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Farooq Khan and Ahmed

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39 Az-Zumar ٱلزُّمَر

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بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
In the name of Allah, Most Gracious, Most Merciful.

39:1 تَنزِيلُ ٱلْكِتَـٰبِ مِنَ ٱللَّهِ ٱلْعَزِيزِ ٱلْحَكِيمِ
39:1 इस किताब का अवतरण अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी की ओर से है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:2 إِنَّآ أَنزَلْنَآ إِلَيْكَ ٱلْكِتَـٰبَ بِٱلْحَقِّ فَٱعْبُدِ ٱللَّهَ مُخْلِصًا لَّهُ ٱلدِّينَ
39:2 निस्संदेह हमने यह किताब तुम्हारी ओर सत्य के साथ अवतरित की है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:3 أَلَا لِلَّهِ ٱلدِّينُ ٱلْخَالِصُ ۚ وَٱلَّذِينَ ٱتَّخَذُوا۟ مِن دُونِهِۦٓ أَوْلِيَآءَ مَا نَعْبُدُهُمْ إِلَّا لِيُقَرِّبُونَآ إِلَى ٱللَّهِ زُلْفَىٰٓ إِنَّ ٱللَّهَ يَحْكُمُ بَيْنَهُمْ فِى مَا هُمْ فِيهِ يَخْتَلِفُونَ ۗ إِنَّ ٱللَّهَ لَا يَهْدِى مَنْ هُوَ كَـٰذِبٌ كَفَّارٌ
39:3 जान रखो कि विशुद्ध धर्म अल्लाह ही के लिए है। रहे वे लोग जिन्होंने उससे हटकर दूसरे समर्थक औऱ संरक्षक बना रखे है (कहते है,) "हम तो उनकी बन्दगी इसी लिए करते है कि वे हमें अल्लाह का सामीप्य प्राप्त करा दें।" निश्चय ही अल्लाह उनके बीच उस बात का फ़ैसला कर देगा जिसमें वे विभेद कर रहे है। अल्लाह उसे मार्ग नहीं दिखाता जो झूठा और बड़ा अकृतज्ञ हो - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:4 لَّوْ أَرَادَ ٱللَّهُ أَن يَتَّخِذَ وَلَدًا لَّٱصْطَفَىٰ مِمَّا يَخْلُقُ مَا يَشَآءُ ۚ سُبْحَـٰنَهُۥ ۖ هُوَ ٱللَّهُ ٱلْوَٰحِدُ ٱلْقَهَّارُ
39:4 यदि अल्लाह अपनी कोई सन्तान बनाना चाहता तो वह उसमें से, जिन्हें पैदा कर रहा है, चुन लेता। महान और उच्च है वह! वह अल्लाह है अकेला, सब पर क़ाबू रखनेवाला - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:5 خَلَقَ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ بِٱلْحَقِّ ۖ يُكَوِّرُ ٱلَّيْلَ عَلَى ٱلنَّهَارِ وَيُكَوِّرُ ٱلنَّهَارَ عَلَى ٱلَّيْلِ ۖ وَسَخَّرَ ٱلشَّمْسَ وَٱلْقَمَرَ ۖ كُلٌّ يَجْرِى لِأَجَلٍ مُّسَمًّى ۗ أَلَا هُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلْغَفَّـٰرُ
39:5 उसने आकाशों और धरती को सत्य के साथ पैदा किया। रात को दिन पर लपेटता है और दिन को रात पर लपेटता है। और उसने सूर्य और चन्द्रमा को वशीभुत कर रखा है। प्रत्येक एक नियत समय को पूरा करने के लिए चल रहा है। जान रखो, वही प्रभुत्वशाली, बड़ा क्षमाशील है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:6 خَلَقَكُم مِّن نَّفْسٍ وَٰحِدَةٍ ثُمَّ جَعَلَ مِنْهَا زَوْجَهَا وَأَنزَلَ لَكُم مِّنَ ٱلْأَنْعَـٰمِ ثَمَـٰنِيَةَ أَزْوَٰجٍ ۚ يَخْلُقُكُمْ فِى بُطُونِ أُمَّهَـٰتِكُمْ خَلْقًا مِّنۢ بَعْدِ خَلْقٍ فِى ظُلُمَـٰتٍ ثَلَـٰثٍ ۚ ذَٰلِكُمُ ٱللَّهُ رَبُّكُمْ لَهُ ٱلْمُلْكُ ۖ لَآ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ ۖ فَأَنَّىٰ تُصْرَفُونَ
39:6 उसने तुम्हें अकेली जान पैदा किया; फिर उसी से उसका जोड़ा बनाया औऱ तुम्हारे लिए चौपायों में से आठ नर-मादा उतारे। वह तुम्हारी माँओं के पेटों में तीन अँधेरों के भीतर तुम्हें एक सृजनरूप के पश्चात अन्य एक सृजनरूप देता चला जाता है। वही अल्लाह तुम्हारा रब है। बादशाही उसी की है, उसके अतिरिक्त कोई पूज्य-प्रभु नहीं। फिर तुम कहाँ फिरे जाते हो? - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:7 إِن تَكْفُرُوا۟ فَإِنَّ ٱللَّهَ غَنِىٌّ عَنكُمْ ۖ وَلَا يَرْضَىٰ لِعِبَادِهِ ٱلْكُفْرَ ۖ وَإِن تَشْكُرُوا۟ يَرْضَهُ لَكُمْ ۗ وَلَا تَزِرُ وَازِرَةٌ وِزْرَ أُخْرَىٰ ۗ ثُمَّ إِلَىٰ رَبِّكُم مَّرْجِعُكُمْ فَيُنَبِّئُكُم بِمَا كُنتُمْ تَعْمَلُونَ ۚ إِنَّهُۥ عَلِيمٌۢ بِذَاتِ ٱلصُّدُورِ
