْهِمْ وَلَا هُمْ يَحْزَنُونَ
3:170
और ख़ुदा ने जो फ़ज़ल व करम उन पर किया है उसकी (ख़ुशी) से फूले नहीं समाते और जो लोग उनसे पीछे रह गए और उनमें आकर शामिल नहीं हुए उनकी निस्बत ये (ख्याल करके) ख़ुशियॉ मनाते हैं कि (ये भी शहीद हों तो) उनपर न किसी क़िस्म का ख़ौफ़ होगा और न आज़ुर्दा ख़ातिर होंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:171
۞ يَسْتَبْشِرُونَ بِنِعْمَةٍ مِّنَ ٱللَّهِ وَفَضْلٍ وَأَنَّ ٱللَّهَ لَا يُضِيعُ أَجْرَ ٱلْمُؤْمِنِينَ
3:171
ख़ुदा नेअमत और उसके फ़ज़ल (व करम) और इस बात की ख़ुशख़बरी पाकर कि ख़ुदा मोमिनीन के सवाब को बरबाद नहीं करता - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:172
ٱلَّذِينَ ٱسْتَجَابُوا۟ لِلَّهِ وَٱلرَّسُولِ مِنۢ بَعْدِ مَآ أَصَابَهُمُ ٱلْقَرْحُ ۚ لِلَّذِينَ أَحْسَنُوا۟ مِنْهُمْ وَٱتَّقَوْا۟ أَجْرٌ عَظِيمٌ
3:172
निहाल हो रहे हैं (जंगे ओहद में) जिन लोगों ने जख्म खाने के बाद भी ख़ुदा और रसूल का कहना माना उनमें से जिन लोगों ने नेकी और परहेज़गारी की (सब के लिये नहीं सिर्फ) उनके लिये बड़ा सवाब है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:173
ٱلَّذِينَ قَالَ لَهُمُ ٱلنَّاسُ إِنَّ ٱلنَّاسَ قَدْ جَمَعُوا۟ لَكُمْ فَٱخْشَوْهُمْ فَزَادَهُمْ إِيمَـٰنًا وَقَالُوا۟ حَسْبُنَا ٱللَّهُ وَنِعْمَ ٱلْوَكِيلُ
3:173
यह वह हैं कि जब उनसे लोगों ने आकर कहना शुरू किया कि (दुशमन) लोगों ने तुम्हारे (मुक़ाबले के) वास्ते (बड़ा लश्कर) जमा किया है पस उनसे डरते (तो बजाए ख़ौफ़ के) उनका ईमान और ज्यादा हो गया और कहने लगे (होगा भी) ख़ुदा हमारे वास्ते काफ़ी है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:174
فَٱنقَلَبُوا۟ بِنِعْمَةٍ مِّنَ ٱللَّهِ وَفَضْلٍ لَّمْ يَمْسَسْهُمْ سُوٓءٌ وَٱتَّبَعُوا۟ رِضْوَٰنَ ٱللَّهِ ۗ وَٱللَّهُ ذُو فَضْلٍ عَظِيمٍ
3:174
और वह क्या अच्छा कारसाज़ है फिर (या तो हिम्मत करके गए मगर जब लड़ाई न हुई तो) ये लोग ख़ुदा की नेअमत और फ़ज़ल के साथ (अपने घर) वापस आए और उन्हें कोई बुराई छू भी नहीं गयी और ख़ुदा की ख़ुशनूदी के पाबन्द रहे और ख़ुदा बड़ा फ़ज़ल करने वाला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:175
إِنَّمَا ذَٰلِكُمُ ٱلشَّيْطَـٰنُ يُخَوِّفُ أَوْلِيَآءَهُۥ فَلَا تَخَافُوهُمْ وَخَافُونِ إِن كُنتُم مُّؤْمِنِينَ
3:175
यह (मुख्बिर) बस शैतान था जो सिर्फ़ अपने दोस्तों को (रसूल का साथ देने से) डराता है पस तुम उनसे तो डरो नहीं अगर सच्चे मोमिन हो तो मुझ ही से डरते रहो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:176
وَلَا يَحْزُنكَ ٱلَّذِينَ يُسَـٰرِعُونَ فِى ٱلْكُفْرِ ۚ إِنَّهُمْ لَن يَضُرُّوا۟ ٱللَّهَ شَيْـًٔا ۗ يُرِيدُ ٱللَّهُ أَلَّا يَجْعَلَ لَهُمْ حَظًّا فِى ٱلْـَٔاخِرَةِ ۖ وَلَهُمْ عَذَابٌ عَظِيمٌ
3:176
