Selected

Original Text
Suhel Khan and Saifur Nadwi

Available Translations

8 Al-'Anfāl ٱلْأَنْفَال

< Previous   75 Āyah   The Spoils of War      Next >  

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
In the name of Allah, Most Gracious, Most Merciful.

8:1 يَسْـَٔلُونَكَ عَنِ ٱلْأَنفَالِ ۖ قُلِ ٱلْأَنفَالُ لِلَّهِ وَٱلرَّسُولِ ۖ فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَصْلِحُوا۟ ذَاتَ بَيْنِكُمْ ۖ وَأَطِيعُوا۟ ٱللَّهَ وَرَسُولَهُۥٓ إِن كُنتُم مُّؤْمِنِينَ
8:1 (ऐ रसूल) तुम से लोग अनफाल (माले ग़नीमत) के बारे में पूछा करते हैं तुम कह दो कि अनफाल मख़सूस ख़ुदा और रसूल के वास्ते है तो ख़ुदा से डरो (और) अपने बाहमी (आपसी) मामलात की इसलाह करो और अगर तुम सच्चे (ईमानदार) हो तो ख़ुदा की और उसके रसूल की इताअत करो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:2 إِنَّمَا ٱلْمُؤْمِنُونَ ٱلَّذِينَ إِذَا ذُكِرَ ٱللَّهُ وَجِلَتْ قُلُوبُهُمْ وَإِذَا تُلِيَتْ عَلَيْهِمْ ءَايَـٰتُهُۥ زَادَتْهُمْ إِيمَـٰنًا وَعَلَىٰ رَبِّهِمْ يَتَوَكَّلُونَ
8:2 सच्चे ईमानदार तो बस वही लोग हैं कि जब (उनके सामने) ख़ुदा का ज़िक्र किया जाता है तो उनके दिल हिल जाते हैं और जब उनके सामने उसकी आयतें पढ़ी जाती हैं तो उनके ईमान को और भी ज्यादा कर देती हैं और वह लोग बस अपने परवरदिगार ही पर भरोसा रखते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:3 ٱلَّذِينَ يُقِيمُونَ ٱلصَّلَوٰةَ وَمِمَّا رَزَقْنَـٰهُمْ يُنفِقُونَ
8:3 नमाज़ को पाबन्दी से अदा करते हैं और जो हम ने उन्हें दिया हैं उसमें से (राहे ख़ुदा में) ख़र्च करते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:4 أُو۟لَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلْمُؤْمِنُونَ حَقًّا ۚ لَّهُمْ دَرَجَـٰتٌ عِندَ رَبِّهِمْ وَمَغْفِرَةٌ وَرِزْقٌ كَرِيمٌ
8:4 यही तो सच्चे ईमानदार हैं उन्हीं के लिए उनके परवरदिगार के हॉ (बड़े बड़े) दरजे हैं और बख्शिश और इज्ज़त और आबरू के साथ रोज़ी है (ये माले ग़नीमत का झगड़ा वैसा ही है) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:5 كَمَآ أَخْرَجَكَ رَبُّكَ مِنۢ بَيْتِكَ بِٱلْحَقِّ وَإِنَّ فَرِيقًا مِّنَ ٱلْمُؤْمِنِينَ لَكَـٰرِهُونَ
8:5 जिस तरह तुम्हारे परवरदिगार ने तुम्हें बिल्कुल ठीक (मसलहत से) तुम्हारे घर से (जंग बदर) में निकाला था और मोमिनीन का एक गिरोह (उससे) नाखुश था - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:6 يُجَـٰدِلُونَكَ فِى ٱلْحَقِّ بَعْدَ مَا تَبَيَّنَ كَأَنَّمَا يُسَاقُونَ إِلَى ٱلْمَوْتِ وَهُمْ يَنظُرُونَ
8:6 कि वह लोग हक़ के ज़ाहिर होने के बाद भी तुमसे (ख्वाह माख्वाह) सच्ची बात में झगड़तें थें और इस तरह (करने लगे) गोया (ज़बरदस्ती) मौत के मुँह में ढकेले जा रहे हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:7 وَإِذْ يَعِدُكُمُ ٱللَّهُ إِحْدَى ٱلطَّآئِفَتَيْنِ أَنَّهَا لَكُمْ وَتَوَدُّونَ أَنَّ غَيْرَ ذَاتِ ٱلشَّوْكَةِ تَكُونُ لَكُمْ وَيُرِيدُ ٱللَّهُ أَن يُحِقَّ ٱلْحَقَّ بِكَلِمَـٰتِهِۦ وَيَقْطَعَ دَابِرَ ٱلْكَـٰفِرِينَ
8:7 और उसे (अपनी ऑंखों से) देख रहे हैं और (ये वक्त था) जब ख़ुदा तुमसे वायदा कर रहा था कि (कुफ्फार मक्का) दो जमाअतों में से एक तुम्हारे लिए ज़रूरी हैं और तुम ये चाहते थे कि कमज़ोर जमाअत तुम्हारे हाथ लगे (ताकि बग़ैर लड़े भिड़े माले ग़नीमत हाथ आ जाए) और ख़ुदा ये चाहता था कि अपनी बातों से हक़ को साबित (क़दम) करें और काफिरों की जड़ काट डाले - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:8 لِيُحِقَّ ٱلْحَقَّ وَيُبْطِلَ ٱلْبَـٰطِلَ وَلَوْ كَرِهَ ٱلْمُجْرِمُونَ
8:8 ताकि हक़ को (हक़) साबित कर दे और बातिल का मटियामेट कर दे अगर चे गुनाहगार (कुफ्फार उससे) नाखुश ही क्यों न हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:9 إِذْ تَسْتَغِيثُونَ رَبَّكُمْ فَٱسْتَجَابَ لَكُمْ أَنِّى مُمِدُّكُم بِأَلْفٍ مِّنَ ٱلْمَلَـٰٓئِكَةِ مُرْدِفِينَ
8:9 (ये वह वक्त था) जब तुम अपने परवदिगार से फरियाद कर रहे थे उसने तुम्हारी सुन ली और जवाब दे दिया कि मैं तुम्हारी लगातार हज़ार फ़रिश्तों से मदद करूँगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:10 وَمَا جَعَلَهُ ٱللَّهُ إِلَّا بُشْرَىٰ وَلِتَطْمَئِنَّ بِهِۦ قُلُوبُكُمْ ۚ وَمَا ٱلنَّصْرُ إِلَّا مِنْ عِندِ ٱللَّهِ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ عَزِيزٌ حَكِيمٌ
8:10 और (ये इमदाद ग़ैबी) ख़ुदा ने सिर्फ तुम्हारी ख़ातिर (खुशी) के लिए की थी और तुम्हारे दिल मुतमइन हो जाएं और (याद रखो) मदद ख़ुदा के सिवा और कहीं से (कभी) नहीं होती बेशक ख़ुदा ग़ालिब हिकमत वाला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:11 إِذْ يُغَشِّيكُمُ ٱلنُّعَاسَ أَمَنَةً مِّنْهُ وَيُنَزِّلُ عَلَيْكُم مِّنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءً لِّيُطَهِّرَكُم بِهِۦ وَيُذْهِبَ عَنكُمْ رِجْزَ ٱلشَّيْطَـٰنِ وَلِيَرْبِطَ عَلَىٰ قُلُوبِكُمْ وَيُثَبِّتَ بِهِ ٱلْأَقْدَامَ
