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Original Text
Farooq Khan and Ahmed
Abdullah Yusuf Ali
Abdul Majid Daryabadi
Abul Ala Maududi
Ahmed Ali
Ahmed Raza Khan
A. J. Arberry
Ali Quli Qarai
Hasan al-Fatih Qaribullah and Ahmad Darwish
Mohammad Habib Shakir
Mohammed Marmaduke William Pickthall
Muhammad Sarwar
Muhammad Taqi-ud-Din al-Hilali and Muhammad Muhsin Khan
Safi-ur-Rahman al-Mubarakpuri
Saheeh International
Talal Itani
Transliteration
Wahiduddin Khan
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
In the name of Allah, Most Gracious, Most Merciful.
35:1
ٱلْحَمْدُ لِلَّهِ فَاطِرِ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ جَاعِلِ ٱلْمَلَـٰٓئِكَةِ رُسُلًا أُو۟لِىٓ أَجْنِحَةٍ مَّثْنَىٰ وَثُلَـٰثَ وَرُبَـٰعَ ۚ يَزِيدُ فِى ٱلْخَلْقِ مَا يَشَآءُ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍ قَدِيرٌ
35:1
सब प्रशंसा अल्लाह के लिए है, जो आकाशों और धरती का पैदा करनेवाला है। दो-दो, तीन-तीन और चार-चार फ़रिश्तों को बाज़ुओंवालों सन्देशवाहक बनाकर नियुक्त करता है। वह संरचना में जैसी चाहता है, अभिवृद्धि करता है। निश्चय ही अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:2
مَّا يَفْتَحِ ٱللَّهُ لِلنَّاسِ مِن رَّحْمَةٍ فَلَا مُمْسِكَ لَهَا ۖ وَمَا يُمْسِكْ فَلَا مُرْسِلَ لَهُۥ مِنۢ بَعْدِهِۦ ۚ وَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلْحَكِيمُ
35:2
अल्लाह जो दयालुता लोगों के लिए खोल दे उसे कोई रोकनेवाला नहीं और जिसे वह रोक ले तो उसके बाद उसे कोई जारी करनेवाला भी नहीं। वह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:3
يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ ٱذْكُرُوا۟ نِعْمَتَ ٱللَّهِ عَلَيْكُمْ ۚ هَلْ مِنْ خَـٰلِقٍ غَيْرُ ٱللَّهِ يَرْزُقُكُم مِّنَ ٱلسَّمَآءِ وَٱلْأَرْضِ ۚ لَآ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ ۖ فَأَنَّىٰ تُؤْفَكُونَ
35:3
ऐ लोगो! अल्लाह की तुमपर जो अनुकम्पा है, उसे याद करो। क्या अल्लाह के सिवा कोई और पैदा करनेवाला है, जो तुम्हें आकाश और धरती से रोज़ी देता हो? उसके सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं। तो तुम कहाँ से उलटे भटके चले जा रहे हो? - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:4
وَإِن يُكَذِّبُوكَ فَقَدْ كُذِّبَتْ رُسُلٌ مِّن قَبْلِكَ ۚ وَإِلَى ٱللَّهِ تُرْجَعُ ٱلْأُمُورُ
35:4
और यदि वे तुम्हें झुठलाते तो तुमसे पहले भी कितने ही रसूल झुठलाए जा चुके है। सारे मामले अल्लाह ही की ओर पलटते हैं - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:5
يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ إِنَّ وَعْدَ ٱللَّهِ حَقٌّ ۖ فَلَا تَغُرَّنَّكُمُ ٱلْحَيَوٰةُ ٱلدُّنْيَا ۖ وَلَا يَغُرَّنَّكُم بِٱللَّهِ ٱلْغَرُورُ
35:5
ऐ लोगों! निश्चय ही अल्लाह का वादा सच्चा है। अतः सांसारिक जीवन तुम्हें धोखे में न डाले और न वह धोखेबाज़ अल्लाह के विषय में तुम्हें धोखा दे - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:6
إِنَّ ٱلشَّيْطَـٰنَ لَكُمْ عَدُوٌّ فَٱتَّخِذُوهُ عَدُوًّا ۚ إِنَّمَا يَدْعُوا۟ حِزْبَهُۥ لِيَكُونُوا۟ مِنْ أَصْحَـٰبِ ٱلسَّعِيرِ
35:6
निश्चय ही शैतान तुम्हारा शत्रु है। अतः तुम उसे शत्रु ही समझो। वह तो अपने गिरोह को केवल इसी लिए बुला रहा है कि वे दहकती आगवालों में सम्मिलित हो जाएँ - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:7
ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ لَهُمْ عَذَابٌ شَدِيدٌ ۖ وَٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ لَهُم مَّغْفِرَةٌ وَأَجْرٌ كَبِيرٌ
35:7
वे लोग है कि जिन्होंने इनकार किया उनके लिए कठोर यातना है। किन्तु जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उनके लिए क्षमा और बड़ा प्रतिदान है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:8
أَفَمَن زُيِّنَ لَهُۥ سُوٓءُ عَمَلِهِۦ فَرَءَاهُ حَسَنًا ۖ فَإِنَّ ٱللَّهَ يُضِلُّ مَن يَشَآءُ وَيَهْدِى مَن يَشَآءُ ۖ فَلَا تَذْهَبْ نَفْسُكَ عَلَيْهِمْ حَسَرَٰتٍ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ عَلِيمٌۢ بِمَا يَصْنَعُونَ
35:8
फिर क्या वह व्यक्ति जिसके लिए उसका बुरा कर्म सुहाना बना दिया गया हो और वह उसे अच्छा दिख रहा हो (तो क्या वह बुराई को छोड़ेगा)? निश्चय ही अल्लाह जिसे चाहता है मार्ग से वंचित रखता है और जिसे चाहता है सीधा मार्ग दिखाता है। अतः उनपर अफ़सोस करते-करते तुम्हारी जान न जाती रहे। अल्लाह भली-भाँति जानता है जो कुछ वे रच रहे है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:9
وَٱللَّهُ ٱلَّذِىٓ أَرْسَلَ ٱلرِّيَـٰحَ فَتُثِيرُ سَحَابًا فَسُقْنَـٰهُ إِلَىٰ بَلَدٍ مَّيِّتٍ فَأَحْيَيْنَا بِهِ ٱلْأَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَا ۚ كَذَٰلِكَ ٱلنُّشُورُ
35:9
अल्लाह ही तो है जिसने हवाएँ चलाई फिर वह बादलों को उभारती है, फिर हम उसे किसी शुष्क और निर्जीव भूभाग की ओर ले गए, और उसके द्वारा हमने धरती को उसके मुर्दा हो जाने के पश्चात जीवित कर दिया। इसी प्रकार (लोगों का नए सिरे से) जीवित होकर उठना भी है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:10
مَن كَانَ يُرِيدُ ٱلْعِزَّةَ فَلِلَّهِ ٱلْعِزَّةُ جَمِيعًا ۚ إِلَيْهِ يَصْعَدُ ٱلْكَلِمُ ٱلطَّيِّبُ وَٱلْعَمَلُ ٱلصَّـٰلِحُ يَرْفَعُهُۥ ۚ وَٱلَّذِينَ يَمْكُرُونَ ٱلسَّيِّـَٔاتِ لَهُمْ عَذَابٌ شَدِيدٌ ۖ وَمَكْرُ أُو۟لَـٰٓئِكَ هُوَ يَبُورُ
