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Farooq Khan and Ahmed

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20 Ţāhā طه

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بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
In the name of Allah, Most Gracious, Most Merciful.

20:1 طه
20:1 ता॰ हा॰। - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:2 مَآ أَنزَلْنَا عَلَيْكَ ٱلْقُرْءَانَ لِتَشْقَىٰٓ
20:2 हमने तुमपर यह क़ुरआन इसलिए नहीं उतारा कि तुम मशक़्क़त में पड़ जाओ - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:3 إِلَّا تَذْكِرَةً لِّمَن يَخْشَىٰ
20:3 यह तो बस एक अनुस्मृति है, उसके लिए जो डरे, - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:4 تَنزِيلًا مِّمَّنْ خَلَقَ ٱلْأَرْضَ وَٱلسَّمَـٰوَٰتِ ٱلْعُلَى
20:4 भली-भाँति अवतरित हुआ है उस सत्ता की ओर से, जिसने पैदा किया है धरती और उच्च आकाशों को - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:5 ٱلرَّحْمَـٰنُ عَلَى ٱلْعَرْشِ ٱسْتَوَىٰ
20:5 वह रहमान है, जो राजासन पर विराजमान हुआ - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:6 لَهُۥ مَا فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَمَا فِى ٱلْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا وَمَا تَحْتَ ٱلثَّرَىٰ
20:6 उसी का है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है और जो कुछ इन दोनों के मध्य है और जो कुछ आर्द्र मिट्टी के नीचे है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:7 وَإِن تَجْهَرْ بِٱلْقَوْلِ فَإِنَّهُۥ يَعْلَمُ ٱلسِّرَّ وَأَخْفَى
20:7 तुम चाहे बात पुकार कर कहो (या चुपके से), वह तो छिपी हुई और अत्यन्त गुप्त बात को भी जानता है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:8 ٱللَّهُ لَآ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ ۖ لَهُ ٱلْأَسْمَآءُ ٱلْحُسْنَىٰ
20:8 अल्लाह, कि उसके सिवा कोई पूज्य-प्रभू नहीं। उसके नाम बहुत ही अच्छे हैं। - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:9 وَهَلْ أَتَىٰكَ حَدِيثُ مُوسَىٰٓ
20:9 क्या तुम्हें मूसा की भी ख़बर पहुँची? - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:10 إِذْ رَءَا نَارًا فَقَالَ لِأَهْلِهِ ٱمْكُثُوٓا۟ إِنِّىٓ ءَانَسْتُ نَارًا لَّعَلِّىٓ ءَاتِيكُم مِّنْهَا بِقَبَسٍ أَوْ أَجِدُ عَلَى ٱلنَّارِ هُدًى
20:10 जबकि उसने एक आग देखी तो उसने अपने घरवालों से कहा, "ठहरो! मैंने एक आग देखी है। शायद कि तुम्हारे लिए उसमें से कोई अंगारा ले आऊँ या उस आग पर मैं मार्ग का पता पा लूँ।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:11 فَلَمَّآ أَتَىٰهَا نُودِىَ يَـٰمُوسَىٰٓ
20:11 फिर जब वह वहाँ पहुँचा तो पुकारा गया, "ऐ मूसा! - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:12 إِنِّىٓ أَنَا۠ رَبُّكَ فَٱخْلَعْ نَعْلَيْكَ ۖ إِنَّكَ بِٱلْوَادِ ٱلْمُقَدَّسِ طُوًى
20:12 मैं ही तेरा रब हूँ। अपने जूते उतार दे। तू पवित्र घाटी 'तुवा' में है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:13 وَأَنَا ٱخْتَرْتُكَ فَٱسْتَمِعْ لِمَا يُوحَىٰٓ
20:13 मैंने तुझे चुन लिया है। अतः सुन, जो कुछ प्रकाशना की जाती है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:14 إِنَّنِىٓ أَنَا ٱللَّهُ لَآ إِلَـٰهَ إِلَّآ أَنَا۠ فَٱعْبُدْنِى وَأَقِمِ ٱلصَّلَوٰةَ لِذِكْرِىٓ
20:14 निस्संदेह मैं ही अल्लाह हूँ। मेरे सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं। अतः तू मेरी बन्दगी कर और मेरी याद के लिए नमाज़ क़ायम कर - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:15 إِنَّ ٱلسَّاعَةَ ءَاتِيَةٌ أَكَادُ أُخْفِيهَا لِتُجْزَىٰ كُلُّ نَفْسٍۭ بِمَا تَسْعَىٰ
20:15 निश्चय ही वह (क़ियामत की) घड़ी आनेवाली है - शीघ्र ही उसे लाऊँगा, उसे छिपाए रखता हूँ - ताकि प्रत्येक व्यक्ति जो प्रयास वह करता है, उसका बदला पाए - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:16 فَلَا يَصُدَّنَّكَ عَنْهَا مَن لَّا يُؤْمِنُ بِهَا وَٱتَّبَعَ هَوَىٰهُ فَتَرْدَىٰ
20:16 अतः जो कोई उसपर ईमान नहीं लाता और अपनी वासना के पीछे पड़ा है, वह तुझे उससे रोक न दे, अन्यथा तू विनष्ट हो जाएगा - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:17 وَمَا تِلْكَ بِيَمِينِكَ يَـٰمُوسَىٰ
20:17 और ऐ मूसा! यह तेरे दाहिने हाथ में क्या है?" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:18 قَالَ هِىَ عَصَاىَ أَتَوَكَّؤُا۟ عَلَيْهَا وَأَهُشُّ بِهَا عَلَىٰ غَنَمِى وَلِىَ فِيهَا مَـَٔارِبُ أُخْرَىٰ
20:18 उसने कहा, "यह मेरी लाठी है। मैं इसपर टेक लगाता हूँ और इससे अपनी बकरियों के लिए पत्ते झाड़ता हूँ और इससे मेरी दूसरी ज़रूरतें भी पूरी होती है।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:19 قَالَ أَلْقِهَا يَـٰمُوسَىٰ
20:19 कहा, "डाल दे उसे, ऐ मूसा!" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:20 فَأَلْقَىٰهَا فَإِذَا هِىَ حَيَّةٌ تَسْعَىٰ