और (ऐ रसूल) जो लोग कुफ़्र की (मदद) में पेश क़दमी कर जाते हैं उनकी वजह से तुम रन्ज न करो क्योंकि ये लोग ख़ुदा को कुछ ज़रर नहीं पहुँचा सकते (बल्कि) ख़ुदा तो ये चाहता है कि आख़ेरत में उनका हिस्सा न क़रार दे और उनके लिए बड़ा (सख्त) अज़ाब है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:177
إِنَّ ٱلَّذِينَ ٱشْتَرَوُا۟ ٱلْكُفْرَ بِٱلْإِيمَـٰنِ لَن يَضُرُّوا۟ ٱللَّهَ شَيْـًٔا وَلَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌ
3:177
बेशक जिन लोगों ने ईमान के एवज़ कुफ़्र ख़रीद किया वह हरगिज़ खुदा का कुछ भी नहीं बिगाड़ेंगे (बल्कि आप अपना) और उनके लिए दर्दनाक अज़ाब है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:178
وَلَا يَحْسَبَنَّ ٱلَّذِينَ كَفَرُوٓا۟ أَنَّمَا نُمْلِى لَهُمْ خَيْرٌ لِّأَنفُسِهِمْ ۚ إِنَّمَا نُمْلِى لَهُمْ لِيَزْدَادُوٓا۟ إِثْمًا ۚ وَلَهُمْ عَذَابٌ مُّهِينٌ
3:178
और जिन लोगों ने कुफ़्र इख्तियार किया वह हरगिज़ ये न ख्याल करें कि हमने जो उनको मोहलत व बेफिक्री दे रखी है वह उनके हक़ में बेहतर है (हालॉकि) हमने मोहल्लत व बेफिक्री सिर्फ इस वजह से दी है ताकि वह और ख़ूब गुनाह कर लें और (आख़िर तो) उनके लिए रूसवा करने वाला अज़ाब है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:179
مَّا كَانَ ٱللَّهُ لِيَذَرَ ٱلْمُؤْمِنِينَ عَلَىٰ مَآ أَنتُمْ عَلَيْهِ حَتَّىٰ يَمِيزَ ٱلْخَبِيثَ مِنَ ٱلطَّيِّبِ ۗ وَمَا كَانَ ٱللَّهُ لِيُطْلِعَكُمْ عَلَى ٱلْغَيْبِ وَلَـٰكِنَّ ٱللَّهَ يَجْتَبِى مِن رُّسُلِهِۦ مَن يَشَآءُ ۖ فَـَٔامِنُوا۟ بِٱللَّهِ وَرُسُلِهِۦ ۚ وَإِن تُؤْمِنُوا۟ وَتَتَّقُوا۟ فَلَكُمْ أَجْرٌ عَظِيمٌ
3:179
(मुनाफ़िक़ो) ख़ुदा ऐसा नहीं कि बुरे भले की तमीज़ किए बगैर जिस हालत पर तुम हो उसी हालत पर मोमिनों को भी छोड़ दे और ख़ुदा ऐसा भी नहीं है कि तुम्हें गैब की बातें बता दे मगर (हॉ) ख़ुदा अपने रसूलों में जिसे चाहता है (गैब बताने के वास्ते) चुन लेता है पस ख़ुदा और उसके रसूलों पर ईमान लाओ और अगर तुम ईमान लाओगे और परहेज़गारी करोगे तो तुम्हारे वास्ते बड़ी जज़ाए ख़ैर है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:180
وَلَا يَحْسَبَنَّ ٱلَّذِينَ يَبْخَلُونَ بِمَآ ءَاتَىٰهُمُ ٱللَّهُ مِن فَضْلِهِۦ هُوَ خَيْرًا لَّهُم ۖ بَلْ هُوَ شَرٌّ لَّهُمْ ۖ سَيُطَوَّقُونَ مَا بَخِلُوا۟ بِهِۦ يَوْمَ ٱلْقِيَـٰمَةِ ۗ وَلِلَّهِ مِيرَٰثُ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ ۗ وَٱللَّهُ بِمَا تَعْمَلُونَ خَبِيرٌ
3:180
और जिन लोगों को ख़ुदा ने अपने फ़ज़ल (व करम) से कुछ दिया है (और फिर) बुख्ल करते हैं वह हरगिज़ इस ख्याल में न रहें कि ये उनके लिए (कुछ) बेहतर होगा बल्कि ये उनके हक़ में बदतर है क्योंकि जिस (माल) का बुख्ल करते हैं अनक़रीब ही क़यामत के दिन उसका तौक़ बनाकर उनके गले में पहनाया जाएगा और सारे आसमान व ज़मीन की मीरास ख़ुदा ही की है और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे ख़बरदार है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:181