35:10
जो कोई प्रभुत्व चाहता हो तो प्रभुत्व तो सारा का सारा अल्लाह के लिए है। उसी की ओर अच्छा-पवित्र बोल चढ़ता है और अच्छा कर्म उसे ऊँचा उठाता है। रहे वे लोग जो बुरी चालें चलते है, उनके लिए कठोर यातना है और उनकी चालबाज़ी मटियामेट होकर रहेगी - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:11
وَٱللَّهُ خَلَقَكُم مِّن تُرَابٍ ثُمَّ مِن نُّطْفَةٍ ثُمَّ جَعَلَكُمْ أَزْوَٰجًا ۚ وَمَا تَحْمِلُ مِنْ أُنثَىٰ وَلَا تَضَعُ إِلَّا بِعِلْمِهِۦ ۚ وَمَا يُعَمَّرُ مِن مُّعَمَّرٍ وَلَا يُنقَصُ مِنْ عُمُرِهِۦٓ إِلَّا فِى كِتَـٰبٍ ۚ إِنَّ ذَٰلِكَ عَلَى ٱللَّهِ يَسِيرٌ
35:11
अल्लाह ने तुम्हें मिट्टी से पैदा किया, फिर वीर्य से, फिर तुम्हें जोड़े-जोड़े बनाया। उसके ज्ञान के बिना न कोई स्त्री गर्भवती होती है और न जन्म देती है। और जो कोई आयु को प्राप्ति करनेवाला आयु को प्राप्त करता है और जो कुछ उसकी आयु में कमी होती है। अनिवार्यतः यह सब एक किताब में लिखा होता है। निश्चय ही यह सब अल्लाह के लिए अत्यन्त सरल है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:12
وَمَا يَسْتَوِى ٱلْبَحْرَانِ هَـٰذَا عَذْبٌ فُرَاتٌ سَآئِغٌ شَرَابُهُۥ وَهَـٰذَا مِلْحٌ أُجَاجٌ ۖ وَمِن كُلٍّ تَأْكُلُونَ لَحْمًا طَرِيًّا وَتَسْتَخْرِجُونَ حِلْيَةً تَلْبَسُونَهَا ۖ وَتَرَى ٱلْفُلْكَ فِيهِ مَوَاخِرَ لِتَبْتَغُوا۟ مِن فَضْلِهِۦ وَلَعَلَّكُمْ تَشْكُرُونَ
35:12
दोनों सागर समान नहीं, यह मीठा सुस्वाद है जिससे प्यास जाती रहे, पीने में रुचिकर। और यह खारा-कडुवा है। और तुम प्रत्येक में से तरोताज़ा माँस खाते हो और आभूषण निकालते हो, जिसे तुम पहनते हो। और तुम नौकाओं को देखते हो कि चीरती हुई उसमें चली जा रही हैं, ताकि तुम उसका उदार अनुग्रह तलाश करो और कदाचित तुम आभारी बनो - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:13
يُولِجُ ٱلَّيْلَ فِى ٱلنَّهَارِ وَيُولِجُ ٱلنَّهَارَ فِى ٱلَّيْلِ وَسَخَّرَ ٱلشَّمْسَ وَٱلْقَمَرَ كُلٌّ يَجْرِى لِأَجَلٍ مُّسَمًّى ۚ ذَٰلِكُمُ ٱللَّهُ رَبُّكُمْ لَهُ ٱلْمُلْكُ ۚ وَٱلَّذِينَ تَدْعُونَ مِن دُونِهِۦ مَا يَمْلِكُونَ مِن قِطْمِيرٍ
35:13
वह रात को दिन में प्रविष्ट करता है और दिन को रात में प्रविष्ट करता हैं। उसने सूर्य और चन्द्रमा को काम में लगा रखा है। प्रत्येक एक नियत समय पूरी करने के लिए चल रहा है। वही अल्लाह तुम्हारा रब है। उसी की बादशाही है। उससे हटकर जिनको तुम पुकारते हो वे एक तिनके के भी मालिक नहीं - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:14
إِن تَدْعُوهُمْ لَا يَسْمَعُوا۟ دُعَآءَكُمْ وَلَوْ سَمِعُوا۟ مَا ٱسْتَجَابُوا۟ لَكُمْ ۖ وَيَوْمَ ٱلْقِيَـٰمَةِ يَكْفُرُونَ بِشِرْكِكُمْ ۚ وَلَا يُنَبِّئُكَ مِثْلُ خَبِيرٍ
35:14