39:7 यदि तुम इनकार करोगे तो अल्लाह तुमसे निस्पृह है। यद्यपि वह अपने बन्दों के लिए इनकार को पसन्द नहीं करता, किन्तु यदि तुम कृतज्ञता दिखाओगे, तो उसे वह तुम्हारे लिए पसन्द करता है। कोई बोझ न उठाएगा। फिर तुम्हारी वापसी अपने रब ही की ओर है। और वह तुम्हे बता देगा, जो कुछ तुम करते रहे होगे। निश्चय ही वह सीनों तक की बातें जानता है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:8 ۞ وَإِذَا مَسَّ ٱلْإِنسَـٰنَ ضُرٌّ دَعَا رَبَّهُۥ مُنِيبًا إِلَيْهِ ثُمَّ إِذَا خَوَّلَهُۥ نِعْمَةً مِّنْهُ نَسِىَ مَا كَانَ يَدْعُوٓا۟ إِلَيْهِ مِن قَبْلُ وَجَعَلَ لِلَّهِ أَندَادًا لِّيُضِلَّ عَن سَبِيلِهِۦ ۚ قُلْ تَمَتَّعْ بِكُفْرِكَ قَلِيلًا ۖ إِنَّكَ مِنْ أَصْحَـٰبِ ٱلنَّارِ
39:8 जब मनुष्य को कोई तकलीफ़ पहुँचती है तो वह अपने रब को उसी की ओर रुजू होकर पुकारने लगता है, फिर जब वह उसपर अपनी अनुकम्पा करता है, तो वह उस चीज़ को भूल जाता है जिसके लिए पहले पुकार रहा था और (दूसरो को) अल्लाह के समकक्ष ठहराने लगता है, ताकि इसके परिणामस्वरूप वह उसकी राह से भटका दे। कह दो, "अपने इनकार का थोड़ा मज़ा ले लो। निस्संदेह तुम आगवालों में से हो।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:9 أَمَّنْ هُوَ قَـٰنِتٌ ءَانَآءَ ٱلَّيْلِ سَاجِدًا وَقَآئِمًا يَحْذَرُ ٱلْـَٔاخِرَةَ وَيَرْجُوا۟ رَحْمَةَ رَبِّهِۦ ۗ قُلْ هَلْ يَسْتَوِى ٱلَّذِينَ يَعْلَمُونَ وَٱلَّذِينَ لَا يَعْلَمُونَ ۗ إِنَّمَا يَتَذَكَّرُ أُو۟لُوا۟ ٱلْأَلْبَـٰبِ
39:9 (क्या उक्त व्यक्ति अच्छा है) या वह व्यक्ति जो रात की घड़ियों में सजदा करता और खड़ा रहता है, आख़िरत से डरता है और अपने रब की दयालुता की आशा रखता हुआ विनयशीलता के साथ बन्दगी में लगा रहता है? कहो, "क्या वे लोग जो जानते है और वे लोग जो नहीं जानते दोनों समान होंगे? शिक्षा तो बुद्धि और समझवाले ही ग्रहण करते है।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:10 قُلْ يَـٰعِبَادِ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ ٱتَّقُوا۟ رَبَّكُمْ ۚ لِلَّذِينَ أَحْسَنُوا۟ فِى هَـٰذِهِ ٱلدُّنْيَا حَسَنَةٌ ۗ وَأَرْضُ ٱللَّهِ وَٰسِعَةٌ ۗ إِنَّمَا يُوَفَّى ٱلصَّـٰبِرُونَ أَجْرَهُم بِغَيْرِ حِسَابٍ
39:10 कह दो कि "ऐ मेरे बन्दो, जो ईमान लाए हो! अपने रब का डर रखो। जिन लोगों ने अच्छा कर दिखाया उनके लिए इस संसार में अच्छाई है, और अल्लाह की धरती विस्तृत है। जमे रहनेवालों को तो उनका बदला बेहिसाब मिलकर रहेगा।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:11 قُلْ إِنِّىٓ أُمِرْتُ أَنْ أَعْبُدَ ٱللَّهَ مُخْلِصًا لَّهُ ٱلدِّينَ
39:11 कह दो, "मुझे तो आदेश दिया गया है कि मैं अल्लाह की बन्दगी करूँ, धर्म (भक्तिभाव एवं निष्ठान) को उसी के लिए विशुद्ध करते हुए - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:12 وَأُمِرْتُ لِأَنْ أَكُونَ أَوَّلَ ٱلْمُسْلِمِينَ
39:12 और मुझे आदेश दिया गया है कि सबसे बढ़कर मैं स्वयं आज्ञाकारी बनूँ।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:13 قُلْ إِنِّىٓ أَخَافُ إِنْ عَصَيْتُ رَبِّى عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيمٍ
39:13 कहो, "यदि मैं अपने रब की अवज्ञा करूँ तो मुझे एक बड़े दिन की यातना का भय है।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:14 قُلِ ٱللَّهَ أَعْبُدُ مُخْلِصًا لَّهُۥ دِينِى
39:14 कहो, "मैं तो अल्लाह ही की बन्दगी करता हूँ, अपने धर्म को उसी के लिए विशुद्ध करते हुए - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:15 فَٱعْبُدُوا۟ مَا شِئْتُم مِّن دُونِهِۦ ۗ قُلْ إِنَّ ٱلْخَـٰسِرِينَ ٱلَّذِينَ خَسِرُوٓا۟ أَنفُسَهُمْ وَأَهْلِيهِمْ يَوْمَ ٱلْقِيَـٰمَةِ ۗ أَلَا ذَٰلِكَ هُوَ ٱلْخُسْرَانُ ٱلْمُبِينُ
39:15 अब तुम उससे हटकर जिसकी चाहो बन्दगी करो।" कह दो, "वास्तव में घाटे में पड़नेवाले तो वही है, जिन्होंने अपने आपको और अपने लोगों को क़ियामत के दिन घाटे में डाल दिया। जान रखो, यही खुला घाटा है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:16 لَهُم مِّن فَوْقِهِمْ ظُلَلٌ مِّنَ ٱلنَّارِ وَمِن تَحْتِهِمْ ظُلَلٌ ۚ ذَٰلِكَ يُخَوِّفُ ٱللَّهُ بِهِۦ عِبَادَهُۥ ۚ يَـٰعِبَادِ فَٱتَّقُونِ
39:16 उनके लिए उनके ऊपर से भी आग की छतरियाँ होंगी और उनके नीचे से भी छतरियाँ होंगी। यही वह चीज़ है, जिससे अल्लाह अपने बन्दों को डराता है, "ऐ मेरे बन्दो! अतः तुम मेरा डर रखो।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:17 وَٱلَّذِينَ ٱجْتَنَبُوا۟ ٱلطَّـٰغُوتَ أَن يَعْبُدُوهَا وَأَنَابُوٓا۟ إِلَى ٱللَّهِ لَهُمُ ٱلْبُشْرَىٰ ۚ فَبَشِّرْ عِبَادِ