20:20 अतः उसने डाल दिया। सहसा क्या देखते है कि वह एक साँप है, जो दौड़ रहा है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:21 قَالَ خُذْهَا وَلَا تَخَفْ ۖ سَنُعِيدُهَا سِيرَتَهَا ٱلْأُولَىٰ
20:21 कहा, "इसे पकड़ ले और डर मत। हम इसे इसकी पहली हालत पर लौटा देंगे - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:22 وَٱضْمُمْ يَدَكَ إِلَىٰ جَنَاحِكَ تَخْرُجْ بَيْضَآءَ مِنْ غَيْرِ سُوٓءٍ ءَايَةً أُخْرَىٰ
20:22 और अपने हाथ अपने बाज़ू की ओर समेट ले। वह बिना किसी ऐब के रौशन दूसरी निशानी के रूप में निकलेगा - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:23 لِنُرِيَكَ مِنْ ءَايَـٰتِنَا ٱلْكُبْرَى
20:23 इसलिए कि हम तुझे अपनी बड़ी निशानियाँ दिखाएँ - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:24 ٱذْهَبْ إِلَىٰ فِرْعَوْنَ إِنَّهُۥ طَغَىٰ
20:24 तू फ़िरऔन के पास जा। वह बहुत सरकश हो गया है।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:25 قَالَ رَبِّ ٱشْرَحْ لِى صَدْرِى
20:25 उसने निवेदन किया, "मेरे रब! मेरा सीना मेरे लिए खोल दे - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:26 وَيَسِّرْ لِىٓ أَمْرِى
20:26 और मेरे काम को मेरे लिए आसान कर दे - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:27 وَٱحْلُلْ عُقْدَةً مِّن لِّسَانِى
20:27 और मेरी ज़बान की गिरह खोल दे। - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:28 يَفْقَهُوا۟ قَوْلِى
20:28 कि वे मेरी बात समझ सकें - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:29 وَٱجْعَل لِّى وَزِيرًا مِّنْ أَهْلِى
20:29 और मेरे लिए अपने घरवालों में से एक सहायक नियुक्त कर दें, - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:30 هَـٰرُونَ أَخِى
20:30 हारून को, जो मेरा भाई है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:31 ٱشْدُدْ بِهِۦٓ أَزْرِى
20:31 उसके द्वारा मेरी कमर मज़बूत कर - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:32 وَأَشْرِكْهُ فِىٓ أَمْرِى
20:32 और उसे मेरे काम में शरीक कर दें, - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:33 كَىْ نُسَبِّحَكَ كَثِيرًا
20:33 कि हम अधिक से अधिक तेरी तसबीह करें - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:34 وَنَذْكُرَكَ كَثِيرًا
20:34 और तुझे ख़ूब याद करें - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:35 إِنَّكَ كُنتَ بِنَا بَصِيرًا
20:35 निश्चय ही तू हमें खूब देख रहा है।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:36 قَالَ قَدْ أُوتِيتَ سُؤْلَكَ يَـٰمُوسَىٰ
20:36 कहा, "दिया गया तुझे जो तूने माँगा, ऐ मूसा! - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:37 وَلَقَدْ مَنَنَّا عَلَيْكَ مَرَّةً أُخْرَىٰٓ
20:37 हम तो तुझपर एक बार और भी उपकार कर चुके है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:38 إِذْ أَوْحَيْنَآ إِلَىٰٓ أُمِّكَ مَا يُوحَىٰٓ
20:38 जब हमने तेरी माँ के दिल में यह बात डाली थी, जो अब प्रकाशना की जा रही है, - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:39 أَنِ ٱقْذِفِيهِ فِى ٱلتَّابُوتِ فَٱقْذِفِيهِ فِى ٱلْيَمِّ فَلْيُلْقِهِ ٱلْيَمُّ بِٱلسَّاحِلِ يَأْخُذْهُ عَدُوٌّ لِّى وَعَدُوٌّ لَّهُۥ ۚ وَأَلْقَيْتُ عَلَيْكَ مَحَبَّةً مِّنِّى وَلِتُصْنَعَ عَلَىٰ عَيْنِىٓ
20:39 कि उसको सन्दूक में रख दे; फिर उसे दरिया में डाल दे; फिर दरिया उसे तट पर डाल दे कि उसे मेरा शत्रु और उसका शत्रु उठा ले। मैंने अपनी ओर से तुझपर अपना प्रेम डाला। (ताकि तू सुरक्षित रहे) और ताकि मेरी आँख के सामने तेरा पालन-पोषण हो - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:40 إِذْ تَمْشِىٓ أُخْتُكَ فَتَقُولُ هَلْ أَدُلُّكُمْ عَلَىٰ مَن يَكْفُلُهُۥ ۖ فَرَجَعْنَـٰكَ إِلَىٰٓ أُمِّكَ كَىْ تَقَرَّ عَيْنُهَا وَلَا تَحْزَنَ ۚ وَقَتَلْتَ نَفْسًا فَنَجَّيْنَـٰكَ مِنَ ٱلْغَمِّ وَفَتَنَّـٰكَ فُتُونًا ۚ فَلَبِثْتَ سِنِينَ فِىٓ أَهْلِ مَدْيَنَ ثُمَّ جِئْتَ عَلَىٰ قَدَرٍ يَـٰمُوسَىٰ
20:40 याद कर जबकि तेरी बहन जाती और कहती थी, क्या मैं तुम्हें उसका पता बता दूँ जो इसका पालन-पोषण अपने ज़िम्मे ले ले? इस प्रकार हमने फिर तुझे तेरी माँ के पास पहुँचा दिया, ताकि उसकी आँख ठंड़ी हो और वह शोकाकुल न हो। और हमने तुझे भली-भाँति परखा। फिर तू कई वर्ष मदयन के लोगों में ठहरा रहा। फिर ऐ मूसा! तू ख़ास समय पर आ गया है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:41 وَٱصْطَنَعْتُكَ لِنَفْسِى
20:41 हमने तुझे अपने लिए तैयार किया है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:42 ٱذْهَبْ أَنتَ وَأَخُوكَ بِـَٔايَـٰتِى وَلَا تَنِيَا فِى ذِكْرِى
20:42 जो, तू और तेरी भाई मेरी निशानियो के साथ; और मेरी याद में ढ़ीले मत पड़ना - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:43 ٱذْهَبَآ إِلَىٰ فِرْعَوْنَ إِنَّهُۥ طَغَىٰ
20:43 जाओ दोनों, फ़िरऔन के पास, वह सरकश हो गया है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:44 فَقُولَا لَهُۥ قَوْلًا لَّيِّنًا لَّعَلَّهُۥ يَتَذَكَّرُ أَوْ يَخْشَىٰ