यदि तुम उन्हें पुकारो तो वे तुम्हारी पुकार सुनेगे नहीं। और यदि वे सुनते तो भी तुम्हारी याचना स्वीकार न कर सकते और क़ियामत के दिन वे तुम्हारे साझी ठहराने का इनकार कर देंगे। पूरी ख़बर रखनेवाला (अल्लाह) की तरह तुम्हें कोई न बताएगा - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:15
۞ يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ أَنتُمُ ٱلْفُقَرَآءُ إِلَى ٱللَّهِ ۖ وَٱللَّهُ هُوَ ٱلْغَنِىُّ ٱلْحَمِيدُ
35:15
ऐ लोगों! तुम्ही अल्लाह के मुहताज हो और अल्लाह तो निस्पृह, स्वप्रशंसित है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:16
إِن يَشَأْ يُذْهِبْكُمْ وَيَأْتِ بِخَلْقٍ جَدِيدٍ
35:16
यदि वह चाहे तो तुम्हें हटा दे और एक नई संसृति ले आए - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:17
وَمَا ذَٰلِكَ عَلَى ٱللَّهِ بِعَزِيزٍ
35:17
और यह अल्लाह के लिए कुछ भी कठिन नहीं - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:18
وَلَا تَزِرُ وَازِرَةٌ وِزْرَ أُخْرَىٰ ۚ وَإِن تَدْعُ مُثْقَلَةٌ إِلَىٰ حِمْلِهَا لَا يُحْمَلْ مِنْهُ شَىْءٌ وَلَوْ كَانَ ذَا قُرْبَىٰٓ ۗ إِنَّمَا تُنذِرُ ٱلَّذِينَ يَخْشَوْنَ رَبَّهُم بِٱلْغَيْبِ وَأَقَامُوا۟ ٱلصَّلَوٰةَ ۚ وَمَن تَزَكَّىٰ فَإِنَّمَا يَتَزَكَّىٰ لِنَفْسِهِۦ ۚ وَإِلَى ٱللَّهِ ٱلْمَصِيرُ
35:18
कोई बोझ उठानेवाला किसी दूसरे का बोझ न उठाएगा। और यदि कोई कोई से दबा हुआ व्यक्ति अपना बोझ उठाने के लिए पुकारे तो उसमें से कुछ भी न उठाया, यद्यपि वह निकट का सम्बन्धी ही क्यों न हो। तुम तो केवल सावधान कर रहे हो। जो परोक्ष में रहते हुए अपने रब से डरते हैं और नमाज़ के पाबन्द हो चुके है (उनकी आत्मा का विकास हो गया) । और जिसने स्वयं को विकसित किया वह अपने ही भले के लिए अपने आपको विकसित करेगा। और पलटकर जाना तो अल्लाह ही की ओर है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:19
وَمَا يَسْتَوِى ٱلْأَعْمَىٰ وَٱلْبَصِيرُ
35:19
अंधा और आँखोंवाला बराबर नहीं, - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:20
وَلَا ٱلظُّلُمَـٰتُ وَلَا ٱلنُّورُ
35:20
और न अँधेरे और प्रकाश, - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:21
وَلَا ٱلظِّلُّ وَلَا ٱلْحَرُورُ
35:21
और न छाया और धूप - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:22
وَمَا يَسْتَوِى ٱلْأَحْيَآءُ وَلَا ٱلْأَمْوَٰتُ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ يُسْمِعُ مَن يَشَآءُ ۖ وَمَآ أَنتَ بِمُسْمِعٍ مَّن فِى ٱلْقُبُورِ
35:22
और न जीवित और मृत बराबर है। निश्चय ही अल्लाह जिसे चाहता है सुनाता है। तुम उन लोगों को नहीं सुना सकते, जो क़ब्रों में हो। - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:23
إِنْ أَنتَ إِلَّا نَذِيرٌ
35:23