39:17 रहे वे लोग जो इससे बचे कि वे ताग़ूत (बढ़े हुए फ़सादी) की बन्दगी करते है और अल्लाह की ओर रुजू हुए, उनके लिए शुभ सूचना है। - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:18 ٱلَّذِينَ يَسْتَمِعُونَ ٱلْقَوْلَ فَيَتَّبِعُونَ أَحْسَنَهُۥٓ ۚ أُو۟لَـٰٓئِكَ ٱلَّذِينَ هَدَىٰهُمُ ٱللَّهُ ۖ وَأُو۟لَـٰٓئِكَ هُمْ أُو۟لُوا۟ ٱلْأَلْبَـٰبِ
39:18 अतः मेरे उन बन्दों को शुभ सूचना दे दो जो बात को ध्यान से सुनते है; फिर उस अच्छी से अच्छी बात का अनुपालन करते है। वही हैं, जिन्हें अल्लाह ने मार्ग दिखाया है और वही बुद्धि और समझवाले है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:19 أَفَمَنْ حَقَّ عَلَيْهِ كَلِمَةُ ٱلْعَذَابِ أَفَأَنتَ تُنقِذُ مَن فِى ٱلنَّارِ
39:19 तो क्या वह व्यक्ति जिसपर यातना की बात सत्यापित हो चुकी है (यातना से बच सकता है)? तो क्या तुम छुड़ा लोगे उसको जो आग में है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:20 لَـٰكِنِ ٱلَّذِينَ ٱتَّقَوْا۟ رَبَّهُمْ لَهُمْ غُرَفٌ مِّن فَوْقِهَا غُرَفٌ مَّبْنِيَّةٌ تَجْرِى مِن تَحْتِهَا ٱلْأَنْهَـٰرُ ۖ وَعْدَ ٱللَّهِ ۖ لَا يُخْلِفُ ٱللَّهُ ٱلْمِيعَادَ
39:20 अलबत्ता जो लोग अपने रब से डरकर रहे उनके लिए ऊपरी मंज़िल पर कक्ष होंगे, जिनके ऊपर भी निर्मित कक्ष होंगे। उनके नीचे नहरें बह रही होगी। यह अल्लाह का वादा है। अल्लाह अपने वादे का उल्लंघन नहीं करता - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:21 أَلَمْ تَرَ أَنَّ ٱللَّهَ أَنزَلَ مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءً فَسَلَكَهُۥ يَنَـٰبِيعَ فِى ٱلْأَرْضِ ثُمَّ يُخْرِجُ بِهِۦ زَرْعًا مُّخْتَلِفًا أَلْوَٰنُهُۥ ثُمَّ يَهِيجُ فَتَرَىٰهُ مُصْفَرًّا ثُمَّ يَجْعَلُهُۥ حُطَـٰمًا ۚ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَذِكْرَىٰ لِأُو۟لِى ٱلْأَلْبَـٰبِ
39:21 क्या तुमने नहीं देखा कि अल्लाह ने आकाश से पानी उतारा, फिर धरती में उसके स्रोत प्रवाहित कर दिए; फिर उसने द्वारा खेती निकालता है, जिसके विभिन्न रंग होते है; फिर वह सूखने लगती है; फिर तुम देखते हो कि वह पीली पड़ गई; फिर वह उसे चूर्ण-विचूर्ण कर देता है? निस्संदेह इसमें बुद्धि और समझवालों के लिए बड़ी याददिहानी है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:22 أَفَمَن شَرَحَ ٱللَّهُ صَدْرَهُۥ لِلْإِسْلَـٰمِ فَهُوَ عَلَىٰ نُورٍ مِّن رَّبِّهِۦ ۚ فَوَيْلٌ لِّلْقَـٰسِيَةِ قُلُوبُهُم مِّن ذِكْرِ ٱللَّهِ ۚ أُو۟لَـٰٓئِكَ فِى ضَلَـٰلٍ مُّبِينٍ
39:22 अब क्या वह व्यक्ति जिसका सीना (हृदय) अल्लाह ने इस्लाम के लिए खोल दिया, अतः वह अपने रब की ओर से प्रकाश पर है, (उस व्यक्ति के समान होगा जो कठोर हृदय और अल्लाह की याद से ग़ाफ़िल है)? अतः तबाही है उन लोगों के लिए जिनके दि कठोर हो चुके है, अल्लाह की याद से ख़ाली होकर! वही खुली गुमराही में पड़े हुए है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:23 ٱللَّهُ نَزَّلَ أَحْسَنَ ٱلْحَدِيثِ كِتَـٰبًا مُّتَشَـٰبِهًا مَّثَانِىَ تَقْشَعِرُّ مِنْهُ جُلُودُ ٱلَّذِينَ يَخْشَوْنَ رَبَّهُمْ ثُمَّ تَلِينُ جُلُودُهُمْ وَقُلُوبُهُمْ إِلَىٰ ذِكْرِ ٱللَّهِ ۚ ذَٰلِكَ هُدَى ٱللَّهِ يَهْدِى بِهِۦ مَن يَشَآءُ ۚ وَمَن يُضْلِلِ ٱللَّهُ فَمَا لَهُۥ مِنْ هَادٍ
39:23 अल्लाह ने सर्वोत्तम वाणी अवतरित की, एक ऐसी किताब जिसके सभी भाग परस्पर मिलते-जुलते है, जो रुख़ फेर देनेवाली (क्रांतिकारी) है। उससे उन लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते है जो अपने रब से डरते है। फिर उनकी खालें (शरीर) और उनके दिल नर्म होकर अल्लाह की याद की ओर झुक जाते है। वह अल्लाह का मार्गदर्शन है, उसके द्वारा वह सीधे मार्ग पर ले आता है, जिसे चाहता है। और जिसको अल्लाह पथभ्रष्ट रहने दे, फिर उसके लिए कोई मार्गदर्शक नहीं - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:24 أَفَمَن يَتَّقِى بِوَجْهِهِۦ سُوٓءَ ٱلْعَذَابِ يَوْمَ ٱلْقِيَـٰمَةِ ۚ وَقِيلَ لِلظَّـٰلِمِينَ ذُوقُوا۟ مَا كُنتُمْ تَكْسِبُونَ
39:24 अब क्या जो क़ियामत के दिन अपने चहरें को बुरी यातना (से बचने) की ढाल बनाएगा वह (यातना से सुरक्षित लोगों जैसा होगा)? और ज़ालिमों से कहा जाएगा, "चखों मज़ा उस कमाई का, जो तुम करते रहे थे!" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:25 كَذَّبَ ٱلَّذِينَ مِن قَبْلِهِمْ فَأَتَىٰهُمُ ٱلْعَذَابُ مِنْ حَيْثُ لَا يَشْعُرُونَ