8:11 ये वह वक्त था जब अपनी तरफ से इत्मिनान देने के लिए तुम पर नींद को ग़ालिब कर रहा था और तुम पर आसमान से पानी बरस रहा था ताकि उससे तुम्हें पाक (पाकीज़ा कर दे और तुम से शैतान की गन्दगी दूर कर दे और तुम्हारे दिल मज़बूत कर दे और पानी से (बालू जम जाए) और तुम्हारे क़दम ब क़दम (अच्छी तरह) जमाए रहे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:12 إِذْ يُوحِى رَبُّكَ إِلَى ٱلْمَلَـٰٓئِكَةِ أَنِّى مَعَكُمْ فَثَبِّتُوا۟ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ ۚ سَأُلْقِى فِى قُلُوبِ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ ٱلرُّعْبَ فَٱضْرِبُوا۟ فَوْقَ ٱلْأَعْنَاقِ وَٱضْرِبُوا۟ مِنْهُمْ كُلَّ بَنَانٍ
8:12 (ऐ रसूल ये वह वक्त था) जब तुम्हारा परवरदिगार फ़रिश्तों से फरमा रहा था कि मै यकीनन तुम्हारे साथ हूँ तुम ईमानदारों को साबित क़दम रखो मै बहुत जल्द काफिरों के दिलों में (तुम्हारा रौब) डाल दूँगा (पस फिर क्या है अब) तो उन कुफ्फार की गर्दनों पर मारो और उनकी पोर पोर को चटिया कर दो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:13 ذَٰلِكَ بِأَنَّهُمْ شَآقُّوا۟ ٱللَّهَ وَرَسُولَهُۥ ۚ وَمَن يُشَاقِقِ ٱللَّهَ وَرَسُولَهُۥ فَإِنَّ ٱللَّهَ شَدِيدُ ٱلْعِقَابِ
8:13 ये (सज़ा) इसलिए है कि उन लोगों ने ख़ुदा और उसके रसूल की मुख़ालिफ की और जो शख़्स (भी) ख़ुदा और उसके रसूल की मुख़ालफ़त करेगा तो (याद रहें कि) ख़ुदा बड़ा सख्त अज़ाब करने वाला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:14 ذَٰلِكُمْ فَذُوقُوهُ وَأَنَّ لِلْكَـٰفِرِينَ عَذَابَ ٱلنَّارِ
8:14 (काफिरों दुनिया में तो) लो फिर उस (सज़ा का चखो और (फिर आख़िर में तो) काफिरों के वास्ते जहन्नुम का अज़ाब ही है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:15 يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوٓا۟ إِذَا لَقِيتُمُ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ زَحْفًا فَلَا تُوَلُّوهُمُ ٱلْأَدْبَارَ
8:15 ऐ ईमानदारों जब तुमसे कुफ्फ़ार से मैदाने जंग में मुक़ाबला हुआ तो (ख़बरदार) उनकी तरफ पीठ न करना - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:16 وَمَن يُوَلِّهِمْ يَوْمَئِذٍ دُبُرَهُۥٓ إِلَّا مُتَحَرِّفًا لِّقِتَالٍ أَوْ مُتَحَيِّزًا إِلَىٰ فِئَةٍ فَقَدْ بَآءَ بِغَضَبٍ مِّنَ ٱللَّهِ وَمَأْوَىٰهُ جَهَنَّمُ ۖ وَبِئْسَ ٱلْمَصِيرُ
8:16 (याद रहे कि) उस शख़्स के सिवा जो लड़ाई वास्ते कतराए या किसी जमाअत के पास (जाकर) मौके पाए (और) जो शख़्स भी उस दिन उन कुफ्फ़ार की तरफ पीठ फेरेगा वह यक़ीनी (हिर फिर के) ख़ुदा के ग़जब में आ गया और उसका ठिकाना जहन्नुम ही हैं और वह क्या बुरा ठिकाना है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:17 فَلَمْ تَقْتُلُوهُمْ وَلَـٰكِنَّ ٱللَّهَ قَتَلَهُمْ ۚ وَمَا رَمَيْتَ إِذْ رَمَيْتَ وَلَـٰكِنَّ ٱللَّهَ رَمَىٰ ۚ وَلِيُبْلِىَ ٱلْمُؤْمِنِينَ مِنْهُ بَلَآءً حَسَنًا ۚ إِنَّ ٱللَّهَ سَمِيعٌ عَلِيمٌ
8:17 और (मुसलमानों) उन कुफ्फ़ार को कुछ तुमने तो क़त्ल किया नही बल्कि उनको तो ख़ुदा ने क़त्ल किया और (ऐ रसूल) जब तुमने तीर मारा तो कुछ तुमने नही मारा बल्कि ख़ुदा ख़ुदा ने तीर मारा और ताकि अपनी तरफ से मोमिनीन पर खूब एहसान करे बेशक ख़ुदा (सबकी) सुनता और (सब कुछ) जानता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:18 ذَٰلِكُمْ وَأَنَّ ٱللَّهَ مُوهِنُ كَيْدِ ٱلْكَـٰفِرِينَ
8:18 ये तो ये ख़ुदा तो काफिरों की मक्कारी का कमज़ोर कर देने वाला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:19 إِن تَسْتَفْتِحُوا۟ فَقَدْ جَآءَكُمُ ٱلْفَتْحُ ۖ وَإِن تَنتَهُوا۟ فَهُوَ خَيْرٌ لَّكُمْ ۖ وَإِن تَعُودُوا۟ نَعُدْ وَلَن تُغْنِىَ عَنكُمْ فِئَتُكُمْ شَيْـًٔا وَلَوْ كَثُرَتْ وَأَنَّ ٱللَّهَ مَعَ ٱلْمُؤْمِنِينَ
8:19 (काफ़िर) अगर तुम ये चाहते हो (कि जो हक़ पर हो उसकी) फ़तेह हो (मुसलमानों की) फ़तेह भी तुम्हारे सामने आ मौजूद हुई अब क्या गुरूर बाक़ी है और अगर तुम (अब भी मुख़तलिफ़ इस्लाम) से बाज़ रहो तो तुम्हारे वास्ते बेहतर है और अगर कहीं तुम पलट पड़े तो (याद रहे) हम भी पलट पड़ेगें (और तुम्हें तबाह कर छोड़ देगें) और तुम्हारी जमाअत अगरचे बहुत ज्यादा भी हो हरगिज़ कुछ काम न आएगी और ख़ुदा तो यक़ीनी मामिनीन के साथ है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:20 يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوٓا۟ أَطِيعُوا۟ ٱللَّهَ وَرَسُولَهُۥ وَلَا تَوَلَّوْا۟ عَنْهُ وَأَنتُمْ تَسْمَعُونَ
