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Suhel Khan and Saifur Nadwi

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6 Al-'An`ām ٱلْأَنْعَام

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بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
In the name of Allah, Most Gracious, Most Merciful.

6:91 وَمَا قَدَرُوا۟ ٱللَّهَ حَقَّ قَدْرِهِۦٓ إِذْ قَالُوا۟ مَآ أَنزَلَ ٱللَّهُ عَلَىٰ بَشَرٍ مِّن شَىْءٍ ۗ قُلْ مَنْ أَنزَلَ ٱلْكِتَـٰبَ ٱلَّذِى جَآءَ بِهِۦ مُوسَىٰ نُورًا وَهُدًى لِّلنَّاسِ ۖ تَجْعَلُونَهُۥ قَرَاطِيسَ تُبْدُونَهَا وَتُخْفُونَ كَثِيرًا ۖ وَعُلِّمْتُم مَّا لَمْ تَعْلَمُوٓا۟ أَنتُمْ وَلَآ ءَابَآؤُكُمْ ۖ قُلِ ٱللَّهُ ۖ ثُمَّ ذَرْهُمْ فِى خَوْضِهِمْ يَلْعَبُونَ
6:91 और बस और उन लोगों (यहूद) ने ख़ुदा की जैसी क़दर करनी चाहिए न की इसलिए कि उन लोगों ने (बेहूदे पन से) ये कह दिया कि ख़ुदा ने किसी बशर (इनसान) पर कुछ नाज़िल नहीं किया (ऐ रसूल) तुम पूछो तो कि फिर वह किताब जिसे मूसा लेकर आए थे किसने नाज़िल की जो लोगों के लिए रौशनी और (अज़सरतापा(सर से पैर तक)) हिदायत (थी जिसे तुम लोगों ने अलग-अलग करके काग़जी औराक़ (कागज़ के पन्ने) बना डाला और इसमें को कुछ हिस्सा (जो तुम्हारे मतलब का है वह) तो ज़ाहिर करते हो और बहुतेरे को (जो ख़िलाफ मदआ है) छिपाते हो हालॉकि उसी किताब के ज़रिए से तुम्हें वो बातें सिखायी गयी जिन्हें न तुम जानते थे और न तुम्हारे बाप दादा (ऐ रसूल वह तो जवाब देगें नहीं) तुम ही कह दो कि ख़ुदा ने (नाज़िल फरमाई) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)