39:25 जो लोग उनसे पहले थे उन्होंने भी झूठलाया। अन्ततः उनपर वहाँ से यातना आ पहुँची, जिसका उन्हें कोई पता न था - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:26 فَأَذَاقَهُمُ ٱللَّهُ ٱلْخِزْىَ فِى ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا ۖ وَلَعَذَابُ ٱلْـَٔاخِرَةِ أَكْبَرُ ۚ لَوْ كَانُوا۟ يَعْلَمُونَ
39:26 फिर अल्लाह ने उन्हें सांसारिक जीवन में भी रुसवाई का मज़ा चखाया और आख़िरत की यातना तो इससे भी बड़ी है। काश! वे जानते - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:27 وَلَقَدْ ضَرَبْنَا لِلنَّاسِ فِى هَـٰذَا ٱلْقُرْءَانِ مِن كُلِّ مَثَلٍ لَّعَلَّهُمْ يَتَذَكَّرُونَ
39:27 हमने इस क़ुरआन में लोगों के लिए हर प्रकार की मिसालें पेश कर दी हैं, ताकि वे शिक्षा ग्रहण करें - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:28 قُرْءَانًا عَرَبِيًّا غَيْرَ ذِى عِوَجٍ لَّعَلَّهُمْ يَتَّقُونَ
39:28 एक अरबी क़ुरआन के रूप में, जिसमें कोई टेढ़ नहीं, ताकि वे धर्मपरायणता अपनाएँ - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:29 ضَرَبَ ٱللَّهُ مَثَلًا رَّجُلًا فِيهِ شُرَكَآءُ مُتَشَـٰكِسُونَ وَرَجُلًا سَلَمًا لِّرَجُلٍ هَلْ يَسْتَوِيَانِ مَثَلًا ۚ ٱلْحَمْدُ لِلَّهِ ۚ بَلْ أَكْثَرُهُمْ لَا يَعْلَمُونَ
39:29 अल्लाह एक मिसाल पेश करता है कि एक व्यक्ति है, जिसके मालिक होने में कई क्यक्ति साक्षी है, आपस में खींचातानी करनेवाले, और एक क्यक्ति वह है जो पूरा का पूरा एक ही व्यक्ति का है। क्या दोनों का हाल एक जैसा होगा? सारी प्रशंसा अल्लाह ही के लिए है, किन्तु उनमें से अधिकांश लोग नहीं जानते - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:30 إِنَّكَ مَيِّتٌ وَإِنَّهُم مَّيِّتُونَ
39:30 तुम्हें भी मरना है और उन्हें भी मरना है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:31 ثُمَّ إِنَّكُمْ يَوْمَ ٱلْقِيَـٰمَةِ عِندَ رَبِّكُمْ تَخْتَصِمُونَ
39:31 फिर निश्चय ही तुम सब क़ियामत के दिन अपने रब के समक्ष झगड़ोगे - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:32 ۞ فَمَنْ أَظْلَمُ مِمَّن كَذَبَ عَلَى ٱللَّهِ وَكَذَّبَ بِٱلصِّدْقِ إِذْ جَآءَهُۥٓ ۚ أَلَيْسَ فِى جَهَنَّمَ مَثْوًى لِّلْكَـٰفِرِينَ
39:32 फिर उस व्यक्ति से बढ़कर अत्याचारी कौन होगा, जिसने झूठ घड़कर अल्लाह पर थोपा और सत्य को झूठला दिया जब वह उसके पास आया। क्या जहन्नम में इनकार करनेवालों का ठिकाना नहीं हैं? - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:33 وَٱلَّذِى جَآءَ بِٱلصِّدْقِ وَصَدَّقَ بِهِۦٓ ۙ أُو۟لَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلْمُتَّقُونَ
39:33 और जो व्यक्ति सच्चाई लेकर आया और उसने उसकी पुष्टि की, ऐसे ही लोग डर रखते है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:34 لَهُم مَّا يَشَآءُونَ عِندَ رَبِّهِمْ ۚ ذَٰلِكَ جَزَآءُ ٱلْمُحْسِنِينَ
39:34 उनके लिए उनके रब के पास वह सब कुछ है, जो वे चाहेंगे। यह है उत्तमकारों का बदला - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:35 لِيُكَفِّرَ ٱللَّهُ عَنْهُمْ أَسْوَأَ ٱلَّذِى عَمِلُوا۟ وَيَجْزِيَهُمْ أَجْرَهُم بِأَحْسَنِ ٱلَّذِى كَانُوا۟ يَعْمَلُونَ
39:35 ताकि जो निकृष्टतम कर्म उन्होंने किए अल्लाह उन (के बुरे प्रभाव) को उनसे दूर कर दे। औऱ जो उत्तम कर्म वे करते रहे उसका उन्हें बदला प्रदान करे - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:36 أَلَيْسَ ٱللَّهُ بِكَافٍ عَبْدَهُۥ ۖ وَيُخَوِّفُونَكَ بِٱلَّذِينَ مِن دُونِهِۦ ۚ وَمَن يُضْلِلِ ٱللَّهُ فَمَا لَهُۥ مِنْ هَادٍ
39:36 क्या अल्लाह अपने बन्दे के लिए काफ़ी नहीं है, यद्यपि वे तुम्हें उनसे डराते है, जो उसके सिवा (उन्होंने अपने सहायक बना रखे) है? अल्लाह जिसे गुमराही में डाल दे उसे मार्ग दिखानेवाला कोई नही - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:37 وَمَن يَهْدِ ٱللَّهُ فَمَا لَهُۥ مِن مُّضِلٍّ ۗ أَلَيْسَ ٱللَّهُ بِعَزِيزٍ ذِى ٱنتِقَامٍ
