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Suhel Khan and Saifur Nadwi

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16 An-Naĥl ٱلنَّحْل

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بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
In the name of Allah, Most Gracious, Most Merciful.

16:11 يُنۢبِتُ لَكُم بِهِ ٱلزَّرْعَ وَٱلزَّيْتُونَ وَٱلنَّخِيلَ وَٱلْأَعْنَـٰبَ وَمِن كُلِّ ٱلثَّمَرَٰتِ ۗ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَةً لِّقَوْمٍ يَتَفَكَّرُونَ
16:11 जिनमें तुम (अपने मवेशियों को) चराते हो इसी पानी से तुम्हारे वास्ते खेती और जैतून और खुरमें और अंगूर उगाता है और हर तरह के फल (पैदा करता है) इसमें शक़ नहीं कि इसमें ग़ौर करने वालो के वास्ते (कुदरते ख़ुदा की) बहुत बड़ी निशानी है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)