8:20 (ऐ ईमानदारों खुदा और उसके रसूल की इताअत करो और उससे मुँह न मोड़ो जब तुम समझ रहे हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:21 وَلَا تَكُونُوا۟ كَٱلَّذِينَ قَالُوا۟ سَمِعْنَا وَهُمْ لَا يَسْمَعُونَ
8:21 और उन लोगों के ऐसे न हो जाओं जो (मुँह से तो) कहते थे कि हम सुन रहे हैं हालाकि वह सुनते (सुनाते ख़ाक) न थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:22 ۞ إِنَّ شَرَّ ٱلدَّوَآبِّ عِندَ ٱللَّهِ ٱلصُّمُّ ٱلْبُكْمُ ٱلَّذِينَ لَا يَعْقِلُونَ
8:22 इसमें शक़ नहीं कि ज़मीन पर चलने वाले तमाम हैवानात से बदतर ख़ुदा के नज़दीक वह बहरे गूँगे (कुफ्फार) हैं जो कुछ नहीं समझते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:23 وَلَوْ عَلِمَ ٱللَّهُ فِيهِمْ خَيْرًا لَّأَسْمَعَهُمْ ۖ وَلَوْ أَسْمَعَهُمْ لَتَوَلَّوا۟ وَّهُم مُّعْرِضُونَ
8:23 और अगर ख़ुदा उनमें नेकी (की बू भी) देखता तो ज़रूर उनमें सुनने की क़ाबलियत अता करता मगर ये ऐसे हैं कि अगर उनमें सुनने की क़ाबिलयत भी देता तो मुँह फेर कर भागते। - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:24 يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ ٱسْتَجِيبُوا۟ لِلَّهِ وَلِلرَّسُولِ إِذَا دَعَاكُمْ لِمَا يُحْيِيكُمْ ۖ وَٱعْلَمُوٓا۟ أَنَّ ٱللَّهَ يَحُولُ بَيْنَ ٱلْمَرْءِ وَقَلْبِهِۦ وَأَنَّهُۥٓ إِلَيْهِ تُحْشَرُونَ
8:24 ऐ ईमानदार जब तुम को हमारा रसूल (मोहम्मद) ऐसे काम के लिए बुलाए जो तुम्हारी रूहानी ज़िन्दगी का बाइस हो तो तुम ख़ुदा और रसूल के हुक्म दिल से कुबूल कर लो और जान लो कि ख़ुदा वह क़ादिर मुतलिक़ है कि आदमी और उसके दिल (इरादे) के दरमियान इस तरह आ जाता है और ये भी समझ लो कि तुम सबके सब उसके सामने हाज़िर किये जाओगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:25 وَٱتَّقُوا۟ فِتْنَةً لَّا تُصِيبَنَّ ٱلَّذِينَ ظَلَمُوا۟ مِنكُمْ خَآصَّةً ۖ وَٱعْلَمُوٓا۟ أَنَّ ٱللَّهَ شَدِيدُ ٱلْعِقَابِ
8:25 और उस फितने से डरते रहो जो ख़ास उन्हीं लोगों पर नही पड़ेगा जिन्होने तुम में से ज़ुल्म किया (बल्कि तुम सबके सब उसमें पड़ जाओगे) और यक़ीन मानों कि ख़ुदा बड़ा सख्त अज़ाब करने वाला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:26 وَٱذْكُرُوٓا۟ إِذْ أَنتُمْ قَلِيلٌ مُّسْتَضْعَفُونَ فِى ٱلْأَرْضِ تَخَافُونَ أَن يَتَخَطَّفَكُمُ ٱلنَّاسُ فَـَٔاوَىٰكُمْ وَأَيَّدَكُم بِنَصْرِهِۦ وَرَزَقَكُم مِّنَ ٱلطَّيِّبَـٰتِ لَعَلَّكُمْ تَشْكُرُونَ
8:26 (मुसलमानों वह वक्त याद करो) जब तुम सर ज़मीन (मक्के) में बहुत कम और बिल्कुल बेबस थे उससे सहमे जाते थे कि कहीं लोग तुमको उचक न ले जाए तो ख़ुदा ने तुमको (मदीने में) पनाह दी और ख़ास अपनी मदद से तुम्हारी ताईद की और तुम्हे पाक व पाकीज़ा चीज़े खाने को दी ताकि तुम शुक्र गुज़ारी करो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:27 يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ لَا تَخُونُوا۟ ٱللَّهَ وَٱلرَّسُولَ وَتَخُونُوٓا۟ أَمَـٰنَـٰتِكُمْ وَأَنتُمْ تَعْلَمُونَ
8:27 ऐ ईमानदारों न तो ख़ुदा और रसूल की (अमानत में) ख्यानत करो और न अपनी अमानतों में ख्यानत करो हालॉकि समझते बूझते हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:28 وَٱعْلَمُوٓا۟ أَنَّمَآ أَمْوَٰلُكُمْ وَأَوْلَـٰدُكُمْ فِتْنَةٌ وَأَنَّ ٱللَّهَ عِندَهُۥٓ أَجْرٌ عَظِيمٌ
8:28 और यक़ीन जानों कि तुम्हारे माल और तुम्हारी औलाद तुम्हारी आज़माइश (इम्तेहान) की चीज़े हैं कि जो उनकी मोहब्बत में भी ख़ुदा को न भूले और वह दीनदार है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:29 يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوٓا۟ إِن تَتَّقُوا۟ ٱللَّهَ يَجْعَل لَّكُمْ فُرْقَانًا وَيُكَفِّرْ عَنكُمْ سَيِّـَٔاتِكُمْ وَيَغْفِرْ لَكُمْ ۗ وَٱللَّهُ ذُو ٱلْفَضْلِ ٱلْعَظِيمِ
8:29 और यक़ीनन ख़ुदा के हॉ बड़ी मज़दूरी है ऐ ईमानदारों अगर तुम ख़ुदा से डरते रहोगे तो वह तुम्हारे वास्ते इम्तियाज़ पैदा करे देगा और तुम्हारी तरफ से तुम्हारे गुनाह का कफ्फ़ारा क़रार देगा और तुम्हें बख्श देगा और ख़ुदा बड़ा साहब फज़ल (व करम) है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:30 وَإِذْ يَمْكُرُ بِكَ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ لِيُثْبِتُوكَ أَوْ يَقْتُلُوكَ أَوْ يُخْرِجُوكَ ۚ وَيَمْكُرُونَ وَيَمْكُرُ ٱللَّهُ ۖ وَٱللَّهُ خَيْرُ ٱلْمَـٰكِرِينَ
8:30 और (ऐ रसूल वह वक्त याद करो) जब कुफ्फ़ार तुम से फरेब कर रहे थे ताकि तुमको क़ैद कर लें या तुमको मार डाले तुम्हें (घर से) निकाल बाहर करे वह तो ये तदबीर (चालाकी) कर रहे थे और ख़ुदा भी (उनके ख़िलाफ) तदबीरकर रहा था - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:31 وَإِذَا تُتْلَىٰ عَلَيْهِمْ ءَايَـٰتُنَا قَالُوا۟ قَدْ سَمِعْنَا لَوْ نَشَآءُ لَقُلْنَا مِثْلَ هَـٰذَآ ۙ إِنْ هَـٰذَآ إِلَّآ أَسَـٰطِيرُ ٱلْأَوَّلِينَ