तुम तो बस एक सचेतकर्ता हो - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:24
إِنَّآ أَرْسَلْنَـٰكَ بِٱلْحَقِّ بَشِيرًا وَنَذِيرًا ۚ وَإِن مِّنْ أُمَّةٍ إِلَّا خَلَا فِيهَا نَذِيرٌ
35:24
हमने तुम्हें सत्य के साथ भेजा है, शुभ-सूचना देनेवाला और सचेतकर्ता बनाकर। और जो भी समुदाय गुज़रा है, उसमें अनिवार्यतः एक सचेतकर्ता हुआ है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:25
وَإِن يُكَذِّبُوكَ فَقَدْ كَذَّبَ ٱلَّذِينَ مِن قَبْلِهِمْ جَآءَتْهُمْ رُسُلُهُم بِٱلْبَيِّنَـٰتِ وَبِٱلزُّبُرِ وَبِٱلْكِتَـٰبِ ٱلْمُنِيرِ
35:25
यदि वे तुम्हें झुठलाते है तो जो उनसे पहले थे वे भी झुठला चुके है। उनके रसूल उनके पास स्पष्ट और ज़बूरें और प्रकाशमान किताब लेकर आए थे - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:26
ثُمَّ أَخَذْتُ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ ۖ فَكَيْفَ كَانَ نَكِيرِ
35:26
फिर मैं उन लोगों को, जिन्होंने इनकार किया, पकड़ लिया (तो फिर कैसा रहा मेरा इनकार!) - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:27
أَلَمْ تَرَ أَنَّ ٱللَّهَ أَنزَلَ مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءً فَأَخْرَجْنَا بِهِۦ ثَمَرَٰتٍ مُّخْتَلِفًا أَلْوَٰنُهَا ۚ وَمِنَ ٱلْجِبَالِ جُدَدٌۢ بِيضٌ وَحُمْرٌ مُّخْتَلِفٌ أَلْوَٰنُهَا وَغَرَابِيبُ سُودٌ
35:27
क्या तुमने नहीं देखा कि अल्लाह ने आकाश से पानी बरसाया, फिर उसके द्वारा हमने फल निकाले, जिनके रंग विभिन्न प्रकार के होते है? और पहाड़ो में भी श्वेत और लाल विभिन्न रंगों की धारियाँ पाई जाती है, और भुजंग काली भी - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:28
وَمِنَ ٱلنَّاسِ وَٱلدَّوَآبِّ وَٱلْأَنْعَـٰمِ مُخْتَلِفٌ أَلْوَٰنُهُۥ كَذَٰلِكَ ۗ إِنَّمَا يَخْشَى ٱللَّهَ مِنْ عِبَادِهِ ٱلْعُلَمَـٰٓؤُا۟ ۗ إِنَّ ٱللَّهَ عَزِيزٌ غَفُورٌ
35:28
और मनुष्यों और जानवरों और चौपायों के रंग भी इसी प्रकार भिन्न हैं। अल्लाह से डरते तो उसके वही बन्दे हैं, जो बाख़बर है। निश्चय ही अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, क्षमाशील है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:29
إِنَّ ٱلَّذِينَ يَتْلُونَ كِتَـٰبَ ٱللَّهِ وَأَقَامُوا۟ ٱلصَّلَوٰةَ وَأَنفَقُوا۟ مِمَّا رَزَقْنَـٰهُمْ سِرًّا وَعَلَانِيَةً يَرْجُونَ تِجَـٰرَةً لَّن تَبُورَ
35:29
निश्चय ही जो लोग अल्लाह की किताब पढ़ते हैं, इस हाल मे कि नमाज़ के पाबन्द हैं, और जो कुछ हमने उन्हें दिया है, उसमें से छिपे और खुले ख़र्च किया है, वे एक ऐसे व्यापार की आशा रखते है जो कभी तबाह न होगा - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:30
لِيُوَفِّيَهُمْ أُجُورَهُمْ وَيَزِيدَهُم مِّن فَضْلِهِۦٓ ۚ إِنَّهُۥ غَفُورٌ شَكُورٌ