20:44 उससे नर्म बात करना, कदाचित वह ध्यान दे या डरे।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:45 قَالَا رَبَّنَآ إِنَّنَا نَخَافُ أَن يَفْرُطَ عَلَيْنَآ أَوْ أَن يَطْغَىٰ
20:45 दोनों ने कहा, "ऐ हमारे रब! हमें इसका भय है कि वह हमपर ज़्यादती करे या सरकशी करने लग जाए।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:46 قَالَ لَا تَخَافَآ ۖ إِنَّنِى مَعَكُمَآ أَسْمَعُ وَأَرَىٰ
20:46 कहा, "डरो नहीं, मै तुम्हारे साथ हूँ। सुनता और देखता हूँ - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:47 فَأْتِيَاهُ فَقُولَآ إِنَّا رَسُولَا رَبِّكَ فَأَرْسِلْ مَعَنَا بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ وَلَا تُعَذِّبْهُمْ ۖ قَدْ جِئْنَـٰكَ بِـَٔايَةٍ مِّن رَّبِّكَ ۖ وَٱلسَّلَـٰمُ عَلَىٰ مَنِ ٱتَّبَعَ ٱلْهُدَىٰٓ
20:47 अतः जाओ, उसके पास और कहो, हम तेरे रब के रसूल है। इसराईल की सन्तान को हमारे साथ भेज दे। और उन्हें यातना न दे। हम तेरे पास तेरे रब की निशानी लेकर आए है। और सलामती है उसके लिए जो संमार्ग का अनुसरण करे! - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:48 إِنَّا قَدْ أُوحِىَ إِلَيْنَآ أَنَّ ٱلْعَذَابَ عَلَىٰ مَن كَذَّبَ وَتَوَلَّىٰ
20:48 निस्संदेह हमारी ओर प्रकाशना हुई है कि यातना उसके लिए है, जो झुठलाए और मुँह फेरे।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:49 قَالَ فَمَن رَّبُّكُمَا يَـٰمُوسَىٰ
20:49 उसने कहा, "अच्छा, तुम दोनों का रब कौन है, मूसा?" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:50 قَالَ رَبُّنَا ٱلَّذِىٓ أَعْطَىٰ كُلَّ شَىْءٍ خَلْقَهُۥ ثُمَّ هَدَىٰ
20:50 कहा, "हमारा रब वह है जिसने हर चीज़ को उसकी आकृति दी, फिर तदनुकूव निर्देशन किया।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:51 قَالَ فَمَا بَالُ ٱلْقُرُونِ ٱلْأُولَىٰ
20:51 उसने कहा, "अच्छा तो उन नस्लों का क्या हाल है, जो पहले थी?" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:52 قَالَ عِلْمُهَا عِندَ رَبِّى فِى كِتَـٰبٍ ۖ لَّا يَضِلُّ رَبِّى وَلَا يَنسَى
20:52 कहा, "उसका ज्ञान मेरे रब के पास एक किताब में सुरक्षित है। मेरा रब न चूकता है और न भूलता है।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:53 ٱلَّذِى جَعَلَ لَكُمُ ٱلْأَرْضَ مَهْدًا وَسَلَكَ لَكُمْ فِيهَا سُبُلًا وَأَنزَلَ مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءً فَأَخْرَجْنَا بِهِۦٓ أَزْوَٰجًا مِّن نَّبَاتٍ شَتَّىٰ
20:53 "वही है जिसने तुम्हारे लिए धरती को पालना (बिछौना) बनाया और उसने तुम्हारे लिए रास्ते निकाले और आकाश से पानी उतारा। फिर हमने उसके द्वारा विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे निकाले - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:54 كُلُوا۟ وَٱرْعَوْا۟ أَنْعَـٰمَكُمْ ۗ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَـٰتٍ لِّأُو۟لِى ٱلنُّهَىٰ
20:54 खाओ और अपने चौपायों को भी चराओ! निस्संदेह इसमें बुद्धिमानों के लिए बहुत-सी निशानियाँ है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:55 ۞ مِنْهَا خَلَقْنَـٰكُمْ وَفِيهَا نُعِيدُكُمْ وَمِنْهَا نُخْرِجُكُمْ تَارَةً أُخْرَىٰ
20:55 उसी से हमने तुम्हें पैदा किया और उसी में हम तुम्हें लौटाते है और उसी से तुम्हें दूसरी बार निकालेंगे।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:56 وَلَقَدْ أَرَيْنَـٰهُ ءَايَـٰتِنَا كُلَّهَا فَكَذَّبَ وَأَبَىٰ
20:56 और हमने फ़िरऔन को अपनी सब निशानियाँ दिखाई, किन्तु उसने झुठलाया और इनकार किया।- - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:57 قَالَ أَجِئْتَنَا لِتُخْرِجَنَا مِنْ أَرْضِنَا بِسِحْرِكَ يَـٰمُوسَىٰ
20:57 उसने कहा, "ऐ मूसा! क्या तू हमारे पास इसलिए आया है कि अपने जादू से हमको हमारे अपने भूभाग से निकाल दे? - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:58 فَلَنَأْتِيَنَّكَ بِسِحْرٍ مِّثْلِهِۦ فَٱجْعَلْ بَيْنَنَا وَبَيْنَكَ مَوْعِدًا لَّا نُخْلِفُهُۥ نَحْنُ وَلَآ أَنتَ مَكَانًا سُوًى
20:58 अच्छा, हम भी तेरे पास ऐसा ही जादू लाते है। अब हमारे और अपने बीच एक निश्चित स्थान ठहरा ले, कोई बीच की जगह, न हम इसके विरुद्ध जाएँ और न तू।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:59 قَالَ مَوْعِدُكُمْ يَوْمُ ٱلزِّينَةِ وَأَن يُحْشَرَ ٱلنَّاسُ ضُحًى
20:59 कहा, "उत्सव का दिन तुम्हारे वादे का है और यह कि लोग दिन चढ़े इकट्ठे हो जाएँ।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:60 فَتَوَلَّىٰ فِرْعَوْنُ فَجَمَعَ كَيْدَهُۥ ثُمَّ أَتَىٰ
20:60 तब फ़िरऔन ने पलटकर अपने सारे हथकंडे जुटाए। और आ गया - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:61 قَالَ لَهُم مُّوسَىٰ وَيْلَكُمْ لَا تَفْتَرُوا۟ عَلَى ٱللَّهِ كَذِبًا فَيُسْحِتَكُم بِعَذَابٍ ۖ وَقَدْ خَابَ مَنِ ٱفْتَرَىٰ
20:61 मूसा ने उन लोगों से कहा, "तबाही है तुम्हारी; झूठ घड़कर अल्लाह पर न थोपो कि वह तुम्हें एक यातना से विनष्ट कर दे और झूठ जिस किसी ने भी घड़कर थोपा, वह असफल रहा।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:62 فَتَنَـٰزَعُوٓا۟ أَمْرَهُم بَيْنَهُمْ وَأَسَرُّوا۟ ٱلنَّجْوَىٰ