8:31 और ख़ुदा तो सब तदबीरकरने वालों से बेहतर है और जब उनके सामने हमारी आयते पढ़ी जाती हैं तो बोल उठते हैं कि हमने सुना तो लेकिन अगर हम चाहें तो यक़ीनन ऐसा ही (क़रार) हम भी कह सकते हैं-तो बस अगलों के क़िस्से है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:32 وَإِذْ قَالُوا۟ ٱللَّهُمَّ إِن كَانَ هَـٰذَا هُوَ ٱلْحَقَّ مِنْ عِندِكَ فَأَمْطِرْ عَلَيْنَا حِجَارَةً مِّنَ ٱلسَّمَآءِ أَوِ ٱئْتِنَا بِعَذَابٍ أَلِيمٍ
8:32 और (ऐ रसूल वह वक्त याद करो) जब उन काफिरों ने दुआएँ माँगीं थी कि ख़ुदा (वन्द) अगर ये (दीन इस्लाम) हक़ है और तेरे पास से (आया है) तो हम पर आसमान से पत्थर बरसा या हम पर कोई और दर्दनाक अज़ाब ही नाज़िल फरमा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:33 وَمَا كَانَ ٱللَّهُ لِيُعَذِّبَهُمْ وَأَنتَ فِيهِمْ ۚ وَمَا كَانَ ٱللَّهُ مُعَذِّبَهُمْ وَهُمْ يَسْتَغْفِرُونَ
8:33 हालॉकि जब तक तुम उनके दरमियान मौजूद हो ख़ुदा उन पर अज़ाब नहीं करेगा और अल्लाह ऐसा भी नही कि लोग तो उससे अपने गुनाहो की माफी माँग रहे हैं और ख़ुदा उन पर नाज़िल फरमाए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:34 وَمَا لَهُمْ أَلَّا يُعَذِّبَهُمُ ٱللَّهُ وَهُمْ يَصُدُّونَ عَنِ ٱلْمَسْجِدِ ٱلْحَرَامِ وَمَا كَانُوٓا۟ أَوْلِيَآءَهُۥٓ ۚ إِنْ أَوْلِيَآؤُهُۥٓ إِلَّا ٱلْمُتَّقُونَ وَلَـٰكِنَّ أَكْثَرَهُمْ لَا يَعْلَمُونَ
8:34 और जब ये लोग लोगों को मस्जिदुल हराम (ख़ान ए काबा की इबादत) से रोकते है तो फिर उनके लिए कौन सी बात बाक़ी है कि उन पर अज़ाब न नाज़िल करे और ये लोग तो ख़ानाए काबा के मुतवल्ली भी नहीं (फिर क्यों रोकते है) इसके मुतवल्ली तो सिर्फ परहेज़गार लोग हैं मगर इन काफ़िरों में से बहुतेरे नहीं जानते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:35 وَمَا كَانَ صَلَاتُهُمْ عِندَ ٱلْبَيْتِ إِلَّا مُكَآءً وَتَصْدِيَةً ۚ فَذُوقُوا۟ ٱلْعَذَابَ بِمَا كُنتُمْ تَكْفُرُونَ
8:35 और ख़ानाए काबे के पास सीटियॉ तालिया बजाने के सिवा उनकी नमाज ही क्या थी तो (ऐ काफिरों) जब तुम कुफ्र किया करते थे उसकी सज़ा में (पड़े) अज़ाब के मज़े चखो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:36 إِنَّ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ يُنفِقُونَ أَمْوَٰلَهُمْ لِيَصُدُّوا۟ عَن سَبِيلِ ٱللَّهِ ۚ فَسَيُنفِقُونَهَا ثُمَّ تَكُونُ عَلَيْهِمْ حَسْرَةً ثُمَّ يُغْلَبُونَ ۗ وَٱلَّذِينَ كَفَرُوٓا۟ إِلَىٰ جَهَنَّمَ يُحْشَرُونَ
8:36 इसमें शक़ नहीं कि ये कुफ्फार अपने माल महज़ इस वास्ते खर्च करेगें फिर उसके बाद उनकी हसरत का बाइस होगा फिर आख़िर ये लोग हार जाएँगें और जिन लोगों ने कुफ्र एख्तियार किया (क़यामत में) सब के सब जहन्नुम की तरफ हाके जाएँगें - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:37 لِيَمِيزَ ٱللَّهُ ٱلْخَبِيثَ مِنَ ٱلطَّيِّبِ وَيَجْعَلَ ٱلْخَبِيثَ بَعْضَهُۥ عَلَىٰ بَعْضٍ فَيَرْكُمَهُۥ جَمِيعًا فَيَجْعَلَهُۥ فِى جَهَنَّمَ ۚ أُو۟لَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلْخَـٰسِرُونَ
8:37 ताकि ख़ुदा पाक को नापाक से जुदा कर दे और नापाक लोगों को एक दूसरे पर रखके ढेर बनाए फिर सब को जहन्नुम में झोंक दे यही लोग घाटा उठाने वाले हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:38 قُل لِّلَّذِينَ كَفَرُوٓا۟ إِن يَنتَهُوا۟ يُغْفَرْ لَهُم مَّا قَدْ سَلَفَ وَإِن يَعُودُوا۟ فَقَدْ مَضَتْ سُنَّتُ ٱلْأَوَّلِينَ
8:38 (ऐ रसूल) तुम काफिरों से कह दो कि अगर वह लोग (अब भी अपनी शरारत से) बाज़ रहें तो उनके पिछले कुसूर माफ कर दिए जाएं और अगर फिर कहीं पलटें तो यक़ीनन अगलों के तरीक़े गुज़र चुके जो, उनकी सज़ा हुई वही इनकी भी होगी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:39 وَقَـٰتِلُوهُمْ حَتَّىٰ لَا تَكُونَ فِتْنَةٌ وَيَكُونَ ٱلدِّينُ كُلُّهُۥ لِلَّهِ ۚ فَإِنِ ٱنتَهَوْا۟ فَإِنَّ ٱللَّهَ بِمَا يَعْمَلُونَ بَصِيرٌ
8:39 मुसलमानों काफ़िरों से लड़े जाओ यहाँ तक कि कोई फसाद (बाक़ी) न रहे और (बिल्कुल सारी ख़ुदाई में) ख़ुदा की दीन ही दीन हो जाए फिर अगर ये लोग (फ़साद से) न बाज़ आएं तो ख़ुदा उनकी कारवाइयों को ख़ूब देखता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:40 وَإِن تَوَلَّوْا۟ فَٱعْلَمُوٓا۟ أَنَّ ٱللَّهَ مَوْلَىٰكُمْ ۚ نِعْمَ ٱلْمَوْلَىٰ وَنِعْمَ ٱلنَّصِيرُ
8:40 और अगर सरताबी करें तो (मुसलमानों) समझ लो कि ख़ुदा यक़ीनी तुम्हारा मालिक है और वह क्या अच्छा मालिक है और क्या अच्छा मददगार है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:41 ۞ وَٱعْلَمُوٓا۟ أَنَّمَا غَنِمْتُم مِّن شَىْءٍ فَأَنَّ لِلَّهِ خُمُسَهُۥ وَلِلرَّسُولِ وَلِذِى ٱلْقُرْبَىٰ وَٱلْيَتَـٰمَىٰ وَٱلْمَسَـٰكِينِ وَٱبْنِ ٱلسَّبِيلِ إِن كُنتُمْ ءَامَنتُم بِٱللَّهِ وَمَآ أَنزَلْنَا عَلَىٰ عَبْدِنَا يَوْمَ ٱلْفُرْقَانِ يَوْمَ ٱلْتَقَى ٱلْجَمْعَانِ ۗ وَٱللَّهُ عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍ قَدِيرٌ
8:41 और जान लो कि जो कुछ तुम (माल लड़कर) लूटो तो उनमें का पॉचवॉ हिस्सा मख़सूस ख़ुदा और रसूल और (रसूल के) क़राबतदारों और यतीमों और मिस्कीनों और परदेसियों का है अगर तुम ख़ुदा पर और उस (ग़ैबी इमदाद) पर ईमान ला चुके हो जो हमने ख़ास बन्दे (मोहम्मद) पर फ़ैसले के दिन (जंग बदर में) नाज़िल की थी जिस दिन (मुसलमानों और काफिरों की) दो जमाअतें बाहम गुथ गयी थी और ख़ुदा तो हर चीज़ पर क़ादिर है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:42 إِذْ أَنتُم بِٱلْعُدْوَةِ ٱلدُّنْيَا وَهُم بِٱلْعُدْوَةِ ٱلْقُصْوَىٰ وَٱلرَّكْبُ أَسْفَلَ مِنكُمْ ۚ وَلَوْ تَوَاعَدتُّمْ لَٱخْتَلَفْتُمْ فِى ٱلْمِيعَـٰدِ ۙ وَلَـٰكِن لِّيَقْضِىَ ٱللَّهُ أَمْرًا كَانَ مَفْعُولًا لِّيَهْلِكَ مَنْ هَلَكَ عَنۢ بَيِّنَةٍ وَيَحْيَىٰ مَنْ حَىَّ عَنۢ بَيِّنَةٍ ۗ وَإِنَّ ٱللَّهَ لَسَمِيعٌ عَلِيمٌ
8:42 (ये वह वक्त था) जब तुम (मैदाने जंग में मदीने के) क़रीब नाके पर थे और वह कुफ्फ़ार बईद (दूर के) के नाके पर और (काफ़िले के) सवार तुम से नशेब में थे और अगर तुम एक दूसरे से (वक्त क़ी तक़रीर का) वायदा कर लेते हो तो और वक्त पर गड़बड़ कर देते मगर (ख़ुदा ने अचानक तुम लोगों को इकट्ठा कर दिया ताकि जो बात यदनी (होनी) थी वह पूरी कर दिखाए ताकि जो शख़्स हलाक (गुमराह) हो वह (हक़ की) हुज्जत तमाम होने के बाद हलाक हो और जो ज़िन्दा रहे वह हिदायत की हुज्जत तमाम होने के बाद ज़िन्दा रहे और ख़ुदा यक़ीनी सुनने वाला ख़बरदार है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:43 إِذْ يُرِيكَهُمُ ٱللَّهُ فِى مَنَامِكَ قَلِيلًا ۖ وَلَوْ أَرَىٰكَهُمْ كَثِيرًا لَّفَشِلْتُمْ وَلَتَنَـٰزَعْتُمْ فِى ٱلْأَمْرِ وَلَـٰكِنَّ ٱللَّهَ سَلَّمَ ۗ إِنَّهُۥ عَلِيمٌۢ بِذَاتِ ٱلصُّدُورِ
8:43 (ये वह वक्त था) जब ख़ुदा ने तुम्हें ख्वाब में कुफ्फ़ार को कम करके दिखलाया था और अगर उनको तुम्हें ज्यादा करते दिखलाता तुम यक़ीनन हिम्मत हार देते और लड़ाई के बारे में झगड़ने लगते मगर ख़ुदा ने इसे (बदनामी) से बचाया इसमें तो शक़ ही नहीं कि वह दिली ख्यालात से वाक़िफ़ है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:44 وَإِذْ يُرِيكُمُوهُمْ إِذِ ٱلْتَقَيْتُمْ فِىٓ أَعْيُنِكُمْ قَلِيلًا وَيُقَلِّلُكُمْ فِىٓ أَعْيُنِهِمْ لِيَقْضِىَ ٱللَّهُ أَمْرًا كَانَ مَفْعُولًا ۗ وَإِلَى ٱللَّهِ تُرْجَعُ ٱلْأُمُورُ
8:44 (ये वह वक्त था) जब तुम लोगों ने मुठभेड़ की तो ख़ुदा ने तुम्हारी ऑखों में कुफ्फ़ार को बहुत कम करके दिखलाया और उनकी ऑखों में तुमको थोड़ा कर दिया ताकि ख़ुदा को जो कुछ करना मंज़ूर था वह पूरा हो जाए और कुल बातों का दारोमदार तो ख़ुदा ही पर है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:45 يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوٓا۟ إِذَا لَقِيتُمْ فِئَةً فَٱثْبُتُوا۟ وَٱذْكُرُوا۟ ٱللَّهَ كَثِيرًا لَّعَلَّكُمْ تُفْلِحُونَ
8:45 ऐ ईमानदारों जब तुम किसी फौज से मुठभेड़ करो तो ख़बरदार अपने क़दम जमाए रहो और ख़ुदा को बहुंत याद करते रहो ताकि तुम फलाह पाओ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:46 وَأَطِيعُوا۟ ٱللَّهَ وَرَسُولَهُۥ وَلَا تَنَـٰزَعُوا۟ فَتَفْشَلُوا۟ وَتَذْهَبَ رِيحُكُمْ ۖ وَٱصْبِرُوٓا۟ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ مَعَ ٱلصَّـٰبِرِينَ
8:46 और ख़ुदा की और उसके रसूल की इताअत करो और आपस में झगड़ा न करो वरना तुम हिम्मत हारोगे और तुम्हारी हवा उखड़ जाएगी और (जंग की तकलीफ़ को) झेल जाओ (क्योंकि) ख़ुदा तो यक़ीनन सब्र करने वालों का साथी है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:47 وَلَا تَكُونُوا۟ كَٱلَّذِينَ خَرَجُوا۟ مِن دِيَـٰرِهِم بَطَرًا وَرِئَآءَ ٱلنَّاسِ وَيَصُدُّونَ عَن سَبِيلِ ٱللَّهِ ۚ وَٱللَّهُ بِمَا يَعْمَلُونَ مُحِيطٌ
8:47 और उन लोगों के ऐसे न हो जाओ जो इतराते हुए और लोगों के दिखलाने के वास्ते अपने घरों से निकल खड़े हुए और लोगों को ख़ुदा की राह से रोकते हैं और जो कुछ भी वह लोग करते हैं ख़ुदा उस पर (हर तरह से) अहाता किए हुए है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:48 وَإِذْ زَيَّنَ لَهُمُ ٱلشَّيْطَـٰنُ أَعْمَـٰلَهُمْ وَقَالَ لَا غَالِبَ لَكُمُ ٱلْيَوْمَ مِنَ ٱلنَّاسِ وَإِنِّى جَارٌ لَّكُمْ ۖ فَلَمَّا تَرَآءَتِ ٱلْفِئَتَانِ نَكَصَ عَلَىٰ عَقِبَيْهِ وَقَالَ إِنِّى بَرِىٓءٌ مِّنكُمْ إِنِّىٓ أَرَىٰ مَا لَا تَرَوْنَ إِنِّىٓ أَخَافُ ٱللَّهَ ۚ وَٱللَّهُ شَدِيدُ ٱلْعِقَابِ