35:30
परिणामस्वरूप वह उन्हें उनके प्रतिदान पूरे-पूरे दे और अपने उदार अनुग्रह से उन्हें और अधिक भी प्रदान करे। निस्संदेह वह बहुत क्षमाशील, अत्यन्त गुणग्राहक है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:31
وَٱلَّذِىٓ أَوْحَيْنَآ إِلَيْكَ مِنَ ٱلْكِتَـٰبِ هُوَ ٱلْحَقُّ مُصَدِّقًا لِّمَا بَيْنَ يَدَيْهِ ۗ إِنَّ ٱللَّهَ بِعِبَادِهِۦ لَخَبِيرٌۢ بَصِيرٌ
35:31
जो किताब हमने तुम्हारी ओर प्रकाशना द्वारा भेजी है, वही सत्य है। अपने से पहले (की किताबों) की पुष्टि में है। निश्चय ही अल्लाह अपने बन्दों की ख़बर पूरी रखनेवाला, देखनेवाला है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:32
ثُمَّ أَوْرَثْنَا ٱلْكِتَـٰبَ ٱلَّذِينَ ٱصْطَفَيْنَا مِنْ عِبَادِنَا ۖ فَمِنْهُمْ ظَالِمٌ لِّنَفْسِهِۦ وَمِنْهُم مُّقْتَصِدٌ وَمِنْهُمْ سَابِقٌۢ بِٱلْخَيْرَٰتِ بِإِذْنِ ٱللَّهِ ۚ ذَٰلِكَ هُوَ ٱلْفَضْلُ ٱلْكَبِيرُ
35:32
फिर हमने इस किताब का उत्तराधिकारी उन लोगों को बनाया, जिन्हें हमने अपने बन्दो में से चुन लिया है। अब कोई तो उनमें से अपने आप पर ज़ुल्म करता है और कोई उनमें से मध्य श्रेणी का है और कोई उनमें से अल्लाह के कृपायोग से भलाइयों में अग्रसर है। यही है बड़ी श्रेष्ठता। - - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:33
جَنَّـٰتُ عَدْنٍ يَدْخُلُونَهَا يُحَلَّوْنَ فِيهَا مِنْ أَسَاوِرَ مِن ذَهَبٍ وَلُؤْلُؤًا ۖ وَلِبَاسُهُمْ فِيهَا حَرِيرٌ
35:33
सदैव रहने के बाग है, जिनमें वे प्रवेश करेंगे। वहाँ उन्हें सोने के कंगनों और मोती से आभूषित किया जाएगा। और वहाँ उनका वस्त्र रेशम होगा - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:34
وَقَالُوا۟ ٱلْحَمْدُ لِلَّهِ ٱلَّذِىٓ أَذْهَبَ عَنَّا ٱلْحَزَنَ ۖ إِنَّ رَبَّنَا لَغَفُورٌ شَكُورٌ
35:34
और वे कहेंगे, "सब प्रशंसा अल्लाह के लिए है, जिसने हमसे ग़म दूर कर दिया। निश्चय ही हमारा रब अत्यन्त क्षमाशील, बड़ा गुणग्राहक है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:35
ٱلَّذِىٓ أَحَلَّنَا دَارَ ٱلْمُقَامَةِ مِن فَضْلِهِۦ لَا يَمَسُّنَا فِيهَا نَصَبٌ وَلَا يَمَسُّنَا فِيهَا لُغُوبٌ
35:35
जिसने हमें अपने उदार अनुग्रह से रहने के ऐसे घर में उतारा जहाँ न हमें कोई मशक़्क़त उठानी पड़ती है और न हमें कोई थकान ही आती है।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:36
وَٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ لَهُمْ نَارُ جَهَنَّمَ لَا يُقْضَىٰ عَلَيْهِمْ فَيَمُوتُوا۟ وَلَا يُخَفَّفُ عَنْهُم مِّنْ عَذَابِهَا ۚ كَذَٰلِكَ نَجْزِى كُلَّ كَفُورٍ
35:36
रहे वे लोग जिन्होंने इनकार किया, उनके लिए जहन्नम की आग है, न उनका काम तमाम किया जाएगा कि मर जाएँ और न उनसे उसकी यातना ही कुछ हल्की की जाएगी। हम ऐसा ही बदला प्रत्येक अकृतज्ञ को देते है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:37