لَّقَدْ سَمِعَ ٱللَّهُ قَوْلَ ٱلَّذِينَ قَالُوٓا۟ إِنَّ ٱللَّهَ فَقِيرٌ وَنَحْنُ أَغْنِيَآءُ ۘ سَنَكْتُبُ مَا قَالُوا۟ وَقَتْلَهُمُ ٱلْأَنۢبِيَآءَ بِغَيْرِ حَقٍّ وَنَقُولُ ذُوقُوا۟ عَذَابَ ٱلْحَرِيقِ
3:181
जो लोग (यहूद) ये कहते हैं कि ख़ुदा तो कंगाल है और हम बड़े मालदार हैं ख़ुदा ने उनकी ये बकवास सुनी उन लोगों ने जो कुछ किया उसको और उनका पैग़म्बरों को नाहक़ क़त्ल करना हम अभी से लिख लेते हैं और (आज तो जो जी में कहें मगर क़यामत के दिन) हम कहेंगे कि अच्छा तो लो (अपनी शरारत के एवज़ में) जलाने वाले अज़ाब का मज़ा चखो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:182
ذَٰلِكَ بِمَا قَدَّمَتْ أَيْدِيكُمْ وَأَنَّ ٱللَّهَ لَيْسَ بِظَلَّامٍ لِّلْعَبِيدِ
3:182
ये उन्हीं कामों का बदला है जिनको तुम्हारे हाथों ने (ज़ादे आख़ेरत बना कर) पहले से भेजा है वरना ख़ुदा तो कभी अपने बन्दों पर ज़ुल्म करने वाला नहीं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:183
ٱلَّذِينَ قَالُوٓا۟ إِنَّ ٱللَّهَ عَهِدَ إِلَيْنَآ أَلَّا نُؤْمِنَ لِرَسُولٍ حَتَّىٰ يَأْتِيَنَا بِقُرْبَانٍ تَأْكُلُهُ ٱلنَّارُ ۗ قُلْ قَدْ جَآءَكُمْ رُسُلٌ مِّن قَبْلِى بِٱلْبَيِّنَـٰتِ وَبِٱلَّذِى قُلْتُمْ فَلِمَ قَتَلْتُمُوهُمْ إِن كُنتُمْ صَـٰدِقِينَ
3:183
(यह वही लोग हैं) जो कहते हैं कि ख़ुदा ने तो हमसे वायदा किया है कि जब तक कोई रसूल हमें ये (मौजिज़ा) न दिखा दे कि वह कुरबानी करे और उसको (आसमानी) आग आकर चट कर जाए उस वक्त तक हम ईमान न लाएंगें (ऐ रसूल) तुम कह दो कि (भला) ये तो बताओ बहुतेरे पैग़म्बर मुझसे क़ब्ल तुम्हारे पास वाजे व रौशन मौजिज़ात और जिस चीज़ की तुमने (उस वक्त) फ़रमाइश की है (वह भी) लेकर आए फिर तुम अगर (अपने दावे में) सच्चे तो तुमने क्यों क़त्ल किया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:184
فَإِن كَذَّبُوكَ فَقَدْ كُذِّبَ رُسُلٌ مِّن قَبْلِكَ جَآءُو بِٱلْبَيِّنَـٰتِ وَٱلزُّبُرِ وَٱلْكِتَـٰبِ ٱلْمُنِيرِ
3:184
(ऐ रसूल) अगर वह इस पर भी तुम्हें झुठलाएं तो (तुम आज़ुर्दा न हो क्योंकि) तुमसे पहले भी बहुत से पैग़म्बर रौशन मौजिज़े और सहीफे और नूरानी किताब लेकर आ चुके हैं (मगर) फिर भी लोगों ने आख़िर झुठला ही छोड़ा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:185
كُلُّ نَفْسٍ ذَآئِقَةُ ٱلْمَوْتِ ۗ وَإِنَّمَا تُوَفَّوْنَ أُجُورَكُمْ يَوْمَ ٱلْقِيَـٰمَةِ ۖ فَمَن زُحْزِحَ عَنِ ٱلنَّارِ وَأُدْخِلَ ٱلْجَنَّةَ فَقَدْ فَازَ ۗ وَمَا ٱلْحَيَوٰةُ ٱلدُّنْيَآ إِلَّا مَتَـٰعُ ٱلْغُرُورِ
3:185