8:48 और जब शैतान ने उनकी कारस्तानियों को उम्दा कर दिखाया और उनके कान में फूंक दिया कि लोगों में आज कोई ऐसा नहीं जो तुम पर ग़ालिब आ सके और मै तुम्हारा मददगार हूं फिर जब दोनों लश्कर मुकाबिल हुए तो अपने उलटे पॉव भाग निकला और कहने लगा कि मै तो तुम से अलग हूं मै वह चीजें देख रहा हूं जो तुम्हें नहीं सूझती मैं तो ख़ुदा से डरता हूं और ख़ुदा बहुत सख्त अज़ाब वाला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:49 إِذْ يَقُولُ ٱلْمُنَـٰفِقُونَ وَٱلَّذِينَ فِى قُلُوبِهِم مَّرَضٌ غَرَّ هَـٰٓؤُلَآءِ دِينُهُمْ ۗ وَمَن يَتَوَكَّلْ عَلَى ٱللَّهِ فَإِنَّ ٱللَّهَ عَزِيزٌ حَكِيمٌ
8:49 (ये वक्त था) जब मुनाफिक़ीन और जिन लोगों के दिल में (कुफ्र का) मर्ज़ है कह रहे थे कि उन मुसलमानों को उनके दीन ने धोके में डाल रखा है (कि इतराते फिरते हैं हालॉकि जो शख़्स ख़ुदा पर भरोसा करता है (वह ग़ालिब रहता है क्योंकि) ख़ुदा तो यक़ीनन ग़ालिब और हिकमत वाला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:50 وَلَوْ تَرَىٰٓ إِذْ يَتَوَفَّى ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ ۙ ٱلْمَلَـٰٓئِكَةُ يَضْرِبُونَ وُجُوهَهُمْ وَأَدْبَـٰرَهُمْ وَذُوقُوا۟ عَذَابَ ٱلْحَرِيقِ
8:50 और काश (ऐ रसूल) तुम देखते जब फ़रिश्ते काफ़िरों की जान निकाल लेते थे और रूख़ और पुश्त (पीठ) पर कोड़े मारते थे और (कहते थे कि) अज़ाब जहन्नुम के मज़े चखों - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:51 ذَٰلِكَ بِمَا قَدَّمَتْ أَيْدِيكُمْ وَأَنَّ ٱللَّهَ لَيْسَ بِظَلَّـٰمٍ لِّلْعَبِيدِ
8:51 ये सज़ा उसकी है जो तुम्हारे हाथों ने पहले किया कराया है और ख़ुदा बन्दों पर हरगिज़ ज़ुल्म नहीं किया करता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:52 كَدَأْبِ ءَالِ فِرْعَوْنَ ۙ وَٱلَّذِينَ مِن قَبْلِهِمْ ۚ كَفَرُوا۟ بِـَٔايَـٰتِ ٱللَّهِ فَأَخَذَهُمُ ٱللَّهُ بِذُنُوبِهِمْ ۗ إِنَّ ٱللَّهَ قَوِىٌّ شَدِيدُ ٱلْعِقَابِ
8:52 (उन लोगों की हालत) क़ौमे फिरऔन और उनके लोगों की सी है जो उन से पहले थे और ख़ुदा की आयतों से इन्कार करते थे तो ख़ुदा ने भी उनके गुनाहों की वजह से उन्हें ले डाला बेशक ख़ुदा ज़बरदस्त और बहुत सख्त अज़ाब देने वाला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:53 ذَٰلِكَ بِأَنَّ ٱللَّهَ لَمْ يَكُ مُغَيِّرًا نِّعْمَةً أَنْعَمَهَا عَلَىٰ قَوْمٍ حَتَّىٰ يُغَيِّرُوا۟ مَا بِأَنفُسِهِمْ ۙ وَأَنَّ ٱللَّهَ سَمِيعٌ عَلِيمٌ
8:53 ये सज़ा इस वजह से (दी गई) कि जब कोई नेअमत ख़ुदा किसी क़ौम को देता है तो जब तक कि वह लोग ख़ुद अपनी कलबी हालत (न) बदलें ख़ुदा भी उसे नहीं बदलेगा और ख़ुदा तो यक़ीनी (सब की सुनता) और सब कुछ जानता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:54 كَدَأْبِ ءَالِ فِرْعَوْنَ ۙ وَٱلَّذِينَ مِن قَبْلِهِمْ ۚ كَذَّبُوا۟ بِـَٔايَـٰتِ رَبِّهِمْ فَأَهْلَكْنَـٰهُم بِذُنُوبِهِمْ وَأَغْرَقْنَآ ءَالَ فِرْعَوْنَ ۚ وَكُلٌّ كَانُوا۟ ظَـٰلِمِينَ
8:54 (उन लोगों की हालत) क़ौम फिरऔन और उन लोगों की सी है जो उनसे पहले थे और अपने परवरदिगार की आयतों को झुठलाते थे तो हमने भी उनके गुनाहों की वजह से उनको हलाक़ कर डाला और फिरऔन की क़ौम को डुबा मारा और (ये) सब के सब ज़ालिम थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:55 إِنَّ شَرَّ ٱلدَّوَآبِّ عِندَ ٱللَّهِ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ فَهُمْ لَا يُؤْمِنُونَ
8:55 इसमें शक़ नहीं कि ख़ुदा के नज़दीक जानवरों में कुफ्फ़ार सबसे बदतरीन तो (बावजूद इसके) फिर ईमान नहीं लाते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:56 ٱلَّذِينَ عَـٰهَدتَّ مِنْهُمْ ثُمَّ يَنقُضُونَ عَهْدَهُمْ فِى كُلِّ مَرَّةٍ وَهُمْ لَا يَتَّقُونَ
8:56 ऐ रसूल जिन लोगों से तुम ने एहद व पैमान किया था फिर वह लोग अपने एहद को हर बार तोड़ डालते है और (फिर ख़ुदा से) नहीं डरते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:57 فَإِمَّا تَثْقَفَنَّهُمْ فِى ٱلْحَرْبِ فَشَرِّدْ بِهِم مَّنْ خَلْفَهُمْ لَعَلَّهُمْ يَذَّكَّرُونَ
8:57 तो अगर वह लड़ाई में तुम्हारे हाथे चढ़ जाएँ तो (ऐसी सख्त गोश्माली दो कि) उनके साथ साथ उन लोगों का तो अगर वह लड़ाई में तुम्हारे हत्थे चढ़ जाएं तो (ऐसी सजा दो की) उनके साथ उन लोगों को भी तितिर बितिर कर दो जो उन के पुश्त पर हो ताकि ये इबरत हासिल करें - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:58 وَإِمَّا تَخَافَنَّ مِن قَوْمٍ خِيَانَةً فَٱنۢبِذْ إِلَيْهِمْ عَلَىٰ سَوَآءٍ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ لَا يُحِبُّ ٱلْخَآئِنِينَ
8:58 और अगर तुम्हें किसी क़ौम की ख्यानत (एहद शिकनी(वादा ख़िलाफी)) का ख़ौफ हो तो तुम भी बराबर उनका एहद उन्हीं की तरफ से फेंक मारो (एहदो शिकन के साथ एहद शिकनी करो ख़ुदा हरगिज़ दग़ाबाजों को दोस्त नहीं रखता - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:59 وَلَا يَحْسَبَنَّ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ سَبَقُوٓا۟ ۚ إِنَّهُمْ لَا يُعْجِزُونَ