39:37 और जिसे अल्लाह मार्ग दिखाए उसे गुमराह करनेवाला भी कोई नहीं। क्या अल्लाह प्रभुत्वशाली, बदला लेनेवाला नहीं है? - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:38 وَلَئِن سَأَلْتَهُم مَّنْ خَلَقَ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ لَيَقُولُنَّ ٱللَّهُ ۚ قُلْ أَفَرَءَيْتُم مَّا تَدْعُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِ إِنْ أَرَادَنِىَ ٱللَّهُ بِضُرٍّ هَلْ هُنَّ كَـٰشِفَـٰتُ ضُرِّهِۦٓ أَوْ أَرَادَنِى بِرَحْمَةٍ هَلْ هُنَّ مُمْسِكَـٰتُ رَحْمَتِهِۦ ۚ قُلْ حَسْبِىَ ٱللَّهُ ۖ عَلَيْهِ يَتَوَكَّلُ ٱلْمُتَوَكِّلُونَ
39:38 यदि तुम उनसे पूछो कि "आकाशों और धरती को किसने पैदा किया?" को वे अवश्य कहेंगे, "अल्लाह ने।" कहो, "तुम्हारा क्या विचार है? यदि अल्लाह मुझे कोई तकलीफ़ पहुँचानी चाहे तो क्या अल्लाह से हटकर जिनको तुम पुकारते हो वे उसकी पहुँचाई हुई तकलीफ़ को दूर कर सकते है? या वह मुझपर कोई दयालुता दर्शानी चाहे तो क्या वे उसकी दयालुता को रोक सकते है?" कह दो, "मेरे लिए अल्लाह काफ़ी है। भरोसा करनेवाले उसी पर भरोसा करते है।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:39 قُلْ يَـٰقَوْمِ ٱعْمَلُوا۟ عَلَىٰ مَكَانَتِكُمْ إِنِّى عَـٰمِلٌ ۖ فَسَوْفَ تَعْلَمُونَ
39:39 कह दो, "ऐ मेरी क़ौम के लोगो! तुम अपनी जगह काम करो। मैं (अपनी जगह) काम करता हूँ। तो शीघ्र ही तुम जान लोगे - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:40 مَن يَأْتِيهِ عَذَابٌ يُخْزِيهِ وَيَحِلُّ عَلَيْهِ عَذَابٌ مُّقِيمٌ
39:40 कि किस पर वह यातना आती है जो उसे रुसवा कर देगी और किसपर अटल यातना उतरती है।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:41 إِنَّآ أَنزَلْنَا عَلَيْكَ ٱلْكِتَـٰبَ لِلنَّاسِ بِٱلْحَقِّ ۖ فَمَنِ ٱهْتَدَىٰ فَلِنَفْسِهِۦ ۖ وَمَن ضَلَّ فَإِنَّمَا يَضِلُّ عَلَيْهَا ۖ وَمَآ أَنتَ عَلَيْهِم بِوَكِيلٍ
39:41 निश्चय ही हमने लोगों के लिए हक़ के साथ तुमपर किताब अवतरित की है। अतः जिसने सीधा मार्ग ग्रहण किया तो अपने ही लिए, और जो भटका, तो वह भटककर अपने ही को हानि पहुँचाता है। तुम उनके ज़िम्मेदार नहीं हो - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:42 ٱللَّهُ يَتَوَفَّى ٱلْأَنفُسَ حِينَ مَوْتِهَا وَٱلَّتِى لَمْ تَمُتْ فِى مَنَامِهَا ۖ فَيُمْسِكُ ٱلَّتِى قَضَىٰ عَلَيْهَا ٱلْمَوْتَ وَيُرْسِلُ ٱلْأُخْرَىٰٓ إِلَىٰٓ أَجَلٍ مُّسَمًّى ۚ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَـٰتٍ لِّقَوْمٍ يَتَفَكَّرُونَ
39:42 अल्लाह ही प्राणों को उनकी मृत्यु के समय ग्रस्त कर लेता है और जिसकी मृत्यु नहीं आई उसे उसकी निद्रा की अवस्था में (ग्रस्त कर लेता है) । फिर जिसकी मृत्यु का फ़ैसला कर दिया है उसे रोक रखता है। और दूसरों को एक नियत समय तक के लिए छोड़ देता है। निश्चय ही इसमें कितनी ही निशानियाँ है सोच-विचार करनेवालों के लिए - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:43 أَمِ ٱتَّخَذُوا۟ مِن دُونِ ٱللَّهِ شُفَعَآءَ ۚ قُلْ أَوَلَوْ كَانُوا۟ لَا يَمْلِكُونَ شَيْـًٔا وَلَا يَعْقِلُونَ
39:43 (क्या उनके उपास्य प्रभुता में साझीदार है) या उन्होंने अल्लाह से हटकर दूसरों को सिफ़ारिशी बना रखा है? कहो, "क्या यद्यपि वे किसी चीज़ का अधिकार न रखते हों और न कुछ समझते ही हो तब भी?" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:44 قُل لِّلَّهِ ٱلشَّفَـٰعَةُ جَمِيعًا ۖ لَّهُۥ مُلْكُ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ ۖ ثُمَّ إِلَيْهِ تُرْجَعُونَ
39:44 कहो, "सिफ़ारिश तो सारी की सारी अल्लाह के अधिकार में है। आकाशों और धरती की बादशाही उसी की है। फिर उसी की ओर तुम लौटाए जाओगे।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:45 وَإِذَا ذُكِرَ ٱللَّهُ وَحْدَهُ ٱشْمَأَزَّتْ قُلُوبُ ٱلَّذِينَ لَا يُؤْمِنُونَ بِٱلْـَٔاخِرَةِ ۖ وَإِذَا ذُكِرَ ٱلَّذِينَ مِن دُونِهِۦٓ إِذَا هُمْ يَسْتَبْشِرُونَ
39:45 अकेले अल्लाह का ज़िक्र किया जाता है तो जो लोग आख़िरत पर ईमान नहीं रखते उनके दिल भिंचने लगते है, किन्तु जब उसके सिवा दूसरों का ज़िक्र होता है तो क्या देखते है कि वे खुशी से खिले जा रहे है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:46 قُلِ ٱللَّهُمَّ فَاطِرَ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ عَـٰلِمَ ٱلْغَيْبِ وَٱلشَّهَـٰدَةِ أَنتَ تَحْكُمُ بَيْنَ عِبَادِكَ فِى مَا كَانُوا۟ فِيهِ يَخْتَلِفُونَ