وَهُمْ يَصْطَرِخُونَ فِيهَا رَبَّنَآ أَخْرِجْنَا نَعْمَلْ صَـٰلِحًا غَيْرَ ٱلَّذِى كُنَّا نَعْمَلُ ۚ أَوَلَمْ نُعَمِّرْكُم مَّا يَتَذَكَّرُ فِيهِ مَن تَذَكَّرَ وَجَآءَكُمُ ٱلنَّذِيرُ ۖ فَذُوقُوا۟ فَمَا لِلظَّـٰلِمِينَ مِن نَّصِيرٍ
35:37
वे वहाँ चिल्लाएँगे कि "ऐ हमारे रब! हमें निकाल ले। हम अच्छा कर्म करेंगे, उससे भिन्न जो हम करते रहे।" "क्या हमने तुम्हें इतनी आयु नहीं दी कि जिसमें कोई होश में आना चाहता तो होश में आ जाता? और तुम्हारे पास सचेतकर्ता भी आया था, तो अब मज़ा चखते रहो! ज़ालिमोंं को कोई सहायक नहीं!" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:38
إِنَّ ٱللَّهَ عَـٰلِمُ غَيْبِ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ ۚ إِنَّهُۥ عَلِيمٌۢ بِذَاتِ ٱلصُّدُورِ
35:38
निस्संदेह अल्लाह आकाशों और धरती की छिपी बात को जानता है। वह तो सीनो तक की बात जानता है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:39
هُوَ ٱلَّذِى جَعَلَكُمْ خَلَـٰٓئِفَ فِى ٱلْأَرْضِ ۚ فَمَن كَفَرَ فَعَلَيْهِ كُفْرُهُۥ ۖ وَلَا يَزِيدُ ٱلْكَـٰفِرِينَ كُفْرُهُمْ عِندَ رَبِّهِمْ إِلَّا مَقْتًا ۖ وَلَا يَزِيدُ ٱلْكَـٰفِرِينَ كُفْرُهُمْ إِلَّا خَسَارًا
35:39
वही तो है जिसने तुम्हे धरती में ख़लीफ़ा बनाया। अब तो कोई इनकार करेगा, उसके इनकार का वबाल उसी पर है। इनकार करनेवालों का इनकार उनके रब के यहाँ केवल प्रकोप ही को बढ़ाता है, और इनकार करनेवालों का इनकार केवल घाटे में ही अभिवृद्धि करता है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:40
قُلْ أَرَءَيْتُمْ شُرَكَآءَكُمُ ٱلَّذِينَ تَدْعُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِ أَرُونِى مَاذَا خَلَقُوا۟ مِنَ ٱلْأَرْضِ أَمْ لَهُمْ شِرْكٌ فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ أَمْ ءَاتَيْنَـٰهُمْ كِتَـٰبًا فَهُمْ عَلَىٰ بَيِّنَتٍ مِّنْهُ ۚ بَلْ إِن يَعِدُ ٱلظَّـٰلِمُونَ بَعْضُهُم بَعْضًا إِلَّا غُرُورًا
35:40
कहो, "क्या तुमने अपने ठहराए हुए साझीदारो का अवलोकन भी किया, जिन्हें तुम अल्लाह को छोड़कर पुकारते हो? मुझे दिखाओ उन्होंने धरती का कौन-सा भाग पैदा किया है या आकाशों में उनकी कोई भागीदारी है?" या हमने उन्हें कोई किताब ही है कि उसका कोई स्पष्ट प्रमाण उनके पक्ष में हो? नहीं, बल्कि वे ज़ालिम आपस में एक-दूसरे से केवल धोखे का वादा कर रहे है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:41
۞ إِنَّ ٱللَّهَ يُمْسِكُ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ أَن تَزُولَا ۚ وَلَئِن زَالَتَآ إِنْ أَمْسَكَهُمَا مِنْ أَحَدٍ مِّنۢ بَعْدِهِۦٓ ۚ إِنَّهُۥ كَانَ حَلِيمًا غَفُورًا