20:62 इसपर उन्होंने परस्पर बड़ा मतभेद किया औऱ और चुपके-चुपके कानाफूसी की - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:63 قَالُوٓا۟ إِنْ هَـٰذَٰنِ لَسَـٰحِرَٰنِ يُرِيدَانِ أَن يُخْرِجَاكُم مِّنْ أَرْضِكُم بِسِحْرِهِمَا وَيَذْهَبَا بِطَرِيقَتِكُمُ ٱلْمُثْلَىٰ
20:63 कहने लगे, "ये दोनों जादूगर है, चाहते है कि अपने जादू से तुम्हें तुम्हारे भूभाग से निकाल बाहर करें। और तुम्हारी उत्तम और उच्च प्रणाली को तहस-नहस करके रख दे।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:64 فَأَجْمِعُوا۟ كَيْدَكُمْ ثُمَّ ٱئْتُوا۟ صَفًّا ۚ وَقَدْ أَفْلَحَ ٱلْيَوْمَ مَنِ ٱسْتَعْلَىٰ
20:64 अतः तुम सब मिलकर अपना उपाय जुटा लो, फिर पंक्तिबद्ध होकर आओ। आज तो प्रभावी रहा, वही सफल है।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:65 قَالُوا۟ يَـٰمُوسَىٰٓ إِمَّآ أَن تُلْقِىَ وَإِمَّآ أَن نَّكُونَ أَوَّلَ مَنْ أَلْقَىٰ
20:65 वे बोले, "ऐ मूसा! या तो तुम फेंको या फिर हम पहले फेंकते हैं।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:66 قَالَ بَلْ أَلْقُوا۟ ۖ فَإِذَا حِبَالُهُمْ وَعِصِيُّهُمْ يُخَيَّلُ إِلَيْهِ مِن سِحْرِهِمْ أَنَّهَا تَسْعَىٰ
20:66 कहा, "नहीं, बल्कि तुम्हीं फेंको।" फिर अचानक क्या देखते है कि उनकी रस्सियाँ और लाठियाँ उनके जादू से उनके ख़याल में दौड़ती हुई प्रतीत हुई - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:67 فَأَوْجَسَ فِى نَفْسِهِۦ خِيفَةً مُّوسَىٰ
20:67 और मूसा अपने जी में डरा - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:68 قُلْنَا لَا تَخَفْ إِنَّكَ أَنتَ ٱلْأَعْلَىٰ
20:68 हमने कहा, "मत डर! निस्संदेह तू ही प्रभावी रहेगा। - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:69 وَأَلْقِ مَا فِى يَمِينِكَ تَلْقَفْ مَا صَنَعُوٓا۟ ۖ إِنَّمَا صَنَعُوا۟ كَيْدُ سَـٰحِرٍ ۖ وَلَا يُفْلِحُ ٱلسَّاحِرُ حَيْثُ أَتَىٰ
20:69 और डाल दे जो तेरे दाहिने हाथ में है। जो कुछ उन्होंने रचा है, वह उसे निगल जाएगा। जो कुछ उन्होंने रचा है, वह तो बस जादूगर का स्वांग है और जादूगर सफल नहीं होता, चाहे वह जैसे भी आए।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:70 فَأُلْقِىَ ٱلسَّحَرَةُ سُجَّدًا قَالُوٓا۟ ءَامَنَّا بِرَبِّ هَـٰرُونَ وَمُوسَىٰ
20:70 अन्ततः जादूगर सजदे में गिर पड़े, बोले, "हम हारून और मूसा के रब पर ईमान ले आए।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:71 قَالَ ءَامَنتُمْ لَهُۥ قَبْلَ أَنْ ءَاذَنَ لَكُمْ ۖ إِنَّهُۥ لَكَبِيرُكُمُ ٱلَّذِى عَلَّمَكُمُ ٱلسِّحْرَ ۖ فَلَأُقَطِّعَنَّ أَيْدِيَكُمْ وَأَرْجُلَكُم مِّنْ خِلَـٰفٍ وَلَأُصَلِّبَنَّكُمْ فِى جُذُوعِ ٱلنَّخْلِ وَلَتَعْلَمُنَّ أَيُّنَآ أَشَدُّ عَذَابًا وَأَبْقَىٰ
20:71 उसने कहा, "तुमने मान लिया उसको, इससे पहले कि मैं तुम्हें इसकी अनुज्ञा देता? निश्चय ही यह तुम सबका प्रमुख है, जिसने जादू सिखाया है। अच्छा, अब मैं तुम्हारा हाथ और पाँव विपरीत दिशाओं से कटवा दूँगा और खंजूर के तनों पर तुम्हें सूली दे दूँगा। तब तुम्हें अवश्य ही मालूम हो जाएगा कि हममें से किसकी यातना अधिक कठोर और स्थायी है!" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:72 قَالُوا۟ لَن نُّؤْثِرَكَ عَلَىٰ مَا جَآءَنَا مِنَ ٱلْبَيِّنَـٰتِ وَٱلَّذِى فَطَرَنَا ۖ فَٱقْضِ مَآ أَنتَ قَاضٍ ۖ إِنَّمَا تَقْضِى هَـٰذِهِ ٱلْحَيَوٰةَ ٱلدُّنْيَآ
20:72 उन्होंने कहा, "जो स्पष्ट निशानियाँ हमारे सामने आ चुकी है उनके मुक़ाबले में सौगंध है उस सत्ता की, जिसने हमें पैदा किया है, हम कदापि तुझे प्राथमिकता नहीं दे सकते। तो जो कुछ तू फ़ैसला करनेवाला है, कर ले। तू बस इसी सांसारिक जीवन का फ़ैसला कर सकता है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:73 إِنَّآ ءَامَنَّا بِرَبِّنَا لِيَغْفِرَ لَنَا خَطَـٰيَـٰنَا وَمَآ أَكْرَهْتَنَا عَلَيْهِ مِنَ ٱلسِّحْرِ ۗ وَٱللَّهُ خَيْرٌ وَأَبْقَىٰٓ
20:73 हम तो अपने रब पर ईमान ले आए, ताकि वह हमारी खताओं को माफ़ कर दे औऱ इस जादू को भी जिसपर तूने हमें बाध्य किया। अल्लाह की उत्तम और शेष रहनेवाला है।" - - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:74 إِنَّهُۥ مَن يَأْتِ رَبَّهُۥ مُجْرِمًا فَإِنَّ لَهُۥ جَهَنَّمَ لَا يَمُوتُ فِيهَا وَلَا يَحْيَىٰ
20:74 सत्य यह है कि जो कोई अपने रब के पास अपराधी बनकर आया उसके लिए जहन्नम है, जिसमें वह न मरेगा और न जिएगा - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:75 وَمَن يَأْتِهِۦ مُؤْمِنًا قَدْ عَمِلَ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ فَأُو۟لَـٰٓئِكَ لَهُمُ ٱلدَّرَجَـٰتُ ٱلْعُلَىٰ
20:75 और जो कोई उसके पास मोमिन होकर आया, जिसने अच्छे कर्म किए होंगे, तो ऐसे लोगों के लिए तो ऊँचे दर्जें है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:76 جَنَّـٰتُ عَدْنٍ تَجْرِى مِن تَحْتِهَا ٱلْأَنْهَـٰرُ خَـٰلِدِينَ فِيهَا ۚ وَذَٰلِكَ جَزَآءُ مَن تَزَكَّىٰ
20:76 अदन के बाग़ है, जिनके नीचें नहरें बहती होंगी। उनमें वे सदैव रहेंगे। यह बदला है उसका जिसने स्वयं को विकसित किया-- - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:77 وَلَقَدْ أَوْحَيْنَآ إِلَىٰ مُوسَىٰٓ أَنْ أَسْرِ بِعِبَادِى فَٱضْرِبْ لَهُمْ طَرِيقًا فِى ٱلْبَحْرِ يَبَسًا لَّا تَخَـٰفُ دَرَكًا وَلَا تَخْشَىٰ