39:46 कहो, "ऐ अल्लाह, आकाशो और धरती को पैदा करनेवाले; परोक्ष और प्रत्यक्ष के जाननेवाले! तू ही अपने बन्दों के बीच उस चीज़ का फ़ैसला करेगा, जिसमें वे विभेद कर रहे है।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:47 وَلَوْ أَنَّ لِلَّذِينَ ظَلَمُوا۟ مَا فِى ٱلْأَرْضِ جَمِيعًا وَمِثْلَهُۥ مَعَهُۥ لَٱفْتَدَوْا۟ بِهِۦ مِن سُوٓءِ ٱلْعَذَابِ يَوْمَ ٱلْقِيَـٰمَةِ ۚ وَبَدَا لَهُم مِّنَ ٱللَّهِ مَا لَمْ يَكُونُوا۟ يَحْتَسِبُونَ
39:47 जिन लोगों ने ज़ुल्म किया यदि उनके पास वह सब कुछ हो जो धरती में है और उसके साथ उतना ही और भी, तो वे क़ियामत के दिन बुरी यातना से बचने के लिए वह सब फ़िदया (प्राण-मुक्ति के बदले) में दे डाले। बात यह है कि अल्लाह की ओर से उनके सामने वह कुछ आ जाएगा जिसका वे गुमान तक न करते थे - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:48 وَبَدَا لَهُمْ سَيِّـَٔاتُ مَا كَسَبُوا۟ وَحَاقَ بِهِم مَّا كَانُوا۟ بِهِۦ يَسْتَهْزِءُونَ
39:48 और जो कुछ उन्होंने कमाया उसकी बुराइयाँ उनपर प्रकट हो जाएँगी। और वही चीज़ उन्हें घेर लेगी जिसकी वे हँसी उड़ाया करते थे - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:49 فَإِذَا مَسَّ ٱلْإِنسَـٰنَ ضُرٌّ دَعَانَا ثُمَّ إِذَا خَوَّلْنَـٰهُ نِعْمَةً مِّنَّا قَالَ إِنَّمَآ أُوتِيتُهُۥ عَلَىٰ عِلْمٍۭ ۚ بَلْ هِىَ فِتْنَةٌ وَلَـٰكِنَّ أَكْثَرَهُمْ لَا يَعْلَمُونَ
39:49 अतः जब मनुष्य को कोई तकलीफ़ पहुँचती है तो वह हमें पुकारने लगता है, फिर जब हमारी ओर से उसपर कोई अनुकम्पा होती है तो कहता है, "यह तो मुझे ज्ञान के कारण प्राप्त हुआ।" नहीं, बल्कि यह तो एक परीक्षा है, किन्तु उनमें से अधिकतर जानते नहीं - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:50 قَدْ قَالَهَا ٱلَّذِينَ مِن قَبْلِهِمْ فَمَآ أَغْنَىٰ عَنْهُم مَّا كَانُوا۟ يَكْسِبُونَ
39:50 यही बात वे लोग भी कह चुके है, जो उनसे पहले गुज़रे है। किन्तु जो कुछ कमाई वे करते है, वह उनके कुछ काम न आई - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:51 فَأَصَابَهُمْ سَيِّـَٔاتُ مَا كَسَبُوا۟ ۚ وَٱلَّذِينَ ظَلَمُوا۟ مِنْ هَـٰٓؤُلَآءِ سَيُصِيبُهُمْ سَيِّـَٔاتُ مَا كَسَبُوا۟ وَمَا هُم بِمُعْجِزِينَ
39:51 फिर जो कुछ उन्होंने कमाया, उसकी बुराइयाँ उनपर आ पड़ी और इनमें से भी जिन लोगों ने ज़ुल्म किया, उनपर भी जो कुछ उन्होंने कमाया उसकी बुराइयाँ जल्द ही आ पड़ेगी। और वे काबू से बाहर निकलनेवाले नहीं - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:52 أَوَلَمْ يَعْلَمُوٓا۟ أَنَّ ٱللَّهَ يَبْسُطُ ٱلرِّزْقَ لِمَن يَشَآءُ وَيَقْدِرُ ۚ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَـٰتٍ لِّقَوْمٍ يُؤْمِنُونَ
39:52 क्या उन्हें मालूम नहीं कि अल्लाह जिसके लिए चाहता है रोज़ी कुशादा कर देता है और जिसके लिए चाहता है नपी-तुली कर देता है? निस्संदेह इसमें उन लोगों के लिए बड़ी निशानियाँ है जो ईमान लाएँ - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:53 ۞ قُلْ يَـٰعِبَادِىَ ٱلَّذِينَ أَسْرَفُوا۟ عَلَىٰٓ أَنفُسِهِمْ لَا تَقْنَطُوا۟ مِن رَّحْمَةِ ٱللَّهِ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ يَغْفِرُ ٱلذُّنُوبَ جَمِيعًا ۚ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلْغَفُورُ ٱلرَّحِيمُ
39:53 कह दो, "ऐ मेरे बन्दो, जिन्होंने अपने आप पर ज्यादती की है, अल्लाह की दयालुता से निराश न हो। निस्संदेह अल्लाह सारे ही गुनाहों का क्षमा कर देता है। निश्चय ही वह बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:54 وَأَنِيبُوٓا۟ إِلَىٰ رَبِّكُمْ وَأَسْلِمُوا۟ لَهُۥ مِن قَبْلِ أَن يَأْتِيَكُمُ ٱلْعَذَابُ ثُمَّ لَا تُنصَرُونَ
39:54 रुजू हो अपने रब की ओर और उसके आज्ञाकारी बन जाओ, इससे पहले कि तुमपर यातना आ जाए। फिर तुम्हारी सहायता न की जाएगी - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:55 وَٱتَّبِعُوٓا۟ أَحْسَنَ مَآ أُنزِلَ إِلَيْكُم مِّن رَّبِّكُم مِّن قَبْلِ أَن يَأْتِيَكُمُ ٱلْعَذَابُ بَغْتَةً وَأَنتُمْ لَا تَشْعُرُونَ
