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Suhel Khan and Saifur Nadwi

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28 Al-Qaşaş ٱلْقَصَص

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بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
In the name of Allah, Most Gracious, Most Merciful.

28:86 وَمَا كُنتَ تَرْجُوٓا۟ أَن يُلْقَىٰٓ إِلَيْكَ ٱلْكِتَـٰبُ إِلَّا رَحْمَةً مِّن رَّبِّكَ ۖ فَلَا تَكُونَنَّ ظَهِيرًا لِّلْكَـٰفِرِينَ
28:86 इससे मेरा परवरदिगार ख़ूब वाक़िफ है और तुमको तो ये उम्मीद न थी कि तुम्हारे पास ख़ुदा की तरफ से किताब नाज़िल की जाएगी मगर तुम्हारे परवरदिगार की मेहरबानी से नाज़िल हुई तो तुम हरग़िज़ काफिरों के पुश्त पनाह न बनना - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)