20:77 और हमने मूसा की ओर प्रकाशना की, "रातों रात मेरे बन्दों को लेकर निकल पड़, और उनके लिए दरिया में सूखा मार्ग निकाल ले। न तो तुझे पीछा किए जाने औऱ न पकड़े जाने का भय हो और न किसी अन्य चीज़ से तुझे डर लगे।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:78 فَأَتْبَعَهُمْ فِرْعَوْنُ بِجُنُودِهِۦ فَغَشِيَهُم مِّنَ ٱلْيَمِّ مَا غَشِيَهُمْ
20:78 फ़िरऔन ने अपनी सेना के साथ उनका पीछा किया। अन्ततः पानी उनपर छा गया, जैसाकि उसे उनपर छा जाना था - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:79 وَأَضَلَّ فِرْعَوْنُ قَوْمَهُۥ وَمَا هَدَىٰ
20:79 फ़िरऔन ने अपनी क़ौम को पथभ्रष्ट किया और मार्ग न दिखाया - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:80 يَـٰبَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ قَدْ أَنجَيْنَـٰكُم مِّنْ عَدُوِّكُمْ وَوَٰعَدْنَـٰكُمْ جَانِبَ ٱلطُّورِ ٱلْأَيْمَنَ وَنَزَّلْنَا عَلَيْكُمُ ٱلْمَنَّ وَٱلسَّلْوَىٰ
20:80 ऐ ईसराईल की सन्तान! हमने तुम्हें तुम्हारे शत्रु से छुटकारा दिया और तुमसे तूर के दाहिने छोर का वादा किया और तुमपर मग्न और सलवा उतारा, - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:81 كُلُوا۟ مِن طَيِّبَـٰتِ مَا رَزَقْنَـٰكُمْ وَلَا تَطْغَوْا۟ فِيهِ فَيَحِلَّ عَلَيْكُمْ غَضَبِى ۖ وَمَن يَحْلِلْ عَلَيْهِ غَضَبِى فَقَدْ هَوَىٰ
20:81 "खाओ, जो कुछ पाक अच्छी चीज़े हमने तुम्हें प्रदान की है, किन्तु इसमें हद से आगे न बढ़ो कि तुमपर मेरा प्रकोप टूट पड़े और जिस किसी पर मेरा प्रकोप टूटा, वह तो गिरकर ही रहा - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:82 وَإِنِّى لَغَفَّارٌ لِّمَن تَابَ وَءَامَنَ وَعَمِلَ صَـٰلِحًا ثُمَّ ٱهْتَدَىٰ
20:82 और जो तौबा कर ले और ईमान लाए और अच्छा कर्म करे, फिर सीधे मार्ग पर चलता रहे, उसके लिए निश्चय ही मैं अत्यन्त क्षमाशील हूँ।" - - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:83 ۞ وَمَآ أَعْجَلَكَ عَن قَوْمِكَ يَـٰمُوسَىٰ
20:83 "और अपनी क़ौम को छोड़कर तुझे शीघ्र आने पर किस चीज़ ने उभारा, ऐ मूसा?" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:84 قَالَ هُمْ أُو۟لَآءِ عَلَىٰٓ أَثَرِى وَعَجِلْتُ إِلَيْكَ رَبِّ لِتَرْضَىٰ
20:84 उसने कहा, "वे मेरे पीछे ही और मैं जल्दी बढ़कर आया तेरी ओर, ऐ रब! ताकि तू राज़ी हो जाए।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:85 قَالَ فَإِنَّا قَدْ فَتَنَّا قَوْمَكَ مِنۢ بَعْدِكَ وَأَضَلَّهُمُ ٱلسَّامِرِىُّ
20:85 कहा, "अच्छा, तो हमने तेरे पीछे तेरी क़ौम के लोगों को आज़माइश में डाल दिया है। और सामरी ने उन्हें पथभ्रष्ट कर डाला।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:86 فَرَجَعَ مُوسَىٰٓ إِلَىٰ قَوْمِهِۦ غَضْبَـٰنَ أَسِفًا ۚ قَالَ يَـٰقَوْمِ أَلَمْ يَعِدْكُمْ رَبُّكُمْ وَعْدًا حَسَنًا ۚ أَفَطَالَ عَلَيْكُمُ ٱلْعَهْدُ أَمْ أَرَدتُّمْ أَن يَحِلَّ عَلَيْكُمْ غَضَبٌ مِّن رَّبِّكُمْ فَأَخْلَفْتُم مَّوْعِدِى
20:86 तब मूसा अत्यन्त क्रोध और खेद में डूबा हुआ अपनी क़ौम के लोगों की ओर पलटा। कहा, "ऐ मेरी क़ौम के लोगों! क्या तुमसे तुम्हारे रब ने अच्छा वादा नहीं किया था? क्या तुमपर लम्बी मुद्दत गुज़र गई या तुमने यही चाहा कि तुमपर तुम्हारे रब का प्रकोप ही टूटे कि तुमने मेरे वादे के विरुद्ध आचरण किया?" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:87 قَالُوا۟ مَآ أَخْلَفْنَا مَوْعِدَكَ بِمَلْكِنَا وَلَـٰكِنَّا حُمِّلْنَآ أَوْزَارًا مِّن زِينَةِ ٱلْقَوْمِ فَقَذَفْنَـٰهَا فَكَذَٰلِكَ أَلْقَى ٱلسَّامِرِىُّ
20:87 उन्होंने कहा, "हमने आपसे किए हुए वादे के विरुद्ध अपने अधिकार से कुछ नहीं किया, बल्कि लोगों के ज़ेवरों के बोझ हम उठाए हुए थे, फिर हमने उनको (आग में) फेंक दिया, सामरी ने इसी तरह प्रेरित किया था।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:88 فَأَخْرَجَ لَهُمْ عِجْلًا جَسَدًا لَّهُۥ خُوَارٌ فَقَالُوا۟ هَـٰذَآ إِلَـٰهُكُمْ وَإِلَـٰهُ مُوسَىٰ فَنَسِىَ
20:88 और उसने उनके लिए एक बछड़ा ढालकर निकाला, एक धड़ जिसकी आवाज़ बैल की थी। फिर उन्होंने कहा, "यही तुम्हारा इष्ट-पूज्य है और मूसा का भी इष्ट -पूज्य है, किन्तु वह भूल गया है।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:89 أَفَلَا يَرَوْنَ أَلَّا يَرْجِعُ إِلَيْهِمْ قَوْلًا وَلَا يَمْلِكُ لَهُمْ ضَرًّا وَلَا نَفْعًا
20:89 क्या वे देखते न थे कि न वह किसी बात का उत्तर देता है और न उसे उनकी हानि का कुछ अधिकार प्राप्त है और न लाभ का? - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:90 وَلَقَدْ قَالَ لَهُمْ هَـٰرُونُ مِن قَبْلُ يَـٰقَوْمِ إِنَّمَا فُتِنتُم بِهِۦ ۖ وَإِنَّ رَبَّكُمُ ٱلرَّحْمَـٰنُ فَٱتَّبِعُونِى وَأَطِيعُوٓا۟ أَمْرِى
20:90 और हारून इससे पहले उनसे कह भी चुका था कि "मेरी क़ौम के लोगों! तुम इसके कारण बस फ़ितने में पड़ गए हो। तुम्हारा रब तो रहमान है। अतः तुम मेरा अनुसरण करो और मेरी बात मानो।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:91 قَالُوا۟ لَن نَّبْرَحَ عَلَيْهِ عَـٰكِفِينَ حَتَّىٰ يَرْجِعَ إِلَيْنَا مُوسَىٰ