हर जान एक न एक (दिन) मौत का मज़ा चखेगी और तुम लोग क़यामत के दिन (अपने किए का) पूरा पूरा बदला भर पाओगे पस जो शख्स जहन्नुम से हटा दिया गया और बहिश्त में पहुंचा दिया गया पस वही कामयाब हुआ और दुनिया की (चन्द रोज़ा) ज़िन्दगी धोखे की टट्टी के सिवा कुछ नहीं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:186
۞ لَتُبْلَوُنَّ فِىٓ أَمْوَٰلِكُمْ وَأَنفُسِكُمْ وَلَتَسْمَعُنَّ مِنَ ٱلَّذِينَ أُوتُوا۟ ٱلْكِتَـٰبَ مِن قَبْلِكُمْ وَمِنَ ٱلَّذِينَ أَشْرَكُوٓا۟ أَذًى كَثِيرًا ۚ وَإِن تَصْبِرُوا۟ وَتَتَّقُوا۟ فَإِنَّ ذَٰلِكَ مِنْ عَزْمِ ٱلْأُمُورِ
3:186
(मुसलमानों) तुम्हारे मालों और जानों का तुमसे ज़रूर इम्तेहान लिया जाएगा और जिन लोगो को तुम से पहले किताबे ख़ुदा दी जा चुकी है (यहूद व नसारा) उनसे और मुशरेकीन से बहुत ही दुख दर्द की बातें तुम्हें ज़रूर सुननी पड़ेंगी और अगर तुम (उन मुसीबतों को) झेल जाओगे और परहेज़गारी करते रहोगे तो बेशक ये बड़ी हिम्मत का काम है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:187
وَإِذْ أَخَذَ ٱللَّهُ مِيثَـٰقَ ٱلَّذِينَ أُوتُوا۟ ٱلْكِتَـٰبَ لَتُبَيِّنُنَّهُۥ لِلنَّاسِ وَلَا تَكْتُمُونَهُۥ فَنَبَذُوهُ وَرَآءَ ظُهُورِهِمْ وَٱشْتَرَوْا۟ بِهِۦ ثَمَنًا قَلِيلًا ۖ فَبِئْسَ مَا يَشْتَرُونَ
3:187
और (ऐ रसूल) इनको वह वक्त तो याद दिलाओ जब ख़ुदा ने अहले किताब से एहद व पैमान लिया था कि तुम किताबे ख़ुदा को साफ़ साफ़ बयान कर देना और (ख़बरदार) उसकी कोई बात छुपाना नहीं मगर इन लोगों ने (ज़रा भी ख्याल न किया) और उनको पसे पुश्त फेंक दिया और उसके बदले में (बस) थोड़ी सी क़ीमत हासिल कर ली पस ये क्या ही बुरा (सौदा) है जो ये लोग ख़रीद रहे हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:188
لَا تَحْسَبَنَّ ٱلَّذِينَ يَفْرَحُونَ بِمَآ أَتَوا۟ وَّيُحِبُّونَ أَن يُحْمَدُوا۟ بِمَا لَمْ يَفْعَلُوا۟ فَلَا تَحْسَبَنَّهُم بِمَفَازَةٍ مِّنَ ٱلْعَذَابِ ۖ وَلَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌ
3:188
(ऐ रसूल) तुम उन्हें ख्याल में भी न लाना जो अपनी कारस्तानी पर इतराए जाते हैं और किया कराया ख़ाक नहीं (मगर) तारीफ़ के ख़ास्तगार (चाहते) हैं पस तुम हरगिज़ ये ख्याल न करना कि इनको अज़ाब से छुटकारा है बल्कि उनके लिए दर्दनाक अज़ाब है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:189
وَلِلَّهِ مُلْكُ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ ۗ وَٱللَّهُ عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍ قَدِيرٌ
3:189
और आसमान व ज़मीन सब ख़ुदा ही का मुल्क है और ख़ुदा ही हर चीज़ पर क़ादिर है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:190
إِنَّ فِى خَلْقِ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ وَٱخْتِلَـٰفِ ٱلَّيْلِ وَٱلنَّهَارِ لَـَٔايَـٰتٍ لِّأُو۟لِى ٱلْأَلْبَـٰبِ
3:190