39:55 और अनुसर्ण करो उस सर्वोत्तम चीज़ का जो तुम्हारे रब की ओर से अवतरित हुई है, इससे पहले कि तुम पर अचानक यातना आ जाए और तुम्हें पता भी न हो।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:56 أَن تَقُولَ نَفْسٌ يَـٰحَسْرَتَىٰ عَلَىٰ مَا فَرَّطتُ فِى جَنۢبِ ٱللَّهِ وَإِن كُنتُ لَمِنَ ٱلسَّـٰخِرِينَ
39:56 कहीं ऐसा न हो कि कोई व्यक्ति कहने लगे, "हाय, अफ़सोस उसपर! जो कोताही अल्लाह के हक़ में मैंने की। और मैं तो परिहास करनेवालों मं ही सम्मिलित रहा।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:57 أَوْ تَقُولَ لَوْ أَنَّ ٱللَّهَ هَدَىٰنِى لَكُنتُ مِنَ ٱلْمُتَّقِينَ
39:57 या, कहने लगे कि "यदि अल्लाह मुझे मार्ग दिखाता तो अवश्य ही मैं डर रखनेवालों में से होता।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:58 أَوْ تَقُولَ حِينَ تَرَى ٱلْعَذَابَ لَوْ أَنَّ لِى كَرَّةً فَأَكُونَ مِنَ ٱلْمُحْسِنِينَ
39:58 या, जब वह यातना देखे तो कहने लगे, "काश! मुझे एक बार फिर लौटकर जाना हो, तो मैं उत्तमकारों में सम्मिलित हो जाऊँ।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:59 بَلَىٰ قَدْ جَآءَتْكَ ءَايَـٰتِى فَكَذَّبْتَ بِهَا وَٱسْتَكْبَرْتَ وَكُنتَ مِنَ ٱلْكَـٰفِرِينَ
39:59 "क्यों नहीं, मेरी आयतें तेरे पास आ चुकी थीं, किन्तु तूने उनको झूठलाया और घमंड किया और इनकार करनेवालों में सम्मिलित रहा - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:60 وَيَوْمَ ٱلْقِيَـٰمَةِ تَرَى ٱلَّذِينَ كَذَبُوا۟ عَلَى ٱللَّهِ وُجُوهُهُم مُّسْوَدَّةٌ ۚ أَلَيْسَ فِى جَهَنَّمَ مَثْوًى لِّلْمُتَكَبِّرِينَ
39:60 और क़ियामत के दिन तुम उन लोगों को देखोगे जिन्होंने अल्लाह पर झूठ घड़कर थोपा है कि उनके चेहरे स्याह है। क्या अहंकारियों का ठिकाना जहन्नम में नहीं हैं?" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:61 وَيُنَجِّى ٱللَّهُ ٱلَّذِينَ ٱتَّقَوْا۟ بِمَفَازَتِهِمْ لَا يَمَسُّهُمُ ٱلسُّوٓءُ وَلَا هُمْ يَحْزَنُونَ
39:61 इसके विपरीत अल्लाह उन लोगों को जिन्होंने डर रखा उन्हें उनकी सफलता के साथ मुक्ति प्रदान करेगा। न तो उन्हें कोई अनिष्ट् छू सकेगा और न वे शोकाकुल होंगे - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:62 ٱللَّهُ خَـٰلِقُ كُلِّ شَىْءٍ ۖ وَهُوَ عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍ وَكِيلٌ
39:62 अल्लाह हर चीज़ का स्रष्टा है और वही हर चीज़ का ज़िम्मा लेता है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:63 لَّهُۥ مَقَالِيدُ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ ۗ وَٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ بِـَٔايَـٰتِ ٱللَّهِ أُو۟لَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلْخَـٰسِرُونَ
39:63 उसी के पास आकाशों और धरती की कुँजियाँ है। और जिन लोगों ने हमारी आयतों का इनकार किया, वही है जो घाटे में है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:64 قُلْ أَفَغَيْرَ ٱللَّهِ تَأْمُرُوٓنِّىٓ أَعْبُدُ أَيُّهَا ٱلْجَـٰهِلُونَ
39:64 कहो, "क्या फिर भी तुम मुझसे कहते हो कि मैं अल्लाह के सिवा किसी और की बन्दगी करूँ, ऐ अज्ञानियों?" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:65 وَلَقَدْ أُوحِىَ إِلَيْكَ وَإِلَى ٱلَّذِينَ مِن قَبْلِكَ لَئِنْ أَشْرَكْتَ لَيَحْبَطَنَّ عَمَلُكَ وَلَتَكُونَنَّ مِنَ ٱلْخَـٰسِرِينَ
39:65 तुम्हारी ओर और जो तुमसे पहले गुज़र चुके हैं उनकी ओर भी वह्यस की जा चुकी है कि "यदि तुमने शिर्क किया तो तुम्हारा किया-धरा अनिवार्यतः अकारथ जाएगा और तुम अवश्य ही घाटे में पड़नेवालों में से हो जाओगे।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:66 بَلِ ٱللَّهَ فَٱعْبُدْ وَكُن مِّنَ ٱلشَّـٰكِرِينَ
39:66 नहीं, बल्कि अल्लाह ही की बन्दगी करो और कृतज्ञता दिखानेवालों में से हो जाओ - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:67 وَمَا قَدَرُوا۟ ٱللَّهَ حَقَّ قَدْرِهِۦ وَٱلْأَرْضُ جَمِيعًا قَبْضَتُهُۥ يَوْمَ ٱلْقِيَـٰمَةِ وَٱلسَّمَـٰوَٰتُ مَطْوِيَّـٰتٌۢ بِيَمِينِهِۦ ۚ سُبْحَـٰنَهُۥ وَتَعَـٰلَىٰ عَمَّا يُشْرِكُونَ