35:41
अल्लाह ही आकाशों और धरती को थामे हुए है कि वे टल न जाएँ और यदि वे टल जाएँ तो उसके पश्चात कोई भी नहीं जो उन्हें थाम सके। निस्संदेह, वह बहुत सहनशील, क्षमा करनेवाला है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:42
وَأَقْسَمُوا۟ بِٱللَّهِ جَهْدَ أَيْمَـٰنِهِمْ لَئِن جَآءَهُمْ نَذِيرٌ لَّيَكُونُنَّ أَهْدَىٰ مِنْ إِحْدَى ٱلْأُمَمِ ۖ فَلَمَّا جَآءَهُمْ نَذِيرٌ مَّا زَادَهُمْ إِلَّا نُفُورًا
35:42
उन्होंने अल्लाह की कड़ी-कड़ी क़समें खाई थी कि यदि उनके पास कोई सचेतकर्ता आए तो वे समुदायों में से प्रत्येक से बढ़कर सीधे मार्ग पर होंगे। किन्तु जब उनके पास एक सचेतकर्ता आ गया तो इस चीज़ ने धरती में उनके घमंड और बुरी चालों के कारण उनकी नफ़रत ही में अभिवृद्धि की, - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:43
ٱسْتِكْبَارًا فِى ٱلْأَرْضِ وَمَكْرَ ٱلسَّيِّئِ ۚ وَلَا يَحِيقُ ٱلْمَكْرُ ٱلسَّيِّئُ إِلَّا بِأَهْلِهِۦ ۚ فَهَلْ يَنظُرُونَ إِلَّا سُنَّتَ ٱلْأَوَّلِينَ ۚ فَلَن تَجِدَ لِسُنَّتِ ٱللَّهِ تَبْدِيلًا ۖ وَلَن تَجِدَ لِسُنَّتِ ٱللَّهِ تَحْوِيلًا
35:43
हालाँकि बुरी चाल अपने ही लोगों को घेर लेती है। तो अब क्या जो रीति अगलों के सिलसिले में रही है वे बस उसी रीति की प्रतिक्षा कर रहे है? तो तुम अल्लाह की रीति में कदापि कोई परिवर्तन न पाओगे और न तुम अल्लाह की रीति को कभी टलते ही पाओगे - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:44
أَوَلَمْ يَسِيرُوا۟ فِى ٱلْأَرْضِ فَيَنظُرُوا۟ كَيْفَ كَانَ عَـٰقِبَةُ ٱلَّذِينَ مِن قَبْلِهِمْ وَكَانُوٓا۟ أَشَدَّ مِنْهُمْ قُوَّةً ۚ وَمَا كَانَ ٱللَّهُ لِيُعْجِزَهُۥ مِن شَىْءٍ فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَلَا فِى ٱلْأَرْضِ ۚ إِنَّهُۥ كَانَ عَلِيمًا قَدِيرًا
35:44
क्या वे धरती में चले-फिरे नहीं कि देखते कि उन लोगों का कैसा परिणाम हुआ है जो उनसे पहले गुज़रे हैं? हालाँकि वे शक्ति में उनसे कही बढ़-चढ़कर थे। अल्लाह ऐसा नहीं कि आकाशों में कोई चीज़ उसे मात कर सके और न धरती ही में। निस्संदेह वह सर्वज्ञ, सामर्थ्यमान है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)
35:45
وَلَوْ يُؤَاخِذُ ٱللَّهُ ٱلنَّاسَ بِمَا كَسَبُوا۟ مَا تَرَكَ عَلَىٰ ظَهْرِهَا مِن دَآبَّةٍ وَلَـٰكِن يُؤَخِّرُهُمْ إِلَىٰٓ أَجَلٍ مُّسَمًّى ۖ فَإِذَا جَآءَ أَجَلُهُمْ فَإِنَّ ٱللَّهَ كَانَ بِعِبَادِهِۦ بَصِيرًۢا
35:45
यदि अल्लाह लोगों को उनकी कमाई के कारण पकड़ने पर आ जाए तो इस धरती की पीठ पर किसी जीवधारी को भी न छोड़े। किन्तु वह उन्हें एक नियत समय तक ढील देता है, फिर जब उनका नियत समय आ जाता है तो निश्चय ही अल्लाह तो अपने बन्दों को देख ही रहा है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)