इसमें तो शक ही नहीं कि आसमानों और ज़मीन की पैदाइश और रात दिन के फेर बदल में अक्लमन्दों के लिए (क़ुदरत ख़ुदा की) बहुत सी निशानियॉ हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:191
ٱلَّذِينَ يَذْكُرُونَ ٱللَّهَ قِيَـٰمًا وَقُعُودًا وَعَلَىٰ جُنُوبِهِمْ وَيَتَفَكَّرُونَ فِى خَلْقِ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ رَبَّنَا مَا خَلَقْتَ هَـٰذَا بَـٰطِلًا سُبْحَـٰنَكَ فَقِنَا عَذَابَ ٱلنَّارِ
3:191
जो लोग उठते बैठते करवट लेते (अलगरज़ हर हाल में) ख़ुदा का ज़िक्र करते हैं और आसमानों और ज़मीन की बनावट में ग़ौर व फ़िक्र करते हैं और (बेसाख्ता) कह उठते हैं कि ख़ुदावन्दा तूने इसको बेकार पैदा नहीं किया तू (फेले अबस से) पाक व पाकीज़ा है बस हमको दोज़क के अज़ाब से बचा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:192
رَبَّنَآ إِنَّكَ مَن تُدْخِلِ ٱلنَّارَ فَقَدْ أَخْزَيْتَهُۥ ۖ وَمَا لِلظَّـٰلِمِينَ مِنْ أَنصَارٍ
3:192
ऐ हमारे पालने वाले जिसको तूने दोज़ख़ में डाला तो यक़ीनन उसे रूसवा कर डाला और जुल्म करने वाले का कोई मददगार नहीं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:193
رَّبَّنَآ إِنَّنَا سَمِعْنَا مُنَادِيًا يُنَادِى لِلْإِيمَـٰنِ أَنْ ءَامِنُوا۟ بِرَبِّكُمْ فَـَٔامَنَّا ۚ رَبَّنَا فَٱغْفِرْ لَنَا ذُنُوبَنَا وَكَفِّرْ عَنَّا سَيِّـَٔاتِنَا وَتَوَفَّنَا مَعَ ٱلْأَبْرَارِ
3:193
ऐ हमारे पालने वाले (जब) हमने एक आवाज़ लगाने वाले (पैग़म्बर) को सुना कि वह (ईमान के वास्ते यूं पुकारता था) कि अपने परवरदिगार पर ईमान लाओ तो हम ईमान लाए पस ऐ हमारे पालने वाले हमें हमारे गुनाह बख्श दे और हमारी बुराईयों को हमसे दूर करे दे और हमें नेकों के साथ (दुनिया से) उठा ले - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:194
رَبَّنَا وَءَاتِنَا مَا وَعَدتَّنَا عَلَىٰ رُسُلِكَ وَلَا تُخْزِنَا يَوْمَ ٱلْقِيَـٰمَةِ ۗ إِنَّكَ لَا تُخْلِفُ ٱلْمِيعَادَ
3:194
और ऐ पालने वाले अपने रसूलों की मार्फत जो कुछ हमसे वायदा किया है हमें दे और हमें क़यामत के दिन रूसवा न कर तू तो वायदा ख़िलाफ़ी करता ही नहीं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:195
فَٱسْتَجَابَ لَهُمْ رَبُّهُمْ أَنِّى لَآ أُضِيعُ عَمَلَ عَـٰمِلٍ مِّنكُم مِّن ذَكَرٍ أَوْ أُنثَىٰ ۖ بَعْضُكُم مِّنۢ بَعْضٍ ۖ فَٱلَّذِينَ هَاجَرُوا۟ وَأُخْرِجُوا۟ مِن دِيَـٰرِهِمْ وَأُوذُوا۟ فِى سَبِيلِى وَقَـٰتَلُوا۟ وَقُتِلُوا۟ لَأُكَفِّرَنَّ عَنْهُمْ سَيِّـَٔاتِهِمْ وَلَأُدْخِلَنَّهُمْ جَنَّـٰتٍ تَجْرِى مِن تَحْتِهَا ٱلْأَنْهَـٰرُ ثَوَابًا مِّنْ عِندِ ٱللَّهِ ۗ وَٱللَّهُ عِندَهُۥ حُسْنُ ٱلثَّوَابِ
3:195