20:91 उन्होंने कहा, "जब तक मूसा लौटकर हमारे पास न आ जाए, हम तो इससे ही लगे बैठे रहेंगे।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:92 قَالَ يَـٰهَـٰرُونُ مَا مَنَعَكَ إِذْ رَأَيْتَهُمْ ضَلُّوٓا۟
20:92 उसने कहा, "ऐ हारून! जब तुमने देखा कि ये पथभ्रष्ट हो गए है, तो किस चीज़ ने तुम्हें रोका - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:93 أَلَّا تَتَّبِعَنِ ۖ أَفَعَصَيْتَ أَمْرِى
20:93 कि तुमने मेरा अनुसरण न किया? क्या तुमने मेरे आदेश की अवहेलना की?" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:94 قَالَ يَبْنَؤُمَّ لَا تَأْخُذْ بِلِحْيَتِى وَلَا بِرَأْسِىٓ ۖ إِنِّى خَشِيتُ أَن تَقُولَ فَرَّقْتَ بَيْنَ بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ وَلَمْ تَرْقُبْ قَوْلِى
20:94 उसने कहा, "ऐ मेरी माँ के बेटे! मेरी दाढ़ी न पकड़ और न मेरा सिर! मैं डरा कि तू कहेंगा कि तूने इसराईल की सन्तान में फूट डाल दी और मेरी बात पर ध्यान न दिया।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:95 قَالَ فَمَا خَطْبُكَ يَـٰسَـٰمِرِىُّ
20:95 (मूसा ने) कहा, "ऐ सामरी! तेरा क्या मामला है?" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:96 قَالَ بَصُرْتُ بِمَا لَمْ يَبْصُرُوا۟ بِهِۦ فَقَبَضْتُ قَبْضَةً مِّنْ أَثَرِ ٱلرَّسُولِ فَنَبَذْتُهَا وَكَذَٰلِكَ سَوَّلَتْ لِى نَفْسِى
20:96 उसने कहा, "मुझे उसकी सूझ प्राप्त हुई, जिसकी सूझ उन्हें प्राप्त॥ न हुई। फिर मैंने रसूल के पद-चिन्ह से एक मुट्ठी उठा ली। फिर उसे डाल दिया और मेरे जी ने मुझे कुछ ऐसा ही सुझाया।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:97 قَالَ فَٱذْهَبْ فَإِنَّ لَكَ فِى ٱلْحَيَوٰةِ أَن تَقُولَ لَا مِسَاسَ ۖ وَإِنَّ لَكَ مَوْعِدًا لَّن تُخْلَفَهُۥ ۖ وَٱنظُرْ إِلَىٰٓ إِلَـٰهِكَ ٱلَّذِى ظَلْتَ عَلَيْهِ عَاكِفًا ۖ لَّنُحَرِّقَنَّهُۥ ثُمَّ لَنَنسِفَنَّهُۥ فِى ٱلْيَمِّ نَسْفًا
20:97 कहा, "अच्छा, तू जा! अब इस जीवन में तेरे लिए यही है कि कहता रहे, कोई छुए नहीं! और निश्चित वादा है, जो तेरे लिए एक निश्चित वादा है, जो तुझपर से कदापि न टलेगा। और देख अपने इष्ट-पूज्य को जिसपर तू रीझा-जमा बैठा था! हम उसे जला डालेंगे, फिर उसे चूर्ण-विचूर्ण करके दरिया में बिखेर देंगे।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:98 إِنَّمَآ إِلَـٰهُكُمُ ٱللَّهُ ٱلَّذِى لَآ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ ۚ وَسِعَ كُلَّ شَىْءٍ عِلْمًا
20:98 "तुम्हारा पूज्य-प्रभु तो बस वही अल्लाह है, जिसके अतिरिक्त कोई पूज्य-प्रभु नहीं। वह अपने ज्ञान से हर चीज़ पर हावी है।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:99 كَذَٰلِكَ نَقُصُّ عَلَيْكَ مِنْ أَنۢبَآءِ مَا قَدْ سَبَقَ ۚ وَقَدْ ءَاتَيْنَـٰكَ مِن لَّدُنَّا ذِكْرًا
20:99 इस प्रकार विगत वृत्तांत हम तुम्हें सुनाते है और हमने तुम्हें अपने पास से एक अनुस्मृति प्रदान की है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:100 مَّنْ أَعْرَضَ عَنْهُ فَإِنَّهُۥ يَحْمِلُ يَوْمَ ٱلْقِيَـٰمَةِ وِزْرًا
20:100 जिस किसी ने उससे मुँह मोड़ा, वह निश्चय ही क़ियामत के दिन एक बोझ उठाएगा - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:101 خَـٰلِدِينَ فِيهِ ۖ وَسَآءَ لَهُمْ يَوْمَ ٱلْقِيَـٰمَةِ حِمْلًا
20:101 ऐसे दिन सदैव इसी वबाल में पड़े रहेंगे और क़ियामत के दिन उनके हक़ में यह बहुत ही बुरा बोझ सिद्ध होगा - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:102 يَوْمَ يُنفَخُ فِى ٱلصُّورِ ۚ وَنَحْشُرُ ٱلْمُجْرِمِينَ يَوْمَئِذٍ زُرْقًا
20:102 जिस दिन सूर फूँका जाएगा और हम अपराधियों को उस दिन इस दशा में इकट्ठा करेंगे कि उनकी आँखे नीली पड़ गई होंगी - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:103 يَتَخَـٰفَتُونَ بَيْنَهُمْ إِن لَّبِثْتُمْ إِلَّا عَشْرًا
20:103 वे आपस में चुपके-चुपके कहेंगे कि "तुम बस दस ही दिन ठहरे हो।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:104 نَّحْنُ أَعْلَمُ بِمَا يَقُولُونَ إِذْ يَقُولُ أَمْثَلُهُمْ طَرِيقَةً إِن لَّبِثْتُمْ إِلَّا يَوْمًا
20:104 हम भली-भाँति जानते है जो कुछ वे कहेंगे, जबकि उनका सबसे अच्छी सम्मतिवाला कहेगा, "तुम तो बस एक ही दिन ठहरे हो।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:105 وَيَسْـَٔلُونَكَ عَنِ ٱلْجِبَالِ فَقُلْ يَنسِفُهَا رَبِّى نَسْفًا
20:105 वे तुमसे पर्वतों के विषय में पूछते है। कह दो, "मेरा रब उन्हें छूल की तरह उड़ा देगा, - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:106 فَيَذَرُهَا قَاعًا صَفْصَفًا
20:106 और धरती को एक समतल चटियल मैदान बनाकर छोड़ेगा - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:107 لَّا تَرَىٰ فِيهَا عِوَجًا وَلَآ أَمْتًا
20:107 तुम उसमें न कोई सिलवट देखोगे और न ऊँच-नीच।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:108 يَوْمَئِذٍ يَتَّبِعُونَ ٱلدَّاعِىَ لَا عِوَجَ لَهُۥ ۖ وَخَشَعَتِ ٱلْأَصْوَاتُ لِلرَّحْمَـٰنِ فَلَا تَسْمَعُ إِلَّا هَمْسًا