8:59 और कुफ्फ़ार ये न ख्याल करें कि वह (मुसलमानों से) आगे बढ़ निकले (क्योंकि) वह हरगिज़ (मुसलमानों को) हरा नहीं सकते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:60 وَأَعِدُّوا۟ لَهُم مَّا ٱسْتَطَعْتُم مِّن قُوَّةٍ وَمِن رِّبَاطِ ٱلْخَيْلِ تُرْهِبُونَ بِهِۦ عَدُوَّ ٱللَّهِ وَعَدُوَّكُمْ وَءَاخَرِينَ مِن دُونِهِمْ لَا تَعْلَمُونَهُمُ ٱللَّهُ يَعْلَمُهُمْ ۚ وَمَا تُنفِقُوا۟ مِن شَىْءٍ فِى سَبِيلِ ٱللَّهِ يُوَفَّ إِلَيْكُمْ وَأَنتُمْ لَا تُظْلَمُونَ
8:60 और (मुसलमानों तुम कुफ्फार के मुकाबले के) वास्ते जहाँ तक तुमसे हो सके (अपने बाज़ू के) ज़ोर से और बॅधे हुए घोड़े से लड़ाई का सामान मुहय्या करो इससे ख़ुदा के दुश्मन और अपने दुश्मन और उसके सिवा दूसरे लोगों पर भी अपनी धाक बढ़ा लेगें जिन्हें तुम नहीं जानते हो मगर ख़ुदा तो उनको जानता है और ख़ुदा की राह में तुम जो कुछ भी ख़र्च करोगें वह तुम पूरा पूरा भर पाओगें और तुम पर किसी तरह ज़ुल्म नहीं किया जाएगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:61 ۞ وَإِن جَنَحُوا۟ لِلسَّلْمِ فَٱجْنَحْ لَهَا وَتَوَكَّلْ عَلَى ٱللَّهِ ۚ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلسَّمِيعُ ٱلْعَلِيمُ
8:61 और अगर ये कुफ्फार सुलह की तरफ माएल हो तो तुम भी उसकी तरफ माएल हो और ख़ुदा पर भरोसा रखो (क्योंकि) वह बेशक (सब कुछ) सुनता जानता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:62 وَإِن يُرِيدُوٓا۟ أَن يَخْدَعُوكَ فَإِنَّ حَسْبَكَ ٱللَّهُ ۚ هُوَ ٱلَّذِىٓ أَيَّدَكَ بِنَصْرِهِۦ وَبِٱلْمُؤْمِنِينَ
8:62 और अगर वह लोग तुम्हें फरेब देना चाहे तो (कुछ परवा नहीं) ख़ुदा तुम्हारे वास्ते यक़ीनी काफी है-(ऐ रसूल) वही तो वह (ख़ुदा) है जिसने अपनी ख़ास मदद और मोमिनीन से तुम्हारी ताईद की - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:63 وَأَلَّفَ بَيْنَ قُلُوبِهِمْ ۚ لَوْ أَنفَقْتَ مَا فِى ٱلْأَرْضِ جَمِيعًا مَّآ أَلَّفْتَ بَيْنَ قُلُوبِهِمْ وَلَـٰكِنَّ ٱللَّهَ أَلَّفَ بَيْنَهُمْ ۚ إِنَّهُۥ عَزِيزٌ حَكِيمٌ
8:63 और उसी ने उन मुसलमानों के दिलों में बाहम ऐसी उलफ़त पैदा कर दी कि अगर तुम जो कुछ ज़मीन में है सब का सब खर्च कर डालते तो भी उनके दिलो में ऐसी उलफ़त पैदा न कर सकते मगर ख़ुदा ही था जिसने बाहम उलफत पैदा की बेशक वह ज़बरदस्त हिक़मत वाला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:64 يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّبِىُّ حَسْبُكَ ٱللَّهُ وَمَنِ ٱتَّبَعَكَ مِنَ ٱلْمُؤْمِنِينَ
8:64 ऐ रसूल तुमको बस ख़ुदा और जो मोमिनीन तुम्हारे ताबेए फरमान (फरमाबरदार) है काफी है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:65 يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّبِىُّ حَرِّضِ ٱلْمُؤْمِنِينَ عَلَى ٱلْقِتَالِ ۚ إِن يَكُن مِّنكُمْ عِشْرُونَ صَـٰبِرُونَ يَغْلِبُوا۟ مِا۟ئَتَيْنِ ۚ وَإِن يَكُن مِّنكُم مِّا۟ئَةٌ يَغْلِبُوٓا۟ أَلْفًا مِّنَ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ بِأَنَّهُمْ قَوْمٌ لَّا يَفْقَهُونَ
8:65 ऐ रसूल तुम मोमिनीन को जिहाद के वास्ते आमादा करो (वह घबराए नहीं ख़ुदा उनसे वायदा करता है कि) अगर तुम लोगों में के साबित क़दम रहने वाले बीस भी होगें तो वह दो सौ (काफिरों) पर ग़ालिब आ जायेगे और अगर तुम लोगों में से साबित कदम रहने वालों सौ होगें तो हज़ार (काफिरों) पर ग़ालिब आ जाएँगें इस सबब से कि ये लोग ना समझ हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:66 ٱلْـَٔـٰنَ خَفَّفَ ٱللَّهُ عَنكُمْ وَعَلِمَ أَنَّ فِيكُمْ ضَعْفًا ۚ فَإِن يَكُن مِّنكُم مِّا۟ئَةٌ صَابِرَةٌ يَغْلِبُوا۟ مِا۟ئَتَيْنِ ۚ وَإِن يَكُن مِّنكُمْ أَلْفٌ يَغْلِبُوٓا۟ أَلْفَيْنِ بِإِذْنِ ٱللَّهِ ۗ وَٱللَّهُ مَعَ ٱلصَّـٰبِرِينَ
8:66 अब ख़ुदा ने तुम से (अपने हुक्म की सख्ती में) तख्फ़ीफ (कमी) कर दी और देख लिया कि तुम में यक़ीनन कमज़ोरी है तो अगर तुम लोगों में से साबित क़दम रहने वाले सौ होगें तो दो सौ (काफ़िरों) पर ग़ालिब रहेंगें और अगर तुम लोगों में से (ऐसे) एक हज़ार होगें तो ख़ुदा के हुक्म से दो हज़ार (काफ़िरों) पर ग़ालिब रहेंगे और (जंग की तकलीफों को) झेल जाने वालों का ख़ुदा साथी है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:67 مَا كَانَ لِنَبِىٍّ أَن يَكُونَ لَهُۥٓ أَسْرَىٰ حَتَّىٰ يُثْخِنَ فِى ٱلْأَرْضِ ۚ تُرِيدُونَ عَرَضَ ٱلدُّنْيَا وَٱللَّهُ يُرِيدُ ٱلْـَٔاخِرَةَ ۗ وَٱللَّهُ عَزِيزٌ حَكِيمٌ
8:67 कोई नबी जब कि रूए ज़मीन पर (काफिरों का) खून न बहाए उसके यहाँ कैदियों का रहना मुनासिब नहीं तुम लोग तो दुनिया के साज़ो सामान के ख्वाहॉ (चाहने वाले) हो औॅर ख़ुदा (तुम्हारे लिए) आख़िरत की (भलाई) का ख्वाहॉ है और ख़ुदा ज़बरदस्त हिकमत वाला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:68 لَّوْلَا كِتَـٰبٌ مِّنَ ٱللَّهِ سَبَقَ لَمَسَّكُمْ فِيمَآ أَخَذْتُمْ عَذَابٌ عَظِيمٌ