तो उनके परवरदिगार ने दुआ कुबूल कर ली और (फ़रमाया) कि हम तुममें से किसी काम करने वाले के काम को अकारत नहीं करते मर्द हो या औरत (उस में कुछ किसी की खुसूसियत नहीं क्योंकि) तुम एक दूसरे (की जिन्स) से हो जो लोग (हमारे लिए वतन आवारा हुए) और शहर बदर किए गए और उन्होंने हमारी राह में अज़ीयतें उठायीं और (कुफ्फ़र से) जंग की और शहीद हुए मैं उनकी बुराईयों से ज़रूर दरगुज़र करूंगा और उन्हें बेहिश्त के उन बाग़ों में ले जाऊॅगा जिनके नीचे नहरें जारी हैं ख़ुदा के यहॉ ये उनके किये का बदला है और ख़ुदा (ऐसा ही है कि उस) के यहॉ तो अच्छा ही बदला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:196
لَا يَغُرَّنَّكَ تَقَلُّبُ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ فِى ٱلْبِلَـٰدِ
3:196
(ऐ रसूल) काफ़िरों का शहरों शहरों चैन करते फिरना तुम्हे धोखे में न डाले - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:197
مَتَـٰعٌ قَلِيلٌ ثُمَّ مَأْوَىٰهُمْ جَهَنَّمُ ۚ وَبِئْسَ ٱلْمِهَادُ
3:197
ये चन्द रोज़ा फ़ायदा हैं फिर तो (आख़िरकार) उनका ठिकाना जहन्नुम ही है और क्या ही बुरा ठिकाना है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:198
لَـٰكِنِ ٱلَّذِينَ ٱتَّقَوْا۟ رَبَّهُمْ لَهُمْ جَنَّـٰتٌ تَجْرِى مِن تَحْتِهَا ٱلْأَنْهَـٰرُ خَـٰلِدِينَ فِيهَا نُزُلًا مِّنْ عِندِ ٱللَّهِ ۗ وَمَا عِندَ ٱللَّهِ خَيْرٌ لِّلْأَبْرَارِ
3:198
मगर जिन लोगों ने अपने परवरदिगार की परहेज़गारी (इख्तेयार की उनके लिए बेहिश्त के) वह बाग़ात हैं जिनके नीचे नहरें जारीं हैं और वह हमेशा उसी में रहेंगे ये ख़ुदा की तरफ़ से उनकी (दावत है और जो साज़ो सामान) ख़ुदा के यहॉ है वह नेको कारों के वास्ते दुनिया से कहीं बेहतर है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:199
وَإِنَّ مِنْ أَهْلِ ٱلْكِتَـٰبِ لَمَن يُؤْمِنُ بِٱللَّهِ وَمَآ أُنزِلَ إِلَيْكُمْ وَمَآ أُنزِلَ إِلَيْهِمْ خَـٰشِعِينَ لِلَّهِ لَا يَشْتَرُونَ بِـَٔايَـٰتِ ٱللَّهِ ثَمَنًا قَلِيلًا ۗ أُو۟لَـٰٓئِكَ لَهُمْ أَجْرُهُمْ عِندَ رَبِّهِمْ ۗ إِنَّ ٱللَّهَ سَرِيعُ ٱلْحِسَابِ
3:199
और अहले किताब में से कुछ लोग तो ऐसे ज़रूर हैं जो ख़ुदा पर और जो (किताब) तुम पर नाज़िल हुई और जो (किताब) उनपर नाज़िल हुई (सब पर) ईमान रखते हैं ख़ुदा के आगे सर झुकाए हुए हैं और ख़ुदा की आयतों के बदले थोड़ी सी क़ीमत (दुनियावी फ़ायदे) नहीं लेते ऐसे ही लोगों के वास्ते उनके परवरदिगार के यहॉ अच्छा बदला है बेशक ख़ुदा बहुत जल्द हिसाब करने वाला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
3:200
يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ ٱصْبِرُوا۟ وَصَابِرُوا۟ وَرَابِطُوا۟ وَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُونَ
3:200
ऐ ईमानदारों (दीन की तकलीफ़ों को) और दूसरों को बर्दाश्त की तालीम दो और (जिहाद के लिए) कमरें कस लो और ख़ुदा ही से डरो ताकि तुम अपनी दिली मुराद पाओ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)