20:108 उस दिन वे पुकारनेवाले के पीछे चल पड़ेंगे और उसके सामने कोई अकड़ न दिखाई जा सकेगी। आवाज़े रहमान के सामने दब जाएँगी। एक हल्की मन्द आवाज़ के अतिरिक्त तुम कुछ न सुनोगे - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:109 يَوْمَئِذٍ لَّا تَنفَعُ ٱلشَّفَـٰعَةُ إِلَّا مَنْ أَذِنَ لَهُ ٱلرَّحْمَـٰنُ وَرَضِىَ لَهُۥ قَوْلًا
20:109 उस दिन सिफ़ारिश काम न आएगी। यह और बात है कि किसी के लिए रहमान अनुज्ञा दे और उसके लिए बात करने को पसन्द करे - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:110 يَعْلَمُ مَا بَيْنَ أَيْدِيهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ وَلَا يُحِيطُونَ بِهِۦ عِلْمًا
20:110 वह जानता है जो कुछ उनके आगे है और जो कुछ उनके पीछे है, किन्तु वे अपने ज्ञान से उसपर हावी नहीं हो सकते - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:111 ۞ وَعَنَتِ ٱلْوُجُوهُ لِلْحَىِّ ٱلْقَيُّومِ ۖ وَقَدْ خَابَ مَنْ حَمَلَ ظُلْمًا
20:111 चेहरे उस जीवन्त, शाश्वत सत्ता के आगे झुकें होंगे। असफल हुआ वह जिसने ज़ुल्म का बोझ उठाया - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:112 وَمَن يَعْمَلْ مِنَ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ وَهُوَ مُؤْمِنٌ فَلَا يَخَافُ ظُلْمًا وَلَا هَضْمًا
20:112 किन्तु जो कोई अच्छे कर्म करे और हो वह मोमिन, तो उसे न तो किसी ज़ुल्म का भय होगा और न हक़ मारे जाने का - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:113 وَكَذَٰلِكَ أَنزَلْنَـٰهُ قُرْءَانًا عَرَبِيًّا وَصَرَّفْنَا فِيهِ مِنَ ٱلْوَعِيدِ لَعَلَّهُمْ يَتَّقُونَ أَوْ يُحْدِثُ لَهُمْ ذِكْرًا
20:113 और इस प्रकार हमने इसे अरबी क़ुरआन के रूप में अवतरित किया है और हमने इसमें तरह-तरह से चेतावनी दी है, ताकि वे डर रखें या यह उन्हें होश दिलाए - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:114 فَتَعَـٰلَى ٱللَّهُ ٱلْمَلِكُ ٱلْحَقُّ ۗ وَلَا تَعْجَلْ بِٱلْقُرْءَانِ مِن قَبْلِ أَن يُقْضَىٰٓ إِلَيْكَ وَحْيُهُۥ ۖ وَقُل رَّبِّ زِدْنِى عِلْمًا
20:114 अतः सर्वोच्च है अल्लाह, सच्चा सम्राट! क़ुरआन के (फ़ैसले के) सिलसिले में जल्दी न करो, जब तक कि वह पूरा न हो जाए। तेरी ओर उसकी प्रकाशना हो रही है। और कहो, "मेरे रब, मुझे ज्ञान में अभिवृद्धि प्रदान कर।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:115 وَلَقَدْ عَهِدْنَآ إِلَىٰٓ ءَادَمَ مِن قَبْلُ فَنَسِىَ وَلَمْ نَجِدْ لَهُۥ عَزْمًا
20:115 और हमने इससे पहले आदम से वचन लिया था, किन्तु वह भूल गया और हमने उसमें इरादे की मज़बूती न पाई - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:116 وَإِذْ قُلْنَا لِلْمَلَـٰٓئِكَةِ ٱسْجُدُوا۟ لِـَٔادَمَ فَسَجَدُوٓا۟ إِلَّآ إِبْلِيسَ أَبَىٰ
20:116 और जब हमने फ़रिश्तों से कहा, "आदम को सजदा करो।" तो उन्होंने सजदा किया सिवाय इबलीस के, वह इनकार कर बैठा - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:117 فَقُلْنَا يَـٰٓـَٔادَمُ إِنَّ هَـٰذَا عَدُوٌّ لَّكَ وَلِزَوْجِكَ فَلَا يُخْرِجَنَّكُمَا مِنَ ٱلْجَنَّةِ فَتَشْقَىٰٓ
20:117 इसपर हमने कहा, "ऐ आदम! निश्चय ही यह तुम्हारा और तुम्हारी पत्नी का शत्रु है। ऐसा न हो कि तुम दोनों को जन्नत से निकलवा दे और तुम तकलीफ़ में पड़ जाओ - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:118 إِنَّ لَكَ أَلَّا تَجُوعَ فِيهَا وَلَا تَعْرَىٰ
20:118 तुम्हारे लिए तो ऐसा है कि न तुम यहाँ भूखे रहोगे और न नंगे - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:119 وَأَنَّكَ لَا تَظْمَؤُا۟ فِيهَا وَلَا تَضْحَىٰ
20:119 और यह कि न यहाँ प्यासे रहोगे और न धूप की तकलीफ़ उठाओगे।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:120 فَوَسْوَسَ إِلَيْهِ ٱلشَّيْطَـٰنُ قَالَ يَـٰٓـَٔادَمُ هَلْ أَدُلُّكَ عَلَىٰ شَجَرَةِ ٱلْخُلْدِ وَمُلْكٍ لَّا يَبْلَىٰ
20:120 फिर शैतान ने उसे उकसाया। कहने लगा, "ऐ आदम! क्या मैं तुझे शाश्वत जीवन के वृक्ष का पता दूँ और ऐसे राज्य का जो कभी जीर्ण न हो?" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:121 فَأَكَلَا مِنْهَا فَبَدَتْ لَهُمَا سَوْءَٰتُهُمَا وَطَفِقَا يَخْصِفَانِ عَلَيْهِمَا مِن وَرَقِ ٱلْجَنَّةِ ۚ وَعَصَىٰٓ ءَادَمُ رَبَّهُۥ فَغَوَىٰ
20:121 अन्ततः उन दोनों ने उसमें से खा लिया, जिसके परिणामस्वरूप उनकी छिपाने की चीज़े उनके आगे खुल गई और वे दोनों अपने ऊपर जन्नत के पत्ते जोड-जोड़कर रखने लगे। और आदम ने अपने रब की अवज्ञा की, तो वह मार्ग से भटक गया - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:122 ثُمَّ ٱجْتَبَـٰهُ رَبُّهُۥ فَتَابَ عَلَيْهِ وَهَدَىٰ
20:122 इसके पश्चात उसके रब ने उसे चुन लिया और दोबारा उसकी ओर ध्यान दिया और उसका मार्गदर्शन किया - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:123 قَالَ ٱهْبِطَا مِنْهَا جَمِيعًۢا ۖ بَعْضُكُمْ لِبَعْضٍ عَدُوٌّ ۖ فَإِمَّا يَأْتِيَنَّكُم مِّنِّى هُدًى فَمَنِ ٱتَّبَعَ هُدَاىَ فَلَا يَضِلُّ وَلَا يَشْقَىٰ