39:67 उन्होंने अल्लाह की क़द्र न जानी, जैसी क़द्र उसकी जाननी चाहिए थी। हालाँकि क़ियामत के दिन सारी की सारी धरती उसकी मुट्ठी में होगी और आकाश उसके दाएँ हाथ में लिपटे हुए होंगे। महान और उच्च है वह उससे, जो वे साझी ठहराते है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:68 وَنُفِخَ فِى ٱلصُّورِ فَصَعِقَ مَن فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَمَن فِى ٱلْأَرْضِ إِلَّا مَن شَآءَ ٱللَّهُ ۖ ثُمَّ نُفِخَ فِيهِ أُخْرَىٰ فَإِذَا هُمْ قِيَامٌ يَنظُرُونَ
39:68 और सूर (नरसिंघा) फूँका जाएगा, तो जो कोई आकाशों और जो कोई धरती में होगा वह अचेत हो जाएगा सिवाय उसके जिसको अल्लाह चाहे। फिर उसे दूबारा फूँका जाएगा, तो क्या देखेगे कि सहसा वे खड़े देख रहे है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:69 وَأَشْرَقَتِ ٱلْأَرْضُ بِنُورِ رَبِّهَا وَوُضِعَ ٱلْكِتَـٰبُ وَجِا۟ىٓءَ بِٱلنَّبِيِّـۧنَ وَٱلشُّهَدَآءِ وَقُضِىَ بَيْنَهُم بِٱلْحَقِّ وَهُمْ لَا يُظْلَمُونَ
39:69 और धरती रब के प्रकाश से जगमगा उठेगी, और किताब रखी जाएगी और नबियों और गवाहों को लाया जाएगा और लोगों के बीच हक़ के साथ फ़ैसला कर दिया जाएगा, और उनपर कोई ज़ुल्म न होगा - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:70 وَوُفِّيَتْ كُلُّ نَفْسٍ مَّا عَمِلَتْ وَهُوَ أَعْلَمُ بِمَا يَفْعَلُونَ
39:70 और प्रत्येक व्यक्ति को उसका किया भरपूर दिया जाएगा। और वह भली-भाँति जानता है, जो कुछ वे करते है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:71 وَسِيقَ ٱلَّذِينَ كَفَرُوٓا۟ إِلَىٰ جَهَنَّمَ زُمَرًا ۖ حَتَّىٰٓ إِذَا جَآءُوهَا فُتِحَتْ أَبْوَٰبُهَا وَقَالَ لَهُمْ خَزَنَتُهَآ أَلَمْ يَأْتِكُمْ رُسُلٌ مِّنكُمْ يَتْلُونَ عَلَيْكُمْ ءَايَـٰتِ رَبِّكُمْ وَيُنذِرُونَكُمْ لِقَآءَ يَوْمِكُمْ هَـٰذَا ۚ قَالُوا۟ بَلَىٰ وَلَـٰكِنْ حَقَّتْ كَلِمَةُ ٱلْعَذَابِ عَلَى ٱلْكَـٰفِرِينَ
39:71 जिन लोगों ने इनकार किया, वे गिरोह के गिरोह जहन्नम की ओर ले जाए जाएँगे, यहाँ तक कि जब वे वहाँ पहुँचेगे तो उसके द्वार खोल दिए जाएँगे और उसके प्रहरी उनसे कहेंगे, "क्या तुम्हारे पास तुम्हीं में से रसूल नहीं आए थे जो तुम्हें तुम्हारे रब की आयतें सुनाते रहे हों और तुम्हें इस दिन की मुलाक़ात से सचेत करते रहे हों?" वे कहेंगे, "क्यों नहीं (वे तो आए थे) ।" किन्तु इनकार करनेवालों पर यातना की बात सत्यापित होकर रही - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:72 قِيلَ ٱدْخُلُوٓا۟ أَبْوَٰبَ جَهَنَّمَ خَـٰلِدِينَ فِيهَا ۖ فَبِئْسَ مَثْوَى ٱلْمُتَكَبِّرِينَ
39:72 कहा जाएगा, "जहन्नम के द्वारों में प्रवेश करो। उसमें सदैव रहने के लिए।" तो बहुत ही बुरा ठिकाना है अहंकारियों का! - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:73 وَسِيقَ ٱلَّذِينَ ٱتَّقَوْا۟ رَبَّهُمْ إِلَى ٱلْجَنَّةِ زُمَرًا ۖ حَتَّىٰٓ إِذَا جَآءُوهَا وَفُتِحَتْ أَبْوَٰبُهَا وَقَالَ لَهُمْ خَزَنَتُهَا سَلَـٰمٌ عَلَيْكُمْ طِبْتُمْ فَٱدْخُلُوهَا خَـٰلِدِينَ
39:73 और जो लोग अपने रब का डर रखते थे, वे गिरोह के गिरोह जन्नत की ओर ले जाएँगे, यहाँ तक कि जब वे वहाँ पहुँचेंगे इस हाल में कि उसके द्वार खुले होंगे। और उसके प्रहरी उनसे कहेंगे, "सलाम हो तुमपर! बहुत अच्छे रहे! अतः इसमें प्रवेश करो सदैव रहने के लिए तो (उनकी ख़ुशियों का क्या हाल होगा!) - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:74 وَقَالُوا۟ ٱلْحَمْدُ لِلَّهِ ٱلَّذِى صَدَقَنَا وَعْدَهُۥ وَأَوْرَثَنَا ٱلْأَرْضَ نَتَبَوَّأُ مِنَ ٱلْجَنَّةِ حَيْثُ نَشَآءُ ۖ فَنِعْمَ أَجْرُ ٱلْعَـٰمِلِينَ
39:74 और वे कहेंगे, "प्रशंसा अल्लाह के लिए, जिसने हमारे साथ अपना वादा सच कर दिखाया, और हमें इस भूमि का वारिस बनाया कि हम जन्नत में जहाँ चाहें वहाँ रहें-बसे।" अतः क्या ही अच्छा प्रतिदान है कर्म करनेवालों का!- - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)

39:75 وَتَرَى ٱلْمَلَـٰٓئِكَةَ حَآفِّينَ مِنْ حَوْلِ ٱلْعَرْشِ يُسَبِّحُونَ بِحَمْدِ رَبِّهِمْ ۖ وَقُضِىَ بَيْنَهُم بِٱلْحَقِّ وَقِيلَ ٱلْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ
39:75 और तुम फ़रिश्तों को देखोगे कि वे सिंहासन के गिर्द घेरा बाँधे हुए, अपने रब का गुणगान कर रहे है। और लोगों के बीच ठीक-ठीक फ़ैसला कर दिया जाएगा और कहा जाएगा, "सारी प्रशंसा अल्लाह, सारे संसार के रब, के लिए है।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)