8:68 और अगर ख़ुदा की तरफ से पहले ही (उसकी) माफी का हुक्म आ चुका होता तो तुमने जो (बदर के क़ैदियों के छोड़ देने के बदले) फिदिया लिया था - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:69 فَكُلُوا۟ مِمَّا غَنِمْتُمْ حَلَـٰلًا طَيِّبًا ۚ وَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ غَفُورٌ رَّحِيمٌ
8:69 उसकी सज़ा में तुम पर बड़ा अज़ाब नाज़िल होकर रहता तो (ख़ैर जो हुआ सो हुआ) अब तुमने जो माल ग़नीमत हासिल किया है उसे खाओ (और तुम्हारे लिए) हलाल तय्यब है और ख़ुदा से डरते रहो बेशक ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:70 يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّبِىُّ قُل لِّمَن فِىٓ أَيْدِيكُم مِّنَ ٱلْأَسْرَىٰٓ إِن يَعْلَمِ ٱللَّهُ فِى قُلُوبِكُمْ خَيْرًا يُؤْتِكُمْ خَيْرًا مِّمَّآ أُخِذَ مِنكُمْ وَيَغْفِرْ لَكُمْ ۗ وَٱللَّهُ غَفُورٌ رَّحِيمٌ
8:70 ऐ रसूल जो कैदी तुम्हारे कब्जे में है उनसे कह दो कि अगर तुम्हारे दिलों में नेकी देखेगा तो जो (माल) तुम से छीन लिया गया है उससे कहीं बेहतर तुम्हें अता फरमाएगा और तुम्हें बख्श भी देगा और ख़ुदा तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:71 وَإِن يُرِيدُوا۟ خِيَانَتَكَ فَقَدْ خَانُوا۟ ٱللَّهَ مِن قَبْلُ فَأَمْكَنَ مِنْهُمْ ۗ وَٱللَّهُ عَلِيمٌ حَكِيمٌ
8:71 और अगर ये लोग तुमसे फरेब करना चाहते है तो ख़ुदा से पहले ही फरेब कर चुके हैं तो (उसकी सज़ा में) ख़ुदा ने उन पर तुम्हें क़ाबू दे दिया और ख़ुदा तो बड़ा वाक़िफकार हिकमत वाला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:72 إِنَّ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَهَاجَرُوا۟ وَجَـٰهَدُوا۟ بِأَمْوَٰلِهِمْ وَأَنفُسِهِمْ فِى سَبِيلِ ٱللَّهِ وَٱلَّذِينَ ءَاوَوا۟ وَّنَصَرُوٓا۟ أُو۟لَـٰٓئِكَ بَعْضُهُمْ أَوْلِيَآءُ بَعْضٍ ۚ وَٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَلَمْ يُهَاجِرُوا۟ مَا لَكُم مِّن وَلَـٰيَتِهِم مِّن شَىْءٍ حَتَّىٰ يُهَاجِرُوا۟ ۚ وَإِنِ ٱسْتَنصَرُوكُمْ فِى ٱلدِّينِ فَعَلَيْكُمُ ٱلنَّصْرُ إِلَّا عَلَىٰ قَوْمٍۭ بَيْنَكُمْ وَبَيْنَهُم مِّيثَـٰقٌ ۗ وَٱللَّهُ بِمَا تَعْمَلُونَ بَصِيرٌ
8:72 जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और हिजरत की और अपने अपने जान माल से ख़ुदा की राह में जिहाद किया और जिन लोगों ने (हिजरत करने वालों को जगह दी और हर (तरह) उनकी ख़बर गीरी (मदद) की यही लोग एक दूसरे के (बाहम) सरपरस्त दोस्त हैं और जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और हिजरत नहीं की तो तुम लोगों को उनकी सरपरस्ती से कुछ सरोकार नहीं-यहाँ तक कि वह हिजरत एख्तियार करें और (हॉ) मगर दीनी अम्र में तुम से मदद के ख्वाहॉ हो तो तुम पर (उनकी मदद करना लाज़िम व वाजिब है मगर उन लोगों के मुक़ाबले में (नहीं) जिनमें और तुममें बाहम (सुलह का) एहदो पैमान है और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा (सबको) देख रहा है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:73 وَٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ بَعْضُهُمْ أَوْلِيَآءُ بَعْضٍ ۚ إِلَّا تَفْعَلُوهُ تَكُن فِتْنَةٌ فِى ٱلْأَرْضِ وَفَسَادٌ كَبِيرٌ
8:73 और जो लोग काफ़िर हैं वह भी (बाहम) एक दूसरे के सरपरस्त हैं अगर तुम (इस तरह) वायदा न करोगे तो रूए ज़मीन पर फ़ितना (फ़साद) बरपा हो जाएगा और बड़ा फ़साद होगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:74 وَٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَهَاجَرُوا۟ وَجَـٰهَدُوا۟ فِى سَبِيلِ ٱللَّهِ وَٱلَّذِينَ ءَاوَوا۟ وَّنَصَرُوٓا۟ أُو۟لَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلْمُؤْمِنُونَ حَقًّا ۚ لَّهُم مَّغْفِرَةٌ وَرِزْقٌ كَرِيمٌ
8:74 और जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और हिजरत की और ख़ुदा की राह में लड़े भिड़े और जिन लोगों ने (ऐसे नाज़ुक वक्त में मुहाजिरीन को जगह ही और उनकी हर तरह ख़बरगीरी (मदद) की यही लोग सच्चे ईमानदार हैं उन्हीं के वास्ते मग़फिरत और इज्ज़त व आबरु वाली रोज़ी है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

8:75 وَٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ مِنۢ بَعْدُ وَهَاجَرُوا۟ وَجَـٰهَدُوا۟ مَعَكُمْ فَأُو۟لَـٰٓئِكَ مِنكُمْ ۚ وَأُو۟لُوا۟ ٱلْأَرْحَامِ بَعْضُهُمْ أَوْلَىٰ بِبَعْضٍ فِى كِتَـٰبِ ٱللَّهِ ۗ إِنَّ ٱللَّهَ بِكُلِّ شَىْءٍ عَلِيمٌۢ
8:75 और जिन लोगों ने (सुलह हुदैबिया के) बाद ईमान क़ुबूल किया और हिजरत की और तुम्हारे साथ मिलकर जिहाद किया वह लोग भी तुम्हीं में से हैं और साहबाने क़राबत ख़ुदा की किताब में बाहम एक दूसरे के (बनिस्बत औरों के) ज्यादा हक़दार हैं बेशक ख़ुदा हर चीज़ से ख़ूब वाक़िफ हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)