20:123 कहा, "तुम दोनों के दोनों यहाँ से उतरो! तुम्हारे कुछ लोग कुछ के शत्रु होंगे। फिर यदि मेरी ओर से तुम्हें मार्गदर्शन पहुँचे, तो जिस किसी ने मेरे मार्गदर्शन का अनुपालन किया, वह न तो पथभ्रष्ट होगा और न तकलीफ़ में पड़ेगा - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:124 وَمَنْ أَعْرَضَ عَن ذِكْرِى فَإِنَّ لَهُۥ مَعِيشَةً ضَنكًا وَنَحْشُرُهُۥ يَوْمَ ٱلْقِيَـٰمَةِ أَعْمَىٰ
20:124 और जिस किसी ने मेरी स्मृति से मुँह मोडा़ तो उसका जीवन संकीर्ण होगा और क़ियामत के दिन हम उसे अंधा उठाएँगे।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:125 قَالَ رَبِّ لِمَ حَشَرْتَنِىٓ أَعْمَىٰ وَقَدْ كُنتُ بَصِيرًا
20:125 वह कहेगा, "ऐ मेरे रब! तूने मुझे अंधा क्यों उठाया, जबकि मैं आँखोंवाला था?" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:126 قَالَ كَذَٰلِكَ أَتَتْكَ ءَايَـٰتُنَا فَنَسِيتَهَا ۖ وَكَذَٰلِكَ ٱلْيَوْمَ تُنسَىٰ
20:126 वह कहेगा, "इसी प्रकार (तू संसार में अंधा रहा था) । तेरे पास मेरी आयतें आई थी, तो तूने उन्हें भूला दिया था। उसी प्रकार आज तुझे भुलाया जा रहा है।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:127 وَكَذَٰلِكَ نَجْزِى مَنْ أَسْرَفَ وَلَمْ يُؤْمِنۢ بِـَٔايَـٰتِ رَبِّهِۦ ۚ وَلَعَذَابُ ٱلْـَٔاخِرَةِ أَشَدُّ وَأَبْقَىٰٓ
20:127 इसी प्रकार हम उसे बदला देते है जो मर्यादा का उल्लंघन करे और अपने रब की आयतों पर ईमान न लाए। और आख़िरत की यातना तो अत्यन्त कठोर और अधिक स्थायी है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:128 أَفَلَمْ يَهْدِ لَهُمْ كَمْ أَهْلَكْنَا قَبْلَهُم مِّنَ ٱلْقُرُونِ يَمْشُونَ فِى مَسَـٰكِنِهِمْ ۗ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَـٰتٍ لِّأُو۟لِى ٱلنُّهَىٰ
20:128 फिर क्या उनको इससे भी मार्ग न मिला कि हम उनसे पहले कितनी ही नस्लों को विनष्ट कर चुके है, जिनकी बस्तियों में वे चलते-फिरते है? निस्संदेह बुद्धिमानों के लिए इसमें बहुत-सी निशानियाँ है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:129 وَلَوْلَا كَلِمَةٌ سَبَقَتْ مِن رَّبِّكَ لَكَانَ لِزَامًا وَأَجَلٌ مُّسَمًّى
20:129 यदि तेरे रब की ओर से पहले ही एक बात निश्चित न हो गई होती और एक अवधि नियत न की जा चुकी होती, तो अवश्य ही उन्हें यातना आ पकड़ती - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:130 فَٱصْبِرْ عَلَىٰ مَا يَقُولُونَ وَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ قَبْلَ طُلُوعِ ٱلشَّمْسِ وَقَبْلَ غُرُوبِهَا ۖ وَمِنْ ءَانَآئِ ٱلَّيْلِ فَسَبِّحْ وَأَطْرَافَ ٱلنَّهَارِ لَعَلَّكَ تَرْضَىٰ
20:130 अतः जो कुछ वे कहते है उसपर धैर्य से काम लो और अपने रब का गुणगान करो, सूर्योदय से पहले और उसके डूबने से पहले, और रात की घड़ियों में भी तसबीह करो, और दिन के किनारों पर भी, ताकि तुम राज़ी हो जाओ - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:131 وَلَا تَمُدَّنَّ عَيْنَيْكَ إِلَىٰ مَا مَتَّعْنَا بِهِۦٓ أَزْوَٰجًا مِّنْهُمْ زَهْرَةَ ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا لِنَفْتِنَهُمْ فِيهِ ۚ وَرِزْقُ رَبِّكَ خَيْرٌ وَأَبْقَىٰ
20:131 और उसकी ओर आँख उठाकर न देखो, जो कुछ हमने उनमें से विभिन्न लोगों को उपभोग के लिए दे रखा है, ताकि हम उसके द्वारा उन्हें आज़माएँ। वह तो बस सांसारिक जीवन की शोभा है। तुम्हारे रब की रोज़ी उत्तम भी है और स्थायी भी - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:132 وَأْمُرْ أَهْلَكَ بِٱلصَّلَوٰةِ وَٱصْطَبِرْ عَلَيْهَا ۖ لَا نَسْـَٔلُكَ رِزْقًا ۖ نَّحْنُ نَرْزُقُكَ ۗ وَٱلْعَـٰقِبَةُ لِلتَّقْوَىٰ
20:132 और अपने लोगों को नमाज़ का आदेश करो और स्वयं भी उसपर जमे रहो। हम तुमसे कोई रोज़ी नहीं माँगते। रोज़ी हम ही तुम्हें देते है, और अच्छा परिणाम तो धर्मपरायणता ही के लिए निश्चित है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:133 وَقَالُوا۟ لَوْلَا يَأْتِينَا بِـَٔايَةٍ مِّن رَّبِّهِۦٓ ۚ أَوَلَمْ تَأْتِهِم بَيِّنَةُ مَا فِى ٱلصُّحُفِ ٱلْأُولَىٰ
20:133 और वे कहते है कि "यह अपने रब की ओर से हमारे पास कोई निशानी क्यों नहीं लाता?" क्या उनके पास उसका स्पष्ट प्रमाण नहीं आ गया, जो कुछ कि पहले की पुस्तकों में उल्लिखित है? - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:134 وَلَوْ أَنَّآ أَهْلَكْنَـٰهُم بِعَذَابٍ مِّن قَبْلِهِۦ لَقَالُوا۟ رَبَّنَا لَوْلَآ أَرْسَلْتَ إِلَيْنَا رَسُولًا فَنَتَّبِعَ ءَايَـٰتِكَ مِن قَبْلِ أَن نَّذِلَّ وَنَخْزَىٰ
20:134 यदि हम उसके पहले इन्हें किसी यातना से विनष्ट कर देते तो ये कहते कि "ऐ हमारे रब, तूने हमारे पास कोई रसूल क्यों न भेजा कि इससे पहले कि हम अपमानित और रुसवा होते, तेरी आयतों का अनुपालन करने लगते?" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

20:135 قُلْ كُلٌّ مُّتَرَبِّصٌ فَتَرَبَّصُوا۟ ۖ فَسَتَعْلَمُونَ مَنْ أَصْحَـٰبُ ٱلصِّرَٰطِ ٱلسَّوِىِّ وَمَنِ ٱهْتَدَىٰ
20:135 कह दो, "हर एक प्रतीक्षा में है। अतः अब तुम भी प्रतीक्षा करो। शीघ्र ही तुम जान लोगे कि कौन सीधे मार्गवाला है और किनको मार्गदर्शन प्राप्त है।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)